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प्रधानमंत्री मोदी की नामीबिया यात्रा भारत-नामीबिया संबंधों में नए युग की शुरुआत

संवाददाता: | 10.07.2025 | Mission Sindoor |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुधवार को हुई एक दिवसीय राजकीय यात्रा ने भारत और नामीबिया के द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। विंडहोक स्थित स्टेट हाउस में नामीबिया की राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह के साथ हुई ऐतिहासिक भेंट के दौरान स्वास्थ्य और उद्यमिता के क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का आदान-प्रदान किया गया। इस यात्रा को खास इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि यह 27 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी।

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान जिन दो समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, उनमें पहला नामीबिया में उद्यमिता विकास केंद्र की स्थापना से संबंधित था, जबकि दूसरा स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में परस्पर सहयोग को लेकर था। यह समझौते भारत के विकासात्मक और वैश्विक साझेदारी दृष्टिकोण को सुदृढ़ करते हैं।

इसके अतिरिक्त, तीन अन्य महत्वपूर्ण घोषणाएं इस यात्रा की उपलब्धि रहीं। पहली, नामीबिया अब आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) का हिस्सा बन गया है। दूसरी, उसने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन में शामिल होकर हरित ऊर्जा की दिशा में प्रतिबद्धता दिखाई है। तीसरी और सबसे उल्लेखनीय घोषणा यह रही कि नामीबिया ने भारत की यूपीआई (UPI) तकनीक को अपनाने का लाइसेंसिंग समझौता किया, जिससे वह UPI को अपनाने वाला विश्व का पहला देश बन गया है। यह डिजिटल भुगतान प्रणाली 2025 के अंत तक लागू की जाएगी।

इस ऐतिहासिक तकनीकी समझौते की नींव अप्रैल 2024 में एनपीसीआई और बैंक ऑफ नामीबिया के बीच हुए समझौते से रखी गई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना की वैश्विक मान्यता बताया और कहा कि यह साझेदारी वित्तीय समावेशन और कैशलेस अर्थव्यवस्था की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगी।

औपचारिक स्वागत और परस्पर प्रशंसा

प्रधानमंत्री मोदी जब विंडहोक स्थित स्टेट हाउस पहुंचे, तब राष्ट्रपति नंदी-नदैतवाह ने उन्हें भव्य औपचारिक स्वागत दिया। पारंपरिक संगीत, सांस्कृतिक प्रस्तुति और 21 तोपों की सलामी ने इस स्वागत को ऐतिहासिक बना दिया। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा राष्ट्रपति नंदी-नदैतवाह द्वारा मार्च 2025 में कार्यभार ग्रहण करने के बाद पहला द्विपक्षीय राजकीय दौरा था, जिससे इसकी अहमियत और बढ़ जाती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर भारत-नामीबिया के ऐतिहासिक संबंधों का स्मरण करते हुए कहा कि दोनों देश लोकतंत्र, समानता और वैश्विक दक्षिण के हितों की रक्षा में एक साथ खड़े हैं। उन्होंने चीता परियोजना में सहयोग के लिए नामीबिया का आभार जताया और नामीबिया को अंतरराष्ट्रीय बिग कैट एलायंस में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।

व्यापार, निवेश और विकास सहयोग पर बल

द्विपक्षीय व्यापार की समीक्षा

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने भारत-नामीबिया द्विपक्षीय व्यापार की स्थिति की समीक्षा की और इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि व्यापार बढ़ा है, लेकिन उसकी पूरी क्षमता का अभी दोहन नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत, नामीबिया के साथ विनिर्माण, खनन, ऊर्जा और फार्मा क्षेत्रों में दीर्घकालिक साझेदारी के लिए तैयार है।

भारत-एसएसीयू पीटीए पर चर्चा

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति नंदी-नदैतवाह ने भारत-एसएसीयू (SACU) प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट (PTA) पर चर्चा में तेजी लाने पर जोर दिया ताकि भारत और दक्षिण अफ्रीकी देशों के बीच व्यापार संबंधों को संस्थागत रूप मिल सके। यह समझौता भविष्य के व्यापारिक सहयोग की नींव रख सकता है।

विकास परियोजनाएं और सहयोग

प्रधानमंत्री मोदी ने नामीबिया को कृषि, आईटी, साइबर सुरक्षा, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और बाल कल्याण जैसे क्षेत्रों में त्वरित प्रभाव वाली विकास परियोजनाओं (High Impact Community Projects) के लिए भारत के समर्थन की पेशकश की। उन्होंने नामीबिया में ड्रोन आधारित कृषि तकनीक और डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार में साझेदारी की संभावनाओं को भी रेखांकित किया।

