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मरनाथ जी यात्रा का शुभारंभ पहले दिन 5600 से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन सुरक्षा और सुविधाओं से यत्रियों में खुशी

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Admin Site|04.07.2025|Amarnath Yatra|J&K|NDRF|

J&K श्री अमरनाथ जी यात्रा का शुभारंभ 3 जुलाई 2024 को श्रद्धा और उत्साह के साथ हुआ। इस वर्ष की यात्रा एक बार फिर दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले से पहलगाम मार्ग और मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले से बालटाल मार्ग — दोनों प्रमुख मार्गों से एक साथ प्रारंभ हुई। पहले ही दिन यात्रा के शांतिपूर्ण और व्यवस्थित आरंभ ने प्रशासनिक तैयारियों और सुरक्षा प्रबंधों की सफलता को दर्शाया। हज़ारों की संख्या में देश-विदेश से आए श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए रवाना हुए। यात्रियों ने प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं, जैसे चिकित्सा सुविधा, सुरक्षा इंतजाम और ठहराव के केंद्रों की सराहना की है।

धार्मिक गुफा 
समुद्र तल से 12,756 फीट की ऊँचाई पर स्थित श्री अमरनाथ जी की पवित्र गुफा हिमालय की गोद में बसी हुई है। यह गुफा प्राकृतिक रूप से बनने वाले हिम शिवलिंग के लिए विश्व प्रसिद्ध है, जिसे भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। शिवभक्तों के लिए यह स्थल अत्यंत पवित्र माना जाता है और हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां आकर जीवन को धन्य मानते हैं। श्रद्धालुओं की यह आस्था गुफा की कठिन यात्रा को भी भावनात्मक और आध्यात्मिक तीर्थ बना देती है।

उत्साह और अनुशासन 
यात्रा के पहले दिन का उत्साह विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा। आकाशवाणी संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार, 3 जुलाई की सुबह पहलगाम मार्ग से 3000 से अधिक श्रद्धालुओं को चंदनवारी की ओर प्रस्थान की अनुमति दी गई। इसी तरह, बालटाल स्थित गांदरबल बेस कैंप से 7700 से अधिक यात्री पवित्र गुफा की ओर रवाना हुए। अधिकारियों के मुताबिक, दोपहर तक करीब 5600 श्रद्धालु गुफा तक पहुँच चुके थे और भगवान शिव के पवित्र हिमलिंग के दर्शन किए।

जम्मू से जत्थों की रवाना होने की व्यवस्था
इसी दिन सुबह जम्मू के भगवती नगर स्थित आधार शिविर से कुल 291 वाहनों में सवार होकर 6000 से अधिक श्रद्धालुओं के नए जत्थे को रवाना किया गया। इन जत्थों में पुरुष, महिलाएं, बच्चे, साधु-संत सभी शामिल थे। यह जत्था शाम तक पहलगाम और बालटाल स्थित अपने-अपने बेस कैंप में पहुंच जाएगा। यात्रा मार्ग पर सुरक्षा, चिकित्सा, स्वच्छता, जल आपूर्ति, विश्राम स्थलों जैसी सुविधाएं प्रशासन द्वारा सुनिश्चित की गई हैं, जिससे श्रद्धालुओं की यात्रा आरामदायक और सुरक्षित बनी रहे।

सुरक्षा व्यवस्था

श्री अमरनाथ यात्रा में सुरक्षा की दृष्टि से कोई कोताही नहीं बरती जा रही है। सेना, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य एजेंसियों की संयुक्त तैनाती की गई है। पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों पर कई सुरक्षा चौकियाँ स्थापित की गई हैं, जहाँ हर यात्री की जांच की जा रही है।

पहरों की परतें: हर 2 किलोमीटर पर QRT (Quick Response Teams) की तैनाती की गई है, जो किसी भी आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई कर सकती हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में बुलेटप्रूफ वाहन, नाइट विज़न उपकरणों से लैस सुरक्षाकर्मी मुस्तैदी से तैनात हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी आर.आर. स्वैनी ने कहा:
“यात्रियों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमने स्थानीय समुदाय के साथ संवाद भी स्थापित किया है ताकि सहयोगात्मक वातावरण सुनिश्चित हो सके।”

आकाशीय निगरानी

इस वर्ष सुरक्षा व्यवस्था को तकनीक से और अधिक मज़बूत किया गया है। यात्रा मार्गों पर पहली बार बड़े स्तर पर ड्रोन और हाई-रिज़ॉल्यूशन सीसीटीवी कैमरों का प्रयोग किया जा रहा है। ड्रोन लगातार पहाड़ी क्षेत्रों में गश्त कर रहे हैं और संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रख रहे हैं।
70 से अधिक निगरानी कैमरे बालटाल और पहलगाम मार्ग पर स्थापित किए गए हैं। रियल-टाइम वीडियो फीड्स कमांड सेंटर्स को भेजे जा रहे हैं, जहाँ से त्वरित निर्णय लिए जा रहे हैं। सेना के एक अधिकारी ने बताया:
“ड्रोन तकनीक ने हमें ऊंचाई वाले इलाकों में सुरक्षा सुनिश्चित करने में अभूतपूर्व मदद दी है।”

