
09.07.2025 | Mission Sindoor |
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा की न्यायिक हिरासत को बुधवार को बढ़ाते हुए अब 13 अगस्त 2025 तक के लिए बढ़ा दिया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा की गई पेशी में कोर्ट ने जांच की प्रगति, पूरक चार्जशीट और डिजिटल साक्ष्यों को देखते हुए हिरासत बढ़ाने को मंजूरी दी।
पूरक आरोपपत्र में क्या है नया
NIA ने राणा के खिलाफ 2012 में पहली चार्जशीट दाखिल की थी, लेकिन अब एक पूरक आरोपपत्र (supplementary chargesheet) अदालत में प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसकी गिरफ्तारी का मेमो, जब्ती मेमो, हस्तलिपि, आवाज़ के नमूने और अन्य तकनीकी साक्ष्य जोड़े गए हैं।
इस चार्जशीट में यह भी बताया गया है कि राणा की भूमिका सीधे तौर पर 26/11 के मुख्य साजिशकर्ताओं से जुड़ती है, विशेष रूप से डेविड कोलमैन हेडली से।
हेडली के साथ संबंध और साजिश की कथित भूमिका
डेविड हेडली, जो अब इस केस में सरकारी गवाह बन चुका है, ने पहले ही स्वीकार किया था कि उसने भारत में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के लिए रेकी की थी और खासकर मुंबई के होटल, रेलवे स्टेशनों और यहूदी केंद्रों को टारगेट किया गया था।
NIA को संदेह है कि राणा ने हस्तलिखित निर्देश, नक्शे और अन्य गोपनीय जानकारियां हेडली को उपलब्ध कराई थीं, जिनका उपयोग हमले की योजना तैयार करने में किया गया।
राणा की प्रतिक्रियाएं और जांच के दौरान बयान
राणा ने पूछताछ में अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को नकारा है। उसका कहना है कि उसने डेविड हेडली की गतिविधियों के बारे में कभी कोई संदिग्ध बात नहीं देखी और वह सिर्फ एक “बचपन का दोस्त” समझ कर उसके साथ संपर्क में था।
राणा ने यह भी दावा किया कि मुंबई और दिल्ली की यात्राएं व्यवसायिक थीं और केरल यात्रा एक पारिवारिक परिचित से मिलने के लिए की गई थी, जिसका नाम और पता एजेंसी को उपलब्ध कराया गया है।
आवाज़ और हस्तलिपि नमूनों का विश्लेषण
जांच एजेंसी ने राणा की आवाज़ और हस्तलिपि के नमूने लिए हैं, ताकि इनकी तुलना हेडली के साथ हुई बातचीत, पत्रों और अन्य दस्तावेजों से की जा सके। एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि,
“हमारे पास कुछ रिकॉर्डिंग्स और दस्तावेज़ हैं, जिन्हें राणा के लिखित और मौखिक स्वरूप से जोड़ने की आवश्यकता है। यह जांच की धुरी साबित हो सकती है।”
अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण की कानूनी लड़ाई
राणा, जो पाकिस्तान सेना का पूर्व चिकित्सा अधिकारी और कनाडा का नागरिक है, को अमेरिका से प्रत्यर्पण के ज़रिए भारत लाया गया है। अमेरिका की एक अदालत ने भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को 2023 में स्वीकार किया था, जिसके बाद उसे भारत लाने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई।
यह मामला अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से जुड़ा होने के कारण दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत आपसी सहयोग का एक प्रमुख उदाहरण है।
पिछली पेशी और स्वास्थ्य का मुद्दा
6 जून 2025 को विशेष NIA अदालत ने राणा को 9 जुलाई तक की न्यायिक हिरासत में भेजा था। उस वक्त राणा के वकील ने तिहाड़ जेल से उसकी स्वास्थ्य रिपोर्ट मांगते हुए कहा था कि उसकी सेहत लगातार गिर रही है और उसे विशेष चिकित्सा सुविधा की आवश्यकता है।
कोर्ट ने उस समय जेल प्रशासन को निर्देश दिया था कि वह उसकी मेडिकल स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट जमा करे।
मुंबई समेत अन्य शहरों की रेकी की योजना
NIA अब राणा को लेकर मुंबई, दिल्ली, केरल और पुणे जैसे शहरों में ले जाकर घटनाओं की घटनाक्रम को फिर से जोड़ने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य यह समझना है कि कहाँ-कहाँ, किस तारीख को, किस उद्देश्य से राणा गया था, और वहाँ किन-किन लोगों से संपर्क किया।
यह चरणबद्ध पुनरावलोकन जांच में नए सुरागों को जन्म दे सकता है।
राणा का बचाव पक्ष क्या कहता है
राणा के वकील ने तर्क दिया है कि,
“सिर्फ दोस्ती के आधार पर किसी को साजिशकर्ता ठहराना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय प्रत्यर्पण कानूनों का दुरुपयोग भी है। राणा कभी भी हमले की योजना या क्रियान्वयन से जुड़ा नहीं रहा है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जांच एजेंसी “राजनीतिक दबाव” में कार्य कर रही है और उसे सिर्फ “नमूना आरोपी” के रूप में दिखाया जा रहा है।
26/11 केस में राणा की संभावित भूमिका
26/11 का हमला भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और वीभत्स आतंकी हमला था, जिसमें 166 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए। इसमें लश्कर-ए-तैयबा, ISI और पाकिस्तान से संचालित आतंकी नेटवर्क की संलिप्तता पाई गई थी।
