
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पांच देशों के विदेश दौरे के चौथे चरण में शनिवार को स्थानीय समयानुसार ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो में कदम रखा। यहां वे 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। ब्रिक्स—यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका—के इस समूह के वार्षिक सम्मेलन में सदस्य राष्ट्रों के प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर रणनीतिक विमर्श करेंगे।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का यह संस्करण रियो के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में आयोजित हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के साथ भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और नीति आयोग के सदस्य शामिल हैं। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज को मजबूती देना, बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार, आर्थिक सहयोग और सदस्य देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को गहराई प्रदान करना है।
ब्रिक्स समूह पिछले एक दशक में वैश्विक मंच पर उभरे हुए विकासशील देशों की सबसे महत्वपूर्ण आवाज़ बनकर सामने आया है। इसके पांचों सदस्य देश विश्व की लगभग 42 प्रतिशत जनसंख्या और 24 प्रतिशत वैश्विक GDP का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2023 में नए सदस्यों के आमंत्रण के बाद इस संगठन की प्रभावशीलता और भी व्यापक हो गई है।
ब्रिक्स के इस सत्र में सदस्य देश जलवायु परिवर्तन, संयुक्त राष्ट्र के सुधार, डिजिटल परिवर्तन, सतत विकास और भू-राजनीतिक स्थिरता जैसे विषयों पर विचार-विमर्श करेंगे। भारतीय पक्ष विशेष रूप से आतंकवाद, ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती पर ध्यान केंद्रित करेगा।
ब्राजील से पूर्व प्रधानमंत्री मोदी अर्जेंटीना के दौरे पर थे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति जेवियर माइली के साथ द्विपक्षीय बातचीत की। यह बातचीत व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, फार्मा और खनिज क्षेत्रों में सहयोग को और प्रगाढ़ बनाने की दिशा में एक निर्णायक क्षण सिद्ध हुई।
ब्यूनस आयर्स में मोदी को “Key to the City” सम्मान से नवाज़ा गया—यह पुरस्कार उस शख्सियत को दिया जाता है जिसने शहर और वहां के नागरिकों के लिए विशिष्ट योगदान दिया हो। भारत-अर्जेंटीना संबंधों में इस यात्रा को मील का पत्थर माना जा रहा है।
ब्रिक्स सम्मेलन के पश्चात प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया जाएंगे, जहां वे राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा के आमंत्रण पर एक उच्चस्तरीय राज्य यात्रा करेंगे। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय व्यापार, सतत विकास, रक्षा सहयोग, जलवायु परिवर्तन और निवेश प्रोत्साहन जैसे मुद्दों पर बातचीत होगी।
ब्रासीलिया में मोदी कुछ प्रमुख उद्योगपतियों, ब्राज़ील-भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों और भारतीय समुदाय के साथ संवाद करेंगे। उनकी यह यात्रा भारत-ब्राजील रणनीतिक साझेदारी को नए आयाम देने की दिशा में अहम मानी जा रही है।
ब्रिक्स सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नामीबिया की यात्रा पर रवाना होंगे, जो उनके पांच देशों के विदेश दौरे का अंतिम चरण होगा। अफ्रीकी महाद्वीप में भारत की रणनीतिक उपस्थिति बढ़ाने की दृष्टि से यह दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
नामिबिया यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी वहां के राष्ट्रपति नांगोलो म्बुंबा के साथ मिलकर वन्यजीव संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, रक्षा साझेदारी और विज्ञान-तकनीक पर सहयोग को विस्तार देंगे। साथ ही भारतीय समुदाय के साथ उनकी एक विशेष बैठक भी प्रस्तावित है।
दुनिया की बदलती कूटनीतिक परिस्थितियों और वैश्विक नेतृत्व में भारत की भूमिका को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2025 के मध्य में एक अहम पांच देशों के विदेश दौरे की शुरुआत की। इस दौरे में वे रूस, अर्जेंटीना, ब्राजील, नामीबिया और एक और रणनीतिक साझेदार देश की यात्रा कर रहे हैं। यह दौरा केवल द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक मंचों पर भारत की मजबूत उपस्थिति और वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों की आवाज़ को बुलंद करने की रणनीति के तहत किया गया है।
