भारत में सड़क सुरक्षा एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। विशेषकर दोपहिया वाहन चालकों के लिए, एक क्षण की लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। हर साल लाखों दुर्घटनाओं में हजारों लोग अपनी जान गंवाते हैं और एक बड़ी संख्या में घायलों की जिंदगी कभी सामान्य नहीं हो पाती। इनमें से अधिकांश मामले ऐसे होते हैं जहाँ हेलमेट या तो नहीं पहना गया था, या फिर वह घटिया गुणवत्ता का था। इस पृष्ठभूमि में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की पहल—केवल BIS प्रमाणित हेलमेट के प्रयोग की अपील—बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रही है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और परिवहन मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, भारत में हर वर्ष लगभग 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं जिनमें 1.5 लाख से अधिक लोगों की जान चली जाती है। इनमें 38% से अधिक मौतें दोपहिया वाहन चालकों की होती हैं। हेलमेट न पहनना या खराब गुणवत्ता वाले हेलमेट का प्रयोग इस उच्च मृत्यु दर का एक मुख्य कारण है।
सरकार द्वारा 2021 में जारी एक अध्ययन के अनुसार, जिन मामलों में प्रमाणित हेलमेट पहने गए थे, उनमें सिर की चोट से होने वाली मृत्यु दर 40% कम रही। यह आँकड़ा हेलमेट की गुणवत्ता की भूमिका को रेखांकित करता है।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 129 के अंतर्गत, सभी दोपहिया चालकों और पीछे बैठने वाले यात्रियों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य है। लेकिन केवल पहनना पर्याप्त नहीं है। हेलमेट की गुणवत्ता, निर्माण सामग्री, संरचना और परीक्षण प्रक्रिया का अनुपालन उतना ही आवश्यक है।
इस चुनौती को देखते हुए केंद्र सरकार ने 2021 में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया—गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (Quality Control Order) के अंतर्गत ISI-मार्क वाले हेलमेट को अनिवार्य किया गया। इसके अंतर्गत:
- केवल IS 4151:2015 मानक के अनुसार निर्मित हेलमेट ही बिक्री के लिए पात्र होंगे।
- बिना BIS प्रमाणन के हेलमेट का निर्माण, बिक्री या भंडारण कानूनन अपराध है।
BIS की भूमिका और निगरानी
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की स्थापना गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को निर्धारित करने और लागू करने हेतु की गई है। हेलमेट सुरक्षा के क्षेत्र में BIS ने बहुआयामी कार्य योजना बनाई है:
- प्रमाणन प्रक्रिया: निर्माता को लाइसेंस के लिए आवेदन देना होता है। उनके उत्पादों का परीक्षण किया जाता है।
- निरीक्षण एवं निगरानी: बाजार से नमूने एकत्र किए जाते हैं और टेस्टिंग के लिए भेजे जाते हैं।
- अनुपालन कार्रवाई: अवैध उत्पादकों पर छापे, जब्ती और अभियोजन की कार्रवाई की जाती है।
जून 2025 तक देशभर में 176 से अधिक हेलमेट निर्माताओं को BIS प्रमाणन प्राप्त हो चुका है। 2024-25 के दौरान BIS ने 30 से अधिक छापेमारी अभियान चलाए और हज़ारों घटिया हेलमेट जब्त किए।
दिल्ली मॉडल – सफलता की मिसाल
दिल्ली में BIS ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर एक व्यापक अभियान चलाया। इसके अंतर्गत:
- हेलमेट निर्माताओं के लाइसेंस समाप्त पाए गए और उनके गोदामों से 2500 से अधिक हेलमेट जब्त किए गए।
- फुटपाथ और सड़क किनारे बिक रहे 500 से अधिक बिना प्रमाणन वाले हेलमेट जब्त किए गए।
