
मध्यप्रदेश के खंडवा में हुआ राज्य स्तरीय समारोह, जल संरक्षण के लिए हुए अभूतपूर्व कार्य
खंडवा, मध्यप्रदेश | 30 जून 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में आयोजित जल गंगा संवर्द्धन अभियान के राज्य स्तरीय समापन समारोह को संबोधित किया। यह तीन माह तक चलने वाला अभियान प्रदेश में जल संरक्षण और स्रोतों के संवर्द्धन हेतु शुरू किया गया था, जिसके दौरान 83,000 से अधिक खेत तालाबों का निर्माण हुआ तथा 40 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी से हजारों जल स्रोतों का पुनर्निर्माण और गहरीकरण किया गया।
जल संरक्षण की दिशा में अभूतपूर्व उपलब्धियां
इस राज्यव्यापी अभियान की विशेष बात यह रही कि इसमें जनसहभागिता के साथ-साथ तकनीकी नवाचार और पारंपरिक ज्ञान का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। लगभग 2,048 करोड़ रुपये की लागत से खेत तालाबों का निर्माण किया गया, जिससे लाखों हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का साधन मिलेगा।
अभियान की प्रमुख उपलब्धियाँ:
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83,000+ खेत तालाब बने
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5,000+ जल स्रोतों का नवीनीकरण
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40 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी
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2048 करोड़ रुपये की लागत से जल संरक्षण कार्य
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1518 करोड़ रुपये के कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा,
“जल ही जीवन है। हमारी सरकार का मानना है कि ‘जल संचय, जीवन संचय’ है। जल गंगा संवर्द्धन अभियान का उद्देश्य केवल जल का संरक्षण नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए जल भविष्य को सुरक्षित करना है।”
उन्होंने अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यह जल आंदोलन बन चुका है और इसकी सफलता में ग्रामीणों, युवाओं, स्वयंसेवी संगठनों, किसानों और पंचायतों की भूमिका सराहनीय रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की बड़ी घोषणाएँ
राज्य स्तरीय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी भाग लिया और जल संरक्षण से जुड़े 1518 करोड़ रुपये के कार्यों का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया। इसके साथ ही जल संसाधन विभाग की चार प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं का लोकार्पण भी किया गया।
डॉ. यादव ने कहा,
“यह अभियान केवल जल को बचाने का नहीं, बल्कि जन-जन को जोड़ने का प्रयास है। इससे ना केवल कृषि क्षेत्र को लाभ होगा बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सशक्त होगी।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि इन परियोजनाओं से लाखों किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और कृषि आय में इजाफा होगा।
कार्यक्रम का भव्य आयोजन: जनभागीदारी का उदाहरण
खंडवा में आयोजित इस भव्य समारोह में हजारों की संख्या में ग्रामीण, किसान, स्वयंसेवी संगठन, महिला समूह, जल विशेषज्ञ और पंचायती राज प्रतिनिधि शामिल हुए। मंच पर राज्य के जल संसाधन मंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री सहित कई वरिष्ठ अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
मुख्य आकर्षण:
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जल संरक्षण पर आधारित प्रदर्शनी
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जल योद्धाओं का सम्मान
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लोक कलाकारों द्वारा जल जागरूकता पर आधारित नृत्य व नाटक
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‘जल बचाओ, जीवन बचाओ’ पर आधारित शपथ ग्रहण समारोह
इस अवसर पर उन जिलों और पंचायतों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने अभियान के दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
अभियान की पृष्ठभूमि: क्यों जरूरी था जल गंगा संवर्द्धन अभियान?
