PM मोदी ने 17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में 6-7 जुलाई 2025 को भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस उच्चस्तरीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का दृष्टिकोण मजबूती से प्रस्तुत किया। विशेष सत्र – “पर्यावरण, सीओपी-30 और वैश्विक स्वास्थ्य” में उन्होंने दुनिया के सामने न सिर्फ भारत की उपलब्धियाँ रखीं, बल्कि भावी रणनीति की रूपरेखा भी साझा की।
उन्होंने सम्मेलन में घोषणा की कि भारत वर्ष 2026 में ब्रिक्स की अध्यक्षता करेगा और “मानवता पहले” (Humanity First) के दृष्टिकोण के साथ ब्रिक्स को वैश्विक दक्षिण के लिए एक प्रभावशाली मंच के रूप में प्रस्तुत करेगा।
जलवायु परिवर्तन—एक नैतिक जिम्मेदारी
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के लिए जलवायु परिवर्तन सिर्फ ऊर्जा या पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि यह जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन से जुड़ा एक नैतिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि भारत ने पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को निर्धारित समय से पहले पूरा किया है, जो हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पीएम मोदी ने बताया कि भारत ने अनेक वैश्विक पहल शुरू की हैं, जैसे:
ग्लोबल सोलर अलायंस (ISA)
आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI)
ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस
मिशन LiFE (Lifestyle for Environment)
Big Cat Alliance
और हाल ही में शुरू की गई अनोखी पहल “एक पेड़ माँ के नाम”
उन्होंने सभी देशों से आग्रह किया कि वे मिलकर ऐसे प्रयास करें जो न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखें, बल्कि आगामी पीढ़ियों के लिए जीवन को संरक्षित करें।
वैश्विक दक्षिण और जलवायु वित्त
प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष रूप से विकासशील देशों की चुनौतियों पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटना उनके लिए एक आर्थिक बोझ बन सकता है। उन्होंने सस्ती वित्तीय सहायता और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि ब्रिक्स द्वारा प्रस्तावित जलवायु वित्त ढांचा एक सकारात्मक शुरुआत है, जिससे इन देशों को समर्थन मिलेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि “विकासशील देशों को जलवायु लक्ष्यों की पूर्ति के लिए अत्याधुनिक तकनीक, ऋण राहत और दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता है।”
भारत की स्वास्थ्य नीति वैश्विक मंच पर
प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य सुरक्षा के क्षेत्र में भारत की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना के साथ पूरी दुनिया की मदद की। उन्होंने कहा कि भारत की नीति “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” के मंत्र पर आधारित है, और यह विचार संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए है।
उन्होंने बताया कि भारत की डिजिटल स्वास्थ्य योजनाएं, विशेषकर आयुष्मान भारत, जिससे 50 करोड़ से अधिक लोग कवर हो रहे हैं, आज पूरी दुनिया के लिए एक मॉडल बन गई हैं। इसके अलावा उन्होंने आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, और प्राकृतिक चिकित्सा के योगदान का भी उल्लेख किया और कहा कि अब भारत इन पारंपरिक प्रणालियों को वैश्विक दक्षिण के साथ साझा करने को तैयार है।
ब्रिक्स सहयोग और भारत की भविष्य दृष्टि
पीएम मोदी ने ब्रिक्स की भूमिका को भविष्य में और अधिक प्रभावशाली बनाने की बात करते हुए कहा कि ब्रिक्स को अब सहयोग, क्षमता निर्माण और नवाचार के मंच में बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने ब्रिक्स वैक्सीन अनुसंधान केंद्र (2022) और सामाजिक रूप से निर्धारित बीमारियों के उन्मूलन की साझेदारी को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की कि भारत ब्रिक्स की अध्यक्षता के दौरान “लचीलेपन और नवाचार” को प्राथमिकता देगा और हर निर्णय में “मानवता पहले” के सिद्धांत को लागू करेगा।
शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया पहुंचे, जहां उन्होंने ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा से मुलाकात की और भारत-ब्राजील द्विपक्षीय संबंधों पर व्यापक चर्चा की।
पीएम मोदी का ब्रिक्स 2025 संबोधन
पर्यावरण, COP-30 और वैश्विक स्वास्थ्य
17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का मुख्य फोकस तीन महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर केंद्रित रहा:
पर्यावरणीय संरक्षण,
COP-30 (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन)
तथा वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियाँ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन तीनों विषयों पर भारत का दृष्टिकोण साझा करते हुए बताया कि भारत का दृष्टिकोण केवल घरेलू हितों तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक कल्याण की दिशा में है। उन्होंने कहा कि ये मुद्दे आज के नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के अस्तित्व से जुड़े सवाल हैं।
“मानवता पहले” के मूलमंत्र के साथ
