
09.07.2025|Mission Sindoor|
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे ही बुधवार को नामीबिया की राजधानी विंडहुक पहुंचे, भारतीय प्रवासी समुदाय ने उनका उत्साहपूर्वक स्वागत किया। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का नामीबिया में तीसरा आधिकारिक दौरा है, और प्रधानमंत्री मोदी का पहला। होसेआ कुटाको अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नामीबिया की अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं व्यापार मंत्री सेल्मा अशिपाला-मुसाव्यी ने उनका औपचारिक स्वागत किया। पारंपरिक नामीबियाई पोशाकों में सजे-संवरे सांस्कृतिक कलाकारों ने परंपरागत ढोल वादन और नृत्य के माध्यम से प्रधानमंत्री का अभिनंदन किया।
प्रवासी भारतीयों से आत्मीय संवाद
प्रधानमंत्री के होटल पहुंचने पर प्रवासी भारतीय समुदाय ने भव्य योग प्रदर्शन, लोक नृत्य, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से उनका स्वागत किया। इस अवसर पर कई परिवारों और बच्चों ने उन्हें पारंपरिक कलाकृतियाँ और भारत-नामीबिया मित्रता के प्रतीक चित्र भेंट किए। प्रधानमंत्री ने सभी से आत्मीयता से मुलाकात की और भावुक होकर कहा, “आप सबका स्नेह और अपनापन मेरे लिए संजीवनी के समान है।” उन्होंने कहा कि विदेश में रहकर भी भारतीयों ने अपनी संस्कृति, परंपराओं और भाषाई धरोहर को जीवंत रखा है, जो भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के दर्शन को साकार करता है।
सोशल मीडिया पर साझा किए भावनात्मक क्षण
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर लिखा,
“नामीबिया में भारतीय समुदाय द्वारा विशेष स्वागत, भारत-नामीबिया मित्रता को लेकर उनका उत्साह दिखाता है। मुझे हमारे प्रवासी समुदाय पर अत्यधिक गर्व है, खासकर इस बात पर कि उन्होंने अपनी संस्कृति और परंपराओं से आज भी गहरा जुड़ाव बनाए रखा है।”
इस पोस्ट के साथ उन्होंने स्थानीय बच्चों द्वारा प्रस्तुत योगाभ्यास और पारंपरिक नृत्य की कुछ झलकियाँ भी साझा कीं, जिन्हें व्यापक सराहना मिली।
पारंपरिक ढोल बजा कर दर्शाया संबंधों का सम्मान
हवाई अड्डे पर स्वागत के दौरान प्रधानमंत्री ने स्वयं नामीबियाई पारंपरिक ढोल बजा कर सभी को चौंका दिया। स्थानीय निवासियों ने इसे ‘सांस्कृतिक सम्मान’ की संज्ञा दी। ढोल बजाने की यह सहज और आत्मीय प्रस्तुति सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, और कई नामीबियाई नागरिकों ने इसे भारत-नामीबिया मित्रता का प्रतीक बताया।
द्विपक्षीय संबंधों की दिशा
प्रधानमंत्री मोदी इस समय नामीबियाई राष्ट्रपति डॉ. नेतुम्बो नंदी-नदैतवाह के आमंत्रण पर राजकीय यात्रा पर हैं। इस दौरान वे नामीबियाई संसद को भी संबोधित करेंगे। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा:
“अभी-अभी विंडहुक पहुंचा हूं। नामीबिया हमारा मूल्यवान और विश्वसनीय अफ्रीकी साझेदार है, जिसके साथ हम द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करना चाहते हैं। मैं राष्ट्रपति डॉ. नेतुम्बो नंदी-नदैतवाह से मुलाकात और नामीबियाई संसद को संबोधित करने को लेकर उत्साहित हूं।”
सहयोग के संभावित क्षेत्र
विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत और नामीबिया के बीच स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा, शिक्षा, खनिज संसाधन, रक्षा तथा जैवविविधता संरक्षण जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर विशेष बातचीत होगी। उल्लेखनीय है कि 2022 में भारत ने नामीबिया से आठ चीते भारत लाकर कुनो राष्ट्रीय उद्यान में पुनर्वासित किए थे। इस परियोजना को दोनों देशों के बीच प्रकृति संरक्षण में साझेदारी का उत्कृष्ट उदाहरण माना गया।
संसद को ऐतिहासिक संबोधन
प्रधानमंत्री मोदी के नामीबियाई संसद में संबोधन को ऐतिहासिक माना जा रहा है। वे भारत-अफ्रीका संबंधों, वैश्विक दक्षिण के एजेंडे और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग जैसे विषयों को केंद्र में रखकर अपनी बात रखेंगे। नामीबियाई संसद की अध्यक्षता करने वाली डॉ. लोरा मपेसा ने इसे ‘ऐतिहासिक क्षण’ करार दिया है।
बहुपक्षीय मंचों पर एकता की बात
भारत और नामीबिया संयुक्त राष्ट्र, G77, और अंतरराष्ट्रीय जलवायु मंचों पर अक्सर साझा रणनीति अपनाते हैं। भारत अफ्रीका के देशों को ‘साझेदार, न कि दाता-ग्राही’ की दृष्टि से देखता है। प्रधानमंत्री मोदी इस विचार को पुनः रेखांकित करते हुए अफ्रीकी देशों के साथ तकनीकी, औद्योगिक और मानव संसाधन विकास में साझेदारी को बढ़ाने की बात करेंगे।
