
09.07.2025 | Mission Sindoor |
उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य, अब देश के सबसे बड़े हरित अभियानों में से एक का नेतृत्व कर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य ने न केवल वृक्षारोपण को प्राथमिकता दी है, बल्कि इसे एक जनआंदोलन और भावनात्मक अभियान में भी बदल दिया है। वर्ष 2017 से प्रारंभ होकर अब तक राज्य ने 204 करोड़ पौधे लगाए हैं, जिनमें से 75% से अधिक जीवित हैं। वर्ष 2025 के लिए 52 करोड़ पौधों का लक्ष्य रखा गया है। यह लेख इस महाअभियान के विभिन्न पहलुओं, उपलब्धियों, रणनीतियों और इसके गहरे सामाजिक व पर्यावरणीय प्रभावों की विस्तृत विवेचना करता है।
हरित शुरुआत – योगी सरकार की परिकल्पना
प्रेरणा और नींव
योगी आदित्यनाथ सरकार ने जब 2017 में सत्ता संभाली, तो पर्यावरण संरक्षण को विकास की मूलधारा से जोड़ने का संकल्प लिया। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और वन्य जीवन संकट जैसे मुद्दों के समाधान के लिए वृक्षारोपण को केंद्र में रखा गया।
प्रारंभिक वर्षों की चुनौतियाँ
शुरुआत में यह अभियान केवल सरकारी गतिविधि के रूप में देखा गया, लेकिन 2019 से इसे जनसामान्य के साथ जोड़ने की नीति अपनाई गई। परिणामस्वरूप, ग्राम पंचायतों, स्कूलों, स्वयंसेवी संस्थाओं और आम नागरिकों की भागीदारी बढ़ी।
204 करोड़ पौधों की उपलब्धि (2017-2024)
संख्या से आगे की कहानी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017 से 2024 के बीच राज्य में 204 करोड़ पौधे लगाए गए, जिनमें से 75% से अधिक पौधे जीवित हैं। इस उपलब्धि को थर्ड पार्टी ऑडिट द्वारा प्रमाणित किया गया है, जो पारदर्शिता और सत्यापन का संकेत है।
वन क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में वन क्षेत्र में 5 लाख एकड़ की वृद्धि हुई है। यह किसी भी राज्य द्वारा एक दशक में हासिल की गई सबसे बड़ी वृद्धि में से एक है।
वृक्षारोपण लक्ष्य – जनभागीदारी की नई परिभाषा
52 करोड़ पौधों का लक्ष्य
वर्ष 2025 के लिए मानसून सत्र में 52 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसका उद्देश्य मात्र संख्या नहीं, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग को इस अभियान से जोड़ना है।
“एक पेड़ मां के नाम” – भावनात्मक पहल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के रामपुर हलवारा गाँव से ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल की शुरुआत की, जिसमें हर नागरिक को अपनी मां या प्रियजन के नाम पर पौधा लगाने का आह्वान किया गया। इस पहल ने वृक्षारोपण को एक भावनात्मक और आध्यात्मिक अभियान में परिवर्तित कर दिया।
“ग्रीन ग्राम योजना” और “स्कूल ग्रीन कॉर्नर”
ग्रीन ग्राम योजना: हर गांव को आत्मनिर्भर और पर्यावरण-संवेदनशील बनाने की दिशा में कदम।
स्कूल ग्रीन कॉर्नर: छात्रों को प्रकृति से जोड़ने के लिए विद्यालयों में हरित क्षेत्र का विकास।
रणनीतिक भागीदारी और संस्थागत समर्थन
विभागीय समन्वय
वन विभाग, शिक्षा विभाग, पंचायत राज और नगर विकास विभाग ने मिलकर एक समग्र नीति तैयार की है।
प्रत्येक विभाग को वार्षिक वृक्षारोपण लक्ष्य सौंपे गए हैं।
सहयोगी संस्थाओं की भागीदारी
NGC, NSS, NCC और Scouts & Guides जैसे संगठनों ने न केवल पौधे लगाए, बल्कि उनके संरक्षण में भी भूमिका निभाई।
इनकी भागीदारी ने विशेषकर युवाओं को अभियान से जोड़ने में मदद की।
निजी क्षेत्र और CSR भागीदारी
अनेक निजी कंपनियों और संस्थानों ने अपने CSR फंड से इस अभियान को समर्थन दिया है।
औद्योगिक क्षेत्रों में ग्रीन बेल्ट निर्माण को अनिवार्य किया गया।
तकनीकी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
GIS आधारित निगरानी
GIS और रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग करके वृक्षारोपण की सटीक निगरानी की जा रही है।
इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि लगाए गए पौधे जीवित हैं और उचित विकास कर रहे हैं।
पौध प्रजातियों का चयन
स्थानीय और पर्यावरण के अनुकूल पौधों को प्राथमिकता दी जाती है।
अमलतास, पीपल, बरगद, शीशम, अर्जुन, सहजन जैसी प्रजातियाँ विशेष रूप से चुनी जाती हैं।
रोपण पश्चात संरक्षण प्रणाली
प्रत्येक पौधे को ट्रैक करने के लिए QR कोड आधारित प्रणाली।
निगरानी के लिए स्वयंसेवी समूहों का गठन।
पर्यावरणीय प्रभाव
कार्बन सिंक क्षमता में वृद्धि
वृक्षों की संख्या बढ़ने से राज्य की कार्बन सिंक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे उत्तर प्रदेश ने जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौती में योगदान देना शुरू कर दिया है।
6.2 तापमान और वर्षा चक्र में परिवर्तन
स्थानीय स्तर पर तापमान में गिरावट दर्ज की गई है और मानसून चक्र में स्थिरता देखी जा रही है, जो कृषि और जल संसाधनों के लिए लाभकारी है।
जैव विविधता का संरक्षण
वृक्षारोपण ने प्राकृतिक आवासों की पुनर्बहाली में मदद की है जिससे पक्षी, तितलियाँ, मधुमक्खियाँ और अन्य जीव-जंतु पुनः लौटे हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
भावनात्मक जुड़ाव
‘एक पेड़ मां के नाम’ और ‘हरियाली अमृत महोत्सव’ जैसी पहलों ने लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़कर वृक्षारोपण को एक सांस्कृतिक आंदोलन में परिवर्तित किया है।
ग्रामीण रोजगार और महिला सशक्तिकरण
नर्सरी प्रबंधन और पौध संरक्षण कार्यों में महिला समूहों की भागीदारी से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार बढ़ा है।
शिक्षा और जागरूकता
विद्यालयों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में नियमित वृक्षारोपण कार्यक्रम और पर्यावरण शिक्षा के माध्यम से भावी पीढ़ी को जागरूक किया जा रहा है।
अयोध्या – धर्म और हरियाली का संगम
धार्मिक स्थलों पर वृक्षारोपण
अयोध्या में राम जन्मभूमि, हनुमानगढ़ी और अन्य प्रमुख मंदिर परिसरों में वृक्षारोपण किया गया है। इससे पर्यावरणीय संतुलन के साथ आध्यात्मिक वातावरण को भी पोषित किया गया।
मुख्यमंत्री की पहल
मुख्यमंत्री ने स्वयं अयोध्या में पूजा-अर्चना के बाद वृक्षारोपण कर इस अभियान को धर्म और पर्यावरण के अद्भुत संयोजन का रूप दिया।
चुनौतियाँ और समाधान
भूमि की उपलब्धता
कुछ क्षेत्रों में उपयुक्त भूमि की कमी एक चुनौती रही है। समाधान के रूप में नदी किनारे, रेलवे ट्रैक, सड़कों और विद्यालय परिसरों को चिन्हित किया गया।
रख-रखाव की समस्याएँ
पौधों के संरक्षण के लिए सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा दिया गया है। साथ ही, ‘पौधा गोद लो’ योजना शुरू की गई है।
जल संकट और सिंचाई
वॉटर हार्वेस्टिंग और ड्रिप इरिगेशन तकनीकों का उपयोग बढ़ाया गया है ताकि पौधों को पर्याप्त जल मिल सके।
भविष्य की दिशा
10.1 2030 तक का रोडमैप
हर नागरिक द्वारा कम-से-कम पांच पौधे लगाना।
स्कूल, कॉलेज और संस्थाओं में ग्रीन ऑडिट अनिवार्य करना।
वृक्षारोपण को CSR की प्राथमिक गतिविधियों में शामिल करना।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव
उत्तर प्रदेश का वृक्षारोपण अभियान अब राष्ट्रीय मॉडल के रूप में उभर रहा है। इसके अनुभव और नीतियाँ अन्य राज्यों और देशों द्वारा अपनाई जा रही हैं।
मुख्यमंत्री का संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा:
“वृक्षारोपण केवल एक पर्यावरणीय क्रिया नहीं, बल्कि भावनात्मक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी भी है। यदि हर नागरिक एक पौधा अपनी मां या किसी प्रिय के नाम लगाए, तो हम धरती को हरा-भरा बना सकते हैं। यह न केवल प्रकृति की सेवा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ और सुरक्षित भविष्य देने की दिशा में एक मजबूत कदम है।”
Source : DD News