
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से पांच देशों — घाना, त्रिनिडाड और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राज़ील और नामीबिया — की एक बहुप्रतीक्षित और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यात्रा पर रवाना हो गए हैं। यह यात्रा भारत की वैश्विक कूटनीतिक सक्रियता, दक्षिण-दक्षिण सहयोग और बहुपक्षीय मंचों पर अपनी भूमिका को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम पहल मानी जा रही है।
प्रधानमंत्री की यह यात्रा वैश्विक कूटनीति, आर्थिक विकास, रक्षा साझेदारी, ऊर्जा सहयोग और जलवायु परिवर्तन जैसे प्रमुख विषयों पर केंद्रित है।
पहला चरण: घाना – अफ्रीका के साथ नए युग की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी यात्रा के पहले चरण में आज दोपहर घाना की राजधानी अकरा पहुंचे। यह प्रधानमंत्री मोदी की घाना की पहली द्विपक्षीय यात्रा है, जो भारत-अफ्रीका संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत है।
घाना के राष्ट्रपति नाना अकुफो-एड्डो से उनकी मुलाकात होगी। इस दौरान द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा की जाएगी और आर्थिक, ऊर्जा और रक्षा सहयोग के साथ-साथ विकासात्मक साझेदारी को और मजबूत करने पर चर्चा होगी।
प्रधानमंत्री का यह दौरा अफ्रीका में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है, जहां भारत अफ्रीकी देशों के साथ साझेदारी को “विकास साझेदारी” के रूप में स्थापित करने की नीति पर आगे बढ़ रहा है।
दूसरा चरण: त्रिनिडाड और टोबैगो – भारतीय मूल की विरासत से भावनात्मक जुड़ाव
प्रधानमंत्री मोदी 3 जुलाई को त्रिनिडाड और टोबैगो की यात्रा पर जाएंगे। यह दौरा भारत की भारतीय प्रवासी नीति और कैरेबियाई देशों के साथ संबंधों को गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
प्रधानमंत्री त्रिनिडाड और टोबैगो की राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कमला पर्साड-बिसेसर से मुलाकात करेंगे। साथ ही, प्रधानमंत्री वहां की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे, जो भारत और त्रिनिडाड के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगा।
यह उल्लेखनीय है कि त्रिनिडाड में भारतीय मूल के लोगों की एक बड़ी आबादी निवास करती है, जिनके पूर्वज गिरमिटिया मजदूरों के रूप में वहां पहुंचे थे। प्रधानमंत्री की यात्रा भारतीय मूल के समुदाय के साथ भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव का भी प्रतीक है।
तीसरा चरण: अर्जेंटीना – रणनीतिक क्षेत्रों में नए अवसर
4 जुलाई से प्रधानमंत्री अर्जेंटीना के दौरे पर रहेंगे, जहां वे राष्ट्रपति जेवियर मिली से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। यह वार्ता रक्षा, कृषि, खनन, तेल और गैस, नवीकरणीय ऊर्जा, व्यापार और निवेश जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित होगी।
भारत और अर्जेंटीना के बीच लिथियम सहित महत्वपूर्ण खनिजों पर सहयोग पहले से प्रगति पर है। इस यात्रा के दौरान कई रणनीतिक समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी क्षेत्र को गति देंगे।
प्रधानमंत्री की यात्रा से भारत-अर्जेंटीना साझेदारी को नई ऊंचाई मिलने की उम्मीद है, विशेषकर लैटिन अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों को मजबूत करने के संदर्भ में।
चौथा चरण: ब्राज़ील – 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में वैश्विक मुद्दों पर मंथन
प्रधानमंत्री मोदी 5 से 8 जुलाई के बीच ब्राज़ील के दौरे पर रहेंगे, जहां वे 17वें ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह शिखर सम्मेलन रियो डी जेनेरो में आयोजित किया जाएगा और इसके बाद प्रधानमंत्री की राजकीय यात्रा भी प्रस्तावित है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह ब्राज़ील की चौथी यात्रा होगी। इस सम्मेलन में वे ब्रिक्स देशों के नेताओं के साथ मिलकर वैश्विक शासन में सुधार, शांति और सुरक्षा, बहुपक्षवाद को सुदृढ़ करने, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के जिम्मेदार उपयोग, जलवायु कार्रवाई, वैश्विक स्वास्थ्य, और आर्थिक व वित्तीय मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे।
ब्रिक्स मंच पर भारत की भूमिका लगातार प्रभावशाली होती जा रही है। यह मंच अब उभरती अर्थव्यवस्थाओं के ग्लोबल साउथ के प्रतिनिधित्व का प्रतीक बन चुका है।
अंतिम चरण: नामीबिया – भारत-अफ्रीका संबंधों का विस्तार
प्रधानमंत्री मोदी 9 जुलाई को नामीबिया की यात्रा करेंगे। यह उनकी पहली नामीबिया यात्रा है और भारत से तीसरी प्रधानमंत्री स्तरीय यात्रा है। यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री राष्ट्रपति नांडी-एनदैतवा से मुलाकात करेंगे।
