
“जगन्नाथ” – स्वयं में एक ऐसा शब्द, जिसमें संपूर्ण सृष्टि समाहित हो जाती है। “जग” अर्थात् संसार और “नाथ” अर्थात् स्वामी। जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का रथ UAE की धरती पर खींचा जाता है, तो यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं होती—यह उस आत्मीय सम्बन्ध की पुनर्प्राप्ति होती है, जिसे प्रवासी जीवन धीरे-धीरे खोता चला जाता है। 2025 की उस तपती दोपहर में, जब दुबई की चमचमाती सड़कों पर हजारों स्वर “जय जगन्नाथ” के जयघोष में गूंजे, तो वह केवल एक उत्सव नहीं था; वह संस्कृति की पुनर्जागृति थी, एक परदेस में अपने देश की मिट्टी को जी लेने का प्रयास था।
यह आयोजन UAE में बसे ओडिया समुदाय द्वारा आयोजित 15वीं वार्षिक रथ यात्रा थी—एक ऐसा अनुष्ठान जो अब भक्ति, संस्कृति और पहचान का सम्मिलित पर्व बन चुका है।
अध्याय 1: दुबई में ‘लघु पुरी’ का निर्माण – स्टार इंटरनेशनल स्कूल में सजी भक्तिमय छवि
हर वर्ष की भांति इस बार भी आयोजन के लिए दुबई स्थित स्टार इंटरनेशनल स्कूल को चुना गया। यह विद्यालय, जहाँ आम दिनों में छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते हैं, उस दिन पूरी तरह से ओडिया संस्कृति और श्रद्धा के रंगों में रंग गया था।
मुख्य प्रांगण को इस तरह सजाया गया कि लगा जैसे पुरी का प्रतिरूप साकार हो उठा हो। विशाल रथ को पारंपरिक तोरण, फूलों की झालरें और हस्तनिर्मित सजावटों से सजाया गया। पूरे परिसर में पारंपरिक ओडिया चित्रकला ‘पट्टचित्र’ की झांकियां लगाई गईं। झूमर, दीपमालाएं, रंगोली और हाथ से बने स्वागत तोरणों ने वातावरण को भक्तिपूर्ण बना दिया।
अध्याय 2: आस्था का संगम – सात अमीरातों से उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
UAE के सातों अमीरातों—अबू धाबी, दुबई, शारजाह, अजमान, उम्म अल-कुवैन, रास अल खैमाह और फुजैरा—से करीब 1000 से अधिक ओडिया श्रद्धालुओं ने इस आयोजन में हिस्सा लिया।
पारंपरिक परिधान की झलक
- महिलाएं पारंपरिक शंखचूड़ी साड़ी में
- पुरुष धोती-कुर्ता एवं गमछा पहने हुए
- बच्चे बालकृष्ण, देवी सुभद्रा और राधा के रूप में सजे हुए
इस परिधान ने आयोजन को जैसे एक जीवित लोककला प्रदर्शनी में बदल दिया, जिसमें हर रंग भक्ति का प्रतीक था।
अध्याय 3: ‘पाहंडी बीजे’ – जब देवताओं की शोभायात्रा UAE की धरती पर उतरी
पुरी की रथ यात्रा की तरह ही, दुबई में भी ‘पाहंडी बीजे’ की परंपरा का पालन किया गया। तीनों विग्रहों—भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा—को सजीव झूमते हुए भक्तों के द्वारा रथ तक लाया गया। ढोल, मृदंग, घंटा और शंख की ध्वनि के बीच यह शोभायात्रा श्रद्धालुओं के लिए एक अत्यंत आत्मीय अनुभव थी।
स्त्रियाँ सिर पर कलश लेकर चल रही थीं, जो समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक है। बच्चे मार्ग में रंगोली बना रहे थे और युवाओं की टोली भक्ति गीतों पर नृत्य कर रही थी। यह एक जीवंत आध्यात्मिक यज्ञ बन गया।
अध्याय 4: रथ खींचना – जब प्रवासी जीवन ने प्रभु को हृदय से खींचा
रथ खींचने की रस्म UAE की रथ यात्रा का मुख्य आकर्षण बन गई। हजारों हाथों ने जब एक स्वर में “जय जगन्नाथ” का उच्चारण करते हुए रथ को खींचा, तो ऐसा लगा मानो हृदय और संस्कृति की दूरी मिट गई हो।
जाति, धर्म, भाषा या पृष्ठभूमि के बंधन जैसे विलीन हो गए और सब एक ही धागे में बंध गए—आस्था के धागे में।
अध्याय 5: महाप्रसाद – जब स्वाद में भक्ति उतर आई
ओडिया संस्कृति में “महाप्रसाद” केवल भोजन नहीं, आत्मा की तृप्ति का माध्यम होता है। इस आयोजन में भी छप्पन भोग की परंपरा का पालन किया गया।
प्रमुख व्यंजन:
- दही पखाला
- खिचड़ी
- दालमा
- बड़ी चुरा
- खाजा
- छेना पोड़ा
- मंडा पिठा, काकरा पिठा
- पायस
