Admin Site |08.07.2025|Mission Sindoor| UPNews|CM Yogi|Uttrakhand News|Yatra|सावन मास के पावन अवसर पर 11 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारें पूरी तरह सक्रिय हो गई हैं। लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार, गंगोत्री और अन्य तीर्थ स्थलों से गंगाजल लेकर अपने-अपने गंतव्यों की ओर रवाना होंगे। ऐसे में यात्रा मार्ग पर सुरक्षा, स्वच्छता, चिकित्सा और यातायात जैसी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए उच्च स्तरीय तैयारियां शुरू हो गई हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को बिजनौर पहुंचकर कांवड़ मार्ग का हवाई सर्वेक्षण किया, वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ आपदा प्रबंधन और कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक की। दोनों ही राज्यों में सहयोगात्मक समन्वय के साथ श्रद्धालुओं की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कही जा रही है।
योगी आदित्यनाथ का हवाई निरीक्षण
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को गाजियाबाद के हिंडन एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर द्वारा उड़ान भरकर बिजनौर के विभिन्न कांवड़ मार्गों का हवाई निरीक्षण किया। उन्होंने यात्रा मार्ग पर साफ-सफाई, रूट डायवर्जन, मेडिकल सुविधा, पेयजल व्यवस्था, विश्राम स्थल और यातायात नियंत्रण की तैयारियों का जायजा लिया।
निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा, “श्रद्धालुओं की आस्था के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए। यात्रा पूरी तरह सुरक्षित, सुव्यवस्थित और सम्मानजनक होनी चाहिए।” उन्होंने जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों और नगर निकायों से समन्वय बनाकर कार्य करने को कहा।
उत्तराखंड सरकार की समीक्षा बैठक
कांवड़ यात्रा के बड़े हिस्से का संबंध उत्तराखंड राज्य से होता है, विशेषकर हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री और नीलकंठ महादेव जैसे धार्मिक स्थलों से। इसे ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में कांवड़ यात्रा के दौरान आपदा प्रबंधन, ट्रैफिक कंट्रोल, कानून व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं पर गहन चर्चा की गई।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि मानसून के दौरान होने वाली भारी बारिश और भूस्खलन की संभावनाओं को देखते हुए विशेष सतर्कता बरती जाए। उन्होंने पुलिस को निर्देश दिए कि भीड़ नियंत्रण, महिलाओं की सुरक्षा और चिकित्सा सहायता केंद्रों की व्यवस्था में कोई चूक न हो।
सीमा पर संयुक्त समन्वय
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर स्थित हरिद्वार, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, रुड़की, ऋषिकेश जैसे क्षेत्र कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ से भर जाते हैं। इसे देखते हुए दोनों राज्यों के बीच संयुक्त नोडल अधिकारियों की तैनाती की जा रही है, जो सीमावर्ती जिलों में यात्रा समन्वय और आपात प्रतिक्रिया सुनिश्चित करेंगे।
प्रशासन द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि ड्रोन कैमरों से निगरानी, CCTV निगरानी व्यवस्था, अस्थायी पुलिस चौकियां और विशेष ट्रैफिक योजनाएं पूरे मार्ग पर लागू की जाएं ताकि किसी भी तरह की अराजकता या आपराधिक गतिविधियों पर तुरंत नियंत्रण किया जा सके।
चिकित्सा, पेयजल और यात्री विश्राम की व्यवस्था
कांवड़ यात्रा मार्गों पर लाखों श्रद्धालु दिन-रात चलते हैं, ऐसे में मेडिकल इमरजेंसी, पेयजल की कमी, थकान, धूप और बारिश से सुरक्षा जैसी चुनौतियाँ सामने आती हैं। इस वर्ष शासन द्वारा यात्रा मार्गों पर हर 5 किमी पर चिकित्सा केंद्र, चलित एम्बुलेंस, विश्राम स्थलों पर टेंट सिटी, मोबाइल शौचालय, और RO वाटर की टंकियां लगाने का निर्णय लिया गया है।
इसके साथ-साथ स्वयंसेवी संगठनों, धर्मार्थ संस्थाओं और स्थानीय समाजसेवियों को भी सहयोग के लिए आमंत्रित किया गया है। भोजन, प्राथमिक चिकित्सा, दवा वितरण और विश्राम केंद्रों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
कांवड़ यात्रा 2025 – प्रमुख तैयारी बिंदु (विस्तार से)
11 जुलाई से शुरू होगी सावन कांवड़ यात्रा
सावन माह में होने वाली कांवड़ यात्रा उत्तर भारत की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में से एक मानी जाती है। इस वर्ष यह यात्रा 11 जुलाई 2025 से प्रारंभ होगी और यह लगभग 20 से 25 दिनों तक चलेगी। लाखों की संख्या में श्रद्धालु उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और बिहार सहित कई राज्यों से हरिद्वार, गंगोत्री और गौमुख पहुँचकर गंगाजल भरते हैं, जिसे वे अपने स्थानीय शिव मंदिरों तक पैदल लेकर जाते हैं।