पिछली यात्राएं और कूटनीतिक पृष्ठभूमि
नामीबिया की स्वतंत्रता (1990) के बाद से यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का तीसरा दौरा है। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1998 में और डॉ. मनमोहन सिंह ने 2007 में नामीबिया का दौरा किया था। भारत और नामीबिया के बीच 1994 से राजनयिक संबंध हैं, और विंडहुक में भारतीय उच्चायोग कार्यरत है।
बहुपक्षीय दौरे का अंतिम पड़ाव
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा उनकी पांच देशों की बहुपक्षीय राजकीय यात्रा का अंतिम चरण है। इससे पहले वे घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना और ब्राजील की सफल यात्राएं कर चुके हैं। ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो में उन्होंने 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया और ब्रासीलिया में राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी।
भारत-नामीबिया द्विपक्षीय संबंधों की प्रमुख झलकियाँ (विस्तृत संस्करण)
राजनयिक संबंधों की स्थापना
भारत और नामीबिया के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध वर्ष 1994 में स्थापित हुए। नामीबिया की स्वतंत्रता (1990) के बाद भारत उन पहले देशों में शामिल था, जिसने उसकी आज़ादी को मान्यता दी और विकास में सहयोग की पहल की। विंडहुक में भारतीय उच्चायोग की स्थापना और नई दिल्ली में नामीबियाई दूतावास के ज़रिए दोनों देशों के बीच लगातार संपर्क और साझेदारी बनी रही है।
मुख्य सहयोग क्षेत्र
भारत और नामीबिया के बीच द्विपक्षीय सहयोग का दायरा व्यापक है। इसमें प्रमुखतः खनन, रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और जैवविविधता संरक्षण शामिल हैं। नामीबिया खनिज संसाधनों से समृद्ध देश है और भारत इसकी खनन तकनीक, प्रशिक्षण एवं व्यापार में एक सहयोगी भूमिका निभा रहा है। वहीं, स्वास्थ्य सेवाओं और आयुर्वेद आधारित चिकित्सा में भारत ने नामीबिया में कई परियोजनाओं की शुरुआत की है।
चीता पुनर्वास परियोजना
साल 2022 में भारत और नामीबिया के बीच एक ऐतिहासिक वन्यजीव संरक्षण समझौता हुआ, जिसके तहत नामीबिया से आठ अफ्रीकी चीते भारत लाए गए। ये चीते मध्य प्रदेश स्थित कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े गए। यह परियोजना दोनों देशों के बीच जैवविविधता संरक्षण और वन्यजीव पुनर्वास के क्षेत्र में नई संभावनाओं का प्रतीक बनी। इस परियोजना ने न केवल पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में संयुक्त प्रयास को दिखाया, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी भारत-नामीबिया की साझेदारी को रेखांकित किया।
प्रवासी भारतीय समुदाय
वर्तमान में नामीबिया में लगभग 2500 भारतीय प्रवासी रहते हैं। इनमें से अधिकतर व्यवसाय, चिकित्सा, शिक्षा और निर्माण क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं। विंडहुक और वाल्विस बे जैसे शहरों में भारतीय मूल के नागरिकों ने न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है, बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत बनाए रखा है। भारतीय समुदाय ने वहां मंदिरों, गुरुद्वारों और सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना की है, जो भारत और नामीबिया के बीच लोगों-से-लोगों के रिश्तों को मजबूत बनाते हैं।
संयुक्त अभ्यास और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग
भारत और नामीबिया रक्षा सहयोग के अंतर्गत प्रशिक्षण, सैन्य नेतृत्व और शांति मिशनों में भी भागीदारी करते हैं। भारतीय सशस्त्र बल समय-समय पर नामीबियाई सैनिकों को प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, अफ्रीकी यूनियन, संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक दक्षिण के मंचों पर दोनों देश समान विचार साझा करते हैं। विकासशील देशों की आवाज़ को सशक्त करने और जलवायु न्याय को प्राथमिकता देने में दोनों की सोच मेल खाती है।
नवीन प्रस्ताव और भविष्य की योजनाएं
भारत और नामीबिया के बीच डिजिटल शिक्षा, दूरसंचार तकनीक, हरित ऊर्जा और कृषि नवाचार में नए प्रस्तावों पर काम हो रहा है। भारत की ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘सोलर इंटरनेशनल अलायंस’ जैसी पहलों में नामीबिया ने भी रुचि दिखाई है। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हरित हाइड्रोजन, ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म और ग्रामीण स्वास्थ्य डिजिटल नेटवर्क को लेकर भी सहमति-पत्रों पर हस्ताक्षर की संभावना है।
Source : DD News