- इन मामलों में संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए।
तस्वीर का दृश्य: दिल्ली पुलिस और BIS अधिकारी मिलकर सड़क किनारे एक ठेले से अवैध हेलमेट जब्त कर रहे हैं। पास में एक बैनर लगा है: “ISI मार्क देखो, सुरक्षा चुनो।”
BIS प्रमाणित हेलमेट में ISI चिह्न अनिवार्य है
- BIS-Care ऐप से जांचें लाइसेंस नंबर
- घटिया हेलमेट से हो सकती है जानलेवा चोट
- नकली ISI मार्क की शिकायत करें BIS-Care ऐप पर
उपभोक्ता मामलों के विभाग ने देश के सभी जिला कलेक्टरों और मजिस्ट्रेटों को पत्र भेजकर निर्देश दिए हैं:
- सड़क सुरक्षा अभियानों के साथ BIS हेलमेट प्रमाणीकरण को जोड़ा जाए
- नियमित रूप से फुटपाथ और बाजारों की छानबीन हो
- मीडिया और सामाजिक संस्थाओं की मदद से लोगों को जागरूक किया जाए
इसके फलस्वरूप, देश के कई जिलों में स्थानीय पुलिस और BIS अधिकारी मिलकर छापेमारी कर रहे हैं। यह जागरूकता अभियान एक सतत गतिविधि बन गई है।
चेन्नई:
BIS और ट्रैफिक पुलिस ने मिलकर एक विशाल रैली निकाली जिसमें ISI-मार्क हेलमेट वितरित किए गए। स्कूलों और कॉलेजों में वर्कशॉप भी आयोजित की गई।
पुणे:
रंगमंच और नुक्कड़ नाटक के ज़रिए लोगों को बताया गया कि नकली हेलमेट कैसे जान जोखिम में डालते हैं।
भोपाल:
शहर भर में वॉल पेंटिंग और डिजिटल बिलबोर्ड लगाए गए जिन पर BIS प्रमाणन की जानकारी दी गई।
लखनऊ और अहमदाबाद
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को जोड़ा गया और युवाओं में जागरूकता फैलाई गई।
सोशल मीडिया और जनसंचार की ताकत
सरकार और BIS ने #HelmetHaiZaroori और #ISIMarkDekho जैसे हैशटैग के माध्यम से सोशल मीडिया पर अभियान शुरू किया:
- फेसबुक लाइव सेशन
- इंस्टाग्राम रील्स
- यूट्यूब शॉर्ट्स
- ट्विटर पोल और इन्फोग्राफिक्स
इन प्लेटफार्म्स के माध्यम से करोड़ों युवाओं तक हेलमेट प्रमाणन का संदेश पहुँचाया गया है।
BIS-Care ऐप उपभोक्ताओं को तीन प्रमुख सुविधाएँ प्रदान करता है:
- लाइसेंस वेरिफिकेशन – उत्पाद का लाइसेंस नंबर डालकर प्रमाणन स्थिति जांचें
- शिकायत निबंधन – घटिया या नकली उत्पाद की रिपोर्ट करें
- उपभोक्ता संवाद – शिकायतों की स्थिति ट्रैक करें
अब तक इस ऐप के माध्यम से 25,000 से अधिक उपभोक्ताओं ने हेलमेट प्रमाणन की जांच की है और 1500 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं।
BIS ने ‘मानक मित्र’ योजना शुरू की है, जिसके अंतर्गत स्वयंसेवक स्थानीय समुदायों में जाकर:
- हेलमेट और अन्य उत्पादों के लिए प्रमाणन की जानकारी देते हैं
- स्कूलों, कॉलेजों, ग्राम सभाओं में जागरूकता सत्र लेते हैं
अब तक 1500 से अधिक मानक मित्र पूरे भारत में सक्रिय हो चुके हैं।
डॉ. (ट्रॉमा सर्जन, AIIMS):
“हम रोज़ ऐसे केस देखते हैं जहाँ हेलमेट की गुणवत्ता जान और मौत के बीच का अंतर बन जाती है। सही हेलमेट पहनना अनिवार्य होना चाहिए।”
नीलम सिंह (सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ):
“यह पहल ऐतिहासिक है। BIS ने यह सिद्ध किया है कि जब नियमन, निगरानी और जनजागृति साथ चलते हैं, तो सामाजिक बदलाव संभव है।”
सरकार अब इस अभियान को अगले चरण में ले जाने की योजना बना रही है:
- वाहन डीलरों को यह अनिवार्य किया जा सकता है कि वे ISI-मार्क हेलमेट के बिना वाहन न बेचें
- बीमा कंपनियों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे प्रमाणित हेलमेट खरीदने पर प्रीमियम में छूट दें
- शैक्षणिक संस्थानों में हेलमेट शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा सकता है