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ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में हुई मुलाकात, व्यापार, रक्षा, तकनीक, योग और आतंकवाद से लड़ाई पर विस्तृत चर्चा
संवाददाता:विशेष संवाददाता, रियो डी जेनेरियो डैटलाइन:रियो डी जेनेरियो (ब्राजील), 7 जुलाई 2025 |Mission Sindoor,
17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उरुग्वे के राष्ट्रपति यामांडू ओरसी के बीच हुई द्विपक्षीय मुलाकात ने भारत-उरुग्वे संबंधों को एक नई दिशा दी है। यह मुलाकात वैश्विक दक्षिण (Global South) के सहयोग को मज़बूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस वार्ता के बारे में सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए कहा, “ब्राजील में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान उरुग्वे के राष्ट्रपति यामांडू ओरसी से मिलकर प्रसन्नता हुई। हमारे देशों के बीच घनिष्ठ संबंध वैश्विक दक्षिण के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत उरुग्वे के साथ संबंधों को और मजबूत करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगा।”
व्यापक क्षेत्रीय सहयोग पर हुई गहन चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ओरसी के बीच की यह मुलाकात केवल एक औपचारिक भेंट नहीं थी, बल्कि दोनों नेताओं के बीच वास्तविक सहयोग को लेकर गंभीर और विस्तृत वार्ता हुई। उन्होंने डिजिटल सहयोग, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT), डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, यूपीआई, रक्षा, रेलवे, स्वास्थ्य और फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, ऊर्जा, संस्कृति और लोगों के बीच संपर्क जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की।
विशेष रूप से भारत के यूपीआई (Unified Payments Interface) जैसे डिजिटल पेमेंट मॉडल को लेकर उरुग्वे ने रुचि दिखाई है, जिससे दोनों देशों के बीच फिनटेक साझेदारी को बढ़ावा मिल सकता है।
व्यापार और निवेश को बढ़ाने पर रहा ज़ोर
द्विपक्षीय चर्चा का एक महत्वपूर्ण भाग व्यापार और निवेश रहा। भारत और उरुग्वे ने भारत-मर्कोसुर अधिमान्य व्यापार समझौते (India-MERCOSUR PTA) के विस्तार में रुचि दिखाई, जिससे व्यापार पूरकता को बढ़ावा मिलेगा और द्विपक्षीय आर्थिक क्षमता का लाभ उठाया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, सूचना तकनीक, रक्षा निर्माण और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में निवेश की संभावनाओं को रेखांकित किया। इसके अलावा, दोनों नेताओं ने स्टार्टअप, इनोवेशन और एग्रीटेक के क्षेत्र में आपसी सहयोग को प्रोत्साहित करने पर सहमति जताई।
सांस्कृतिक कूटनीति और योग के माध्यम से मजबूत होते संबंध
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वक्तव्य में उरुग्वे में योग की बढ़ती लोकप्रियता का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि योग न केवल एक स्वास्थ्य पद्धति है, बल्कि यह दो देशों के लोगों के बीच आपसी समझ और सांस्कृतिक सेतु का कार्य करता है।
उरुग्वे में भारतीय संस्कृति, योग, आयुर्वेद और बॉलीवुड फिल्मों के प्रति बढ़ते आकर्षण ने दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और सशक्त किया है। इस दिशा में भारत उरुग्वे में सांस्कृतिक केंद्र खोलने की संभावनाओं पर भी विचार कर रहा है।
आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और साझा मूल्य
मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल में हुए आतंकवादी हमले की निंदा करने के लिए राष्ट्रपति ओरसी का आभार व्यक्त किया। उरुग्वे द्वारा भारत के साथ एकजुटता व्यक्त करना न केवल द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाता है, बल्कि वैश्विक मंच पर आतंकवाद के विरुद्ध साझा रुख को भी दर्शाता है।
दोनों नेताओं ने दोहराया कि सभी प्रकार के आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं है और इसके खिलाफ वैश्विक सहयोग अत्यंत आवश्यक है। इस संदर्भ में सुरक्षा, खुफिया जानकारी साझा करना और संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लेकर सहमति बनी।
📦 बॉक्स न्यूज़: भारत-उरुग्वे सहयोग के प्रमुख बिंदु (विस्तृत विश्लेषण)
तकनीकी नवाचार के सेतु का निर्माण
भारत की डिजिटल क्रांति ने वैश्विक स्तर पर गहरी छाप छोड़ी है और अब इसका विस्तार उरुग्वे जैसे लैटिन अमेरिकी देशों तक हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति यामांडू ओरसी के बीच हुई चर्चा में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और फिनटेक क्षेत्र में साझेदारी को प्राथमिकता दी गई।
