गोरखपुर — उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में स्थित प्राथमिक विद्यालय महराजी, तहसील सदर, जनपद गोरखपुर, ने समाज में शिक्षा और सामाजिक चेतना का ऐसा दीप जलाया है जिसकी रोशनी अब दूर-दराज़ के गाँवों तक फैल रही है। स्कूल के प्रधानाचार्य, समर्पित शिक्षकगण और कक्षा पाँच तक के छात्रों ने मिलकर एक ऐसा अभियान शुरू किया जो समाज के सबसे उपेक्षित और वंचित तबके को मुख्यधारा में लाने का काम कर रहा है।
यह पहल न केवल विद्यालय की सीमाओं से बाहर निकली, बल्कि गाँव के गली-कूचों और चौपालों तक पहुंची। इन प्रयासों ने दिखा दिया कि अगर संकल्प हो और सोच में परिवर्तन की चाह हो, तो शिक्षा सिर्फ एक अधिकार नहीं बल्कि बदलाव का सबसे बड़ा औजार बन जाती है।
शिक्षा की अलख—गाँव से गाँव तक
प्रधानाचार्य श्री संजय कुमार के नेतृत्व में विद्यालय ने “शिक्षा जागरूकता सप्ताह” मनाया, जिसके अंतर्गत शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर एक व्यापक जनजागरण अभियान चलाया। यह अभियान उन ग्रामीण इलाकों में केंद्रित था जहाँ अब भी शिक्षा को लेकर अज्ञानता, आर्थिक बाधाएं और सामाजिक कुरीतियाँ हावी हैं। गाँव के मजरे, बस्तियाँ, और खेतों में जाकर टीम ने लोगों से संवाद किया, उन्हें शिक्षा के अधिकार, शिक्षा का महत्व और सरकारी योजनाओं जैसे ‘समग्र शिक्षा अभियान’, ‘मिड डे मील योजना’, ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ तथा ‘कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना’ की जानकारी दी।
छात्रों की भूमिका—शिक्षा के सच्चे दूत
इस पूरे अभियान में विद्यालय के छात्र-छात्राओं की भूमिका अत्यंत प्रेरणादायक रही। कक्षा पाँच तक के इन नन्हें बच्चों ने पोस्टर, नारे, नाट्य प्रस्तुति और गीतों के माध्यम से लोगों को शिक्षा के महत्व से अवगत कराया। “पढ़ेंगे बच्चे, बढ़ेगा देश”, “शिक्षा है सबसे बड़ा उपहार” जैसे नारों की गूंज ने ग्रामीणों के मन में नए विचारों का संचार किया। बच्चों के सरल और सहज शब्दों में कही गई बातें गाँव के लोगों को इतनी सशक्त रूप में प्रभावित कर गईं कि कई परिवारों ने तुरंत अपने बच्चों के नामांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी।
सरकारी योजनाओं की समझ और पहुँच
विद्यालय द्वारा चलाए गए इस जागरूकता अभियान का एक और महत्वपूर्ण पक्ष रहा—सरकारी योजनाओं की जानकारी और उनका सरल भाषा में प्रचार-प्रसार। बहुत से ग्रामीण ऐसे थे जो यह तक नहीं जानते थे कि शिक्षा आज बच्चों के लिए एक कानूनी अधिकार है और सरकार उनके लिए मुफ्त पुस्तकों, वर्दियों और भोजन की व्यवस्था करती है। विद्यालय के शिक्षकों ने उनके सवालों के उत्तर दिए, फार्म भरने में मदद की और उन्हें नजदीकी विद्यालयों या शिक्षा केंद्रों तक पहुँचने के लिए प्रेरित किया।
ग्रामीणों के लिए एक छोटी सी काउंसलिंग वर्कशॉप भी आयोजित की गई जहाँ विशेष रूप से माता-पिता को संबोधित करते हुए बालिका शिक्षा पर ज़ोर दिया गया। “बेटी को पढ़ाओ, बराबरी का हक दिलाओ” जैसे संदेशों ने सामाजिक सोच को झकझोरा।
असर और बदलाव—शिक्षा से बदलती ज़िंदगी
अभियान के एक सप्ताह के भीतर ही उसके परिणाम दिखने लगे। गाँव की राधा नामक महिला, जिनकी तीन बेटियाँ अब तक स्कूल नहीं जा रही थीं, उन्होंने खुद विद्यालय आकर उनके नामांकन के लिए आवेदन किया। एक अन्य ग्रामीण सुरेश यादव, जो पहले मानते थे कि पढ़ाई केवल अमीरों के लिए है, अब अपने बेटे को स्कूल भेजने लगे हैं और खुद भी साक्षरता केंद्र में नाम लिखवाने की इच्छा जताई है।
प्रधानाचार्य श्री संजय कुमार का कहना है, “हमारा उद्देश्य केवल पढ़ाना नहीं है, बल्कि समाज में शिक्षा की लौ जलाना है। जब तक हर घर में शिक्षा की ज्योति नहीं पहुँचेगी, तब तक समग्र विकास असंभव है।”
