
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ऐतिहासिक घाना दौरे के दूसरे दिन अक्रा स्थित क्वामे एनक्रूमा मेमोरियल पार्क (Kwame Nkrumah Memorial Park – KNMP) का दौरा किया। उनके साथ घाना की उपराष्ट्रपति जेन नाना ओपोकु-अगयेमांग भी मौजूद थीं। यह स्मारक घाना के महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रथम राष्ट्रपति डॉ. ओसाजिएफो क्वामे एनक्रूमा को समर्पित है, जिन्हें आधुनिक अफ्रीकी राष्ट्रवाद का जनक माना जाता है।
यह यात्रा केवल एक राजनयिक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि इतिहास और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति एक श्रद्धांजलि और भारत-अफ्रीका के साझा संघर्ष की पुनः स्मृति थी।
स्वतंत्रता की उस ऐतिहासिक धरती पर मोदी की मौजूदगी
क्वामे एनक्रूमा मेमोरियल पार्क वही स्थान है जहाँ 6 मार्च 1957 को घाना ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता की घोषणा की थी। यह स्थल अफ्रीकी स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है और उस लहर का प्रतिनिधि है, जिसने समूचे महाद्वीप को आज़ादी की ओर प्रेरित किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने पार्क में स्थित समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की और कुछ समय वहां मौन ध्यान में बिताया। उन्होंने विज़िटर्स बुक में एक भावुक संदेश लिखा:
“डॉ. एनक्रूमा का जीवन स्वतंत्रता, आत्मगौरव और वैश्विक दक्षिण की आवाज़ का प्रतीक है। उनकी विरासत हमें साझा मूल्य, न्याय और समानता की दिशा में प्रेरित करती है। भारत उनके योगदान को नमन करता है।”
क्वामे एनक्रूमा: एक विचार, एक आंदोलन, एक मिशन
डॉ. क्वामे एनक्रूमा न केवल घाना के लिए, बल्कि पूरे अफ्रीकी महाद्वीप के लिए एक वैचारिक प्रकाश स्तंभ थे। उन्होंने पैन-अफ्रीकनिज़्म (Pan-Africanism) की धारणा को राजनीतिक आधार दिया और कहा, “घाना की स्वतंत्रता तब तक अधूरी है जब तक अफ्रीका पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं होता।”
उनका राजनीतिक दृष्टिकोण, सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्धता, और औपनिवेशिक शक्तियों के विरुद्ध उनका संघर्ष भारत के महात्मा गांधी से प्रभावित था। डॉ. एनक्रूमा ने भारत की स्वतंत्रता को अफ्रीकी स्वतंत्रता का पूर्वाभास माना और नेहरू, गांधी और टैगोर से प्रेरणा ली।
प्रधानमंत्री मोदी का इस स्थल पर जाना, इन साझा विचारधाराओं को पुनः पुष्ट करता है।
मकबरा: शांति, एकता और आत्मगौरव का प्रतीक:
क्वामे एनक्रूमा मेमोरियल पार्क का मुख्य आकर्षण मकबरा (Mausoleum) है, जिसमें डॉ. एनक्रूमा और उनकी मिस्र मूल की पत्नी फातिहा एनक्रूमा की पार्थिव देह रखी गई है। इस स्मारक की वास्तुकला अद्वितीय और गहन सांस्कृतिक अर्थों से युक्त है।
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उलटी तलवार का आकार: यह आकृति घाना की ‘अकन’ (Akan) संस्कृति में शांति का प्रतीक है, जो यह दर्शाता है कि तलवार को म्यान में रख दिया गया है और युद्ध समाप्त हो चुका है।
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शिखर पर काली सितारा (Black Star): यह सितारा अफ्रीकी एकता और स्वतंत्रता का प्रतीक है। यही काली सितारा घाना के राष्ट्रीय ध्वज पर भी है, जो स्वतंत्रता संग्राम के केंद्रीय भाव का प्रतिनिधित्व करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मकबरे की सांस्कृतिक गहराई की सराहना करते हुए इसे “शांति और एकता का विश्व प्रतीक” बताया।
भारत-घाना: ऐतिहासिक संबंधों की पुनर्स्थापना
भारत और घाना के बीच द्विपक्षीय संबंध केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और वैचारिक धरातल पर आधारित हैं। 1957 में जब घाना स्वतंत्र हुआ, तब भारत अफ्रीका को प्रेरणा देने वाला एकमात्र स्वतंत्र उपनिवेशवाद-विरोधी राष्ट्र था। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और डॉ. एनक्रूमा के बीच घनिष्ठ संबंध थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को रेखांकित करते हुए कहा:
“भारत और घाना की दोस्ती केवल राजनयिक दस्तावेज़ों में नहीं, बल्कि स्वतंत्रता की साझा भावना में बसती है।”