कांवड़ यात्रा केवल धार्मिक भावना का उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और अनुशासनिक एकता का भी परिचायक है। इसके चलते पूरे मार्ग पर विशाल जनसैलाब, वाहन रुकावटें और स्वास्थ्य एवं सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, जिन्हें देखते हुए सरकार ने इस वर्ष विशेष तैयारियाँ की हैं।
योगी आदित्यनाथ ने किया हवाई सर्वेक्षण
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के दृष्टिकोण से यात्रा मार्गों का हवाई निरीक्षण किया। उन्होंने गाजियाबाद के हिंडन एयरपोर्ट से बिजनौर तक हेलीकॉप्टर से कांवड़ रूट का जायजा लिया और अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि पूरे रूट पर यातायात व्यवस्था, साफ-सफाई, जलापूर्ति, विद्युत आपूर्ति और मेडिकल इमरजेंसी सेवाओं को सुदृढ़ किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि,
“कांवड़ यात्रा एक आस्था और अनुशासन का संगम है। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि यात्रा में श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा सर्वोपरि है।”
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि रूट डायवर्जन, वॉलंटियर व्यवस्था, फायर ब्रिगेड, एम्बुलेंस, पेयजल, टॉयलेट्स, विश्राम केंद्र और ध्वनि नियंत्रण जैसी व्यवस्थाओं को समय पर पूर्ण कर लिया जाए।
धामी सरकार ने की समीक्षा बैठक
उत्तराखंड सरकार के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस पावन यात्रा को लेकर सक्रियता दिखाई है। उन्होंने राज्य के पुलिस, प्रशासन, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की जिसमें हरिद्वार, ऋषिकेश, नीलकंठ, और गंगोत्री क्षेत्रों में व्यवस्थाओं की समीक्षा की गई।
उन्होंने विशेष रूप से मानसून सीजन में उत्पन्न होने वाली भूस्खलन, नदी में जलस्तर वृद्धि, जलभराव और आपात चिकित्सा स्थिति से निपटने के लिए प्री-प्लानिंग की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्यमंत्री धामी ने आदेश दिया कि,
“हर श्रद्धालु की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। पूरे यात्रा मार्ग पर पुलिस बल मुस्तैद रहे, और मेडिकल एवं आपदा राहत टीम को हर समय सतर्क रखा जाए।”
संयुक्त प्रशासनिक समन्वय प्रणाली लागू
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के बीच संयुक्त समन्वय व्यवस्था लागू की गई है ताकि कांवड़ यात्रा के दौरान किसी भी सीमावर्ती क्षेत्र में भ्रम या अराजकता की स्थिति उत्पन्न न हो। इसके लिए हरिद्वार, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, रुड़की, सहारनपुर और अन्य संबंधित जिलों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जो दोनों राज्यों के बीच सुगम संचार और त्वरित निर्णय प्रक्रिया सुनिश्चित करेंगे।
संयुक्त कंट्रोल रूम बनाए गए हैं जहाँ 24×7 निगरानी, आवश्यक सूचना का आदान-प्रदान और समय पर निर्णय लिया जा सकेगा। यह प्रणाली आपात स्थितियों, यातायात जाम, वीआईपी मूवमेंट या आपदा के समय बेहद उपयोगी साबित होगी।
विशेष ट्रैफिक प्लान और सीसीटीवी निगरानी
कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़, सड़क मार्गों पर पैदल यात्रा, और वाहनों के आवागमन को लेकर प्रशासन के लिए यह एक बड़ी लॉजिस्टिक चुनौती होती है। इस बार प्रशासन ने विस्तृत ट्रैफिक प्लान तैयार किया है जिसमें:
भारी वाहनों का डायवर्जन और प्रतिबंध,
वैकल्पिक रूट की तैयारी,
एक्सप्रेस हाईवे और अन्य मार्गों पर ट्रैफिक कंट्रोल बूथ,
ड्रोन कैमरों और वॉच टावरों के माध्यम से भीड़ पर नजर रखना,
सीसीटीवी नेटवर्क के ज़रिए लगातार निगरानी,
अस्थायी पुलिस चौकियों की स्थापना,
और जाम से बचने के लिए डिजिटली नियंत्रित सिग्नल सिस्टम शामिल हैं।
इन उपायों से यात्रा सुरक्षित, व्यवस्थित और कुशल बन सकेगी।
मेडिकल, पेयजल और विश्राम सुविधा पर विशेष ध्यान
कांवड़ यात्रा के दौरान लंबी दूरी पैदल तय करने, गर्म मौसम, मानसून की वर्षा और भीड़ की थकान श्रद्धालुओं के लिए बड़ी चुनौतियाँ बनती हैं। इन्हें ध्यान में रखते हुए इस बार प्रशासन ने यात्रा मार्ग पर:
हर 3 से 5 किलोमीटर पर मेडिकल चेकअप कैंप
मोबाइल एम्बुलेंस और आपातकालीन चिकित्सा वाहन
विश्राम शिविर (टेंट कॉलोनी) जहाँ श्रद्धालु आराम कर सकें
RO जल की टंकियाँ और ठंडे पानी के स्टॉल
चलित शौचालय और स्वच्छता टीमों की तैनाती
स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से भोजन, प्राथमिक चिकित्सा, मार्गदर्शन जैसी सेवाएँ
इन सभी व्यवस्थाओं को वास्तविक समय में नियंत्रित और अपडेट करने के लिए डिजिटल कंट्रोल रूम की भी स्थापना की गई है।