इस पांच चरणों वाले दौरे में प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति बहुस्तरीय है—द्विपक्षीय व्यापार, रक्षा सहयोग, जलवायु परिवर्तन से निपटना, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भागीदारी को बढ़ाना, और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार हेतु साझेदारी को प्रोत्साहन देना।
प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को (स्थानीय समयानुसार) ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो पहुंचे, जहां वे 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। ब्रिक्स—ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका—का यह सम्मेलन वैश्विक दक्षिण के हितों को केंद्र में रखकर रणनीतिक विमर्श का मंच बनता जा रहा है। इस बार का सम्मेलन पहले से अधिक महत्त्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि इसमें ऊर्जा, स्वास्थ्य, डिजिटल ट्रांज़िशन, खाद्य सुरक्षा और बहुपक्षीय सुधारों पर विशेष चर्चा होने वाली है।
प्रधानमंत्री मोदी ने रियो में पहुँचते ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व नाम ट्विटर) पर लिखा:
“रियो-डी-जेनेरियो, ब्राजील पहुंच चुका हूं, जहां मैं ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लूंगा। इसके बाद मैं राजधानी ब्रासीलिया जाऊंगा, जहां ब्राजील के राष्ट्रपति लूला के निमंत्रण पर राज्य स्तरीय दौरा करूंगा। इस यात्रा के दौरान मैं उपयोगी बैठकों और संवादों की आशा करता हूं।”
भारत इस सम्मेलन में एक मजबूत साझेदार के रूप में भाग ले रहा है, जिसकी प्राथमिकता अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग, सतत विकास, और वैश्विक संस्थाओं में अधिक न्यायसंगत प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है।
ब्रिक्स सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री मोदी अर्जेंटीना की यात्रा पर थे, जहां उन्होंने देश के राष्ट्रपति जेवियर माइली से मुलाकात की। यह मुलाकात भारत और अर्जेंटीना के द्विपक्षीय संबंधों के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ती है। बातचीत के दौरान दोनों देशों ने व्यापार, रक्षा, फार्मास्युटिकल, ऊर्जा, और खनिज संसाधनों जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
प्रधानमंत्री मोदी को अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में “Key to the City” सम्मान से नवाज़ा गया। यह उस व्यक्ति को दिया जाता है जिसे शहर के नागरिकों के लिए प्रेरणादायक और महत्त्वपूर्ण माना जाए। यह सम्मान भारतीय प्रधानमंत्री के वैश्विक कूटनीतिक प्रभाव को रेखांकित करता है।
भारत और अर्जेंटीना दोनों ही विकासशील अर्थव्यवस्थाएं हैं और जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संक्रमण और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करने के इच्छुक हैं। यह दौरा इस साझेदारी को नई ऊंचाई देने में सहायक सिद्ध हुआ है।
दुनिया के भू-राजनीतिक मानचित्र पर जब कभी विकासशील देशों की सामूहिक आवाज़ की बात होती है, तो ब्रिक्स (BRICS) संगठन का नाम प्रमुखता से उभरता है। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे पांच बड़े देशों का यह संगठन वर्ष 2009 में स्थापित हुआ था, जिसका मूल उद्देश्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना रहा है।
ब्रिक्स का नाम इन पाँच देशों के अंग्रेज़ी नामों के पहले अक्षरों से मिलकर बना है—Brazil, Russia, India, China और South Africa। 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद इस संगठन ने अफ्रीकी महाद्वीप को भी रणनीतिक रूप से जोड़ लिया।
ब्रिक्स आज दुनिया की लगभग 42% आबादी, 24% वैश्विक GDP, और 16% वैश्विक व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है। इसका बढ़ता हुआ प्रभाव यह दर्शाता है कि पारंपरिक पश्चिमी गठबंधनों के इतर भी एक नया वैश्विक शक्ति केंद्र आकार ले रहा है।