भारत और नामीबिया के बीच रणनीतिक खनिज, रक्षा, कृषि, फार्मा, शिक्षा और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में सहयोग की व्यापक संभावनाएं हैं। हाल ही में भारतीय चीते को नामीबिया से लाकर मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बसाया गया था, जिससे भारत और नामीबिया के बीच प्राकृतिक संरक्षण और वन्यजीव सहयोग को नई पहचान मिली है।
यह यात्रा अफ्रीका में भारत की मजबूत, आत्मनिर्भर और सहायक शक्ति की छवि को और मजबूत करेगी।
भारत: G20 के बाद वैश्विक नेतृत्व की ओर
2023-24 में G20 अध्यक्षता के सफल संचालन के बाद भारत ने खुद को एक उत्तरदायी, समावेशी और विकासोन्मुखी वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया है। G20 की अध्यक्षता ने भारत को वैश्विक विकास के प्रमुख एजेंडा-निर्धारक के रूप में स्थापित किया — चाहे वह जलवायु कार्रवाई हो, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना हो, या वैश्विक वित्तीय सुधार।
प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदा यात्रा उसी निरंतरता में एक अगला कदम है — जो यह संकेत देती है कि भारत अब केवल भागीदार नहीं, बल्कि दिशा-निर्देशक बनना चाहता है।
ग्लोबल साउथ की आवाज: संतुलन का प्रयास
भारत ने अपने वैश्विक कूटनीति में एक स्पष्ट परिवर्तन दिखाया है — ग्लोबल साउथ यानी अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों के साथ सक्रिय साझेदारी।
🔸 घाना, नामीबिया और अर्जेंटीना जैसे देशों के साथ बढ़ते संबंध:
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प्रधानमंत्री मोदी की घाना और नामीबिया यात्रा, दोनों देशों के साथ नई आर्थिक और सामरिक साझेदारी की ओर संकेत करती है।
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अर्जेंटीना जैसे देश के साथ लिथियम, ऊर्जा, कृषि और रक्षा में सहयोग, भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूती प्रदान करेगा।
यह सहयोग वैश्विक असंतुलन को चुनौती देता है, जहां शक्तिशाली राष्ट्र दशकों से प्राथमिकता पाते रहे हैं। भारत अब ग्लोबल साउथ को विश्व व्यवस्था में न्यायसंगत प्रतिनिधित्व दिलाने की कोशिश कर रहा है।
प्रवासी भारतीयों से जुड़ाव: सॉफ्ट पावर की शक्ति
प्रधानमंत्री मोदी की त्रिनिडाड और टोबैगो यात्रा केवल राजनीतिक या आर्थिक दायरे तक सीमित नहीं है। यह यात्रा वहां बसे भारतीय मूल के समुदाय के साथ भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव को मजबूत करने की दिशा में है।
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संयुक्त सत्र को संबोधन और भारतीय समुदाय के साथ संवाद, भारत की सॉफ्ट पावर को सशक्त बनाता है।
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यह कूटनीतिक प्रयास भारतवंशी समाज को भारत की विदेश नीति का भागीदार बनाता है।
यह रणनीति न केवल भावनात्मक जुड़ाव को बढ़ाती है, बल्कि विदेशों में बसे भारतीयों को “ब्रांड इंडिया” के प्रचारक के रूप में उभारती है।
ब्रिक्स में निर्णायक भूमिका: बहुपक्षीय नेतृत्व का संकल्प
प्रधानमंत्री मोदी की ब्राज़ील यात्रा का मुख्य केंद्र 17वां ब्रिक्स सम्मेलन (2025) है, जो रियो डी जेनेरो में आयोजित हो रहा है। यह सम्मेलन भारत को वैश्विक बहुपक्षीय संवाद में नीतिगत नेतृत्व प्रदान करने का मंच देता है।
भारत की प्रमुख प्राथमिकताएं:
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वैश्विक शासन में सुधार: UNSC और अन्य वैश्विक संस्थानों में ग्लोबल साउथ की आवाज को प्रतिनिधित्व दिलाना।
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AI का जिम्मेदार उपयोग: तकनीक का मानवता के कल्याण हेतु नियमन।
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जलवायु और वैश्विक स्वास्थ्य: भारत की G20 अध्यक्षता की तरह ही इन विषयों को फिर से प्रमुख बनाना।
भारत अब न केवल विकासशील देशों की बात कर रहा है, बल्कि उन्हें नीतिगत मंच भी दे रहा है। यह वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना का आधुनिक राजनीतिक रूप है।
निष्कर्ष: ‘एक भारत, वैश्विक भारत’ की ओर निर्णायक कदम
प्रधानमंत्री मोदी की यह पांच देशों की यात्रा न केवल राजनयिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आर्थिक, रणनीतिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक दृष्टि से भी भारत के वैश्विक प्रभाव को और सशक्त करती है।
भारत अब केवल एक उभरती शक्ति नहीं, बल्कि एक दिशादर्शी शक्ति बन रहा है, जो न केवल अपने विकास के लिए, बल्कि वैश्विक भलाई के लिए भी कार्य कर रहा है।