प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स मंच से यह घोषणा की कि भारत वर्ष 2026 में ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता करेगा। भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान “मानवता पहले” (Humanity First) के सिद्धांत को केंद्र में रखते हुए
वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों की आवाज को मुखर करेगा,
उनकी प्राथमिकताओं को एजेंडा में प्राथमिक स्थान देगा
और ब्रिक्स को एक समावेशी, उत्तरदायी और क्रियाशील मंच के रूप में विकसित करेगा।
उन्होंने कहा कि जैसे भारत ने G20 की अध्यक्षता में विकासशील देशों की आवाज बुलंद की थी, वैसे ही ब्रिक्स में भी वह जन-आधारित विकास, समानता और साझेदारी को प्राथमिकता देगा।
एक नैतिक जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत की नीति को नैतिक दृष्टिकोण के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा:
“भारत के लिए जलवायु परिवर्तन केवल ऊर्जा नीति का हिस्सा नहीं, बल्कि जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन का नैतिक दायित्व है।”
भारत ने पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य निर्धारित समय से पहले पूरे किए हैं।
देश नवीकरणीय ऊर्जा, हरित ऊर्जा और ऊर्जा कुशल तकनीकों के मामले में अग्रणी रहा है।
भारत ने कई वैश्विक पहलें शुरू की हैं:
ग्लोबल सोलर अलायंस (ISA)
ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस – हरित ईंधन को बढ़ावा देने की दिशा में
मिशन LiFE (Lifestyle for Environment) – जलवायु अनुकूल जीवनशैली
“एक पेड़ माँ के नाम” – वृक्षारोपण को भावनात्मक संकल्प से जोड़ने वाली नवीन पहल
प्रधानमंत्री ने आह्वान किया कि ब्रिक्स जैसे मंचों को इन पहलों को प्रोत्साहन देना चाहिए।
जलवायु न्याय के साथ समावेशी विकास
पीएम मोदी ने कहा कि विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए साधनों और संसाधनों की जरूरत है, इसलिए:
सस्ती और सुगम जलवायु वित्त सहायता उपलब्ध कराना अत्यावश्यक है।
तकनीकी हस्तांतरण (Technology Transfer) से विकासशील देशों की क्षमता में वृद्धि होगी।
ब्रिक्स द्वारा प्रस्तावित जलवायु वित्त ढांचे को उन्होंने एक “सकारात्मक शुरुआत” बताया।
प्रधानमंत्री ने विकसित देशों से भी आग्रह किया कि वे केवल सलाह देने की बजाय सहयोग और प्रतिबद्धता दिखाएँ ताकि जलवायु न्याय सुनिश्चित हो सके।
“एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” की अवधारणा
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वास्थ्य सुरक्षा को वैश्विक सहयोग का स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि भारत ने कोविड-19 के दौर में
वैक्सीन मैत्री के माध्यम से 150 से अधिक देशों को टीके उपलब्ध कराए,
और “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” के सिद्धांत को अमल में लाकर मानवता की सेवा में अग्रणी भूमिका निभाई।
आयुष्मान भारत योजना: विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना, जो 50 करोड़ से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करती है।
डिजिटल हेल्थ मिशन: स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने वाला अभिनव कदम।
पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियाँ (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध): प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब इन पारंपरिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों को वैश्विक स्तर पर साझा करने के लिए तैयार है।
नवाचार, लचीलापन और सतत विकास की ओर
ब्रिक्स समूह को सिर्फ एक राजनीतिक या आर्थिक मंच नहीं, बल्कि ज्ञान, नवाचार और सतत विकास के मंच के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर प्रधानमंत्री ने बल दिया। उन्होंने कहा:
“ब्रिक्स को ऐसे रूप में ढालना होगा जहां नवाचार, समावेशिता और लचीलापन प्राथमिक मूल्य हों।”
ब्रिक्स वैक्सीन अनुसंधान और विकास केंद्र (2022): वैश्विक स्वास्थ्य संकटों से निपटने में अग्रणी भूमिका।
सामाजिक रूप से निर्धारित बीमारियों के उन्मूलन पर साझेदारी: टीबी, मलेरिया, कुपोषण जैसी बीमारियों को सामूहिक प्रयासों से समाप्त करने की दिशा में सहयोग।
नवाचार और क्षमता निर्माण: युवाओं के बीच नवाचार संस्कृति को प्रोत्साहित करना, कौशल विकास के माध्यम से रोजगार सृजन।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ब्रिक्स को अपनी योजनाओं को स्थानीय क्रियान्वयन और वैश्विक सहयोग के मॉडल में बदलना होगा।
साझेदारी का नया अध्याय
ब्रिक्स सम्मेलन के पश्चात प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया पहुंचे, जहां उन्होंने ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा से मुलाकात की। इस द्विपक्षीय वार्ता में:
व्यापार, निवेश, रक्षा, ऊर्जा और कृषि जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई।
सांस्कृतिक एवं शैक्षिक आदान-प्रदान को गहरा करने की योजना बनी।
वैश्विक दक्षिण के मंचों पर साझी आवाज़ उठाने पर सहमति बनी।
यह मुलाकात भारत और ब्राजील के बीच रणनीतिक साझेदारी को एक नई ऊंचाई देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।