
राजस्थान के भरतपुर जिले में शनिवार को हुए एक भीषण हादसे ने न केवल कई परिवारों को शोक में डुबो दिया, बल्कि सरकारी परियोजनाओं के दौरान सुरक्षा उपायों की अनदेखी को भी उजागर किया है। जिले के एक निर्माणाधीन चंबल परियोजना स्थल पर मिट्टी धंसने से चार लोगों की जान चली गई और आठ अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतकों में तीन की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। प्रशासन और पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए बचाव कार्य आरंभ किया और घायलों को तत्काल आरबीएम अस्पताल पहुंचाया।
1. दुर्घटना का पूरा घटनाक्रम
शनिवार की दोपहर लगभग 2:30 बजे भरतपुर जिले के रुंध बांध क्षेत्र में यह दुर्घटना घटी, जहां चंबल परियोजना के अंतर्गत पाइपलाइन डालने का कार्य जारी था। यह इलाका पिछले कई महीनों से खुदाई के कारण एक गहरे गड्ढे का रूप ले चुका था। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, बारिश से पहले खुदाई पूरी की गई थी लेकिन कंपनी द्वारा उसे समुचित रूप से भरने या घेरने की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
स्थानीय लोग, विशेष रूप से महिलाएं और बच्चे, अक्सर इस स्थल से चिकनी मिट्टी इकट्ठा करने आते थे जिसका उपयोग पारंपरिक निर्माण कार्यों जैसे दीवारों की पुताई में होता है। शनिवार को भी कुछ ग्रामीण यहां मिट्टी लेने पहुंचे थे, तभी अचानक गड्ढे की एक बड़ी परत ढह गई और 12 से अधिक लोग उसके नीचे दब गए।
स्थानीय लोगों की चीख-पुकार सुनकर आसपास के ग्रामीण भागे और तत्काल प्रशासन को सूचना दी गई। पुलिस व आपदा प्रबंधन दल मौके पर पहुंचे और जेसीबी मशीनों के माध्यम से राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया।
2. मृतकों और घायलों की पहचान
हादसे में मृतकों की पहचान इस प्रकार की गई है:
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लक्ष्मी देवी (42 वर्ष) – मौके पर ही मृत्यु
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रामसिंह (35 वर्ष) – मौके पर ही मृत्यु
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गंगादेवी (28 वर्ष) – मौके पर ही मृत्यु
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शिवराज (19 वर्ष) – अस्पताल में उपचार के दौरान मृत्यु
घायलों में अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। घायलों को भरतपुर के आरबीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्राथमिक उपचार के बाद कुछ को जयपुर रैफर किया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
3. प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया
हादसे की जानकारी मिलते ही भरतपुर के जिला कलेक्टर क़मर चौधरी स्वयं आरबीएम अस्पताल पहुंचे और घायलों से मिलकर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। उन्होंने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिया कि घायलों के उपचार में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं होनी चाहिए।
भरतपुर के एसपी मृदुल कच्छावा ने घटनास्थल का निरीक्षण कर बताया कि यह हादसा चंबल परियोजना के निर्माण स्थल पर हुआ है, जहां ठेका कंपनी ने सुरक्षा मानकों की अनदेखी की थी। मामले की जांच की जा रही है और संबंधित कंपनी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है।
4. चंबल परियोजना: उद्देश्य और निर्माण की स्थिति
राजस्थान में जल संकट को दूर करने के उद्देश्य से चंबल पेयजल परियोजना शुरू की गई थी। इस परियोजना के तहत चंबल नदी से पानी लाकर उसे भरतपुर, धौलपुर, करौली, और आसपास के इलाकों में आपूर्ति किया जाना है। इसके लिए बड़ी मात्रा में पाइपलाइन बिछाई जा रही है और भूमिगत जलाशयों का निर्माण हो रहा है।
यह परियोजना राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयास से चलाई जा रही है, लेकिन हाल के महीनों में इसकी निर्माण गुणवत्ता और कार्यान्वयन में कई खामियों की शिकायतें सामने आई हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार कंपनी ने निर्माण स्थल को खुला छोड़ रखा था और बारिश से पहले सुरक्षा उपायों की उपेक्षा की गई, जिससे यह जानलेवा हादसा हुआ।
5. स्थानीय ग्रामीणों का आक्रोश
