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वडोदरा में पुल ढहने से दर्दनाक हादसा, नौ की मौत प्रधानमंत्री ने जताया शोक

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09.07.2025 | Mission Sindoor |

गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार की सुबह 7 से 7:30 बजे के बीच एक पुराने पुल के टूट जाने से भयानक हादसा हो गया, जिसमें अब तक नौ लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है। यह पुल महिसागर नदी पर स्थित था और इससे रोज़ाना बड़ी संख्या में वाहन गुजरते थे। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, हादसे के समय तीन ट्रक, दो इको कार, एक रिक्शा, एक पिकअप वाहन और दो मोटरसाइकिलें पुल से गुजर रही थीं, जो पुल टूटते ही नदी में समा गईं।

प्रधानमंत्री का शोक संदेश और मुआवज़े की घोषणा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस हादसे को अत्यंत दुखद बताया और मृतकों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। पीएमओ की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर बुधवार को साझा किए गए शोक संदेश में लिखा गया:

“वडोदरा जिले में पुल ढहने से हुई जनहानि अत्यंत दुखद है। जिन्होंने अपनों को खोया है, उनके प्रति मेरी संवेदनाएं। ईश्वर से प्रार्थना है कि घायल लोग जल्द स्वस्थ हों।”

प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि इस हादसे में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से ₹2 लाख की अनुग्रह राशि दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, हादसे में घायल हुए व्यक्तियों को ₹50,000 की सहायता राशि प्रदान की जाएगी।

राहत एवं बचाव कार्य तेज़ी से जारी

घटना के तुरंत बाद वडोदरा जिला प्रशासन ने बचाव अभियान शुरू कर दिया। कलेक्टर अनिल धमेलिया ने जानकारी दी कि 20 से अधिक अग्निशमन कर्मी, एक एनडीआरएफ टीम, एक एसडीआरएफ टीम, दो फायर बोट्स, तीन दमकल गाड़ियाँ, 10 से अधिक एम्बुलेंस और पांच से अधिक चिकित्सा दल घटनास्थल पर तैनात हैं। इसके अलावा स्थानीय नागरिक भी बचाव कार्य में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।

चश्मदीदों की दर्दनाक दास्तां

घटना के समय आसपास मौजूद लोगों ने बताया कि पुल से भारी वाहन गुजर रहे थे और अचानक जोरदार आवाज के साथ पुल का मध्य भाग धंस गया। नदी के किनारे मौजूद एक दुकानदार, रमेश पटेल ने बताया, “हमने बस आवाज सुनी और देखा कि धूल और पानी का गुबार उठा, कई वाहन सीधे पानी में गिर गए। कुछ लोग तुरंत बाहर निकल आए, पर कई डूब गए।”

पुल की हालत और इंजीनियरिंग विफलता

बताया जा रहा है कि यह पुल वर्ष 1985 में बनाया गया था और पिछले कुछ वर्षों से इसकी हालत जर्जर थी। स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों द्वारा बार-बार इसकी मरम्मत की मांग की जा रही थी। कुछ माह पूर्व ही गुजरात सरकार ने इसी स्थान पर ₹212 करोड़ की लागत से एक नया पुल बनाने की स्वीकृति दी थी, जिसकी निविदा प्रक्रिया जारी थी।

यातायात पर पड़ा असर

इस पुल के टूटने से आणंद से वडोदरा, भरूच और अंकलेश्वर के बीच सीधा संपर्क टूट गया है। परिवहन विभाग ने वैकल्पिक मार्ग सुझाए हैं, लेकिन इससे वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और आवागमन प्रभावित हुआ। भारी वाहनों को अब 25 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाकर यात्रा करनी पड़ रही है।

विपक्ष ने उठाए सवाल

विपक्षी दलों ने इस हादसे के बाद सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस नेता शंकरसिंह वाघेला ने कहा, “यह हादसा लापरवाही और ढीले प्रशासनिक रवैये का नतीजा है। यदि समय पर पुल की मरम्मत होती या नया पुल पहले बनता, तो यह त्रासदी टल सकती थी।” आप और तृणमूल नेताओं ने भी घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

मुख्यमंत्री का निरीक्षण दौरा

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने भी घटनास्थल का दौरा किया और घायलों से मुलाकात की। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और पुलिस को निर्देश दिए कि पीड़ितों की हर संभव मदद की जाए और सभी घायलों का नि:शुल्क इलाज कराया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा, “इस हादसे की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”

सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा

घटना के बाद सोशल मीडिया पर ‘वडोदरा ब्रिज हादसा’ ट्रेंड करने लगा। हजारों लोगों ने प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए और पूछा कि ‘1985 में बना पुल 40 साल में जर्जर क्यों हो गया, जबकि सरकार हर साल इंफ्रास्ट्रक्चर पर हजारों करोड़ खर्च करने का दावा करती है?’

