
Admin Site|05.07.2025|New Delhi|Expo 2027|India|Bharat|Hindustan|
नई दिल्ली रक्षा और तकनीकी क्षेत्र के अभूतपूर्व संगम का साक्षी बना IN-VEST 2025—“कंपन इंजीनियरिंग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन”—जो 4 जुलाई को आईआईटी दिल्ली में आयोजित हुआ। इस प्रतिष्ठित सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में एयर मार्शल विजय कुमार गर्ग, एवीएसएम, वीएसएम, एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, मेंटेनेंस कमांड, भारतीय वायुसेना, उपस्थित रहे।
अपने दृष्टिपूर्ण संबोधन में एयर मार्शल गर्ग ने रक्षा नवाचार, उन्नत प्रौद्योगिकी, और आत्मनिर्भर भारत के लिए शिक्षा, अनुसंधान और उद्योग की संयुक्त भूमिका को रेखांकित किया।
सिस्टम की विश्वसनीयता
एयर मार्शल गर्ग ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कंपन इंजीनियरिंग और उसकी रक्षा प्रणालियों में उपयोगिता पर गहराई से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा,
आधुनिक युद्धक क्षमताओं के लिए सिस्टम की विश्वसनीयता सर्वोपरि है। इसके लिए पूर्वानुमानित रखरखाव (Predictive Maintenance), उन्नत निदान तकनीकें, और इंजीनियरिंग नवाचार आवश्यक हैं।”उन्होंने बताया कि कंपन विश्लेषण और डायग्नोस्टिक तकनीकों की मदद से विमानन प्रणालियों में किसी भी संभावित खराबी की पूर्व जानकारी प्राप्त की जा सकती है, जिससे न केवल परिचालन लागत कम होती है बल्कि मिशन की सफलता भी सुनिश्चित होती है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
एयर मार्शल गर्ग ने अपने भाषण में वैश्विक परिदृश्य पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि
दुनिया एक गतिशील भू-राजनीतिक दौर से गुजर रही है जहाँ सुरक्षा और तकनीकी प्रभुत्व एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत जैसे देश के लिए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता अब केवल एक विकल्प नहीं बल्कि एक रणनीतिक आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’, ‘आत्मनिर्भर भारत’, और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे अभियानों को सामूहिक रूप से रक्षा क्षेत्र में क्रियान्वित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
उद्योग
अपने संबोधन के दौरान एयर मार्शल गर्ग ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में यदि रक्षा क्षेत्र को प्रगति के पथ पर अग्रसर करना है, तो शिक्षा संस्थानों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं, और उद्योगों के बीच एक मजबूत तंत्र विकसित करना होगा।
उन्होंने कहा,
स्वदेशी तकनीकों को वास्तविक रूप में बदलने के लिए केवल वैज्ञानिक अनुसंधान पर्याप्त नहीं है, उसे उत्पादन में भी उतारना होगा, और यही काम उद्योग करता है। शिक्षा संस्थान इसके लिए मानव संसाधन तैयार करते हैं।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि रक्षा मंत्रालय और उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच MoU (सहयोग ज्ञापन) की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि अनुसंधान को रक्षा क्षेत्र में त्वरित रूप से लागू किया जा सके।
बीआरडी
IN-VEST 2025 सम्मेलन में दिल्ली क्षेत्र के विभिन्न बेस रिपेयर डिपो (BRD) के अधिकारियों ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। इन अधिकारियों ने शैक्षणिक प्रतिनिधियों और शोधकर्ताओं के साथ पैनल चर्चाओं में भाग लिया और रक्षा उपकरणों के मेंटेनेंस सिस्टम, पुनर्निर्माण, और उन्नयन परियोजनाओं के बारे में विचार साझा किए।
इस दौरान इंडस्ट्री-एकेडमिया-डिफेंस के बीच ज्ञान साझा करने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई। BRD के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
जब तक शिक्षा और उद्योग मिलकर रक्षा आवश्यकताओं को नहीं समझेंगे, तब तक तकनीकी आत्मनिर्भरता एक सपना ही बनी रहेगी।