उरुग्वे ने भारत के UPI मॉडल, आधार-आधारित सेवाएं, और डिजिटल पहचान प्रणाली में रुचि दिखाई है। यह साझेदारी उरुग्वे के वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दे सकती है, और दोनों देशों को तकनीकी नवाचारों के आदान-प्रदान का अवसर देगी। आने वाले वर्षों में भारत उरुग्वे को डिजिटल भुगतान गेटवे स्थापित करने, साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण, और स्टार्टअप सहयोग हेतु संसाधन मुहैया करा सकता है।
भारत-मर्कोसुर के माध्यम से सहयोग का विस्तार
भारत और उरुग्वे ने India-MERCOSUR Preferential Trade Agreement (PTA) के विस्तार में रुचि जताई है। इस समझौते के जरिए कृषि उत्पाद, औद्योगिक वस्तुएं, और तकनीकी सेवाओं के आयात-निर्यात में वृद्धि की संभावना है। दोनों देशों ने इस समझौते को व्यापक बनाने पर विचार किया है जिससे दोतरफा व्यापार में बाधाएं कम हों और बाजार की पहुँच व्यापक हो।
रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, आईटी, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग, और कृषि प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है। भारत की ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत उरुग्वे में संयुक्त उपक्रमों (Joint Ventures) की स्थापना भी भविष्य की योजना का हिस्सा बन सकती है।
जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में सहभागिता
भारत विश्व के सबसे बड़े जेनेरिक दवा उत्पादकों में शामिल है और उसकी फार्मास्यूटिकल क्षमताएं उरुग्वे जैसे देशों के लिए वरदान साबित हो सकती हैं। बैठक में भारत से जेनेरिक दवाओं और सस्ती चिकित्सा उपकरणों के निर्यात पर सहमति बनी।
इसके अतिरिक्त, स्वास्थ्य तकनीक, ई-हेल्थ सिस्टम्स, और आपदा प्रबंधन में सहयोग के लिए भी दोनों देशों ने रुचि जताई। भारत की COVID-19 वैक्सीन डिप्लोमेसी ने उरुग्वे जैसे देशों के बीच भरोसा बढ़ाया है और अब इन संबंधों को लंबे समय तक टिकाऊ साझेदारी में बदला जा रहा है।
जनसंवाद का सशक्त माध्यम
प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष रूप से उरुग्वे में योग की बढ़ती लोकप्रियता को रेखांकित किया और इसे “लोगों से लोगों के संबंधों” का एक महत्वपूर्ण आधार बताया। योग, आयुर्वेद, भारतीय शास्त्रीय संगीत, और सिनेमा के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक उपस्थिति उरुग्वे में बढ़ी है।
भविष्य में संयुक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम, फिल्म महोत्सव, शैक्षणिक छात्रवृत्तियाँ, और भारतीय भाषा शिक्षा केंद्रों की स्थापना की संभावनाएं हैं। इससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच समझ और संबंध गहरे होंगे, और एक सॉफ्ट पावर ब्रिज का निर्माण होगा।
अधुनिकीकरण और तकनीकी आदान-प्रदान
भारत ने उरुग्वे को रेलवे तकनीक, कोच निर्माण, और स्मार्ट स्टेशन डेवलपमेंट के क्षेत्र में सहयोग देने की पेशकश की है। भारत की रेल परियोजनाएं, जैसे सेमी-हाईस्पीड रेल और इलेक्ट्रिफिकेशन, उरुग्वे की आवश्यकताओं के अनुरूप हैं।
रक्षा क्षेत्र में, संयुक्त अभ्यास, रणनीतिक संवाद, और प्रशिक्षण आदान-प्रदान की संभावनाएं तलाशी गईं। दोनों पक्ष डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग, साइबर डिफेंस, और बॉर्डर सिक्योरिटी टेक्नोलॉजी में सहयोग को लेकर सकारात्मक हैं।
सतत विकास की साझेदारी
भारत और उरुग्वे दोनों कृषि प्रधान देश हैं, लेकिन आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल में भारत ने जो प्रगति की है, उसे उरुग्वे अपनाने को उत्सुक है। जलवायु अनुकूल खेती, ड्रिप इरिगेशन, स्मार्ट एग्रीटेक, और कृषि ड्रोन जैसी भारतीय तकनीकों को उरुग्वे में लागू किया जा सकता है।
ऊर्जा क्षेत्र में, सौर ऊर्जा, बायोफ्यूल, और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाएं तलाशी गई हैं। भारत की International Solar Alliance (ISA) में उरुग्वे को अधिक सक्रिय भागीदार बनाने की भी योजना है।
साझा सुरक्षा दृष्टिकोण
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करने के लिए राष्ट्रपति ओरसी का आभार व्यक्त किया। यह दर्शाता है कि उरुग्वे, आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के रुख के साथ खड़ा है।
दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि आतंकवाद मानवता के खिलाफ अपराध है और इसका कोई औचित्य नहीं हो सकता। इस संदर्भ में सुरक्षा एजेंसियों के बीच खुफिया जानकारी साझा करने, एंटी-टेरर ट्रेनिंग, और यूएन जैसे मंचों पर संयुक्त कार्रवाई को लेकर चर्चा हुई।