
गोरखपुर देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए युवा चिकित्सकों से आह्वान किया कि वे समाज के उन वर्गों के लिए कार्य करें जिन्हें चिकित्सा सेवाओं की सबसे अधिक आवश्यकता है। उन्होंने विशेष रूप से ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की कमी पर चिंता व्यक्त की और डॉक्टरों से इन क्षेत्रों में सेवा भाव से कार्य करने का आग्रह किया।
AIIMS: स्वास्थ्य की नई आशा का प्रतीक
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि AIIMS संस्थान देश की चिकित्सा क्षमता का प्रतीक हैं, जहां हर रोगी एक नई आशा के साथ आता है। उन्होंने कहा, “AIIMS ने चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और उपचार के क्षेत्र में उच्चतम मानक स्थापित किए हैं। ये संस्थान न केवल आधुनिक तकनीकों के केंद्र हैं, बल्कि वे मानवीय सेवा और सहानुभूति का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत में चिकित्सा उपचार अन्य देशों की तुलना में काफी सस्ता है और इसी कारण भारत मेडिकल टूरिज़्म के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि देश के AIIMS जैसे प्रतिष्ठित संस्थान इस दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
‘चिकित्सक केवल रोग नहीं, समाज को स्वस्थ बनाते हैं’
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में डॉक्टरों की भूमिका को केवल उपचार तक सीमित न मानते हुए कहा कि वे एक स्वस्थ समाज की नींव रखते हैं। “चिकित्सक न केवल बीमारियों का उपचार करते हैं, बल्कि समाज को एक सकारात्मक दिशा देने में सहायक होते हैं। एक स्वस्थ समाज ही किसी राष्ट्र के विकास की वास्तविक आधारशिला होता है,” राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा।
उन्होंने चिकित्सा छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि डॉक्टरों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इन चुनौतियों का समाधान केवल तकनीकी ज्ञान से नहीं, बल्कि सहानुभूति और संवेदनशीलता से भी होता है।
‘सहानुभूति और संवाद: उपचार की आत्मा’
राष्ट्रपति ने चिकित्सा शिक्षा से जुड़े सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे ऐसी शैक्षणिक प्रणाली बनाएं जिसमें भावी चिकित्सकों को सहानुभूति, रोगी-चिकित्सक संवाद और विश्वास निर्माण जैसे विषयों पर भी प्रशिक्षण मिले। उन्होंने कहा, “सिर्फ औषधियों और तकनीकी ज्ञान से रोगी का उपचार संभव नहीं है। एक चिकित्सक की संवेदना और उसका रोगी के प्रति व्यवहार उपचार प्रक्रिया को पूर्णता प्रदान करता है।”
राष्ट्रपति ने यह भी सुझाव दिया कि चिकित्सा पाठ्यक्रमों में ‘मानविकी’ और ‘व्यवहारिक विज्ञान’ जैसे विषयों को अधिक गंभीरता से शामिल किया जाए जिससे भावी चिकित्सक एक बेहतर समाज निर्माता बन सकें।
AIIMS गोरखपुर की भूमिका और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश
दीक्षांत समारोह के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, “AIIMS गोरखपुर आज न केवल पूर्वांचल के लोगों को अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहा है, बल्कि यह संस्थान बिहार और नेपाल जैसे क्षेत्रों से आने वाले रोगियों के लिए भी एक प्रमुख चिकित्सा केंद्र बन गया है।”
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने के लिए अनेक योजनाएं चलाई हैं, जिनमें मेडिकल कॉलेजों का विस्तार, टेलीमेडिसिन सेवाओं की शुरुआत और ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या में वृद्धि शामिल है।
AIIMS गोरखपुर: पूर्वांचल के लिए वरदान
