
संवाददाता: | 10.07.2025 | Mission Sindoor |
पूर्वी भारत के चार प्रमुख राज्यों—झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल—के बीच समन्वय और सहयोग को लेकर आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय अंतरराज्यीय परिषद की 27वीं बैठक गुरुवार को रांची के होटल रेडिसन ब्लू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आरंभ हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में चारों राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्रीगण और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित हैं। बैठक में अंतरराज्यीय समन्वय से जुड़े 20 से अधिक एजेंडों पर विचार-विमर्श हो रहा है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी, उपमुख्यमंत्री पार्वती परिदा और मंत्री मुकेश महालिंग, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और मंत्री विजय चौधरी, तथा पश्चिम बंगाल की ओर से वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बैठक में अपने-अपने राज्य की प्राथमिकताओं और चुनौतियों को सामने रखा।
झारखंड ने इस बैठक में अपनी स्थिति मजबूती से रखने के लिए 15 वरिष्ठ IAS और IPS अधिकारियों की टीम को तैनात किया है। बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का स्वागत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया।
झारखंड सरकार ने इस मौके पर एक बार फिर केंद्र पर ₹1.36 लाख करोड़ की बकाया राशि की मांग दोहराने की तैयारी की है। यह राशि विभिन्न योजनाओं, राजस्व बंटवारे और केंद्रीकृत परियोजनाओं में राज्य के हिस्से के रूप में लम्बे समय से लंबित है। इसके अलावा मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना की लंबित धनराशि को भी केंद्र से शीघ्र जारी करने की मांग उठाई जाएगी।
जल विवाद, फास्ट ट्रैक कोर्ट और सुरक्षा ढांचे पर जोर
बैठक में झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच लंबे समय से लंबित मयूराक्षी डैम जल विवाद, फुलबारी डैम की लागत विभाजन, बिहार में इंद्रपुरी जलाशय परियोजना और महानंदा जल योजना जैसे बहुप्रतीक्षित जल प्रबंधन मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हो रही है।
इसके अलावा सभी राज्यों में गाद प्रबंधन नीति, फास्ट ट्रैक कोर्ट की अद्यतन स्थिति, पोक्सो अधिनियम के तहत मामलों की त्वरित जांच, और महिलाओं-बच्चों से दुष्कर्म के मामलों में संवेदनशीलता बढ़ाने जैसे विषयों पर भी गहन संवाद जारी है।
एक और अहम बिंदु इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम 112 की प्रगति से संबंधित है, जिस पर सभी राज्य अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं।
बैठक में बीएसएफ की बटालियन और सेक्टर मुख्यालयों की स्थापना में आ रही अड़चनों पर भी चर्चा हुई, विशेषकर पश्चिम बंगाल में भूमि अधिग्रहण में हो रही देरी को लेकर। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से अपेक्षा की है कि वह सुरक्षा एजेंसियों के कार्य में सहयोग करे।
यह विषय इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में BSF की उपस्थिति मजबूत होने से अवैध गतिविधियों पर रोक, घुसपैठ नियंत्रण, और सीमा सुरक्षा को मजबूती मिलेगी।
बिहार और झारखंड के विभाजन के बाद से लम्बित चल रहे वित्तीय और प्रशासनिक दायित्वों का निर्धारण इस बैठक का प्रमुख विषय है। दोनों राज्यों के बीच पेंशन भुगतान और दावेदारी को लेकर वर्षों से विवाद चल रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में दोनों राज्यों के महालेखाकारों को निर्देश दिया था कि वे पेंशन देनदारी के वास्तविक आंकड़े एकत्र कर सुस्पष्ट रिपोर्ट प्रस्तुत करें। बैठक में इस विवाद के समाधान के लिए सहमति की संभावना जताई जा रही है।
प्रमुख एजेंडा बिंदुओं की विस्तृत पड़ताल
पूर्वी क्षेत्रीय अंतरराज्यीय परिषद की 27वीं बैठक में जिन 20 मुख्य बिंदुओं पर विचार हो रहा है, उनमें से कुछ बेहद महत्वपूर्ण विषयों को नीचे विस्तार से समझाया गया है। ये मुद्दे न केवल चार राज्यों के बीच आपसी सहयोग को गहरा करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि क्षेत्रीय विकास, सुरक्षा और सामाजिक न्याय को भी नया आधार दे सकते हैं
