Admin Site |08.07.2025|Mission Sindoor|BhiharNews|NitishKumar|बिहार सरकार ने प्रदेश के युवाओं को सशक्त, रोजगारोन्मुखी और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में ‘बिहार युवा आयोग’ के गठन को मंजूरी दे दी गई। इस निर्णय के तहत बिहार के युवाओं के समग्र विकास, शिक्षा, रोजगार, नशा-निवारण और नीति-निर्माण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने की योजना बनाई गई है।
बैठक में कुल 43 महत्वपूर्ण प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई, जिनमें यह प्रस्ताव सबसे अधिक चर्चा में रहा। मुख्यमंत्री ने इस निर्णय की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए लिखा कि “बिहार के युवाओं को अधिकतम रोजगार, गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण और उज्ज्वल भविष्य देने के उद्देश्य से यह आयोग गठित किया जा रहा है।”
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, बिहार युवा आयोग में एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष और सात सदस्य होंगे। यह सभी नियुक्तियाँ राज्य सरकार द्वारा की जाएंगी और इनके लिए अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष निर्धारित की गई है। यह आयु सीमा यह सुनिश्चित करती है कि आयोग में वास्तविक युवा वर्ग की भागीदारी हो और वे युवा पीढ़ी की समस्याओं और आकांक्षाओं को बेहतर तरीके से सरकार तक पहुँचा सकें।
यह आयोग एक सलाहकारी निकाय के रूप में कार्य करेगा और सरकार को युवाओं से जुड़े नीति-निर्माण, योजनाओं के क्रियान्वयन और संसाधनों के समुचित वितरण में सुझाव देगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार का हमेशा से जोर रहा है कि बिहार के युवाओं को प्रदेश में ही बेहतर शिक्षा और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं ताकि उन्हें पलायन नहीं करना पड़े। यह आयोग राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर यह सुनिश्चित करेगा कि युवाओं को उद्योगों, निजी कंपनियों, स्टार्टअप्स और सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता मिले।
इसके साथ ही आयोग युवाओं के लिए तकनीकी प्रशिक्षण, डिजिटल कौशल विकास, और स्वरोजगार के लिए नवाचार कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करेगा। इससे न केवल बेरोजगारी की दर में कमी आएगी, बल्कि युवा वर्ग अधिक आत्मनिर्भर बन सकेगा।
बिहार से बड़ी संख्या में छात्र और युवा देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों में शिक्षा और नौकरी के लिए जाते हैं। इस संदर्भ में आयोग को एक और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है — वह है “राज्य से बाहर कार्यरत युवाओं के अधिकारों और हितों की सुरक्षा।” आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि इन युवाओं को किसी भी प्रकार के शोषण या भेदभाव का सामना न करना पड़े और उनकी समस्याओं का शीघ्र समाधान हो।
यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब कई राज्यों में बिहारी युवाओं के साथ हिंसा और भेदभाव की खबरें आती रही हैं। अब इस आयोग के माध्यम से उनकी आवाज़ को सरकार के स्तर पर प्रभावी तरीके से उठाया जा सकेगा।
बिहार सरकार पहले से ही शराबबंदी जैसे बड़े कदम उठा चुकी है। अब युवा आयोग को एक और अहम दायित्व सौंपा गया है — युवाओं में बढ़ती शराब और नशे की लत पर रोक लगाने हेतु सुझाव और नीतियाँ तैयार करना।
आयोग राज्य सरकार को शैक्षणिक संस्थानों, कोचिंग हब्स, और शहरी क्षेत्रों में नशा मुक्त अभियान, जागरूकता कार्यक्रम और परामर्श सेवाएं चलाने की दिशा में रणनीति देगा। इससे युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचाने में मदद मिलेगी।
