
भारत की केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन की 30 जून से 5 जुलाई तक स्पेन, पुर्तगाल और ब्राजील की आधिकारिक यात्रा न केवल बहुपक्षीय मंचों पर भारत की भूमिका को सशक्त रूप में प्रस्तुत करने का एक ऐतिहासिक अवसर रही, बल्कि इसने भारत की आर्थिक कूटनीति को भी एक नई दिशा प्रदान की। यह यात्रा ऐसे समय पर हुई है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था जलवायु परिवर्तन, आर्थिक असमानता और वित्तीय समावेशन जैसी चुनौतियों से जूझ रही है, और भारत उभरते विश्व नेतृत्वकर्ता के रूप में एक स्पष्ट नीति और मजबूत मॉडल के साथ आगे बढ़ रहा है।
स्पेन: सेविले में विकास वित्त पर वैश्विक संवाद का नेतृत्व
संयुक्त राष्ट्र का चौथा विकास वित्त सम्मेलन (FFD4)
श्रीमती सीतारामन ने सेविले, स्पेन में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के चौथे अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त सम्मेलन (FFD4) में भारत का नेतृत्व करते हुए एक विचारशील और दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। सम्मेलन का विषय था: “एफएफडी4 के परिणाम से कार्यान्वयन तक: सतत विकास के लिए निजी पूंजी की क्षमता का दोहन।”
वित्त मंत्री ने अपने भाषण में विकासशील देशों की वास्तविक आवश्यकताओं पर बल देते हुए कहा:
“विकास केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, यह अवसरों का समावेश है। हमें एक ऐसी वैश्विक वित्तीय व्यवस्था की आवश्यकता है जो न्यायसंगत, समावेशी और टिकाऊ हो।”
प्रमुख बिंदु जो सीतारामन ने प्रस्तुत किए:
-
विकासशील देशों को सुलभ और न्यायसंगत वित्तीय संसाधनों तक पहुंच दी जानी चाहिए।
-
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रहे देशों के लिए पर्याप्त जलवायु वित्त उपलब्ध कराना वैश्विक जिम्मेदारी है।
-
निजी पूंजी को सतत विकास लक्ष्यों से जोड़ने के लिए एक स्पष्ट, भरोसेमंद और पारदर्शी वैश्विक ढांचा जरूरी है।
-
भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर – UPI, Aadhaar, DigiLocker – विकासशील देशों के लिए एक रोल मॉडल है जो वित्तीय समावेशन, पारदर्शिता और सेवा वितरण को गति देता है।
एफएफडी4 सम्मेलन के इतर द्विपक्षीय संवाद
वित्त मंत्री ने जर्मनी, न्यूजीलैंड, पेरू के वरिष्ठ मंत्रियों तथा यूरोपीय निवेश बैंक (EIB) के अध्यक्ष से मुलाकात कर ग्रीन इन्वेस्टमेंट, फिनटेक सहयोग और तकनीकी साझेदारी के विषयों पर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान उन्होंने भारत के “ग्रीन ग्रोथ” दृष्टिकोण को साझा किया और निजी निवेशकों को भारत के ग्रीन बांड मार्केट में भागीदारी के लिए आमंत्रित किया।
सेविले इंटरनेशनल ट्रेड लीडरशिप समिट
सेविले में आयोजित इस वैश्विक व्यापारिक सम्मेलन में सीतारामन ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने नीति स्थायित्व को निवेशकों के विश्वास और दीर्घकालिक विकास के लिए आवश्यक बताते हुए कहा कि भारत एक ऐसा वातावरण बना रहा है जहाँ निवेशकों को पारदर्शिता, स्थायित्व और विश्वसनीयता का आश्वासन मिलता है।
पुर्तगाल: लिस्बन में डिजिटल सहयोग और समुद्री रणनीति की दिशा में ठोस पहल
2 जुलाई को वित्त मंत्री पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन पहुँचीं। यहाँ उनकी मुलाकात पुर्तगाल के वित्त मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों से हुई। दोनों देशों ने डिजिटल अर्थव्यवस्था, ब्लू इकॉनॉमी और फिनटेक इनोवेशन के क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देने का संकल्प लिया।
प्रमुख चर्चा विषय:
-
डिजिटल भुगतान प्रणाली में सहयोग: भारत के डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम, खासकर UPI की सफलता को देखते हुए पुर्तगाल ने भारत के अनुभव से सीखने और अपने सिस्टम को अपग्रेड करने की इच्छा जताई।
-
समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग: ब्लू इकॉनॉमी को लेकर भारत और पुर्तगाल के दृष्टिकोण में समानता है। दोनों देशों ने साझा रणनीति और संयुक्त अनुसंधान की बात कही।
-
प्रवासी भारतीयों के योगदान पर संवाद: पुर्तगाल में रह रहे भारतीय समुदाय के आर्थिक योगदान और संभावनाओं पर भी चर्चा हुई।
निवेशक संवाद और नीतिगत प्रस्तुति