17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो शहर में आयोजित हो रहा है। यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया आर्थिक मंदी, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही है।
इस सम्मेलन का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि इसमें वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों की साझा चिंताओं और जरूरतों पर एकजुट होकर आवाज उठाई जा रही है। ब्रिक्स अब केवल आर्थिक संगठन नहीं रह गया, बल्कि यह एक राजनीतिक और रणनीतिक मंच बन चुका है।
ब्रिक्स 2025 सम्मेलन की थीम है:
“Inclusive Growth for Sustainable Development and Global South Solidarity”
(समावेशी विकास के लिए सतत समाधान और वैश्विक दक्षिण की एकजुटता)
विकासशील देशों की समस्याएं—जैसे कर्ज संकट, जलवायु परिवर्तन, टेक्नोलॉजी में पिछड़ापन और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी—अब वैश्विक मंचों पर नजरअंदाज नहीं की जा सकतीं। ब्रिक्स इन मुद्दों को संयुक्त राष्ट्र, IMF और WTO जैसे वैश्विक निकायों में अधिक प्रभावशाली तरीके से उठाना चाहता है।
ब्रिक्स देशों के सामने समान चुनौतियाँ हैं, चाहे वह जलवायु परिवर्तन से निपटना हो या सतत ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण करना। इस बार का सम्मेलन हरित ऊर्जा, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, महामारी की रोकथाम और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जैसे मुद्दों पर साझा रणनीतियाँ तैयार कर रहा है।
ब्रिक्स लंबे समय से यह मांग करता रहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे अंतरराष्ट्रीय निकायों में नए स्थायी सदस्यों को शामिल किया जाए—जिसमें भारत एक प्रमुख उम्मीदवार है। वर्तमान में वैश्विक संस्थाएँ पश्चिमी देशों के वर्चस्व में हैं और ब्रिक्स इस असंतुलन को दूर करना चाहता है।
ब्रिक्स सम्मेलन में एक बड़ी योजना “BRICS-Africa Growth Partnership” के रूप में उभरी है, जिसके तहत अफ्रीकी महाद्वीप में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि में निवेश करने का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। भारत और दक्षिण अफ्रीका इसके मुख्य प्रस्तावक हैं।
भारत ब्रिक्स का एक संस्थापक सदस्य रहा है और हर वर्ष आयोजित होने वाले सम्मेलनों में उसकी भूमिका संतुलनकारी, नवाचारी और रचनात्मक रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने ब्रिक्स मंच को केवल आर्थिक बातचीत का स्थान न बनाकर, वैश्विक नीति-निर्माण का प्रभावशाली प्लेटफॉर्म बना दिया है।
भारत लगातार इस मंच पर आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहमति और कार्रवाई की मांग करता रहा है। पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के मुद्दे पर भारत को चीन के विरोध के बावजूद बार-बार यह मुद्दा उठाने का अवसर मिला है।
भारत ने प्रस्ताव रखा है कि न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) जैसे ब्रिक्स संस्थानों को गरीब और मध्यम आय वाले देशों के लिए सस्ता और सुलभ ऋण देना चाहिए।
भारत की ‘कोलालैटरल डैमेज फंड’ जैसी पहल को ब्रिक्स मंच पर सराहना मिली है, जिसके तहत जलवायु या प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित देशों को तत्काल सहायता देने की योजना है।
कोविड-19 महामारी और यूक्रेन युद्ध के बाद खाद्यान्न आपूर्ति श्रृंखला में पैदा हुए संकट ने भारत को यह सुझाव देने पर मजबूर किया कि ब्रिक्स देशों के बीच खाद्य बैंक जैसे विचारों को मूर्त रूप दिया जाए।
कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों के अनुसार, ब्रिक्स धीरे-धीरे एक ऐसे वैश्विक संगठन का रूप ले रहा है जो G7 जैसे पश्चिमी समूहों के विकल्प के रूप में देखा जा सकता है। हालाँकि भारत का रुख थोड़ा अलग है। भारत ब्रिक्स को एक पूरक संगठन के रूप में देखता है, जो वैश्विक सत्ता संतुलन में संतुलन बनाए रख सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह मानना है कि भारत का हित तभी सुरक्षित रहेगा जब वह बहुपक्षीय संगठनों में नेतृत्व करता हुआ, लेकिन टकराव से दूर रहकर अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाए।