भारत और भूटान के बीच वर्षों से चले आ रहे मैत्रीपूर्ण संबंधों और विकासात्मक साझेदारी को आज एक नई दिशा तब मिली जब दोनों देशों के बीच नई दिल्ली में “भारत-भूटान विकास सहयोग वार्ता” (India-Bhutan Development Cooperation Talks) का आयोजन किया गया। इस अवसर पर दोनों पक्षों ने पूर्व में स्वीकृत परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की और कुछ “परियोजना-संबद्ध सहायता” (Project Tied Assistance – PTA) परियोजनाओं के लिए उपयुक्त संशोधनों पर सहमति जताई।
यह बैठक भारत-भूटान द्विपक्षीय सहयोग की निरंतरता को प्रतिबिंबित करती है, जहां विकास केवल रणनीतिक हितों तक सीमित नहीं है, बल्कि जन-हित, सांस्कृतिक साझेदारी और क्षेत्रीय स्थिरता के मूल्यों से भी प्रेरित है।
बैठक का नेतृत्व: वरिष्ठ कूटनीतिज्ञों की मौजूदगी
बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) श्री तन्मय लाल ने किया, जबकि भूटान की ओर से विदेश सचिव औम पेमा छोडेन (Aum Pema Choden) ने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इस उच्च स्तरीय वार्ता में दोनों पक्षों ने वर्तमान परियोजनाओं की स्थिति, भविष्य की योजनाएं और सहयोग के विविध आयामों पर गहन विचार-विमर्श किया।
PTA परियोजनाएं: सहायक बुनियादी ढांचे का निर्माण
भारत सरकार की ओर से भूटान को दिए गए “Project Tied Assistance” (PTA) के अंतर्गत अब तक कुल 61 परियोजनाएं, जिनकी लागत लगभग 4958 करोड़ रुपये है, विभिन्न चरणों में कार्यान्वित की जा रही हैं। इसके अतिरिक्त, 283 हाई इम्पैक्ट सामुदायिक विकास परियोजनाएं (High Impact Community Development Projects – HICDP) भी क्रियान्वयन की प्रक्रिया में हैं, जिनकी कुल अनुमानित लागत 417 करोड़ रुपये है।
इन परियोजनाओं में सड़क निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, शिक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे, पेयजल व्यवस्था, ग्रामीण विद्युतीकरण, डिजिटल कनेक्टिविटी और जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु सहायता शामिल है।
परियोजना आवंटनों में संशोधन: बदलती जरूरतों को ध्यान में रखकर निर्णय
दोनों देशों ने यह स्वीकार किया कि परियोजनाएं स्थैतिक नहीं होतीं, और समय के साथ उनकी जरूरतों और प्राथमिकताओं में बदलाव आ सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए कुछ PTA परियोजनाओं के लिए बजटीय संशोधन (Revisions in Allocations) पर सहमति जताई गई।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी वक्तव्य के अनुसार, “दोनों पक्षों ने कुछ PTA परियोजनाओं के लिए उचित संशोधन करने पर सहमति जताई है, ताकि बदलती प्राथमिकताओं और क्षेत्रीय आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सके।”
आर्थिक सहायता और कार्यक्रम अनुदान: भारत का उदार योगदान
बैठक में यह भी बताया गया कि भारत सरकार ने भूटान को आर्थिक सहयोग के तहत अब तक 750 करोड़ रुपये की राशि “आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रम” (Economic Stimulus Programme) के अंतर्गत जारी की है, साथ ही 100 करोड़ रुपये “कार्यक्रम अनुदान” (Programme Grant) के रूप में भी प्रदान किए गए हैं।
इस राशि का उपयोग मुख्य रूप से रोजगार सृजन, छोटे और मझोले उद्योगों के विकास, कृषि, युवाओं के कौशल प्रशिक्षण, और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में किया गया है। भूटानी प्रतिनिधिमंडल ने इस राशि की उपयोगिता और पारदर्शिता को लेकर भारत का आभार व्यक्त किया और इसके सकारात्मक प्रभावों को साझा किया।
13वीं पंचवर्षीय योजना में सहयोग: दूसरी किश्त के प्रस्ताव प्रस्तुत
भूटान सरकार ने भारत को 13वीं पंचवर्षीय योजना (13th Five Year Plan) की दूसरी किश्त के अंतर्गत प्रस्तावित PTA परियोजनाओं की सूची भी सौंपी। इन प्रस्तावों में खासतौर पर जलवायु परिवर्तन, टिकाऊ कृषि, स्मार्ट शिक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा, और सीमा क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित परियोजनाएं शामिल हैं।
