📅 दिनांक: 7 जुलाई 2025
📰 संस्करण: अंतरराष्ट्रीय विशेष
📍 स्थान: रियो डी जेनेरियो, ब्राजील |Mission Sindoor
बिना डर, बिना पक्ष – सिर्फ सच्ची खबरें
उप-शीर्षक:
महत्वपूर्ण खनिज, व्यापार, स्वास्थ्य, डिजिटल भुगतान प्रणाली, पारंपरिक चिकित्सा और क्षमता निर्माण पर हुई गहन बातचीत, पीएम मोदी ने बाढ़ पीड़ितों के प्रति संवेदना और द्विशताब्दी पर बधाई दी
संवाददाता:
विशेष संवाददाता, घर तक एक्सप्रेस न्यूज़
डैटलाइन:
रियो डी जेनेरियो, ब्राजील – 7 जुलाई 2025
ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बोलीविया के राष्ट्रपति लुइस एर्से कैटाकोरा के बीच द्विपक्षीय बैठक आयोजित हुई। यह मुलाकात भारत और लैटिन अमेरिका के बीच बढ़ते रणनीतिक रिश्तों का स्पष्ट संकेत है।
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने भारत और बोलीविया के बीच आर्थिक, तकनीकी, और सामाजिक सहयोग को आगे बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की। पीएम मोदी ने अपने वक्तव्य में बोलीविया को भारत का “विश्वसनीय विकास साझेदार” बताते हुए द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
खनिज संसाधनों में सहयोग – वैश्विक रणनीति का केंद्र
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति एर्से की चर्चा का केंद्र बिंदु रहा – महत्वपूर्ण खनिजों (Critical Minerals) में सहयोग। बोलीविया दुनिया के सबसे बड़े लिथियम भंडारों में से एक है, जो बैटरी उत्पादन, इलेक्ट्रिक वाहनों और अक्षय ऊर्जा के लिए आवश्यक है। भारत, जो ऊर्जा संक्रमण और ग्रीन टेक्नोलॉजी में तेजी से आगे बढ़ रहा है, बोलीविया के साथ दीर्घकालिक खनिज आपूर्ति समझौते में गहरी रुचि रखता है।
दोनों देशों ने इस क्षेत्र में सतत, पारदर्शी और परस्पर लाभकारी साझेदारी विकसित करने की सहमति जताई। इसके तहत, तकनीकी सहयोग, संयुक्त अन्वेषण, खनिज प्रसंस्करण और अनुसंधान-आधारित विकास को प्राथमिकता दी जाएगी।
डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और यूपीआई – सहयोग की नई दिशा
बैठक में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) जैसे भारत के सफल डिजिटल मॉडल को बोलीविया में लागू करने की संभावनाओं पर भी विचार हुआ। भारत ने बोलीविया को डिजिटल वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में तकनीकी सहायता देने की पेशकश की।
इस डिजिटल सहयोग के अंतर्गत, ई-गवर्नेंस, मोबाइल पेमेंट सिस्टम, और साइबर सुरक्षा में प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण जैसी परियोजनाएं प्रस्तावित की गईं। इससे बोलीविया के ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों तक डिजिटल सेवाएं पहुँचाने में सहायता मिलेगी।
स्वास्थ्य, पारंपरिक चिकित्सा और फार्मा में गहराता सहयोग
भारत और बोलीविया के बीच स्वास्थ्य और पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भी सहयोग पर बल दिया गया। भारत की आयुष प्रणाली और बोलीविया की पारंपरिक चिकित्सा विधाएं प्राकृतिक और जड़ी-बूटी आधारित उपचारों में समानता रखती हैं। दोनों नेताओं ने इन प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को वैज्ञानिक रूप से सहयोग करने और साझा मंचों पर प्रदर्शित करने की दिशा में सहमति जताई।
फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में, भारत ने बोलीविया को सस्ती जेनेरिक दवाएं, वैक्सीन आपूर्ति और स्वास्थ्य उपकरणों की सुविधा देने का आश्वासन दिया। दोनों देशों ने साझा स्वास्थ्य मिशन और टेलीमेडिसिन नेटवर्क की संभावना पर भी चर्चा की।
आपदा प्रबंधन, मानवता और द्विशताब्दी बंधन
प्रधानमंत्री मोदी ने मार्च-अप्रैल 2025 में बोलीविया के कई हिस्सों में आई भीषण बाढ़ के संदर्भ में पीड़ितों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की और कहा कि भारत मानवीय सहायता देने के लिए तत्पर है। उन्होंने बोलीविया की जनता के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए भारत की आपदा प्रबंधन विशेषज्ञता साझा करने का प्रस्ताव दिया।
इसके साथ ही, पीएम मोदी ने बोलीविया की स्वतंत्रता की 200वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रपति एर्से और वहां की जनता को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह वर्ष केवल बोलीविया के लिए नहीं, बल्कि पूरे वैश्विक दक्षिण के लिए भी आत्मनिर्भरता और गरिमा का प्रतीक है।
भारत-बोलीविया सहयोग के प्रमुख बिंदु (विस्तृत विवरण)
वैश्विक ऊर्जा संक्रमण में साझा रणनीति
भारत और बोलीविया के बीच लिथियम, कोबाल्ट, और अन्य दुर्लभ खनिजों (Critical Minerals) के क्षेत्र में सहयोग को नया आयाम देने पर सहमति बनी है। यह खनिज भारत के इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV), बैटरी निर्माण, और नवीन ऊर्जा उपकरणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
बोलीविया, लिथियम त्रिकोण (Lithium Triangle) का हिस्सा होने के नाते इस क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, जबकि भारत खनिजों का बड़ा उपभोक्ता और रणनीतिक निवेशक बनकर उभर रहा है। दोनों देशों ने इस दिशा में संयुक्त खनन परियोजनाएं, खनिजों के प्रसंस्करण संयंत्र, और अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने की संभावनाओं पर सहमति जताई है।
