
भारतीय नौसेना की स्वदेशीकरण की यात्रा में एक और ऐतिहासिक अध्याय उस समय जुड़ गया जब 01 जुलाई 2025 को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई द्वारा निर्मित बहुप्रतीक्षित स्टेल्थ फ्रिगेट ‘आईएनएस उदयगिरि’ को औपचारिक रूप से नौसेना को सौंप दिया गया। यह अत्याधुनिक युद्धपोत प्रोजेक्ट 17ए के तहत निर्मित सात जहाजों की श्रृंखला का दूसरा पोत है, जिसे यार्ड 12652 के नाम से भी जाना जाता है। यह समुद्री सुरक्षा, रणनीतिक शक्ति प्रदर्शन और आत्मनिर्भर भारत अभियान के दिशा में एक निर्णायक कदम है।
आईएनएस उदयगिरि: नाम में समाहित गौरवशाली विरासत
‘उदयगिरि’ नाम स्वयं में भारतीय इतिहास और परंपरा की गहराई को दर्शाता है। यह नाम आंध्र प्रदेश में स्थित प्रसिद्ध पर्वत श्रृंखला ‘उदयगिरि’ से लिया गया है, जो प्राचीन काल से ही विद्या, समृद्धि और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक रही है। इस नाम को भारतीय नौसेना के इतिहास में दूसरी बार स्थान मिला है। इससे पूर्व, एक भाप चालित युद्धपोत ‘आईएनएस उदयगिरि’ 1976 में सेवा में आया था और तीन दशकों से अधिक समय तक राष्ट्र की सेवा कर 24 अगस्त 2007 को सेवानिवृत्त हुआ।
निर्माण: आत्मनिर्भरता का उत्कृष्ट उदाहरण
आईएनएस उदयगिरि का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई द्वारा किया गया, जो भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। इसके निर्माण में भारत की स्वदेशी क्षमताओं का भरपूर उपयोग हुआ है। इस परियोजना में भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन और प्रौद्योगिकी विकास की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह भारतीय नौसेना की ‘डिजाइन से लेकर निर्माण तक’ की स्वदेशी नीति का प्रतीक है।
इस परियोजना में 200 से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और कई सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों की भागीदारी रही। इसने न केवल भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ाया, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को नई गति दी।
समय की कसौटी पर खरा
जहां सामान्यत: इस स्तर के युद्धपोत के निर्माण और कमीशनिंग में 5 से 7 वर्ष लगते हैं, वहीं आईएनएस उदयगिरि को केवल 37 महीनों में नौसेना को सौंप दिया गया — जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इसके पीछे एकीकृत निर्माण तकनीक, चरणबद्ध उत्पादन और पहले से ब्लॉक तैयार करने की आधुनिक कार्यप्रणाली है। यह भारतीय जहाज निर्माण की दक्षता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
तकनीकी विशेषताएं: शौर्य, सटीकता और स्टेल्थ
आईएनएस उदयगिरि को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि यह आधुनिक युद्ध की समस्त आवश्यकताओं को पूरा कर सके। यह एक बहु-कार्य संचालन (Multi-Role Operation) करने में सक्षम स्टेल्थ फ्रिगेट है, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएं शामिल हैं:
1. स्टेल्थ डिज़ाइन और रडाररोधी संरचना
पी-17ए फ्रिगेट्स को विशेष स्टेल्थ तकनीकों से तैयार किया गया है, जिससे उनकी रडार प्रोफाइल न्यूनतम रहती है। यह दुश्मन के रडार और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी उपकरणों से छिपा रह सकता है।
2. प्रणोदन प्रणाली
इस फ्रिगेट में ‘कॉम्बाइंड डीजल एंड गैस’ (CODOG) प्रणोदन प्रणाली का उपयोग किया गया है, जिसमें एक डीजल इंजन और एक गैस टरबाइन दोनों मौजूद हैं। यह प्रणाली प्रत्येक शाफ्ट पर लगे कंट्रोल्ड पिच प्रोपेलर (CPP) और एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली (IPMS) को संचालित करती है।
3. हथियार प्रणाली
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सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली
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मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (MR-SAM)
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76 मिमी ओटो मेलारा गन
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30 मिमी AK-630 CIWS
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12.7 मिमी बंदूकें और लेजर आधारित हथियार प्रणाली (भावी एकीकरण संभावित)
4. सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली
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एडवांस सोनार सिस्टम
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मल्टी-फंक्शन रडार (MFR)
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टारगेट एक्विजिशन एंड ट्रैकिंग रडार
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इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेज़र्स और काउंटर-काउंटरमेज़र्स
5. एयर ऑपरेशन्स क्षमता
आईएनएस उदयगिरि में दो हेलीकॉप्टरों को संचालित करने की सुविधा है, जिससे यह पनडुब्बी रोधी युद्ध और निगरानी में उपयोगी बनता है।
सामरिक उपयोग और तैनाती
आईएनएस उदयगिरि को कैरियर बैटल ग्रुप का हिस्सा बनाकर समुद्र में वायु, सतही और पनडुब्बी खतरे से निपटने के लिए तैनात किया जा सकता है। इसकी स्टेल्थ क्षमताएं इसे समुद्र में चुपचाप गश्त करने और दुश्मन के इलाके में गहराई से घुसपैठ कर संचालन करने में सक्षम बनाती हैं।
यह जहाज भारतीय नौसेना की हिंद महासागर क्षेत्र में मौजूदगी को और मजबूती देगा और भारत के समुद्री हितों की रक्षा के लिए प्रमुख भूमिका निभाएगा। साथ ही यह भारत के समुद्री कूटनीति का प्रतीक बनकर मित्र देशों के साथ संयुक्त अभ्यासों और विदेश यात्रा अभियानों में भाग लेगा।
आत्मनिर्भरता और रोजगार सृजन
आईएनएस उदयगिरि का निर्माण भारत के जहाज निर्माण उद्योग के आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर है। इसके निर्माण से न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता बढ़ी, बल्कि रोजगार के अवसर भी सृजित हुए। आंकड़ों के अनुसार:
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4,000 से अधिक कर्मियों को प्रत्यक्ष रोजगार
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10,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर
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200 से अधिक MSME इकाइयों की भागीदारी
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स्वदेशी ओईएम से प्राप्त प्रमुख हथियार एवं सेंसर
नौसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में पी-17ए परियोजना
पी-17ए परियोजना भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण कार्यक्रम की प्रमुख कड़ी है। इस परियोजना के तहत कुल सात स्टेल्थ फ्रिगेट्स बनाए जा रहे हैं:
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तीन जीआरएसई (कोलकाता) में
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चार एमडीएल (मुंबई) में
इनमें से पहला पोत आईएनएस नीलगिरी पहले ही नौसेना को सौंपा जा चुका है। आईएनएस उदयगिरि परियोजना का दूसरा पोत है। शेष पांच जहाज निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं और 2026 के अंत तक क्रमशः नौसेना को सौंपे जाएंगे।
सामरिक संदेश: हिंद महासागर में शक्ति संतुलन
आईएनएस उदयगिरि न केवल एक युद्धपोत है, बल्कि यह एक रणनीतिक संदेश भी है। यह भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के मद्देनज़र ऐसे स्टेल्थ युद्धपोतों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
यह पोत समुद्र में भारत की उपस्थिति को न केवल मजबूत करेगा, बल्कि क्षेत्रीय स्थायित्व और समुद्री कानून के पालन के लिए भारत की भूमिका को भी मजबूती देगा।
भविष्य की दिशा: भारत की ब्लू वाटर नेवी की कल्पना
आईएनएस उदयगिरि जैसे फ्रिगेट्स भारत को ब्लू वाटर नेवी बनने की दिशा में ले जा रहे हैं — यानी एक ऐसी नौसेना जो केवल तटवर्ती रक्षा तक सीमित नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर संचालन में सक्षम हो। प्रोजेक्ट 17ए जैसे कार्यक्रम भारत को तकनीकी, सामरिक और आर्थिक रूप से एक समुद्री महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर कर रहे हैं।
निष्कर्ष: समुद्री स्वाभिमान की नई गाथा
आईएनएस उदयगिरि का नौसेना में समावेश केवल एक जहाज की तैनाती नहीं, बल्कि एक संकल्प का साकार रूप है — स्वदेशी निर्माण, सामरिक मजबूती और समुद्री संप्रभुता का। यह जहाज भारत की नयी समुद्री नीति, उद्योगिक क्षमता और कूटनीतिक दृष्टिकोण का प्रतीक है।
यह फ्रिगेट आने वाले वर्षों में न केवल राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा करेगा, बल्कि भारत की समृद्ध समुद्री परंपरा, आत्मनिर्भरता और आधुनिकता का वाहक भी बनेगा।