वित्त मंत्री ने लिस्बन में एक निवेशक गोलमेज बैठक को संबोधित किया जिसमें उन्होंने भारत में किए जा रहे संरचनात्मक सुधारों, आर्थिक स्थिरता और निवेश अनुकूल वातावरण की जानकारी दी। उन्होंने कहा:
“भारत न केवल एक बड़ा बाजार है, बल्कि वह अब एक नीति-आधारित, सुधारोन्मुख और डिजिटल रूप से सशक्त अर्थव्यवस्था बन चुका है।”
ब्राज़ील: BRICS और NDB मंचों पर भारत की निर्णायक भागीदारी
NDB (न्यू डेवलपमेंट बैंक) की 10वीं वार्षिक बैठक
3 जुलाई को श्रीमती सीतारामन ब्राज़ील के रियो डी जेनेरियो पहुँचीं जहाँ उन्होंने NDB की 10वीं वार्षिक बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस बैठक का विषय था – “विकासशील देशों के लिए एक प्रमुख बहुपक्षीय विकास बैंक का निर्माण।”
सीतारामन का मुख्य वक्तव्य:
“NDB को ऐसे मंच में विकसित होना चाहिए जो सदस्य देशों की स्थानीय प्राथमिकताओं का सम्मान करे, ऋण देने की शर्तों में न्याय और पारदर्शिता सुनिश्चित करे तथा नवाचार को प्रोत्साहित करे।”
उन्होंने भारत द्वारा उठाए गए वित्तीय समावेशन के कदमों की जानकारी दी और NDB से अपेक्षा की कि वह जलवायु परिवर्तन और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में सदस्य देशों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता दे।
BRICS FMCBG बैठक: डिजिटल समावेशन पर भारत का नेतृत्व
BRICS देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक में श्रीमती सीतारामन ने भारत की डिजिटल भुगतान प्रणाली (UPI) को BRICS के साझा भुगतान प्लेटफॉर्म के रूप में अपनाने का प्रस्ताव रखा।
भारत की प्राथमिकताएँ इस बैठक में रहीं:
-
डिजिटल वित्तीय समावेशन का प्रसार
-
मुद्रा स्थिरता को लेकर सहयोग
-
BRICS देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा
-
MSMEs को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में जोड़ने के उपाय
यह बैठक ब्रिक्स की पहली ऐसी पहल रही जिसमें वित्तीय समावेशन, ग्रीन फाइनेंस और फिनटेक सहयोग को संयुक्त एजेंडा के रूप में रखा गया।
द्विपक्षीय बैठकें और रणनीतिक सहयोग
ब्राजील प्रवास के दौरान, वित्त मंत्री ने चीन, रूस, ब्राज़ील और इंडोनेशिया के समकक्षों से भी मुलाकात की। इन बैठकों में जिन विषयों पर प्रमुखता से चर्चा हुई, वे थे:
-
ऊर्जा सुरक्षा और ट्रांजिशन फाइनेंस
-
ग्रीन हाइड्रोजन और सौर ऊर्जा निवेश
-
MSME विकास और तकनीकी सहयोग
-
वैश्विक वित्तीय तंत्र में सुधार और विकासशील देशों की भागीदारी सुनिश्चित करना
भारत की आर्थिक कूटनीति को मिला नया आयाम
निर्मला सीतारामन की इस यात्रा ने भारत की आर्थिक रणनीति, डिजिटल क्षमताओं और वैश्विक नेतृत्व की शक्ति को सिद्ध कर दिया है। कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ इस प्रकार रही:
-
भारत का डिजिटल मॉडल वैश्विक मान्यता प्राप्त कर रहा है, खासकर UPI और DigiLocker जैसे प्लेटफॉर्म, जिन्हें अब विकासशील देशों के लिए ब्लूप्रिंट माना जा रहा है।
-
ग्रीन फाइनेंस और क्लाइमेट फाइनेंस जैसे विषयों पर भारत की स्पष्ट नीति, निवेशकों और वैश्विक संगठनों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई है।
-
वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत की भूमिका और विकासशील देशों के लिए न्यायसंगत वित्तीय तंत्र की माँग को लेकर भारत ने एक मुखर रुख अपनाया।
-
द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी ने भारत की वैश्विक छवि को और मजबूत किया।
निष्कर्ष: भारत की वैश्विक नेतृत्व यात्रा का सशक्त अध्याय
श्रीमती निर्मला सीतारामन की स्पेन, पुर्तगाल और ब्राज़ील की यह यात्रा केवल एक आधिकारिक विदेश यात्रा नहीं थी, बल्कि यह भारत की वैश्विक आर्थिक सोच, तकनीकी नवाचार और कूटनीतिक सक्रियता का जीवंत उदाहरण रही। इसने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब सिर्फ एक उभरती अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि वैश्विक मंचों पर नेतृत्व देने वाला राष्ट्र बन चुका है।
ग्लोबल साउथ की आवाज, डिजिटल इनोवेशन का प्रतीक, और सतत विकास का पथप्रदर्शक बनते हुए, भारत ने एक बार फिर यह दिखाया है कि उसकी नीतियाँ, दृष्टिकोण और नेतृत्व वैश्विक चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करने की क्षमता रखते हैं।