भारत ने वर्षों से घाना को शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीकी सहयोग और बुनियादी ढांचे के विकास में सहायता प्रदान की है। क्वामे एनक्रूमा मेमोरियल पार्क की प्रधानमंत्री की यात्रा इस मैत्री को और मजबूत करती है।
डॉ. एनक्रूमा और भारत: एक वैचारिक सेतु
डॉ. एनक्रूमा ने कई बार सार्वजनिक रूप से भारत की अहिंसा, आत्मनिर्भरता और उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष की प्रशंसा की थी। उन्होंने गांधी जी को “मानव जाति के लिए सबसे बड़ा संदेशवाहक” कहा था।
उनकी पत्नी फातिहा एनक्रूमा का भारत के साथ भावनात्मक जुड़ाव था, और एनक्रूमा परिवार की पीढ़ियाँ आज भी भारत को घाना के सबसे घनिष्ठ मित्रों में मानती हैं।
घाना की उपराष्ट्रपति के साथ दौरा: महिला नेतृत्व और वैश्विक समावेशिता का प्रतीक
प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे में घाना की महिला उपराष्ट्रपति जेन नाना ओपोकु-अगयेमांग की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। वह देश की पहली महिला उपराष्ट्रपति हैं और अफ्रीका में बढ़ते महिला नेतृत्व का प्रतीक मानी जाती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें विशेष रूप से बधाई दी और भारत-घाना संबंधों में महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता देने की बात की। यह संदेश समावेशी विकास की दिशा में भारत की वैश्विक नीति को दर्शाता है।
घाना में भारतीय समुदाय की प्रतिक्रिया
अक्रा और अन्य क्षेत्रों में रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों ने प्रधानमंत्री की इस यात्रा को “गौरवपूर्ण क्षण” बताया। अक्रा के एक प्रमुख भारतीय व्यापारी श्री राजेश मल्होत्रा ने कहा:
“यह पहली बार है कि कोई भारतीय प्रधानमंत्री घाना के स्वतंत्रता आंदोलन की धरती पर आया है। हम गर्व महसूस कर रहे हैं कि हमारे प्रधानमंत्री ने इतिहास और संस्कृति को इतना महत्व दिया।”
सांस्कृतिक कूटनीति की नई दिशा
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल राजनीतिक या व्यापारिक उद्देश्यों तक सीमित नहीं रही। यह एक ‘सांस्कृतिक कूटनीति’ का उत्कृष्ट उदाहरण रही — जिसमें स्मारकों, साझा इतिहास, और स्वतंत्रता के मूल्यों के माध्यम से संबंधों को गहराई दी गई।
भारत सरकार अब इंडिया-घाना कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम के अंतर्गत विद्यार्थियों, कलाकारों और शोधकर्ताओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की योजना बना रही है।
भविष्य की योजनाएँ: स्मृति से सशक्त साझेदारी तक
प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट किया कि डॉ. एनक्रूमा की स्मृति को भारत-घाना भविष्य की साझेदारी का आधार बनाया जाएगा। उन्होंने घाना के लिए निम्नलिखित नई पहलें घोषित कीं:
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एनक्रूमा इंडिया रिसर्च चेयर – एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में डॉ. एनक्रूमा के विचारों पर शोध हेतु विशेष चेयर।
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भारतीय छात्रों के लिए अफ्रीकी नेतृत्व अध्ययन कार्यक्रम – जिससे भारत के युवा अफ्रीकी नेताओं के विचारों से प्रेरित हों।
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KNMP के संरक्षण और डिजिटलीकरण के लिए सहायता – भारत, UNESCO और घाना सरकार के साथ मिलकर स्मारक को विश्व धरोहर के रूप में मान्यता दिलाने की दिशा में काम करेगा।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी की क्वामे एनक्रूमा मेमोरियल पार्क यात्रा केवल एक श्रद्धांजलि नहीं थी — यह अतीत के सम्मान, वर्तमान के संबंधों और भविष्य के सहयोग का समन्वय था। भारत और घाना, दोनों ही लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों के वाहक हैं।
डॉ. एनक्रूमा की समाधि पर मोदी की पुष्पांजलि, भारत-अफ्रीका संबंधों के गहरे सांस्कृतिक और वैचारिक रिश्तों का प्रतीक बन गई है। यह यात्रा एक संदेश है — कि भारत केवल व्यापार या भू-राजनीति तक सीमित नहीं, बल्कि वह साझा आदर्शों और मानवता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ अपने वैश्विक रिश्ते बनाता है।