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सर्बिया में छात्र आंदोलन ने पकड़ा जोर 18 शहरों में सड़कों पर प्रदर्शन, रूस ने जताई चिंता

सर्बिया में लोकतंत्र और राजनीतिक जवाबदेही की मांग को लेकर चल रहा छात्र आंदोलन अब एक व्यापक जनआंदोलन का रूप ले चुका है। आज देश के 18 शहरों में हजारों की संख्या में छात्र और विपक्षी दलों के समर्थकों ने सड़कों और यातायात के मुख्य मार्गों को अवरुद्ध कर दिया, जिससे सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग जल्द से जल्द संसदीय चुनाव कराने की है, साथ ही राजधानी बेलग्रेड में संसद भवन के सामने डाले गए सरकार समर्थक टेंट शिविर को हटाने की भी मांग की जा रही है।

प्रदर्शन की व्यापकता: देशभर में जाम, बेलग्रेड में तनाव

प्रदर्शनकारियों ने बेलग्रेड, नीश, नोवी साड, क्रगुजेवाक और अन्य प्रमुख शहरों में प्रमुख चौराहों, पुलों और राजमार्गों को जाम कर दिया। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजधानी बेलग्रेड में कई घंटों तक यातायात ठप रहा। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र समूहों के साथ विपक्षी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी इन प्रदर्शनों में शामिल हुए।

बेलग्रेड में प्रदर्शनकारी उस स्थान पर भी इकट्ठा हुए जहां सरकार समर्थकों ने एक स्थायी टेंट शिविर लगा रखा है। छात्र समूहों का कहना है कि यह टेंट शिविर “लोकतंत्र की भावना का अपमान” है और इसे हटाया जाना चाहिए क्योंकि यह संसद के लोकतांत्रिक वातावरण को बाधित करता है।


अल्टीमेटम की समाप्ति के बाद उग्र हुआ आंदोलन

छात्र और विपक्षी दलों ने 25 जून को सरकार को एक अल्टीमेटम दिया था जिसमें जल्द चुनाव की तारीख घोषित करने, टेंट शिविर हटाने और पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए प्रदर्शनकारियों की रिहाई की मांग की गई थी। सरकार की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं मिलने के कारण आंदोलन और अधिक उग्र हो गया है।

शनिवार की रात बेलग्रेड में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं जिसमें आंतरिक मामलों के मंत्री इविका डाचिच (Ivica Dačić) के अनुसार 48 पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 77 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से 22 लोगों को आपात चिकित्सा की आवश्यकता पड़ी, जिनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है।


प्रदर्शनकारियों की मांगें: लोकतंत्र की बहाली और दमन का अंत

प्रदर्शनकारी केवल चुनाव की मांग ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे हालिया वर्षों में लोकतांत्रिक संस्थाओं में आई गिरावट, प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश, और न्यायपालिका की स्वायत्तता के ह्रास को लेकर भी नाराज हैं। छात्रों का कहना है कि सरकार की नीतियां “तानाशाही प्रवृत्ति” को दर्शाती हैं और यह सर्बिया को यूरोपीय लोकतांत्रिक परंपराओं से दूर ले जा रही हैं।

छात्र नेता एना बोसकोविच ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हम यहां केवल अपने अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतंत्र के लिए खड़े हैं। हम ऐसा सर्बिया चाहते हैं जहां युवाओं की आवाज सुनी जाए और डर का माहौल न हो।”


सरकार की चुप्पी और सत्तापक्ष का रुख

सरकार की ओर से अभी तक प्रदर्शनकारियों की मांगों पर कोई ठोस बयान जारी नहीं किया गया है। राष्ट्रपति अलेक्ज़ेंडर वूचिच (Aleksandar Vučić) और प्रधानमंत्री मिलोश व्लाचिक (Miloš Vlačić) ने अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालाँकि, सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े कुछ नेताओं ने इन आंदोलनों को “पश्चिमी एजेंसियों की साजिश” बताया है।

आंतरिक मामलों के मंत्री डाचिच ने कहा, “सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। लोकतांत्रिक विरोध का स्वागत है, लेकिन हिंसा और अराजकता की अनुमति नहीं दी जा सकती।”


रूस की प्रतिक्रिया: ‘पश्चिमी देशों का हस्तक्षेप संभव’

इस बीच रूस ने सर्बिया में हो रहे इस छात्र आंदोलन पर चिंता जताई है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मास्को में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “हम सर्बिया की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। हमें उम्मीद है कि यह संकट देश के संविधान और कानूनों के तहत शांतिपूर्ण तरीके से सुलझा लिया जाएगा।”

लावरोव ने आरोप लगाया कि पश्चिमी देशों की ‘कलर रिवोल्यूशंस’ की रणनीति एक बार फिर सर्बिया में देखी जा रही है। उन्होंने कहा, “पश्चिमी सरकारें अक्सर अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करती हैं और ऐसे आंदोलनों को हवा देकर अपने राजनीतिक हित साधती हैं। हम आशा करते हैं कि इस बार वे संयम बरतेंगे।”