राणा पर आरोप है कि उसने हेडली को लॉजिस्टिक, वीज़ा समर्थन, और बिज़नेस कवर (Immigration Law Center) के तहत भारत भेजने में मदद की थी, जिससे वह रेकी को अंजाम दे सका।
तहव्वुर हुसैन राणा और 26/11 मुंबई आतंकी हमले से जुड़ा घटनाक्रम – एक समग्र दृष्टिकोण
तहव्वुर हुसैन राणा – यह नाम 26/11 मुंबई आतंकी हमले के सिलसिले में लंबे समय से चर्चा में है। वह मूल रूप से पाकिस्तान के एक पंजाबी मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखता है और बाद में कनाडा का नागरिक बन गया।
राणा वर्तमान में कनाडा का नागरिक है, हालांकि उसका जन्म और प्रारंभिक जीवन पाकिस्तान में हुआ। भारतीय एजेंसियों का आरोप है कि उसने पाकिस्तान में रहकर भारत के खिलाफ षड्यंत्र में भागीदारी निभाई, और फिर कनाडा व अमेरिका के माध्यम से अपनी गतिविधियों को वैश्विक स्तर पर छिपाया।
राणा ने पाकिस्तानी सेना में चिकित्सा अधिकारी के रूप में सेवा दी थी। सेना से रिटायरमेंट के बाद उसने अमेरिका और कनाडा में इमिग्रेशन और कानूनी सेवा के नाम पर कंपनियां खोलीं। इन्हीं संस्थानों के माध्यम से डेविड हेडली को भारत भेजने का रास्ता तैयार किया गया।
तहव्वुर राणा और डेविड कोलमैन हेडली बचपन के मित्र हैं। हेडली की आतंकी योजनाओं में राणा की भूमिका को उसकी दोस्ती और पेशेवर साझेदारी के जरिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राणा पर आरोप है कि उसने हेडली को ‘Immigration Law Center’ और ‘First World Immigration Services’ की मदद से भारत में दाखिल होने का वैध आधार उपलब्ध कराया।
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राणा को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था, जहाँ वह पहले से ही अन्य मामलों में सज़ा काट चुका था। भारत ने अमेरिका से उसका प्रत्यर्पण मांगा, जिसे लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद 2023 में मंजूरी मिली। उसके बाद उसे भारत लाकर मुकदमे का सामना कराया जा रहा है।
NIA ने राणा के खिलाफ पहली चार्जशीट वर्ष 2012 में दाखिल की थी, लेकिन पर्याप्त सबूतों के अभाव में उस पर मुकदमा नहीं चल पाया। हाल ही में 2025 में पूरक आरोपपत्र (Supplementary Chargesheet) दाखिल किया गया है, जिसमें राणा की गिरफ्तारी के मेमो, जब्ती दस्तावेज, हेडली से संवाद के रिकॉर्ड और अन्य तकनीकी साक्ष्य सम्मिलित किए गए हैं।
हेडली को भारत में रेकी करने के लिए प्रेरित करना
उसे वीज़ा और कवर स्टोरी उपलब्ध कराना
लिखित निर्देश, नक्शे और लक्ष्य स्थानों की जानकारी देना
मुंबई, दिल्ली और केरल की यात्राओं में साज़िश की बैठकों में भागीदारी
इन सभी आरोपों को भारतीय एजेंसियों ने सबूतों के साथ अदालत में प्रस्तुत किया है।
इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा की जा रही है। NIA भारत में आतंकी गतिविधियों की प्रमुख केंद्रीय एजेंसी है, और उसने इस केस में कई चरणों में पूछताछ, जब्ती, विदेश संधियों के अंतर्गत सहयोग और अभियोजन प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है।
NIA ने तहव्वुर राणा के आवाज़ और हस्तलिपि के नमूने लिए हैं, जिन्हें विश्लेषण के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा गया है। इनका मिलान डेविड हेडली के साथ हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग और लिखित सामग्री से किया जा रहा है, ताकि यह प्रमाणित किया जा सके कि राणा ने वास्तव में आतंकी कनेक्शन वाले निर्देश या संदेश दिए थे।
डेविड हेडली ने पहले ही स्वीकार किया है कि उसने लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के लिए भारत में विभिन्न शहरों की रेकी की थी, जिसमें मुख्य रूप से मुंबई के होटल ताज, ओबेरॉय, नरीमन हाउस, CST स्टेशन और लियोपोल्ड कैफे शामिल थे।
हेडली ने यह भी माना कि राणा से मिले दस्तावेज़ों और सहयोग की बदौलत ही वह भारत में सुरक्षित प्रवेश कर पाया और हमले की योजना को अंतिम रूप देने में सफल हुआ।
पूछताछ के दौरान तहव्वुर राणा ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि,
“मैं डेविड हेडली का केवल दोस्त था। मुझे उसकी आतंकी गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं थी। मैंने उसकी भारत यात्रा में केवल व्यवसायिक मदद की थी, न कि किसी साजिश में।”
राणा के वकीलों का कहना है कि वह आतंकवाद में शामिल नहीं था और उसके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है।
पटियाला हाउस कोर्ट ने राणा की हिरासत 13 अगस्त 2025 तक बढ़ा दी है। अदालत ने NIA को जांच पूरी करने और सभी डिजिटल, फॉरेंसिक व परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को एकत्र करने की अनुमति दी है। कोर्ट ने राणा की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी और तिहाड़ जेल से चिकित्सा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए हैं।
Source :DD News