मध्यप्रदेश, जो देश का हृदय स्थल माना जाता है, वर्षों से जल संकट की चुनौतियों से जूझ रहा है। मानसून पर अत्यधिक निर्भरता, अनियमित वर्षा, अत्यधिक भूजल दोहन और पारंपरिक जल स्रोतों की उपेक्षा के कारण कई जिलों में जल स्तर चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुका है।
इन्हीं चिंताओं को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में यह निर्णय लिया गया कि प्रदेशभर में जनअभियान चलाकर जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी के ‘अमृत काल के जल संकल्प’ से प्रेरणा लेते हुए, मार्च 2025 में इस अभियान की शुरुआत की गई।
अभियान के प्रमुख घटक
1. खेत तालाब निर्माण
प्रत्येक ब्लॉक और पंचायत स्तर पर चिन्हित किसानों की भूमि पर छोटे जल भंडारण संरचनाओं का निर्माण किया गया। इससे वर्षा जल का संचयन कर सिंचाई में उपयोग संभव होगा।
2. पारंपरिक जल स्रोतों का पुनर्जीवन
जिला प्रशासन और पंचायतों ने पारंपरिक बावड़ियों, कुंओं, तालाबों और नदियों का कायाकल्प किया। इनमें से कई को पहली बार दशकों बाद साफ किया गया।
3. जनसहभागिता आधारित श्रमदान
सप्ताह में एक दिन ‘जल दिवस’ घोषित कर ग्रामीणों को श्रमदान के लिए प्रेरित किया गया। हजारों ग्रामों में सामूहिक रूप से श्रमदान किया गया।
4. स्कूल और कॉलेजों में जल शिक्षा
राज्य शिक्षा विभाग ने इस दौरान ‘जल पाठशालाओं’ का आयोजन किया, जिसमें विद्यार्थियों को जल संरक्षण के लिए प्रशिक्षित किया गया।
5. तकनीकी निगरानी और GIS आधारित ट्रैकिंग
जल संसाधन विभाग ने सभी कार्यों की निगरानी के लिए GIS प्लेटफार्म का प्रयोग किया, जिससे कार्यों की पारदर्शिता और गुणवत्ता बनी रही।
जिलावार प्रदर्शन और सम्मान
राज्य के कई जिलों ने इस अभियान में अनुकरणीय कार्य किया। विशेष रूप से निम्नलिखित जिलों को सम्मानित किया गया:
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सीहोर: सर्वाधिक खेत तालाब निर्माण
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विदिशा: पारंपरिक जल स्रोतों का सबसे प्रभावी कायाकल्प
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टीकमगढ़: महिला सहभागिता में सर्वश्रेष्ठ
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मंदसौर: जल शिक्षा के सबसे बेहतर उदाहरण
मुख्यमंत्री ने इन जिलों के कलेक्टरों, पंचायत प्रतिनिधियों और जमीनी कार्यकर्ताओं को मंच पर सम्मानित किया।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
जल गंगा संवर्द्धन अभियान के कारण प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में जल उपलब्धता में सुधार हुआ है। इससे:
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किसानों की सिंचाई पर निर्भरता घटी
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खेती की उत्पादकता में वृद्धि हुई
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भूमिगत जल स्तर में सुधार के संकेत मिले
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ग्रामीण रोजगार में वृद्धि हुई
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जल स्रोतों के पुनरुद्धार से पारिस्थितिक तंत्र को मजबूती मिली
इसके अलावा, ग्रामीण महिलाओं को जल के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ रही है, जिससे उन्हें समय की बचत और स्वच्छ जल सुलभ हुआ है।
प्रधानमंत्री का संदेश: “जल क्रांति का यह संकल्प पूरे देश में फैले”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के अंत में देशवासियों से आग्रह किया कि वे इस प्रकार के जन अभियानों को अपने-अपने क्षेत्रों में भी प्रारंभ करें। उन्होंने कहा,
“मध्यप्रदेश के लोगों ने जो उदाहरण पेश किया है, वह पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। जल संरक्षण कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि जन आंदोलन है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जल गंगा संवर्द्धन अभियान जैसे प्रयास ‘मिशन लाइफ’ यानी जीवनशैली में पर्यावरण के लिए परिवर्तन के संकल्प को भी मजबूत करते हैं।
भविष्य की दिशा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की कि यह अभियान अब एक स्थायी कार्यक्रम के रूप में वर्ष में दो बार चलाया जाएगा — एक मानसून पूर्व और एक मानसून उपरांत। साथ ही, सभी जिलों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने-अपने स्तर पर जल पंचायतों का आयोजन करें और ग्राम स्तरीय जल सुरक्षा योजना बनाएं।
निष्कर्ष
जल गंगा संवर्द्धन अभियान ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि सरकार की नीति, जनता की भागीदारी और तकनीक का संगम हो तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। मध्यप्रदेश ने एक सफल जनांदोलन का उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसकी गूंज अब राष्ट्रीय स्तर तक सुनाई दे रही है।
प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन इस अभियान को राष्ट्रीय मंच पर ले गया है और अब आशा की जा रही है कि अन्य राज्य भी इस प्रकार के अभिनव और समावेशी प्रयासों की शुरुआत करेंगे।