आज भारत एक ऐसे मुकाम पर खड़ा है जहाँ उसे वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व के केंद्र के रूप में देखा जा रहा है। लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज दिल्ली में आयोजित इनोवेटिव फिजिशियंस फोरम की सातवीं वार्षिक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस ‘आईपीएफ मेडिकॉन 2025’ में भारत की चिकित्सा और औषधि क्षमताओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारत अब न केवल घरेलू ज़रूरतें पूरी कर रहा है बल्कि विश्व समुदाय की स्वास्थ्य आवश्यकताओं में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है।
दूसरा अनुच्छेद: स्वास्थ्य प्रणाली की मजबूती और विस्तार
ओम बिरला ने अपने संबोधन में कहा, “भारत ने जिस गति से स्वास्थ्य ढांचे का विस्तार किया है और उसे डिजिटल तकनीकों से जोड़ा है, वह पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। आज भारत की स्वास्थ्य प्रणाली गुणवत्ता, सुलभता और किफायती सेवाओं का समावेश है।” उन्होंने कहा कि भारत की दवा और टीका निर्माण क्षमताएं हमारी आत्मनिर्भरता और वैश्विक सहयोग का प्रतीक हैं।
तीसरा अनुच्छेद: कोविड-19 महामारी में निभाई गई अहम भूमिका
बिरला ने विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय चिकित्सा जगत द्वारा निभाई गई भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “सीमित संसाधनों के बावजूद हमारे डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और स्वास्थ्यकर्मियों ने अपने त्याग और सेवा से भारत को महामारी से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई। लाखों लोगों का जीवन बचाकर उन्होंने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को यह दिखा दिया कि एक मजबूत इच्छाशक्ति और सुनियोजित नीति से हर चुनौती का सामना किया जा सकता है।”
चौथा अनुच्छेद: नवाचार, अनुसंधान और तकनीक की ओर बढ़ता भारत
लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की प्रगति केवल भौतिक ढांचे तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, “हमारे डॉक्टर और वैज्ञानिक अत्याधुनिक तकनीकों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग, टेलीमेडिसिन और जैव-चिकित्सीय अनुसंधान के माध्यम से वैश्विक चिकित्सा परिदृश्य में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। यह नवाचार और अनुसंधान की वही संस्कृति है जो भारत को भविष्य के लिए तैयार कर रही है।”
पाँचवाँ अनुच्छेद: भारत की वैश्विक भूमिका और स्वास्थ्य कूटनीति
ओम बिरला ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत अब केवल एक सेवा प्रदाता नहीं, बल्कि नीति-निर्माता और समाधान प्रदाता की भूमिका में भी आ चुका है। “हमारे वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने विश्वसनीयता अर्जित की है। अब भारत संयुक्त राष्ट्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य वैश्विक संस्थाओं के साथ मिलकर वैश्विक स्वास्थ्य नीति को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है,” उन्होंने कहा।
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दिनांक: 5 जुलाई 2025
संस्करण: विशेष स्वास्थ्य रिपोर्ट
स्थान: नई दिल्ली
मुख्य शीर्षक:
स्वस्थ भारत की ओर: आयुष्मान योजनाओं से लेकर वैश्विक नेतृत्व तक, चिकित्सा में भारत की सशक्त यात्रा
संवाददाता: विशेष संवाददाता, स्वास्थ्य डेस्क
डैटलाइन: नई दिल्ली
मुख्य लेख
1. आयुष्मान भारत और जनस्वास्थ्य की क्रांति
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘आयुष्मान भारत’ ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव किया है। 2018 में शुरू हुई इस योजना ने अब तक करोड़ों गरीबों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी है। इसके दो प्रमुख घटक — हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना — ने ग्रामीण और शहरी गरीबों को सम्मानजनक स्वास्थ्य सेवाएं दिलाने में अहम भूमिका निभाई है।
2. स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्टार्टअप्स और निजी क्षेत्र की भूमिका
भारत में हेल्थटेक स्टार्टअप्स जैसे Practo, 1mg, PharmEasy ने इलाज, परामर्श और दवा वितरण को डिजिटली रूप दिया है। इनोवेशन, डेटा ऐनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से निजी क्षेत्र ने स्वास्थ्य प्रणाली को कुशल और सुलभ बनाया है।
3. ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य सेवाओं का डिजिटलीकरण और टेलीमेडिसिन का विस्तार
e-Sanjeevani जैसी योजनाओं के तहत टेलीमेडिसिन का तेजी से विस्तार हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अब विशेषज्ञ डॉक्टरों से ऑनलाइन परामर्श ले पा रहे हैं। यह पहल सस्ती, त्वरित और प्रभावी स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित कर रही है।
4. नारी स्वास्थ्य, पोषण और मातृ-शिशु देखभाल में सुधार
जननी सुरक्षा योजना, पोषण अभियान, और मातृत्व वंदना योजना जैसी योजनाओं ने महिला स्वास्थ्य में सुधार लाया है। संस्थागत प्रसव की संख्या में वृद्धि और किशोरी बालिकाओं में एनीमिया की रोकथाम जैसे प्रयास उल्लेखनीय हैं।
5. डिजिटल हेल्थ मिशन और हेल्थ आईडी कार्ड की उपयोगिता
राष्ट्रीय डिजिटल हेल्थ मिशन (NDHM) के अंतर्गत हर नागरिक को एक यूनिक हेल्थ आईडी दी जा रही है, जिससे उनका मेडिकल डेटा सुरक्षित और सुलभ रहेगा। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं को तेज़, पारदर्शी और समन्वित बना रहा है।