मयूराक्षी डैम विवाद (झारखंड-बंगाल):
यह बहुचर्चित जल विवाद झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच मयूराक्षी नदी पर बने डैम को लेकर है। झारखंड का आरोप है कि बंगाल द्वारा जल का अनुचित उपयोग किया जा रहा है, जिससे झारखंड के किसानों और क्षेत्रों को जल संकट का सामना करना पड़ता है। यह मुद्दा वर्षों से दोनों राज्यों के बीच तनाव का कारण बना हुआ है।
फुलबारी डैम लागत साझेदारी (झारखंड-बंगाल):
अपर महानंदा जल योजना के अंतर्गत प्रस्तावित फुलबारी डैम के निर्माण की लागत को लेकर भी दोनों राज्यों के बीच असहमति बनी हुई है। झारखंड चाहता है कि लागत का समान या आवश्यकता-आधारित अनुपात में वहन किया जाए, जबकि पश्चिम बंगाल इससे सहमत नहीं दिखता।
इंद्रपुरी जलाशय परियोजना (बिहार):
बिहार की एक प्रमुख सिंचाई और पेयजल परियोजना—इंद्रपुरी जलाशय—विकास के कई चरणों से गुजर रही है। इस परियोजना में केंद्र की हिस्सेदारी, तकनीकी अनुमोदन और राज्य के सहयोग पर चर्चा हो रही है। इससे पूरे मगध और भोजपुर अंचल में जल संकट कम करने की उम्मीद है।
संसाधनों पर राज्यों का दावा
झारखंड की ₹1.36 लाख करोड़ बकाया राशि की मांग:
झारखंड सरकार ने केंद्र पर बिजली, कोयला, रॉयल्टी, योजनाओं और परिसंपत्तियों से जुड़ी कुल ₹1.36 लाख करोड़ की देनदारी को लेकर फिर से दावा पेश किया है। यह राशि राज्य के वित्तीय विकास और योजनाओं की गति को प्रभावित कर रही है।
मनरेगा और पीएम आवास योजना की राशि रिलीज का आग्रह:
झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है कि कई महीनों से मनरेगा मजदूरी और प्रधानमंत्री आवास योजना की किस्तें लंबित हैं। इससे ग्रामीण विकास योजनाएं बाधित हो रही हैं और श्रमिकों में असंतोष फैल रहा है।
बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान
पोक्सो अधिनियम मामलों में त्वरित अनुसंधान:
राज्यों से यह अपेक्षा की गई है कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की जांच में तेजी लाई जाए। केंद्र ने इस दिशा में राज्यों को विशेष प्रशिक्षण, तकनीकी संसाधन और केस ट्रैकिंग मैकेनिज्म की सुविधा देने की बात कही है।
फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की स्थिति पर रिपोर्ट:
इन अदालतों का गठन विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों से संबंधित गंभीर अपराधों के शीघ्र निपटारे के लिए किया गया था। बैठक में राज्यों से इन अदालतों की संख्या, रिक्तियों और प्रदर्शन पर अद्यतन रिपोर्ट मांगी गई है।
सीमावर्ती राज्यों में प्राथमिकता
BSF बटालियन और मुख्यालय हेतु भूमि अधिग्रहण:
विशेषकर पश्चिम बंगाल में बीएसएफ की नई बटालियनों और सेक्टर मुख्यालयों के लिए आवश्यक भूमि अब तक अधिग्रहित नहीं की गई है, जिससे सुरक्षा ढांचे के विस्तार में विलंब हो रहा है। केंद्र ने इसपर तेजी से निर्णय लेने की अपील की है।
इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम 112 की समीक्षा:
यह एकीकृत आपातकालीन नंबर प्रणाली सभी नागरिकों को पुलिस, फायर, मेडिकल जैसी सेवाएं तुरंत उपलब्ध कराने के लिए है। बैठक में इसकी राज्यों में स्थिति, कॉल रिस्पॉन्स टाइम, प्रशिक्षण और कनेक्टिविटी की समीक्षा की गई।
बिहार-झारखंड पेंशन विवाद पर प्रस्ताव:
बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद से ही पेंशन दायित्वों को लेकर विवाद बना हुआ है। झारखंड का आरोप है कि बिहार उसे पेंशन मद में कम आंकड़े दे रहा है, जबकि बिहार का दावा है कि झारखंड वास्तविक आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर बता रहा है। इस संबंध में महालेखाकारों की रिपोर्ट का इंतजार है।
सीमावर्ती विकास और गाद प्रबंधन नीति पर सहमति:
सीमावर्ती जिलों में विकास कार्यों की धीमी गति और बाढ़ नियंत्रण हेतु नदियों में गाद प्रबंधन नीति पर एक समग्र दृष्टिकोण बनाने की बात हुई है। यह विषय ओडिशा और बिहार के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां बाढ़ एक प्रमुख वार्षिक समस्या है।