
भारत के खनन क्षेत्र के लिए आज का दिन ऐतिहासिक रहा। विश्व खनन कांग्रेस की भारतीय राष्ट्रीय समिति (INC-WMC) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन “सर्वोत्तम खदान बंद करने की प्रथाओं के माध्यम से टिकाऊ और जिम्मेदार खनन” आज सफलता के साथ संपन्न हुआ। सम्मेलन का आयोजन भारत के हरित, सुरक्षित और उत्तरदायी खनन भविष्य की दिशा में सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इस आयोजन में न केवल भारत के प्रमुख खनन एवं औद्योगिक संगठनों ने भाग लिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ, नीति निर्माता, शिक्षाविद, पर्यावरणविद, और मीडिया प्रतिनिधि भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
प्रथम अनुच्छेद: उद्घाटन और प्रधानमंत्री के संदेश की गूंज
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की शोभा केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री और INC-WMC के संरक्षक श्री जी. किशन रेड्डी ने बढ़ाई। उन्होंने अपने प्रेरक संबोधन में खनन क्षेत्र के भविष्य के लिए सरकार की हरित, सुरक्षित और उत्तरदायी दृष्टिकोण को रेखांकित किया। श्री रेड्डी ने कहा:
“खनन केवल संसाधनों का दोहन नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखते हुए आर्थिक समृद्धि का निर्माण है। खदान बंदी की सर्वोत्तम प्रथाएँ हमारी जिम्मेदारी और दीर्घकालिक सोच का प्रतीक हैं।”
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सरकार अब खनन गतिविधियों के केवल प्रारंभ पर नहीं, बल्कि उनके समापन की प्रभावी योजना पर भी केंद्रित है।
द्वितीय अनुच्छेद: नेतृत्व में भागीदारी और मार्गदर्शन
खनन मंत्रालय के सचिव और INC-WMC के सह-अध्यक्ष श्री वीएल कांथा राव ने अपने तकनीकी प्रस्तुतीकरण में भारत के खनन परिदृश्य में “रेस्पॉन्सिबल एग्जिट स्ट्रैटेजीज़” की आवश्यकता को विस्तार से समझाया।
वहीं कोल इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं INC-WMC के सदस्य सचिव श्री पीएम प्रसाद ने व्यावसायिक खदानों के पुनर्वास और भूमि पुनः उपयोग के महत्व पर गहराई से चर्चा की।
कोयला मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव एवं कार्यकारी समिति की अध्यक्ष सुश्री रूपिंदर बरार ने कार्यक्रम के पूरे प्रवाह को नियंत्रित किया और विषय का चिंतनशील परिचय देते हुए प्रतिभागियों को वैश्विक परिप्रेक्ष्य से परिचित कराया।
तृतीय अनुच्छेद: सम्मेलन में ज्ञान और विचारों का जीवंत आदान-प्रदान
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहभागिता
इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, कनाडा, जापान, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से आए विशेषज्ञों ने अपने अनुभव और बेस्ट प्रैक्टिसेज़ साझा कीं। भारतीय प्रतिनिधियों में IIT (ISM) धनबाद, TISS, NITs, TERI और अन्य संस्थानों के वैज्ञानिक व शोधकर्ता उपस्थित रहे।
प्रस्तुत विषय
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खदान बंदी के चरणबद्ध मॉडल
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भूमि पुनर्स्थापन की जैविक तकनीकें
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सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास और पुनर्व्यवस्था
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जल संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण
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माइनिंग-रिज़निंग फ्रेमवर्क्स
चतुर्थ अनुच्छेद: प्रमुख लॉन्च और पहलें
1. मिशन ग्रीन बुकलेट
इस दस्तावेज़ में खनन क्षेत्रों में पुनर्रोपण, जैव विविधता संरक्षण और नेट-जीरो कार्बन फुटप्रिंट प्राप्त करने की रणनीतियाँ शामिल हैं।
2. कॉपर और एल्युमिनियम पर विज़न डॉक्यूमेंट
भविष्य की तकनीक और ऊर्जा जरूरतों के मद्देनज़र तांबा और एल्युमिनियम के टिकाऊ खनन की रूपरेखा प्रस्तुत की गई।
3. रिक्लेम फ्रेमवर्क (RECLAIM)
इस डिजिटल फ्रेमवर्क के तहत खनन कंपनियों के लिए खदानों को पुनः प्राप्त कर समाज और पर्यावरण हित में उपयोग की कार्यनीति तय की गई।
4. SWCS एक्सप्लोरेशन मॉड्यूल
‘सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम’ का यह नया मॉड्यूल अन्वेषण संबंधी स्वीकृतियों को तेज और पारदर्शी बनाएगा।
5. 24वें नेवेली पुस्तक मेले का उद्घाटन
खनन में साहित्यिक जागरूकता और शोध-प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन देने हेतु इस पुस्तक मेले का आयोजन किया गया।
विज़ुअल चित्रण: सम्मेलन की छवियाँ
चित्र विवरण:
एक भव्य सभागार में LED स्क्रीन पर “Sustainable and Responsible Mining” शीर्षक जगमगा रहा है। मंच पर केंद्रीय मंत्री श्री किशन रेड्डी, सचिव श्री वीएल कांथा राव, और अन्य प्रतिनिधि मंचासीन हैं। सामने बैठी दर्शक दीर्घा में विविध वेशभूषा में विदेशी प्रतिनिधि, मीडिया कर्मी और शिक्षाविद दिखाई दे रहे हैं।
Box News: “RECLAIM FRAMEWORK” क्या है?
RECLAIM (Restorative and Ecological Closure in Active Indian Mines)
यह भारत का पहला डिजिटल और जैविक रूप से संगत खनन पुनर्स्थापन ढाँचा है। इसके प्रमुख घटक हैं:
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इकोलॉजिकल प्लानिंग: जैव विविधता पुनर्स्थापन
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सोशियो-इकोनॉमिक रिहैबिलिटेशन: स्थानीय समुदायों को वैकल्पिक आजीविका
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जियोस्पेशियल मॉनिटरिंग: सैटेलाइट आधारित निगरानी
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एआई-आधारित ऑडिट: पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन का स्वत: विश्लेषण
भागीदारों की सूची: उद्योगजगत की मजबूत उपस्थिति
सक्रिय भागीदारी करने वाले प्रमुख संगठन:
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कोल इंडिया लिमिटेड (CIL): कोयला खनन से हरित नवाचार तक की यात्रा
देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड ने सम्मेलन में अपने ‘ग्रीन कोल इनिशिएटिव्स’ को साझा किया। CIL ने:
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10,000+ हेक्टेयर खनन क्षेत्र का पुनर्रोपण किया
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“मिशन ग्रीन कोल” के अंतर्गत वर्ष 2030 तक नेट-ज़ीरो लक्ष्य की घोषणा की
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500 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की दिशा में निवेश किया
CIL के चेयरमैन श्री पीएम प्रसाद ने कहा:
“खनन के अंत को पुनरुद्धार की शुरुआत माना जाना चाहिए। हमारा दृष्टिकोण खनन से समाज, पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था तक सकारात्मक प्रभाव छोड़ना है।”
एनएलसी इंडिया लिमिटेड (NLCIL): लिग्नाइट से लीडरशिप तक
एनएलसी इंडिया, जो पारंपरिक रूप से लिग्नाइट खनन और पावर उत्पादन से जुड़ी रही है, अब सतत खनन की दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रही है। सम्मेलन में NLCIL ने निम्नलिखित पहलें प्रस्तुत कीं:
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खदान बंदी के बाद 350 हेक्टेयर भूमि पर जैव विविधता पार्क का विकास
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‘ग्रीन एनर्जी माइनिंग क्लस्टर’ की स्थापना
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CSR के तहत 200 से अधिक गाँवों में जल, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
NLCIL के प्रतिनिधि ने कहा:
“हमारे लिए खनन केवल संसाधन दोहन नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत का पुनर्निर्माण भी है।”
सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (SCCL): तेलंगाना से जिम्मेदार खनन का उदाहरण