भारत-नामीबिया संबंध – एक विस्तृत परिचय

1990 (नामीबिया की स्वतंत्रता के तुरंत बाद)
भारत और नामीबिया के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध 1990 में स्थापित हुए, जब नामीबिया ने दक्षिण अफ्रीका से स्वतंत्रता प्राप्त की। भारत उन पहले देशों में शामिल था, जिन्होंने नामीबिया की स्वतंत्रता का समर्थन किया और उसके नए राष्ट्र के रूप में उदय पर तुरंत उसे मान्यता दी। भारत ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (SWAPO) को लगातार नैतिक और राजनीतिक समर्थन प्रदान किया।

विंडहोक में भारतीय उच्चायोग
भारत ने विंडहोक में भारतीय उच्चायोग की स्थापना की है, जो द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार में सक्रिय भूमिका निभाता है। नामीबिया में भारतीय समुदाय की संख्या सीमित है, लेकिन उच्चायोग भारतीय नागरिकों की सहायता और भारतीय मूल्यों के प्रचार में सतत कार्यरत है। साथ ही, नामीबिया में भारतीय सांस्कृतिक समारोहों और व्यापार मेलों का आयोजन नियमित रूप से होता है।

खनिज, ऊर्जा, फार्मा, शिक्षा, स्वास्थ्य, वन्यजीव संरक्षण
भारत और नामीबिया के बीच सहयोग के मुख्य क्षेत्र निम्नलिखित हैं:

खनिज संसाधन: नामीबिया में यूरेनियम, तांबा और हीरा जैसे खनिजों की प्रचुरता है। भारत की सार्वजनिक और निजी कंपनियाँ इन क्षेत्रों में निवेश के अवसर तलाश रही हैं।

ऊर्जा: नवीकरणीय ऊर्जा, विशेषकर सौर ऊर्जा में दोनों देश सहयोग बढ़ा रहे हैं।

फार्मा: भारत की फार्मास्युटिकल कंपनियाँ सस्ती और गुणवत्तायुक्त दवाएं नामीबिया को निर्यात करती हैं।

शिक्षा और स्वास्थ्य: भारत, नामीबिया के छात्रों के लिए ICCR छात्रवृत्ति के माध्यम से उच्च शिक्षा के द्वार खोलता है और स्वास्थ्य सेवा में प्रशिक्षण व उपकरण प्रदान करता है।

वन्यजीव संरक्षण: दोनों देश वन्यजीव संरक्षण में सहयोग कर रहे हैं, विशेषकर ‘चीता पुनर्वास परियोजना’ के माध्यम से।

चीता पुनर्वास परियोजना, नामीबिया विश्वविद्यालय में IT सहयोग
2022 में भारत ने नामीबिया के सहयोग से 70 साल बाद देश में चीतों की वापसी की शुरुआत की। नामीबिया से 8 अफ्रीकी चीतों को भारत लाया गया, जो मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए। यह भारत-अफ्रीका वन्यजीव संरक्षण सहयोग का ऐतिहासिक अध्याय बन गया।

इसके अलावा, भारत ने नामीबिया विश्वविद्यालय (University of Namibia) में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और डिजिटल स्किल्स के क्षेत्र में सहयोग की शुरुआत की है। भारतीय विशेषज्ञ वहां प्रशिक्षण कार्यक्रम और पाठ्यक्रम विकास में सहायता कर रहे हैं।

UPI तकनीक अपनाने वाला पहला देश, CDRI और जैव ईंधन गठबंधन में सदस्यता
2025 में नामीबिया ने भारत के साथ कई डिजिटल और वैश्विक गठबंधनों में भागीदारी की:

यूपीआई तकनीक का लाइसेंसिंग समझौता: नामीबिया, भारत की UPI (Unified Payments Interface) तकनीक अपनाने वाला विश्व का पहला देश बना। इससे वह भारत के डिजिटल भुगतान क्रांति का साझेदार बन गया है।

CDRI में सदस्यता: नामीबिया आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना गठबंधन (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure) में शामिल हुआ है, जो भारत की वैश्विक पहल है।

वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन: हरित ऊर्जा की दिशा में, नामीबिया ने इस गठबंधन में शामिल होकर क्लीन फ्यूल ट्रांजिशन को समर्थन दिया है।

वैश्विक दक्षिण की आवाज बनना, SDG लक्ष्यों में सहयोग
भारत और नामीबिया दोनों ही वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ बनने की आकांक्षा रखते हैं। दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन, न्यायसंगत व्यापार व्यवस्था, और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में सहयोग का संकल्प लिया है।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति नंदी-नदैतवाह के बीच हुई बैठक में यह स्पष्ट हुआ कि दोनों देश सिर्फ द्विपक्षीय व्यापार या परियोजनाओं तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि एक साझी वैश्विक दृष्टि को आगे बढ़ाना चाहते हैं — जिसमें दक्षिण-साउथ सहयोग, डिजिटल समावेशन और टिकाऊ विकास जैसे तत्व शामिल हैं।

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