यह अभियान उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद की सदर तहसील में स्थित प्राथमिक विद्यालय महराजी द्वारा संचालित किया गया। यह विद्यालय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में स्थित है और कक्षा 1 से 5 तक की प्राथमिक शिक्षा प्रदान करता है। विद्यालय की भौगोलिक स्थिति ग्रामीण परिवेश में है, जहाँ अब भी अनेक घरों में शिक्षा को लेकर जागरूकता की कमी देखी जाती है।
विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक के छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। इन छोटे बच्चों ने भी इस अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाई और समाज में शिक्षा का संदेश पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह अभियान 1 जुलाई से 7 जुलाई 2025 तक सात दिवसीय रूप में आयोजित किया गया। सप्ताह भर के इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रतिदिन विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनका उद्देश्य ग्रामीण समुदाय के बीच शिक्षा की आवश्यकता और सरकारी योजनाओं की जानकारी को जन-जन तक पहुँचाना था।
समाज के उन तबकों तक शिक्षा के महत्व को पहुँचाना जो अब भी इससे वंचित हैं।
शैक्षिक असमानता को कम करना और हर बच्चे को स्कूल तक लाने के लिए प्रोत्साहित करना।
सरकारी योजनाओं जैसे कि मिड डे मील, मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, छात्रवृत्ति, बालिका शिक्षा योजनाएं आदि की जानकारी देना।
ग्रामीण समाज में लिंग भेद, बाल श्रम और शैक्षिक उपेक्षा जैसी समस्याओं पर संवाद स्थापित करना।
अभियान का असर बेहद सकारात्मक रहा। ग्रामीण समाज ने इस प्रयास को खुले मन से स्वीकार किया।
कुल 150 से अधिक ग्रामीणों ने जागरूकता अभियान में भाग लिया और शिक्षकों व छात्रों से संवाद किया।
अभियान के प्रभाव से x नए बच्चों का विद्यालय में नामांकन हुआ, जिनमें x बालिकाएं भी शामिल हैं।
कई माता-पिता ने पहली बार जाना कि शिक्षा अब न केवल ज़रूरी है बल्कि उसके लिए सरकार द्वारा कई सुविधाएँ मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती हैं।
कुछ परिवारों ने विद्यालय आकर जानकारी ली और अपने बच्चों के लिए भविष्य की पढ़ाई की योजना बनाई।
अभियान के दौरान विभिन्न प्रकार की रचनात्मक और संवादात्मक गतिविधियाँ की गईं:
पोस्टर रैली: छात्रों ने गाँव की गलियों में शिक्षात्मक नारों वाले पोस्टर लेकर रैली निकाली।
नुक्कड़ नाटक: ‘शिक्षा है जीवन का प्रकाश’ विषय पर नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया, जिससे ग्रामीणों को एक प्रभावी संदेश मिला।
व्यक्तिगत काउंसलिंग: शिक्षकों ने गाँव के प्रमुख परिवारों से संवाद कर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित किया।
फॉर्म भरने में सहयोग: उन अभिभावकों की मदद की गई जिन्हें नामांकन या शासकीय योजनाओं के आवेदन में कठिनाई हो रही थी।
इस प्रेरक अभियान का नेतृत्व विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री संजय कुमार ने किया।
उनके साथ शिक्षिका श्रीमती सीमा यादव, शिक्षक श्री रमेश तिवारी, श्रीमती गायत्री देवी और अन्य स्टाफ सदस्य भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे। सभी ने मिलकर विद्यालय को कक्षा से बाहर निकालकर समाज तक पहुँचाया।
इस अभियान को बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) कार्यालय, गोरखपुर द्वारा अनुमोदन एवं प्रेरणा प्राप्त थी। बीएसए कार्यालय ने अभियान की रूपरेखा को सराहा और अन्य विद्यालयों को भी इससे प्रेरणा लेने की सलाह दी।