Mission Sindoor

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का गोरखपुर उत्तर प्रदेश दौरा शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति के संगम

IMG-20250630-WA0005

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का उत्तर प्रदेश का दो दिवसीय दौरा केवल एक औपचारिक राजकीय यात्रा नहीं था, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता, संविधान की भावना और जनसंवाद की प्रतिबद्धता का मूर्त रूप था। 30 जून से 1 जुलाई तक बरेली और गोरखपुर में उन्होंने जिन कार्यक्रमों में भाग लिया, वे शिक्षा, स्वास्थ्य, आयुष, महिला सशक्तिकरण, संस्कृति और राष्ट्रीय एकता से गहराई से जुड़े थे।

यह दौरा उस राष्ट्रपति की सोच को प्रकट करता है जो महलों में नहीं, जनता के बीच अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहती हैं; जो ‘संवैधानिक प्रमुख’ के पारंपरिक दायरे से आगे जाकर, समाज के अंतिम व्यक्ति तक प्रेरणा पहुंचाना चाहती हैं। उनकी उपस्थिति केवल औपचारिक नहीं रही—यह एक संदेश थी: विकास, परंपरा और संवेदनशील नेतृत्व का समावेशी मॉडल।


दिन 1: बरेली – पशु चिकित्सा से लेकर युवाओं की प्रेरणा तक

भोर की शुरुआत: बरेली में स्वागत का जनोत्सव

30 जून की सुबह राष्ट्रपति मुर्मू विशेष विमान से बरेली पहुंचीं। बरेली एयरपोर्ट पर राज्यपाल, उच्च प्रशासनिक अधिकारी और सुरक्षा कर्मियों की टीम ने उनका भव्य स्वागत किया। एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम स्थल तक रास्तों पर भारत माता की झांकियां, पारंपरिक लोकनृत्य और स्कूली बच्चों के बैंड दस्ते राष्ट्रगान की ध्वनि से वातावरण को ऊर्जा से भर रहे थे।

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI): 11वां दीक्षांत समारोह

राष्ट्रपति का पहला पड़ाव था भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), जिसे एशिया का सबसे पुराना पशु चिकित्सा संस्थान माना जाता है। 1879 में स्थापित यह संस्थान बरेली की शैक्षणिक पहचान बन चुका है। यहां 11वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया था, जिसमें राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।

राष्ट्रपति का भाषण: करुणा, विज्ञान और सेवा का संगम

राष्ट्रपति मुर्मू ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा:

“आज जब वैश्विक स्तर पर ‘वन हेल्थ’ की अवधारणा पर ध्यान दिया जा रहा है, भारत में पशु चिकित्सा विज्ञान को सामाजिक विकास के केंद्र में लाने की आवश्यकता है। पशुओं का स्वास्थ्य केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था से नहीं, बल्कि मानव स्वास्थ्य, जैव विविधता और सतत विकास से भी जुड़ा हुआ है।”

उन्होंने कहा कि IVRI जैसे संस्थान भारत की वैज्ञानिक उन्नति के स्तंभ हैं। इस संस्थान द्वारा विकसित वैक्सीन्स—ब्रुसेलोसिस, ब्लूटंग, एवियन इन्फ्लुएंज़ा और स्वाइन फीवर पर नियंत्रण के लिए—सिर्फ राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

राष्ट्रपति ने युवा वैज्ञानिकों से कहा कि वे केवल ज्ञान नहीं, करुणा और सेवा का भाव लेकर आगे बढ़ें।

विशिष्ट उपस्थिति और प्रेरणास्पद वक्तव्य

इस अवसर पर उपस्थित गणमान्यजनों में शामिल थे:

छात्रों की भागीदारी और सम्मान

इस दीक्षांत समारोह में MVSc और PhD करने वाले 500 से अधिक छात्रों को उपाधियां दी गईं। राष्ट्रपति द्वारा मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए।


बरेली से गोरखपुर: उत्तर की दिशा में समन्वय और समर्पण

गोरखपुर के लिए प्रस्थान

दोपहर बाद राष्ट्रपति बरेली से विशेष वायुयान द्वारा गोरखपुर के लिए रवाना हुईं। गोरखपुर एयरपोर्ट पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी, जिला प्रशासन और विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने उनका स्वागत किया। पुलिस बैंड द्वारा ‘जन गण मन’ की मधुर प्रस्तुति ने वातावरण को राष्ट्रभक्ति से भर दिया।