यह सहयोग न केवल ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती देगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में “सस्टेनेबल और विश्वसनीय स्रोत” के रूप में भारत-बोलीविया की स्थिति को सुदृढ़ करेगा।
वित्तीय समावेशन के लिए तकनीकी सेतु
बातचीत का दूसरा महत्वपूर्ण स्तंभ रहा—डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और भारत का UPI (Unified Payments Interface) मॉडल। भारत ने बोलीविया को डिजिटल गवर्नेंस, मोबाइल पेमेंट्स, और डिजिटल बैंकिंग में सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई।
यूपीआई के माध्यम से बोलीविया ग्रामीण क्षेत्रों में कैशलेस लेनदेन, सरकारी योजनाओं का डायरेक्ट ट्रांसफर, और डिजिटल फाइनेंशियल लिटरेसी का विस्तार कर सकता है। इसके लिए भारत तकनीकी विशेषज्ञों की टीम, API एक्सेस, और साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण देने को तैयार है।
साथ ही, भारत के अनुभव से बोलीविया अपने डिजिटल तंत्र को समावेशी, सशक्त, और कम लागत में प्रभावी बना सकता है।
आयुर्वेद और एंडियन परंपराओं का संगम
दोनों देशों के पास पारंपरिक चिकित्सा में समृद्ध विरासत है। भारत का आयुर्वेद और बोलीविया की एंडियन हर्बल प्रणाली औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों और जैव विविधता पर आधारित हैं।
बैठक में इन दोनों प्रणालियों के बीच संयुक्त अनुसंधान, दस्तावेजीकरण, और वैज्ञानिक परीक्षण की दिशा में सहयोग की सहमति बनी। भारत ने बोलीविया को आयुष मंत्रालय के माध्यम से शिक्षा, योग प्रशिक्षण, और पारंपरिक चिकित्सा केंद्रों की स्थापना में मदद करने का प्रस्ताव रखा।
इसके अलावा, भारत की फार्मा कंपनियाँ जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति, वैक्सीन निर्माण, और टेलीमेडिसिन सुविधा के माध्यम से बोलीविया की स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत कर सकती हैं।
ITEC छात्रवृत्ति एवं त्वरित प्रभाव परियोजनाएं (Quick Impact Projects): मानव संसाधन में निवेश
भारत का ITEC (Indian Technical and Economic Cooperation) कार्यक्रम बोलीविया जैसे विकासशील देशों के लिए मानव संसाधन विकास का प्रमुख स्रोत है। इस कार्यक्रम के तहत हर वर्ष दर्जनों बोलीवियाई छात्र और अधिकारी भारत में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।
अब इस सहयोग को और व्यापक करते हुए, भारत ने ई-गवर्नेंस, कृषि तकनीक, आपदा प्रबंधन, सौर ऊर्जा, और स्वास्थ्य सेवाओं में लघु लेकिन प्रभावी परियोजनाओं (QIPs) को समर्थन देने की बात कही है।
ये परियोजनाएं कम लागत, तेजी से क्रियान्वयन, और स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर तैयार की जाती हैं, जिससे भारत-बोलीविया सहयोग जमीनी स्तर तक पहुँचे।
लघु और मध्यम उद्योग (MSME)
भारत का MSME क्षेत्र उद्यमिता, नवाचार और स्थानीय उत्पादन का केंद्र है। बोलीविया भी अपने हस्तशिल्प, कृषि-आधारित उत्पादों, और लघु उद्योगों को वैश्विक बाजार में उतारने की तैयारी में है।
दोनों देशों ने MSME क्षेत्र में प्रशिक्षण, वित्तीय पहुंच, तकनीकी सहयोग, और व्यापार मेलों में भागीदारी जैसी पहलों को लेकर सहमति जताई है। भारत की SIDBI (Small Industries Development Bank of India) और NSIC (National Small Industries Corporation) जैसी संस्थाएं बोलीविया में मॉडल प्रोजेक्ट्स चलाएंगी।
इससे स्थानीय रोजगार सृजन, महिला उद्यमिता, और निर्यात वृद्धि जैसे लक्ष्यों में तेज़ी आएगी।
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के मंच पर साझा प्रतिबद्धता
बोलीविया के अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में शामिल होने पर भारत ने प्रसन्नता जाहिर की। यह कदम दर्शाता है कि बोलीविया अब हरित विकास मॉडल अपनाने की दिशा में गंभीर है।
भारत ने सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना, ग्रीन हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी, माइक्रो-ग्रिड सिस्टम, और ऊर्जा दक्षता मिशन में सहयोग का प्रस्ताव दिया है। इस सहयोग से बोलीविया ग्रामीण विद्युतीकरण, स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु अनुकूल विकास के मार्ग पर तेज़ी से अग्रसर हो सकता है।
भारत-बोलीविया संबंधों का भावनात्मक आयाम
बोलीविया 6 अगस्त 2025 को अपनी स्वतंत्रता की 200वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर बोलीविया की जनता और सरकार को शुभकामनाएं दीं और इस समारोह में भारत की सक्रिय भागीदारी का आश्वासन दिया।
भारत, बोलीविया की द्विशताब्दी वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए सांस्कृतिक प्रदर्शनी, राजनयिक संवाद, वृत्तचित्र, और कॉन्फ्रेंस श्रृंखला जैसी गतिविधियों का आयोजन करेगा। यह साझेदारी दोनों देशों को भावनात्मक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी जोड़ने का कार्य करेगी।