AIIMS गोरखपुर की स्थापना पूर्वी उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य जरूरतों को ध्यान में रखकर की गई थी। इसकी स्थापना से पहले इस क्षेत्र के लोगों को गंभीर रोगों के इलाज के लिए दिल्ली, लखनऊ या मुंबई जैसे बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता था। लेकिन अब यह संस्थान पूर्वांचल के लिए अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र बन गया है।
AIIMS गोरखपुर में कैंसर, हृदय रोग, न्यूरोलॉजी, बाल रोग, ऑर्थोपेडिक जैसी तमाम प्रमुख चिकित्सा शाखाओं में विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा संस्थान में निरंतर शोध भी हो रहे हैं जिससे नई चिकित्सा पद्धतियों और उपचार तकनीकों का विकास हो रहा है।
राष्ट्रपति का बरेली दौरा: पशु चिकित्सा पर भी दिया विशेष ध्यान
AIIMS गोरखपुर के कार्यक्रम से पहले राष्ट्रपति मुर्मु ने बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के 11वें दीक्षांत समारोह को भी संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने पशु चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान और इसके सामाजिक प्रभाव पर प्रकाश डाला।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की एक बड़ी आबादी आज भी पशुधन पर निर्भर है, और पशु चिकित्सा सेवाओं में सुधार से न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे पशु चिकित्सा को केवल एक पेशा न मानें, बल्कि इसे सेवा का माध्यम समझें।
उन्होंने कहा कि पशु जन्य रोगों की रोकथाम, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन और पशुओं के पोषण संबंधी जागरूकता फैलाना ग्रामीण विकास के लिए आवश्यक है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति और आगे की दिशा
राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 का भी उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य ‘सबके लिए स्वास्थ्य’ है। उन्होंने कहा कि देश भर में AIIMS और अन्य चिकित्सा संस्थानों की स्थापना इसी लक्ष्य की ओर बढ़ते कदम हैं।
उन्होंने कहा, “हमें ऐसी स्वास्थ्य प्रणाली चाहिए जो समावेशी हो, सुलभ हो और मानवता के मूल मूल्यों से प्रेरित हो। इसमें डॉक्टरों की भूमिका सबसे प्रमुख है। वे न केवल चिकित्सा सेवा प्रदान करते हैं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के वाहक भी होते हैं।”
युवा चिकित्सकों के लिए प्रेरणा का संदेश
दीक्षांत समारोह में सम्मिलित छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए राष्ट्रपति ने उन्हें चिकित्सा सेवा को केवल पेशा नहीं, बल्कि ‘जीवन का मिशन’ मानने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा, “आप आज जिन वस्त्रों और उपाधियों के साथ दीक्षांत समारोह में भाग ले रहे हैं, वे एक बड़ी जिम्मेदारी के प्रतीक हैं। आप जहां भी जाएं, समाज और देश की सेवा का संकल्प साथ लेकर जाएं।”
राष्ट्रपति ने अंत में कहा कि एक अच्छे डॉक्टर में ज्ञान, अनुशासन, संवेदना और सेवा भाव का समन्वय होता है। उन्होंने उपस्थित जनों से अपील की कि वे चिकित्सा सेवा को केवल शहरी केंद्रों तक सीमित न रखें, बल्कि उसे दूर-दराज़ के क्षेत्रों में भी लेकर जाएं।
निष्कर्ष: सेवा, संवेदना और समर्पण का संदेश
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का AIIMS गोरखपुर और IVRI बरेली में दिया गया संबोधन केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक दिशा-संकेत है—कि देश की चिकित्सा व्यवस्था केवल तकनीक पर आधारित न हो, बल्कि उसमें मानवता की संवेदना और सेवा भाव की भावना भी हो। उन्होंने आने वाले समय के लिए एक ऐसा रोडमैप प्रस्तुत किया जिसमें युवा डॉक्टर, चिकित्सा शिक्षक, नीति निर्माता और समाज सभी मिलकर एक स्वस्थ, सशक्त और संवेदनशील भारत के निर्माण में सहयोग करें।