कठिन यात्रा में जीवन की सुरक्षा

श्री अमरनाथ यात्रा उच्च ऊंचाई, कम तापमान और ऑक्सीजन की कमी वाले क्षेत्रों से होकर गुजरती है, जिससे यात्रियों को स्वास्थ्य संबंधी कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए चिकित्सा सुविधा को विशेष महत्व दिया गया है।

हर 5 किमी पर चिकित्सा शिविर: इन शिविरों में प्रशिक्षित डॉक्टर, नर्स, प्राथमिक उपचार, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाइयाँ, स्ट्रेचर, एम्बुलेंस और एयरलिफ्ट सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

विशेष ध्यान योग्य मरीज: हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी और अस्थमा से पीड़ित यात्रियों को रजिस्ट्रेशन के समय ही विशेष निर्देश दिए जा रहे हैं।

120 प्राथमिक चिकित्सा केंद्र: स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस वर्ष कुल 120 चिकित्सा केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें से 18 स्थायी हैं और शेष अस्थायी लेकिन पूर्ण रूप से सुसज्जित हैं।

अब पहाड़ों में भी संपर्क संभव

पहाड़ी क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या यात्रा की सबसे बड़ी चुनौती रही है। लेकिन इस वर्ष संचार सुविधा को भी सशक्त बनाया गया है:

BSNL और Jio के मोबाइल टॉवर: यात्रा मार्ग पर अस्थायी मोबाइल टावर लगाए गए हैं जिससे नेटवर्क की उपलब्धता बढ़ी है।

Wi-Fi हॉटस्पॉट और सैटेलाइट फोन: सुरक्षा बलों और राहत दलों के लिए विशेष संचार साधन भी मुहैया कराए गए हैं।

आपात संचार रेडियो: हर सुरक्षा और चिकित्सा शिविर में संचार रेडियो सिस्टम लगाया गया है।
श्रद्धालु अब अपने परिवार से निरंतर संपर्क में रह सकते हैं। एक यात्री ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा:
पहले एक संदेश भेजना भी मुश्किल था, अब हम अपने परिवार को लाइव लोकेशन और तस्वीरें भेज पा रहे हैं।

स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण

धार्मिक यात्रा में शुद्धता और स्वच्छता का विशेष स्थान होता है। इस वर्ष प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं ने मिलकर सफाई व्यवस्था को सर्वप्रथम प्राथमिकता दी है।

शौचालय और कचरा निपटान प्रणाली: हर विश्राम बिंदु पर स्वच्छ शौचालय, पीने का पानी और कचरा प्रबंधन की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका: NDRF, NGOs और अन्य स्वैच्छिक संगठन यात्रियों को जागरूक करने के साथ-साथ सफाई अभियान भी चला रहे हैं।

बायोडिग्रेडेबल कचरे का पृथक प्रबंधन: पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालने के उद्देश्य से कचरे के अलग-अलग वर्गीकरण और निपटान की व्यवस्था की गई है।
एक स्वयंसेवक ने बताया:
“हम सुबह 5 बजे से सफाई अभियान शुरू करते हैं ताकि यात्रियों को एक स्वच्छ और पवित्र वातावरण मिल सके।”

सेवा केंद्र 

यात्रा मार्ग पर यात्रियों की सुविधा के लिए सेवा और सहायता केंद्र स्थापित किए गए हैं:

लंगर सेवा: हर कुछ किलोमीटर पर लंगर केंद्रों की स्थापना की गई है, जहाँ यात्रियों को निःशुल्क शुद्ध, पौष्टिक और गर्म भोजन प्रदान किया जा रहा है।

विश्राम गृह और टेंट सुविधा: ठंड से बचाव और विश्राम हेतु तंबू और विश्राम गृह बनाए गए हैं।

यात्री सूचना केंद्र: यात्रियों को मार्गदर्शन देने और जानकारी देने के लिए विशेष सूचना केंद्र बनाए गए हैं।

आपदा प्रबंधन: हेलीकॉप्टर और रेस्क्यू टीमें हर समय तैयार हैं ताकि आपात स्थिति में तत्काल सहायता दी जा सके।

इस वर्ष लगभग 1200 से अधिक स्वयंसेवक यात्रियों की सेवा में दिन-रात लगे हुए हैं। उनकी सेवा भावना ने यात्रा को और अधिक आत्मीय और सहज बना दिया है।

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