कंपन विश्लेषण
IN-VEST 2025 का केंद्रीय विषय था—“कंपन विश्लेषण और तकनीकी नवाचार के माध्यम से सिस्टम की विश्वसनीयता बढ़ाना”।
यह विषय इस दृष्टिकोण पर केंद्रित रहा कि किस प्रकार कंपन (Vibration) संबंधी विश्लेषण से रक्षा प्रणालियों, विशेषकर वायुयान, मिसाइल और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में, संभावित विफलताओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
वक्ताओं ने बताया कि आधुनिक सैन्य प्रणालियों में कंपन-आधारित मॉनिटरिंग से मिशनों की सफलता दर और प्रणाली की सेवा अवधि में वृद्धि संभव है।
500 से अधिक विशेषज्ञों की उपस्थिति
सम्मेलन में 500+ प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिनमें भारतीय वायुसेना, DRDO, HAL, BEL, ISRO जैसे प्रमुख रक्षा संगठनों के अधिकारी शामिल थे। साथ ही देश-विदेश के शीर्ष विश्वविद्यालयों से आए वैज्ञानिक, इंजीनियर, प्रोफेसर और छात्र भी शामिल हुए।
इस विशाल भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि कंपन विश्लेषण अब केवल अकादमिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों से जुड़ा महत्त्वपूर्ण क्षेत्र बन चुका है।
14 सत्रों में 60+ शोध पत्र प्रस्तुत
सम्मेलन के दौरान 14 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें 60 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।
इन विषयों में शामिल थे:
रियल-टाइम कंपन सेंसरों का उपयोग
हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम
AI आधारित विफलता पूर्वानुमान
हाइब्रिड मॉडलिंग तकनीक
रक्षा उपकरणों के रखरखाव में कंपन विश्लेषण
प्रतिभागियों ने बताया कि इन सत्रों ने न केवल सैद्धांतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, बल्कि इन्हें व्यवहारिक रूप में रक्षा प्रणालियों में लागू करने की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला।
तकनीक
सम्मेलन स्थल पर एक विशेष तकनीकी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें अत्याधुनिक कंपन सेंसर, AI आधारित निगरानी प्रणाली, और स्मार्ट ड्रोन मैकेनिक्स प्रदर्शित किए गए।
इस प्रदर्शनी में DRDO, HAL और स्टार्टअप कंपनियों ने अपनी नवीनतम तकनीकों का लाइव डेमो प्रस्तुत किया, जैसे:
स्वचालित कंपन डिटेक्शन डिवाइस
AI-सक्षम इंजन फॉल्ट एनालाइज़र
ड्रोन के लिए हल्के वाइब्रेशन मैनेजमेंट सिस्टम
प्रदर्शनी में छात्रों, नवाचारियों और रक्षा विशेषज्ञों के बीच संवाद के कई अवसर पैदा हुए, जिससे अकादमिक और तकनीकी ज्ञान में गहराई आई।
राष्ट्रीय और वैश्विक
सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख संस्थानों में शामिल थे:
DRDO (Defence Research and Development Organisation)
HAL (Hindustan Aeronautics Limited)
BEL (Bharat Electronics Limited)
NAL (National Aerospace Laboratories)
ISRO (Indian Space Research Organisation)
Tata Advanced Systems
IIT Delhi (आयोजक संस्था)
इन संस्थानों ने न केवल शोधपत्र प्रस्तुत किए, बल्कि सम्मेलन के दौरान कई MoUs पर हस्ताक्षर भी किए ताकि भविष्य में रक्षा अनुसंधान और अकादमिक सहयोग को मजबूती मिले।
स्टार्टअप पिचिंग
IN-VEST 2025 की एक और प्रमुख विशेषता रही युवाओं के लिए आयोजित विशेष कार्यक्रम:
रक्षा स्टार्टअप पिचिंग सेशन: 20 से अधिक युवा स्टार्टअप्स ने अपने उत्पादों और समाधानों को प्रस्तुत किया, जिनमें कुछ को रक्षा मंत्रालय द्वारा पायलट परीक्षण के लिए आमंत्रण मिला।
छात्र नवाचार प्रदर्शन: IIT Delhi, IIT Kanpur, और NITs के छात्रों ने अपने स्वदेशी तकनीकी मॉडल प्रदर्शित किए।
करियर परामर्श सत्र: DRDO, HAL, और वायुसेना के अधिकारियों ने युवाओं को रक्षा क्षेत्र में करियर निर्माण की संभावनाओं पर जानकारी दी।
इसने छात्रों के भीतर न केवल आत्मविश्वास बढ़ाया, बल्कि उन्हें देश सेवा के एक नए मार्ग से भी जोड़ा।
एयर मार्शल वी.के.