घटना के बाद क्षेत्र में भारी आक्रोश व्याप्त है। स्थानीय ग्रामीणों ने ठेकेदार और प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ नारेबाजी की और पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिए जाने की मांग की। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते निर्माण स्थल को सुरक्षित किया गया होता, तो यह त्रासदी टाली जा सकती थी।
संतोष मीणा, एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “यह सिर्फ एक हादसा नहीं है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और संवेदनहीनता का परिणाम है। गरीब लोग मिट्टी लेने गए थे, किसी ने उन्हें चेतावनी तक नहीं दी।”
6. सरकारी प्रतिक्रिया और मुआवजा घोषणा
राज्य सरकार ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र यादव ने ट्वीट कर मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। साथ ही उन्होंने घोषणा की कि प्रत्येक मृतक के परिजन को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता दी जाएगी तथा घायलों का इलाज सरकार के खर्चे पर कराया जाएगा।
जलदाय मंत्री ने भी चंबल परियोजना के काम की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और संबंधित ठेकेदार के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के संकेत दिए हैं।
7. सुरक्षा मानकों की अनदेखी: एक बड़ी चूक
यह घटना एक बार फिर से सरकारी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में सुरक्षा मानकों की अनदेखी को उजागर करती है। किसी भी निर्माण स्थल पर कार्य शुरू करने से पूर्व और अस्थायी विराम के समय उचित बैरिकेडिंग, चेतावनी बोर्ड, और सुरक्षा निर्देश अनिवार्य होते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, इतने गहरे गड्ढे को खुला छोड़ना और स्थानीय जनता की आवाजाही की अनदेखी करना सीधे तौर पर कंपनी की लापरवाही को दर्शाता है। यदि प्रशासन ने समय रहते निरीक्षण किया होता, तो शायद यह जानें बचाई जा सकती थीं।
8. पीड़ित परिवारों की व्यथा
मृतकों और घायलों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। गंगादेवी की छोटी बेटी पिंकी (8 वर्ष) अस्पताल के बाहर अपनी मां का इंतजार करते हुए कहती रही, “मम्मी मिट्टी लेने गई थीं…अब नहीं आईं।” ऐसी अनेक दिल को छू लेने वाली कहानियां इस त्रासदी के साथ जुड़ी हुई हैं।
शिवराज, जो कि कॉलेज का छात्र था, अपने परिवार की मदद के लिए मिट्टी लाने गया था। उसके पिता ने रोते हुए कहा, “हमने उसे पढ़ाने के सपने देखे थे, पर वह मिट्टी के नीचे दबकर चला गया।”
9. पूर्व में हुई ऐसी घटनाएं
यह पहला मामला नहीं है जब निर्माण कार्य की लापरवाही से जानें गई हों। पूर्व में भी राजस्थान में जल परियोजनाओं और खनन स्थलों पर इस प्रकार की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। 2022 में कोटा जिले में एक निर्माण स्थल पर दीवार गिरने से 5 मजदूरों की मौत हुई थी। ऐसे हादसों में दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी रोकी जा सके।
10. आगे की राह: सुरक्षा उपाय और सुधार
इस घटना के बाद यह आवश्यक हो गया है कि राज्य सरकार निर्माण स्थलों पर सुरक्षा मानकों की सख्त निगरानी करे। प्रत्येक निर्माण स्थल पर निम्नलिखित उपाय अनिवार्य किए जाएं:
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मजबूत बैरिकेडिंग और चेतावनी बोर्ड
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बारिश से पूर्व सभी अस्थायी गड्ढों की भराई
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स्थानीय ग्रामीणों को जानकारी और प्रशिक्षण
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निर्माण कंपनियों की नियमित ऑडिट और निरीक्षण
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बचाव कार्य के लिए त्वरित आपदा दल की तैनाती
11. निष्कर्ष: सबक और सुधार की आवश्यकता
भरतपुर की यह दर्दनाक घटना न केवल चार निर्दोष जानों की क्षति है, बल्कि एक चेतावनी है कि विकास कार्यों में सुरक्षा को अनदेखा करना कितना घातक हो सकता है। अब समय आ गया है कि नीतियों और कार्यान्वयन में सुधार हो। प्रशासन, ठेकेदार और नीति-निर्माताओं को मिलकर ऐसी त्रासदियों को रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
सरकार को चाहिए कि पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाए, दोषियों को सजा दिलाए, और ऐसी घटनाओं से सबक लेकर भविष्य को सुरक्षित बनाए।