औम पेमा छोडेन ने कहा, “भूटान की विकास प्राथमिकताओं में भारत का सहयोग अब भी केंद्रीय भूमिका निभाता है। हमारी नई पंचवर्षीय योजना में भारत की सहभागिता से हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और हमारी आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त होगा।”
भारत का आश्वासन: साझा दृष्टिकोण पर आधारित सहयोग जारी रहेगा
वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने स्पष्ट किया कि भारत, भूटान के साथ उसके विकास एजेंडे में मिलकर कार्य करता रहेगा। सचिव तन्मय लाल ने कहा, “भारत और भूटान के बीच संबंध केवल राजनयिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक गहराई से जुड़े हुए हैं। हम दोनों देशों के नेतृत्व — भूटान के महामहिम राजा और भारत के प्रधानमंत्री — के साझा दृष्टिकोण के अनुरूप आगे भी मिलकर काम करते रहेंगे।”
उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत की सहायता हमेशा भूटान की जनता और सरकार की प्राथमिकताओं पर आधारित रहेगी।
भूटान: भारत की ‘Neighbourhood First’ नीति में केंद्रीय स्थान
भारत की विदेश नीति में ‘पड़ोसी प्रथम’ (Neighbourhood First) का सिद्धांत एक प्रमुख स्थान रखता है, और भूटान इस नीति का सबसे स्पष्ट उदाहरण है। भूटान न केवल एक रणनीतिक साझेदार है, बल्कि वह भारत का ऐसा पड़ोसी है जिससे भारत के संबंध ‘विश्वास’ और ‘साझा विकास’ पर आधारित हैं।
भारत न केवल सहायता प्रदान करता है, बल्कि भूटान को एक आत्मनिर्भर, पर्यावरण-संवेदनशील और तकनीकी रूप से सक्षम राष्ट्र बनाने की दिशा में भी सहयोग करता है।
भूटान की आर्थिक दिशा: भारत की भूमिका
भूटान की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से जलविद्युत, कृषि, पर्यटन और सेवा क्षेत्र पर आधारित है। भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और भूटान द्वारा उत्पादित जलविद्युत का सबसे बड़ा खरीदार भी। भारत की सहायता से भूटान में बनाए गए जलविद्युत प्रोजेक्ट न केवल भूटान को ऊर्जा में आत्मनिर्भर बना रहे हैं, बल्कि उन्हें निर्यात के ज़रिये राजस्व भी उपलब्ध करा रहे हैं।
भारत की सहायता से भूटान में डिजिटल बुनियादी ढांचे, ई-गवर्नेंस, स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
रणनीतिक महत्व और क्षेत्रीय स्थिरता
भूटान की भौगोलिक स्थिति भारत की उत्तर-पूर्वी सीमाओं के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील है। इसलिए भारत और भूटान के बीच सामरिक समन्वय न केवल द्विपक्षीय हित का विषय है, बल्कि यह क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भारत, भूटान की सुरक्षा नीति का सम्मान करता है और वहां किसी भी तीसरे देश के दखल को रोकने के लिए लगातार समर्थन करता है। पिछले कुछ वर्षों में चीन की भूटान सीमा पर गतिविधियों को देखते हुए भारत-भूटान की रणनीतिक साझेदारी और भी प्रासंगिक हो गई है।
नागरिक संवाद और जन-स्तरीय सहयोग
भारत और भूटान के बीच केवल सरकार-स्तर की बातचीत नहीं होती, बल्कि दोनों देशों के लोगों के बीच गहरे सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध भी हैं। दोनों देशों के छात्र, कलाकार, धर्मगुरु, और व्यवसायी लगातार संवाद में रहते हैं।
भारत में पढ़ने वाले भूटानी छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है और भूटानी नागरिकों के लिए भारत एक विश्वसनीय चिकित्सा और व्यापारिक गंतव्य बन चुका है।
निष्कर्ष: विकास की साझा यात्रा का अगला अध्याय
नई दिल्ली में आयोजित भारत-भूटान विकास सहयोग वार्ता ने यह एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि भारत और भूटान के संबंध “मददगार-प्रदाता” और “सहायता-प्राप्तकर्ता” के पुराने फ्रेमवर्क से कहीं अधिक गहरे और समकालीन हैं। यह साझेदारी आपसी विश्वास, पारदर्शिता और साझा विकास के मूल्यों पर आधारित है।
भविष्य में जैसे-जैसे भूटान डिजिटल परिवर्तन, हरित ऊर्जा और सामाजिक समावेशन की दिशा में आगे बढ़ेगा, भारत उसके साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगा। इस वार्ता के माध्यम से दोनों देशों ने न केवल योजनाओं की समीक्षा की, बल्कि विकास की इस साझा यात्रा को और अधिक प्रभावी, समावेशी और यथार्थवादी बनाने का संकल्प भी लिया।