- बेलभोग
- कढ़ी-भात
100 से अधिक ओडिया परिवारों ने मिलकर इन व्यंजनों को तैयार किया और भगवान को अर्पित कर फिर श्रद्धालुओं में बांटा गया। इस प्रसाद ने प्रवासियों के मन को घर की यादों से भर दिया।
अध्याय 6: सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ – जब बच्चों में उतरी ओडिशा की आत्मा
देवदासी नृत्य
बच्चों द्वारा प्रस्तुत देवदासी नृत्य में भक्तिभाव, नाट्य सौंदर्य और पारंपरिक ओडिया शास्त्रीयता का अद्भुत समन्वय था।
108 महामंत्र जाप
पूरे आयोजन में सामूहिक रूप से 108 बार महामंत्र का उच्चारण किया गया, जिससे वातावरण दिव्यता से भर उठा।
ओड़िसी नृत्य
समापन समारोह में कलाकारों ने ओड़िसी के विविध रूपों—मंगलाचरण, बतो नृत्य और दशावतार—को प्रस्तुत कर संस्कृति का जीवंत अनुभव दिया।
अध्याय 7: नेतृत्व की शक्ति – आयोजन को सफल बनाने वाले नायक
अमिया मिश्रा – अध्यक्ष, ओडिशा समाज UAE
“यह आयोजन केवल परंपरा नहीं, हमारी पहचान की रक्षा है। हम यह संदेश देना चाहते हैं कि आस्था की कोई सीमा नहीं होती।”
मुख्य टीम:
- ललित पटनायक (महासचिव)
- रश्मि मोहंती (सांस्कृतिक प्रमुख)
- सुबोध राउत्रे (भोजन प्रबंधन)
- पल्लवी दास (बाल-संस्कृति विभाग)
- नित्यानंद साहू और वैशाली नायक (स्वागत समिति)
इनके समर्पित प्रयासों से यह आयोजन व्यवस्थित और भावनात्मक रूप से समृद्ध बन पाया।
अध्याय 8: सरकार और संस्थानों की भूमिका – जब आधिकारिक समर्थन बना संबल
UAE प्रशासन का सहयोग:
- आयोजन की विधिवत अनुमति
- ट्रैफिक नियंत्रण
- सुरक्षा व्यवस्था
- चिकित्सा सहायता
भारतीय दूतावास की सक्रियता:
भारतीय काउंसल जनरल और वाणिज्य दूतावास के वरिष्ठ अधिकारियों ने रथ यात्रा में भाग लिया और इसे “प्रवासी सांस्कृतिक राजदूत” का प्रतीक बताया।
अध्याय 9: प्रवासी जीवन में रथ यात्रा का गूढ़ अर्थ
संस्कारों का पोषण
यह आयोजन युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम बनता जा रहा है। परिवारों में अब ओडिया गीत, भजन और कहानियों का पुनर्संचार हो रहा है।
संस्कृति का निरंतर हस्तांतरण
इस उत्सव में बच्चों की भागीदारी ने यह सुनिश्चित किया कि अगली पीढ़ी केवल तकनीक में ही नहीं, परंपरा में भी सशक्त हो।
अध्याय 10: डिजिटल युग में भक्ति – जब सोशल मीडिया बना यज्ञमंच
#DubaiRathYatra2025 ट्रेंडिंग
लाखों दर्शकों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर इस आयोजन को देखा और सराहा।
लाइव स्ट्रीमिंग और इंटरनेशनल जुड़ाव
दुनिया भर से प्रवासी ओडिया समुदाय ने इस रथ यात्रा में डिजिटल माध्यम से भाग लिया। वर्चुअल श्रद्धांजलियों और लाइव चैट्स के माध्यम से यह आयोजन वैश्विक बन गया।
अध्याय 11: भविष्य की योजनाएं – जब आस्था का रथ रुकेगा नहीं
स्थायी जगन्नाथ मंदिर की स्थापना
दुबई में एक स्थायी मंदिर निर्माण हेतु ओडिशा समाज UAE ने योजना बनाकर भूमि अनुरोध और वास्तु योजना प्रस्तुत कर दी है।
भाषा और संस्कृति केंद्र
- ओडिया भाषा की कक्षाएं
- संस्कार शाला
- सांस्कृतिक कार्यशालाएं
यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए सांस्कृतिक चेतना का स्तंभ बनेगी।
निष्कर्ष: जब हृदय में पुरी हो, तो परदेस भी स्वदेश बन जाता है
दुबई में आयोजित 15वीं वार्षिक जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, यह एक जीवंत सांस्कृतिक पुनर्जागरण था। यह प्रमाण था कि जब प्रवासी हृदय में आस्था और संस्कृति जीवित रहती है, तो कोई भी भूमि परदेस नहीं रह जाती।
रथ यात्रा ने यह भी दर्शाया कि यूएई जैसे आधुनिक और विविधतापूर्ण देश में भी भारतीय परंपराएं कितनी सहजता और समर्पण के साथ जीवित रह सकती हैं। यह आयोजन प्रवासी भारतीय समुदाय के लिए केवल नमन का नहीं, बल्कि नई ऊर्जा से जुड़ने और अपनी जड़ों को सींचने का अवसर था।