तेलंगाना आधारित सार्वजनिक उपक्रम SCCL ने ‘स्मार्ट माइनिंग’ की मिसाल पेश की। उन्होंने सम्मेलन में निम्नलिखित नवाचार प्रस्तुत किए:
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ड्रोन आधारित सर्वे और निगरानी प्रणाली
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भूमिगत खदानों में IoT आधारित सुरक्षा उपाय
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खदान क्षेत्र के पुनः उपयोग हेतु स्मार्ट कृषि मॉडल
SCCL के तकनीकी निदेशक ने कहा:
“हमारा उद्देश्य खनन को केवल सुरक्षित बनाना नहीं, बल्कि स्मार्ट और टिकाऊ बनाना है।”
हिंडाल्को, एनएमडीसी, टाटा स्टील, NTPC माइनिंग: खनिज से निर्माण तक की श्रृंखला
हिंडाल्को (आदित्य बिरला ग्रुप):
भारत में बॉक्साइट और एल्युमिनियम खनन में अग्रणी हिंडाल्को ने ‘रेस्पॉन्सिबल माइनिंग इनिशिएटिव’ की शुरुआत की है, जिसके तहत:
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जल संरक्षण हेतु “रेन वॉटर हार्वेस्टिंग पिट्स”
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हर खदान के साथ एक वृक्षारोपण जोन
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E-Mobility माइनिंग व्हीकल्स का उपयोग
एनएमडीसी:
भारत का सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक एनएमडीसी अब डिजिटल माइनिंग इकोसिस्टम की ओर बढ़ रहा है। 2025 तक सभी खदानों में पूर्णतः स्वचालित ट्रैकिंग प्रणाली लागू करने की योजना है।
टाटा स्टील:
सतत खनन और CSR गतिविधियों में अग्रणी, टाटा स्टील ने “माइनिंग विद माइंडफुलनेस” कार्यक्रम प्रस्तुत किया। जिसमें:
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खदानों के आस-पास शिक्षा केंद्र
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खदान श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा
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कार्बन न्यूट्रल माइनिंग रोडमैप
NTPC माइनिंग:
एनटीपीसी की खनन शाखा ने अपने कोयला ब्लॉकों में सोलर इंटीग्रेशन मॉडल लागू किया है और 2027 तक नेट ज़ीरो खदान प्रोजेक्ट का लक्ष्य रखा है।
निजी क्षेत्र की भागीदारी: अदानी, रिलायंस, जिंदल, JSW और अन्य की प्रमुख पहलें
अदानी माइनिंग:
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“ग्रीन बेल्ट डेवलपमेंट” के अंतर्गत 2.5 लाख पौधे
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क्लाउड बेस्ड माइनिंग ऑडिटिंग सिस्टम
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स्थानीय जनजातीय समुदायों के लिए स्वास्थ्य शिविर
रिलायंस इंडस्ट्रीज:
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‘AI in Exploration’ तकनीक का प्रदर्शन
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ESG आधारित खनन रिपोर्टिंग प्रणाली
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खदान बंदी उपरांत सामुदायिक विकास परियोजनाएँ
जिंदल और JSW ग्रुप:
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जलवायु अनुकूल खनन गियर का उपयोग
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महिला श्रमिकों को प्रशिक्षण और रोजगार
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खदान क्षेत्र में स्कूलों का निर्माण
सरकारी PSU और राज्य कंपनियाँ: GMDC, APMDC, DVC, CMPDI का योगदान
GMDC (गुजरात):
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खदानों में सोलर फार्म स्थापना
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कोयला ब्लॉकों में मिनी क्लाइमेट स्टेशन का विकास
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CSR से ग्रामीण महिला समूहों को पोषण सहायता
APMDC (आंध्र प्रदेश):
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बायो-डाइवर्सिटी ज़ोन डेवलपमेंट