दिन 2: गोरखपुर – चिकित्सा, आयुष और परंपरा की त्रिवेणी

AIIMS गोरखपुर: चिकित्सा शिक्षा की नई दिशा

राष्ट्रपति के गोरखपुर प्रवास का पहला प्रमुख कार्यक्रम था अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) गोरखपुर का प्रथम दीक्षांत समारोह।

AIIMS गोरखपुर की भूमिका

750-बेड की क्षमता वाला यह संस्थान पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल सीमा से सटे क्षेत्रों के लिए जीवनरेखा बन चुका है। यहां की ओटी, ट्रॉमा सेंटर, आईसीयू, कैंसर यूनिट, और टेलीमेडिसिन जैसी सुविधाएं इसे चिकित्सा शिक्षा और सेवा का केंद्र बनाती हैं।

छात्रों को उपाधि और राष्ट्रपति का संदेश

MBBS, BSc नर्सिंग, MD/MS जैसे पाठ्यक्रमों से उत्तीर्ण हुए छात्रों को राष्ट्रपति ने पदक और उपाधि प्रदान की।

राष्ट्रपति ने कहा:

“AIIMS जैसे संस्थान केवल स्वास्थ्य सुविधा नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का माध्यम हैं। जब ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्रों के लोग गुणवत्ता युक्त चिकित्सा सेवा पा सकें, तो यही सही अर्थों में लोकतंत्र की सफलता है।”


आयुष विश्वविद्यालय का उद्घाटन: परंपरा और नवाचार का संगम

महायोगी गुरु गोरक्षनाथ आयुष विश्वविद्यालय

1 जुलाई को राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय—महायोगी गुरु गोरक्षनाथ आयुष विश्वविद्यालय—का उद्घाटन किया।

विशेषताएं:

राष्ट्रपति का वक्तव्य

“आयुष पद्धति केवल चिकित्सा नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन है। यह मनुष्य और प्रकृति के बीच संतुलन सिखाता है। ऐसे संस्थानों के माध्यम से हम भारत की प्राचीन विद्या को वैश्विक स्तर पर स्थापित कर सकते हैं।”


आधारशिला कार्यक्रम: महिला शिक्षा, पंचकर्म और नवाचार

सोनबरसा परिसर में शिलान्यास

राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय के आरोग्यधाम परिसर में निम्नलिखित परियोजनाओं की आधारशिला रखी:

उन्होंने कहा:

“जब हम महिला शिक्षा को स्वास्थ्य शिक्षा से जोड़ते हैं, तो समाज में एक स्वस्थ और शिक्षित पीढ़ी का निर्माण होता है।”


गोरखनाथ मंदिर दर्शन: परंपरा से संवाद

दर्शन और पूजन

राष्ट्रपति ने गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर दर्शन और पूजन किया। मंदिर प्रशासन द्वारा उन्हें अंगवस्त्र और पारंपरिक प्रसाद भेंट किया गया। उन्होंने परिसर में स्थित गौशाला और आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र का भी निरीक्षण किया।

यह कार्यक्रम राष्ट्रपति की भारतीय संस्कृति के प्रति श्रद्धा और जमीनी जुड़ाव को दर्शाता है।


सुरक्षा प्रबंध: सतर्कता और तालमेल का उदाहरण

राष्ट्रपति के इस दौरे के लिए सुरक्षा व्यवस्था अभूतपूर्व रही:


जनमानस की भागीदारी: उत्सव का रूप

राष्ट्रपति के दौरे के दौरान दोनों ही शहरों में आम जनता का उत्साह देखने लायक था। स्कूली बच्चों ने पारंपरिक नृत्य, भारत माता की झांकियां, स्लोगन और बैंड की प्रस्तुतियां दीं।

छात्रों में राष्ट्रपति के विचारों से प्रेरणा लेने की ललक साफ दिखी।


निष्कर्ष: एक संवेदनशील और समावेशी राष्ट्राध्यक्ष

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का यह उत्तर प्रदेश दौरा उनकी नेतृत्व क्षमता, संवेदनशील सोच और समावेशी दृष्टिकोण का प्रमाण है। उन्होंने शिक्षा, चिकित्सा, संस्कृति, परंपरा और महिला सशक्तिकरण को जिस प्रकार एक सूत्र में पिरोया, वह आज के भारत की दिशा को दर्शाता है।

उनकी उपस्थिति ने न केवल विश्वविद्यालयों को गौरवान्वित किया, बल्कि हजारों छात्रों, शिक्षकों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और आम नागरिकों को प्रेरणा दी। यह दौरा एक प्रतिमान बन गया है—जहाँ एक राष्ट्राध्यक्ष केवल प्रतिनिधि नहीं, बल्कि मार्गदर्शक भी होता है।

Exit mobile version