पोर्ट ऑफ स्पेन, 5 जुलाई 25:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा भारत-कारिबियाई द्विपक्षीय संबंधों में एक ऐतिहासिक क्षण का सूत्रपात करती है। यह यात्रा न केवल रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी भारत और वहां बसे लाखों भारतीय मूल के नागरिकों के बीच संबंधों की नई परिभाषा गढ़ती है। जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी त्रिनिदाद की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुँचे, उनका स्वागत पारंपरिक कैरिबियाई सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ के साथ किया गया। प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर स्वयं कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों के साथ स्वागत के लिए उपस्थित रहीं।
यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी की पांच देशों की यात्रा श्रृंखला का दूसरा चरण है, लेकिन त्रिनिदाद और टोबैगो में उनकी पहली आधिकारिक द्विपक्षीय यात्रा है। उल्लेखनीय है कि यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 26 वर्षों में पहली त्रिनिदाद यात्रा है, जिससे इसके ऐतिहासिक महत्व का स्पष्ट संकेत मिलता है।
पोर्ट ऑफ स्पेन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन न केवल राजनयिक परंपरा बल्कि सांस्कृतिक साझेदारी की एक जीवंत तस्वीर बन गया। जब उनका विमान उतरा, तो वहां की पारंपरिक नृत्य मंडलियों ने ढोलक, चक-चक और कैलिप्सो धुनों के साथ स्वागत किया। हवाई अड्डे पर लगे पोस्टरों, बैनरों और पारंपरिक भारतीय रंगों में रंगी सड़कों ने एक छोटे भारत का अहसास कराया।
प्रधानमंत्री कमला बिसेसर स्वयं पारंपरिक भारतीय साड़ी में प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत हेतु उपस्थित थीं, जो दोनों देशों के सांस्कृतिक रिश्तों की गहराई को रेखांकित करता है। इस दृश्य ने दर्शाया कि भौगोलिक दूरी भले ही हजारों मील हो, लेकिन भावनात्मक और सांस्कृतिक संबंधों की डोर अब भी उतनी ही सशक्त है।
भारतीय उच्चायोग द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया गया:
“त्रिनिदाद और टोबैगो में आपका स्वागत है प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी!!”
यह पोस्ट कुछ ही घंटों में हजारों बार साझा हुआ और कैरिबियाई क्षेत्र में भारत की लोकप्रियता को दर्शाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्ष 1999 के बाद पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री इस द्वीपीय राष्ट्र की आधिकारिक यात्रा पर आए हैं। त्रिनिदाद और भारत के संबंध 19वीं सदी में तब शुरू हुए जब ब्रिटिश शासन के दौरान हजारों भारतीय मजदूर गिरमिटिया प्रणाली के तहत यहां लाए गए। आज त्रिनिदाद एवं टोबैगो में भारतीय मूल की आबादी लगभग 37% है, जो वहां की राजनीति, प्रशासन, साहित्य और व्यापार में सक्रिय भूमिका निभा रही है।
प्रधानमंत्री की यह यात्रा उन ऐतिहासिक जड़ों का पुनर्स्मरण है और यह भी संकेत है कि भारत अब केवल एशिया में नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर अपने समुदायों और साझेदारों के साथ सक्रियता से जुड़ रहा है। यह यात्रा भारत और त्रिनिदाद के बीच साझा विरासत और भविष्य की साझेदारी के बीच सेतु का कार्य करेगी।
भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, “त्रिनिदाद एवं टोबैगो भारत का प्राकृतिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच लोकतंत्र, विविधता और समावेश जैसे साझा मूल्य हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा इन मूल्यों को और गहराई देगी।”
त्रिनिदाद में प्रवासी भारतीय समुदाय की संख्या लाखों में है, जिनमें से अधिकांश उत्तर प्रदेश और बिहार की पृष्ठभूमि से हैं। प्रधानमंत्री मोदी के आगमन की खबर से ही पूरे देश में उत्सव का माहौल था। भारतीय मूल के लोग पारंपरिक पोशाक में, तिरंगे और स्वागत बैनरों के साथ सड़कों पर उमड़ पड़े।