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माइनिंग वेस्ट से ईंट निर्माण
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डिजिटल स्किल अपस्किलिंग प्रोग्राम
DVC (Damodar Valley Corporation):
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पर्यावरण अनुकूल जल संरक्षण प्रणाली
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ग्रीनर थर्मल माइनिंग पायलट प्रोजेक्ट
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माइनिंग एरिया में EV बस सुविधा
CMPDI (Coal India का अनुसंधान संगठन):
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Intelligent Closure Plan Generator सॉफ्टवेयर
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खनन प्रभाव मूल्यांकन रिपोर्ट
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AI आधारित भूमि पुनः उपयोग प्रोजेक्शन मॉडल
अन्य प्रमुख PSU: BCCL, CCL, SECL, MCL, WCL, ECL, NALCO
BCCL, CCL, SECL:
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झारखंड और छत्तीसगढ़ में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
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खदान बंदी के दौरान पुनर्वास और मुआवजा वितरण की पारदर्शी प्रणाली
MCL, WCL, ECL:
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ओडिशा, महाराष्ट्र और बंगाल में पारिस्थितिक सुधार कार्यक्रम
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स्थानीय स्कूली बच्चों के लिए छात्रवृत्ति योजना
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ग्रामीण जलापूर्ति परियोजनाएँ
NALCO (हिंडाल्को की तरह एल्युमिनियम सेक्टर):
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खदान क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता अभियान
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“Eco-Restore 2040” कार्यक्रम की शुरुआत
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इन सभी की उपस्थिति इस बात का संकेत है कि भारतीय खनन उद्योग अब “केवल निष्कर्षण नहीं, बल्कि पुनर्स्थापन” के सिद्धांत पर चलने को तैयार है।
मीडिया और विशेषज्ञों की टिप्पणियाँ
डॉ. अनुजा त्रिवेदी (पर्यावरण विशेषज्ञ):
“यह सम्मेलन बताता है कि भारत खनन को केवल आर्थिक नहीं, बल्कि पारिस्थितिक उत्तरदायित्व के रूप में देख रहा है।”
प्रो. एम. कुमार (IIT-ISM धनबाद):
“अब ज़रूरत है कि खदानें बंद होने के बाद उनके पुन: उपयोग की रणनीति मुख्य धारा में लाई जाए।”
सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और सत्कार
सम्मेलन के समापन पर तेलंगाना की पारंपरिक नृत्य “लम्बड़ी” और “पेरिणी शिव तांडव” प्रस्तुतियाँ हुईं। इसके पश्चात अतिथियों को स्मृति चिन्ह और ग्रीन प्लांटर किट्स भेंट किए गए।
समापन भाषण और आभार प्रदर्शन
INC-WMC की ओर से आयोजक सचिव ने कहा:
“यह सम्मेलन केवल चर्चा नहीं था, बल्कि एक सामूहिक संकल्प है—भारत को खनन के माध्यम से हरित, समावेशी और उत्तरदायी भविष्य की ओर ले जाने का।”
आभार ज्ञापन के साथ ही यह ऐतिहासिक सम्मेलन संपन्न हुआ।
भविष्य की योजनाएँ: आगे की राह
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राष्ट्रीय खदान बंदी नीति 2025 का मसौदा इसी सम्मेलन के निष्कर्षों के आधार पर तैयार किया जाएगा।
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Green Mining Certification Authority का गठन प्रस्तावित है।
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जन संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत स्थानीय समुदायों को खनन बंदी की प्रक्रिया में भागीदार बनाया जाएगा।
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खनन और पर्यावरण पर राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जा रही है।