मुख्य अतिथि एयर मार्शल विजय कुमार गर्ग ने उद्घाटन भाषण में भारत की रक्षा प्रणालियों को स्वदेशी तकनीकों से सशक्त बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने उन्नत निदान, कंपन विश्लेषण, और पूर्वानुमानित रखरखाव को भविष्य के रक्षा क्षेत्र के “साइलेंट वॉरियर्स” कहा और बताया कि “भारत को न केवल हथियारों में, बल्कि तकनीक में भी आत्मनिर्भर बनना होगा।”
शिक्षा
सम्मेलन में भारत और विदेशों से आए 500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें शामिल थे:
DRDO और HAL जैसे प्रमुख रक्षा संगठनों के वैज्ञानिक
IITs, NITs और IISc के प्रोफेसर व शोधकर्ता
निजी रक्षा और एयरोस्पेस कंपनियों के प्रतिनिधि
इस विविधतापूर्ण सहभागिता ने उद्योग-शिक्षा-रक्षा के त्रिकोणीय सहयोग को मजबूती प्रदान की।
कंपन तकनीक
सम्मेलन में 14 उच्चस्तरीय तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें रक्षा तकनीक से संबंधित नवीनतम विषयों पर गहन चर्चा हुई:
कंपन आधारित स्वास्थ्य निगरानी
पूर्वानुमानित रखरखाव मॉडल
साइबर सुरक्षा प्रणाली
AI और मशीन लर्निंग आधारित रक्षा समाधान
इन सत्रों ने वैज्ञानिकों और उद्योग प्रतिनिधियों को मिलकर काम करने की प्रेरणा दी।
भारतीय और विदेशी
सम्मेलन में 60 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें रक्षा प्रणालियों में कंपन विश्लेषण, स्मार्ट सेंसर टेक्नोलॉजी, और डेटा-आधारित पूर्वानुमान तकनीकों पर फोकस रहा।
इन शोध पत्रों ने कंपन इंजीनियरिंग को एक मजबूत वैज्ञानिक आधार दिया और भारत में इस क्षेत्र के शोध को गति देने का रास्ता खोला।
BRD अधिकारियों
भारतीय वायुसेना के बेस रिपेयर डिपो (BRD) के वरिष्ठ अधिकारियों ने सम्मेलन में भाग लेकर रक्षा प्रणालियों के रखरखाव और उन्नयन पर अपने अनुभव साझा किए।
उन्होंने बताया कि कंपन विश्लेषण की मदद से विमान और अन्य रक्षा उपकरणों की कार्यक्षमता बढ़ाई जा सकती है, जिससे युद्ध तैयारी और परिचालन क्षमता में सुधार होता है।
रक्षा स्टार्टअप्स
सम्मेलन में 20 से अधिक उभरते हुए रक्षा स्टार्टअप्स ने अपने उत्पाद और तकनीकी समाधान प्रस्तुत किए।
प्रदर्शनों में शामिल थे:
AI आधारित फॉल्ट डिटेक्शन सिस्टम
हल्के ड्रोन प्लेटफॉर्म
कंपन सेंसर इंटीग्रेशन मॉड्यूल
स्वचालित निगरानी समाधान
इसने ‘मेक इन इंडिया’ पहल को ज़मीन पर उतारने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध किया।
IIT Delhi और DRDO
सम्मेलन के दौरान IIT दिल्ली और DRDO के बीच एक ऐतिहासिक सहयोग ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
इस सहयोग का उद्देश्य कंपन विश्लेषण, सामग्री विज्ञान, और एयरोस्पेस तकनीक के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है।
यह सहयोग भावी पीढ़ी के रक्षा वैज्ञानिकों के लिए अनुसंधान के नए द्वार खोलेगा।
इंजीनियरिंग छात्र
सम्मेलन में विशेष “करियर काउंसलिंग सत्र” आयोजित किए गए जहाँ रक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने छात्रों को
DRDO, HAL, ISRO में करियर के अवसर
रक्षा स्टार्टअप्स की भूमिका
विज्ञान में अनुसंधान के महत्व
जैसे विषयों पर मार्गदर्शन दिया।
इससे छात्रों में रक्षा विज्ञान को लेकर गहरी उत्सुकता और देश सेवा की भावना पैदा हुई।
महिला वैज्ञानिकों और छात्र
सम्मेलन में महिला वैज्ञानिकों और छात्राओं की प्रभावशाली उपस्थिति देखने को मिली।
महिला प्रोफेसरों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत
महिला इंजीनियरों द्वारा तकनीकी प्रदर्शन
महिला विद्यार्थियों ने स्टार्टअप शोकेस में भाग लिया
इसने यह सिद्ध किया कि रक्षा और तकनीकी क्षेत्र में लैंगिक समानता भी एक महत्वपूर्ण प्रगति की दिशा है।
डिफेंस में मेक इन इंडिया की झलक
सम्मेलन स्थल पर आयोजित रक्षा प्रदर्शनी में 100% स्वदेशी उत्पादों का प्रदर्शन हुआ।
प्रदर्शनी में शामिल रहे:
इंडिजीनस कंपन सेंसर
आत्मनिर्भर UAV सॉल्यूशन्स
स्मार्ट फॉल्ट एनालिसिस डिवाइसेज़
DRDO द्वारा विकसित निगरानी प्रणाली
इसने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत देश की तकनीकी क्षमताओं को विश्व मंच पर प्रस्तुत किया।