कलर रिवोल्यूशन: एक पुराना भय

रूस का “कलर रिवोल्यूशन” का उल्लेख संकेत करता है कि सर्बिया में हो रही घटनाओं को यूक्रेन (ऑरेंज रिवोल्यूशन), जॉर्जिया (रोज रिवोल्यूशन) और किर्गिस्तान (ट्यूलिप रिवोल्यूशन) जैसे आंदोलनों से जोड़ा जा रहा है, जिनमें सत्ता परिवर्तन विदेशी समर्थन के माध्यम से हुआ था।

रूसी विश्लेषकों का मानना है कि सर्बिया की रणनीतिक स्थिति और रूस के साथ उसके ऐतिहासिक संबंधों के कारण पश्चिमी शक्तियां वहां की राजनीति को प्रभावित करने का प्रयास कर सकती हैं।


विपक्षी दलों की भूमिका और रणनीति

विपक्षी दलों ने इन प्रदर्शनों में खुलकर समर्थन दिया है लेकिन वे इस प्रयास को पूरी तरह से छात्र-नेतृत्व वाला आंदोलन बताकर सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। मुख्य विपक्षी गठबंधन “यूनाइटेड फॉर डेमोक्रेसी” के नेता ने कहा कि यह आंदोलन सरकार के पतन की शुरुआत है।

विपक्ष का कहना है कि सर्बिया में पिछले कुछ वर्षों में मीडिया का एक बड़ा हिस्सा सरकार समर्थक बन गया है और न्यायपालिका पर भी सरकार का हस्तक्षेप बढ़ गया है। “हमें ऐसे युवाओं की जरूरत है जो सवाल पूछते हैं, झुकते नहीं,” एक विपक्षी सांसद ने कहा।


युवाओं की भूमिका: आंदोलन की आत्मा

इस आंदोलन की सबसे खास बात है कि इसकी अगुवाई छात्र कर रहे हैं। सामाजिक मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे X (पूर्व में ट्विटर), इंस्टाग्राम और TikTok पर आंदोलन से संबंधित सामग्री वायरल हो रही है। आंदोलन के प्रतीक चिह्नों में स्वतंत्रता की लौ, किताब और सर्बियाई झंडा प्रमुख हैं।

छात्रों ने “भविष्य हमारा है” और “हम टेंट नहीं, जवाब चाहते हैं” जैसे नारों के साथ अपने संकल्प को प्रदर्शित किया है। विश्वविद्यालय परिसरों में अस्थायी मंच और विचार विमर्श के केंद्र बनाए गए हैं जहां युवा सरकार की नीतियों पर खुलकर बहस कर रहे हैं।


अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं और यूरोपीय संघ की भूमिका

यूरोपीय संघ (EU) ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन ब्रसेल्स में मौजूद सूत्रों का कहना है कि यूरोपीय आयोग स्थिति की निगरानी कर रहा है। EU के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, “हम आशा करते हैं कि सर्बिया की सरकार अपने नागरिकों की लोकतांत्रिक मांगों को सम्मानपूर्वक सुनेगी।”

अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने संक्षिप्त बयान में कहा कि वह “शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार को समर्थन देता है” लेकिन हिंसा की निंदा करता है। इस बयान को सर्बिया की सरकार ने ‘द्वैध चरित्र वाला’ बताया है।


आगे का रास्ता: समाधान की उम्मीद या टकराव की राह?

स्थिति इस समय अत्यंत संवेदनशील है। यदि सरकार शांतिपूर्वक वार्ता की दिशा में बढ़ती है और छात्रों की प्रमुख मांगों पर विचार करती है तो एक शांतिपूर्ण समाधान की संभावना है। लेकिन अगर सरकार दमन के रास्ते पर चलती है तो टकराव की स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि सर्बिया की वर्तमान राजनीतिक स्थिति एक संवेदनशील मोड़ पर है जहां हर निर्णय देश की लोकतांत्रिक दिशा को प्रभावित कर सकता है।


निष्कर्ष: लोकतंत्र की तलाश में सर्बिया

सर्बिया इस समय एक निर्णायक दौर से गुजर रहा है। छात्र आंदोलन केवल शिक्षा या रोजगार की मांग नहीं कर रहा, बल्कि यह आंदोलन उस पीढ़ी की आवाज है जो सर्बिया को एक मुक्त, पारदर्शी और उत्तरदायी लोकतंत्र के रूप में देखना चाहती है।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की चुप्पी, पुलिस की प्रतिक्रिया और रूस जैसे रणनीतिक साझेदार की चिंता यह दर्शाती है कि इस आंदोलन का प्रभाव केवल सर्बिया तक सीमित नहीं रहेगा। आने वाले सप्ताह यह तय करेंगे कि यह आंदोलन इतिहास के पन्नों में लोकतंत्र के लिए एक नया अध्याय जोड़ता है या राजनीतिक दमन की एक और कहानी बनकर रह जाता है।

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