भविष्य के लिए चेतावनी

विशेषज्ञों ने इस घटना को एक चेतावनी बताया है। इंफ्रास्ट्रक्चर विशेषज्ञों का कहना है कि देश में हजारों ऐसे पुराने पुल और सड़कें हैं जिनकी समय-समय पर तकनीकी समीक्षा नहीं होती। सरकार को चाहिए कि वह पूरे राज्य के सभी पुराने पुलों की संरचनात्मक ऑडिट कराए और जहां आवश्यक हो वहां त्वरित मरम्मत या पुनर्निर्माण किया जाए।

वडोदरा पुल हादसा – तथ्य, पृष्ठभूमि और प्रशासनिक प्रतिक्रियाएँ

पुल निर्माण एवं भौगोलिक स्थिति

वर्ष 1985 में निर्मित यह पुल गुजरात के वडोदरा जिले में महिसागर नदी पर स्थित था। इसका निर्माण उस समय क्षेत्रीय संपर्क को सुदृढ़ करने हेतु किया गया था, जब आणंद और वडोदरा के बीच यातायात विकल्प सीमित थे। यह पुल न केवल वडोदरा, बल्कि भरूच, अंकलेश्वर और आणंद जैसे औद्योगिक व कृषि क्षेत्रों को जोड़ने का मुख्य मार्ग था।

हाल के वर्षों में स्थानीय प्रशासन और नागरिक संगठनों ने बार-बार पुल की जर्जर हालत को लेकर चिंता व्यक्त की थी। पुल पर दरारें, जंग खाए लोहे के ढांचे और कमजोर साइड रेलिंग की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पहले भी वायरल हो चुकी थीं, लेकिन इसके व्यापक पुनर्निर्माण की दिशा में कार्यवाही अपेक्षाकृत धीमी रही।

नियोजन और धीमी प्रक्रिया

गुजरात सरकार ने वर्ष 2024 के अंत में इस पुल को पूरी तरह से बदलने और एक आधुनिक, डबल लेन पुल के निर्माण की योजना स्वीकृत की थी। इस परियोजना के लिए कुल ₹212 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी, और इसका टेंडर तंत्र भी प्रारंभ हो चुका था।

प्रस्तावित योजना में पुराने पुल को हटाकर एक मजबूत, स्टील और कंक्रीट संरचना वाला नया पुल बनाना था, जो भारी वाहनों को सहने की क्षमता रखे। हालांकि निर्माण कार्य की शुरुआत अब तक नहीं हो पाई थी, जिससे यह पुराना पुल सीमित मरम्मत के सहारे ही उपयोग में बना रहा।

दुर्घटना में शामिल वाहन और क्षति

हादसे के समय पुल पर भारी यातायात था। प्रत्यक्षदर्शियों और प्रशासनिक रिपोर्ट के अनुसार, कुल 9 वाहन पुल पर मौजूद थे, जिनमें शामिल हैं:

भारी ट्रक – जो संभवतः निर्माण सामग्री या औद्योगिक उत्पाद लेकर जा रहे थे।

इको कार – जिनमें कुल 8 से 10 यात्री सवार थे।

पिकअप वैन – जो स्थानीय परिवहन के लिए प्रयोग में लाई जाती थी।

ऑटो रिक्शा – संभवतः सवारियों के साथ था।

मोटरसाइकिलें – जिन्हें सवारों सहित नदी में गिरते हुए देखा गया।

पुल के मध्य हिस्से के अचानक धंसने से यह सभी वाहन सीधे नदी में जा गिरे। कुछ सवार समय रहते वाहन से निकलने में सफल रहे, लेकिन कई लोग गहरे पानी में फंस गए।

जनहानि और घायलों की स्थिति

अब तक की आधिकारिक जानकारी के अनुसार, इस भीषण हादसे में 9 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

मृतकों में पुरुष, महिलाएं और एक बच्चा शामिल हैं।

लगभग 10 से 12 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर है।

कुछ घायलों को वडोदरा मेडिकल कॉलेज और अन्य को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

नदी में बहे हुए कुछ व्यक्तियों की तलाश अभी भी जारी है, इसलिए मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।

राहत और बचाव अभियान की तत्परता

घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने तत्काल बचाव दलों को रवाना किया।
राहत कार्य में शामिल प्रमुख संसाधन और टीमें निम्नलिखित हैं:

1 NDRF (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) टीम – विशेष रूप से प्रशिक्षित गोताखोर और रेस्क्यू विशेषज्ञ।

1 SDRF (राज्य आपदा मोचन बल) टीम – स्थानीय स्थितियों में दक्षता प्राप्त।

20+ फायर ब्रिगेड कर्मी – नदी के दोनों तटों से राहत कार्य कर रहे हैं।

10 से अधिक एम्बुलेंस – घायलों को शीघ्र अस्पताल पहुंचाने हेतु।

5 से अधिक चिकित्सा टीमें – घटनास्थल पर प्राथमिक उपचार के लिए तैनात।

स्थानीय मछुआरे और नागरिक – नावों और रस्सियों की सहायता से बचाव में जुटे हुए।

NDRF और SDRF की संयुक्त कार्रवाई से अब तक अधिकांश घायल सुरक्षित निकाले जा चुके हैं, जबकि दो व्यक्तियों की तलाश के लिए गोताखोर दल नदी में खोजबीन कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की त्वरित प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) से सहायता राशि की घोषणा की है:

प्रत्येक मृतक के परिजनों को ₹2 लाख की अनुग्रह राशि

प्रत्येक घायल को ₹50,000 की सहायता राशि

वहीं, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी घटनास्थल का दौरा किया और अस्पताल में घायलों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि:

सभी घायलों का इलाज राज्य सरकार के खर्च पर नि:शुल्क किया जाए।

इस घटना की निष्पक्ष और तकनीकी जांच हो ताकि दोषियों को चिन्हित किया जा सके।

सभी पुराने पुलों की इंजीनियरिंग ऑडिट कराई जाए और आवश्यकता अनुसार उन्हें बंद कर निर्माण कार्य तुरंत प्रारंभ किया जाए।

Source : DD News

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