बिहार युवा आयोग का संगठनात्मक ढांचा ऐसा रखा गया है, जिससे इसमें युवाओं की प्रतिनिधित्व क्षमता अधिक हो सके। आयोग में कुल 10 पदाधिकारी होंगे – जिनमें एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष, और सात सदस्य शामिल होंगे। ये सभी युवा, शिक्षित और सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोग होंगे, जिन्हें सरकार द्वारा नामित किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह है कि आयोग में विभिन्न वर्गों और क्षेत्रों के युवाओं की वास्तविक चिंताओं और अनुभवों को शामिल किया जा सके।
आयोग में नामित किए जाने वाले सदस्यों के लिए अधिकतम आयु 45 वर्ष निर्धारित की गई है, ताकि इसमें युवा और ऊर्जावान नेतृत्व की भागीदारी हो। यह सीमा यह सुनिश्चित करती है कि सदस्य समकालीन युवा मुद्दों से भलीभांति परिचित हों और वर्तमान पीढ़ी की चुनौतियों को गहराई से समझते हों। इस आयु सीमा के जरिए सरकार ने युवाओं को नीति-निर्माण की प्रक्रिया में सीधे भागीदार बनाने की दिशा में एक नया अध्याय शुरू किया है।
आयोग एक सलाहकार संस्था के रूप में कार्य करेगा। इसका मुख्य कार्य सरकार को यह सुझाव देना होगा कि किस प्रकार की नीतियाँ और योजनाएँ युवाओं के शैक्षणिक सुधार, रोजगार वृद्धि और सामाजिक कल्याण में सहायक हो सकती हैं। यह आयोग समय-समय पर शोध, रिपोर्ट और अनुशंसाएँ तैयार करेगा, जिससे युवाओं के लिए चल रही योजनाओं की समीक्षा और उनके परिणामों का आकलन किया जा सके।
बिहार युवा आयोग, राज्य सरकार के शिक्षा, श्रम, उद्योग, ग्रामीण विकास, आईटी और कौशल विकास जैसे विभागों के साथ तालमेल बनाकर कार्य करेगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि युवाओं से संबंधित योजनाएं एकीकृत और समन्वित तरीके से लागू हों। आयोग यह भी देखेगा कि विभिन्न विभागों में युवाओं के लिए चल रही योजनाओं में कोई ओवरलैप या अनुपयुक्तता न हो और उन्हें समयबद्ध तरीके से लाभ मिले।
बिहार से हजारों युवा अन्य राज्यों और विदेशों में शिक्षा और नौकरी के सिलसिले में जाते हैं। आयोग का एक महत्वपूर्ण कार्य होगा इन युवाओं की सुरक्षा, अधिकारों की रक्षा और सहायता व्यवस्था सुनिश्चित करना। यह आयोग ऐसे युवाओं के लिए हेल्पलाइन, सहायता केंद्र और काउंसलिंग सुविधा की सिफारिश कर सकता है ताकि आपात स्थिति में उन्हें सरकार का सहयोग मिल सके। साथ ही यह यह भी सुनिश्चित करेगा कि कहीं उन्हें भेदभाव, हिंसा या शोषण का सामना न करना पड़े।
बिहार सरकार ने पहले ही राज्य में शराबबंदी लागू की है, लेकिन युवाओं में नशे की प्रवृत्ति अब भी एक चिंता का विषय है। युवा आयोग इस दिशा में सरकार को सजग, व्यावहारिक और प्रभावशाली रणनीतियाँ देने का कार्य करेगा। इसमें नशा मुक्ति जागरूकता अभियान, कॉलेजों और स्कूलों में परामर्श केंद्र, और सामाजिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से जनजागरूकता कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं। आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि युवा स्वस्थ, जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बन सकें।
आयोग युवाओं को सिर्फ नौकरी दिलाने के बजाय उन्हें स्वरोजगार के लिए भी सक्षम बनाएगा। इसके अंतर्गत आयोग सरकार को कौशल विकास प्रशिक्षण, स्टार्टअप सहयोग, वित्तीय सहायता योजनाओं और मार्केट लिंकिंग प्लेटफॉर्म्स की रूपरेखा तैयार करने में सहायता देगा। इसका लक्ष्य यह है कि युवा केवल नौकरी तलाशने वाले न रहें, बल्कि रोजगार सृजनकर्ता बन सकें।
आयोग यह भी देखेगा कि राज्य में चल रहे कौशल विकास केंद्रों और योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन हो और अधिक से अधिक युवाओं को इनसे लाभ मिल सके।