6. स्वदेशी वैक्सीन निर्माण में भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियां
कोविड-19 महामारी में भारत ने Covaxin और Covishield जैसे स्वदेशी टीकों का निर्माण कर न केवल आत्मनिर्भरता दिखाई, बल्कि दुनिया को भी मदद पहुंचाई। भारत ने 100 से अधिक देशों को वैक्सीन निर्यात की, जिससे वह “वैक्सीन गुरु” के रूप में उभरा।
7. वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग के लिए भारत की नई रणनीति
भारत अब G20, BRICS, WHO जैसे मंचों पर स्वास्थ्य नीति में निर्णायक भूमिका निभा रहा है। Global South के देशों को तकनीकी सहायता, दवा और वैक्सीन समर्थन देने में भारत अग्रणी है।
8. युवाओं में स्वास्थ्य जागरूकता अभियान और NCDs से मुकाबला
गैर-संचारी रोग (NCDs) जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर से मुकाबले के लिए स्कूली स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। फिट इंडिया मूवमेंट और ईट राइट इंडिया जैसे अभियानों ने युवाओं को जीवनशैली संबंधी बीमारियों से अवगत कराया है।
9. चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता और वैश्विक मानकों की पहल
NEET जैसी परीक्षा प्रणाली और NMC (National Medical Commission) का गठन मेडिकल शिक्षा को पारदर्शी और गुणवत्ता केंद्रित बना रहा है। नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से डॉक्टरों की उपलब्धता में वृद्धि हो रही है।
10. स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं का बजट, निष्पादन और पारदर्शिता
वित्त वर्ष 2024-25 में स्वास्थ्य बजट ₹97,000 करोड़ से अधिक रहा। योजनाओं की PFMS के जरिए निगरानी हो रही है, जिससे सरकारी व्यय की पारदर्शिता और प्रभावशीलता में सुधार हुआ है।
11. ‘वन हेल्थ’ की अवधारणा और भारत की तैयारियाँ
One Health का विचार पशु, मानव और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को एकीकृत दृष्टिकोण से देखता है। भारत अब क्षेत्रीय One Health Institute स्थापित कर रहा है ताकि ज़ूनोटिक रोगों पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सके।
12. रोगों की रोकथाम में स्वच्छता, जल संरक्षण और पर्यावरण की भूमिका
स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन और हर घर नल योजना ने संक्रामक रोगों की रोकथाम में अहम योगदान दिया है। बेहतर जल, स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन ने समग्र स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार किया है।
13. आयुष चिकित्सा पद्धतियों का पुनर्जागरण और वैश्वीकरण
आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी पद्धतियों को AYUSH मंत्रालय के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बढ़ावा मिला है। ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (WHO – Gujarat) इसकी मिसाल है।
14. स्वास्थ्य बीमा की पहुंच और प्रभावशीलता
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत ₹5 लाख तक का कैशलेस इलाज अब ग्रामीण और शहरी गरीबों की पहुंच में है। निजी अस्पतालों की भागीदारी और बीमा तकनीक के इस्तेमाल ने इसे और प्रभावी बनाया है।
15. भारत को मेडिकल टूरिज्म हब बनाने की नीति
Heal in India और Heal by India पहल के तहत भारत वैश्विक रोगियों के लिए सस्ता, प्रभावी और गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध करवा रहा है। आयुर्वेद, हृदय, कैंसर और ऑर्थो सर्जरी में भारत अग्रणी बन चुका है।
16. कोविड के बाद वैश्विक स्वास्थ्य नीति में भारत की आवाज
कोविड-19 के दौरान भारत ने न केवल घरेलू प्रबंधन में उत्कृष्टता दिखाई, बल्कि वैश्विक स्तर पर वैक्सीन, दवा और स्वास्थ्य कूटनीति के माध्यम से नेतृत्व किया। अब WHO की कार्यसमितियों में भारत की भागीदारी निर्णायक है।
17. नवाचारों को बढ़ावा देने वाली संस्थाएं: ICMR, DBT, CSIR का योगदान
ICMR ने कोविड परीक्षण, वैक्सीन ट्रायल और शोध में अग्रणी भूमिका निभाई। DBT ने जैव प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाया, जबकि CSIR ने दवा अनुसंधान से लेकर मेडिकल उपकरण निर्माण तक भारत को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दिया।
18. भविष्य की चुनौतियाँ: एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस, बायोसेफ्टी और इमर्जिंग डिजीजेस
भारत एंटीबायोटिक प्रतिरोध (AMR) और बायोथ्रेट्स की चुनौती से जूझ रहा है। राष्ट्रीय AMR नीति लागू है और BSL-3/4 लैब्स का विस्तार किया जा रहा है ताकि नए रोगों का प्रभावी रूप से सामना किया जा सके।
संविधान में स्वास्थ्य का अधिकार: क्या अब समय आ गया है?
हालांकि शिक्षा और आजीविका को मौलिक अधिकार माना गया है, पर स्वास्थ्य अब भी निदेशक सिद्धांतों में ही है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाए बिना समावेशी विकास संभव नहीं।
चिकित्सा के क्षेत्र में भारत का भविष्य और वैश्विक नेतृत्व की संभावनाएं
आज भारत चिकित्सा नवाचार, मानव संसाधन, वैक्सीन निर्माण और डिजिटल स्वास्थ्य तकनीकों के माध्यम से विश्व मंच पर नेतृत्व की ओर अग्रसर है। आने वाले वर्षों में भारत न केवल अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करेगा, बल्कि विश्व के लिए भी समाधान पेश करेगा।