‘मोदी-मोदी’ के नारों के बीच पारंपरिक भजन, रामायण पाठ, लोकगीत, नगाड़े और ढोल की थाप पर पूरे पोर्ट ऑफ स्पेन की गलियाँ झूम उठीं। यह दृश्य किसी भारत महोत्सव से कम नहीं था। स्थानीय मीडिया ने इसे “People’s Parade for India” की संज्ञा दी।
भारत के उच्चायुक्त प्रदीप सिंह राजपुरोहित ने संवाददाताओं से कहा:
“त्रिनिदाद और टोबैगो की जनता और सरकार दोनों भारत के साथ दीर्घकालिक और व्यापक साझेदारी की आकांक्षा रखते हैं। प्रवासी समुदाय भारत के प्रति अत्यधिक भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है और भारत की हर घटना पर बारीकी से नजर रखता है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (X) पर अपने स्वागत की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा:
“पोर्ट ऑफ स्पेन में स्वागत समारोह की कुछ झलकियाँ साझा कर रहा हूं। आशा है कि भारत और त्रिनिदाद एवं टोबैगो के बीच मित्रता आने वाले समय में नई ऊंचाइयों को छुएगी!”
रणनीतिक और बहुआयामी कार्यक्रमों की झलक:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी त्रिनिदाद यात्रा के दौरान राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर के साथ गहन द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इन वार्ताओं का उद्देश्य केवल वर्तमान संबंधों को सुदृढ़ करना नहीं है, बल्कि भावी साझेदारी को ठोस योजनाओं और समझौतों के माध्यम से नया आयाम देना है।
9व्यापार और निवेश सहयोग:
भारत और त्रिनिदाद के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूती देने पर विशेष बल दिया जाएगा। तेल और गैस सेक्टर में त्रिनिदाद की भूमिका महत्वपूर्ण है, वहीं भारत ऊर्जा का बड़ा उपभोक्ता देश है। दोनों देश व्यापार में विविधता लाकर वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, दवाइयाँ और जैव-प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में भी निवेश को प्रोत्साहित करेंगे। भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और त्रिनिदाद की ‘डाइवर्सिफिकेशन एजेंडा’ आपस में एक-दूसरे के पूरक बन सकते हैं।
शिक्षा, स्वास्थ्य और डिजिटल कनेक्टिविटी:
भारत की तकनीकी प्रगति, विशेष रूप से डिजिटल इंडिया और आयुष्मान भारत जैसी पहलों को त्रिनिदाद के स्वास्थ्य और शिक्षा ढांचे से जोड़ने के अवसर तलाशी जाएंगे। भारत अपनी ई-विधान, टेलीमेडिसिन, और डिजिटल क्लासरूम परियोजनाओं के माध्यम से त्रिनिदाद में क्षमता निर्माण में सहयोग करेगा। त्रिनिदाद के विश्वविद्यालयों और भारत की आईआईटी-आईआईएम संस्थाओं के बीच छात्रवृत्ति और एक्सचेंज प्रोग्राम भी प्रस्तावित हैं।
संस्कृति और पर्यटन:
भारत और त्रिनिदाद दोनों ही सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राष्ट्र हैं। भारतीय त्योहार, संगीत, नृत्य और भोजन त्रिनिदाद की संस्कृति में रचे-बसे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में भारतीय मूल के लोगों से संवाद, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी, और ‘भारत-त्रिनिदाद सांस्कृतिक समझौते’ पर हस्ताक्षर शामिल हैं। इसके अलावा, दोनों देश ‘सांस्कृतिक विरासत पर्यटन’ (heritage tourism) को बढ़ावा देने पर सहमत हो सकते हैं।
आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा
त्रिनिदाद में आयुर्वेद और योग की लोकप्रियता बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा में आयुष मंत्रालय और त्रिनिदाद के स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच सहयोग समझौता प्रस्तावित है, जिसमें आयुर्वेदिक रिसर्च सेंटर, योग केंद्रों की स्थापना और संयुक्त अनुसंधान की संभावनाएं प्रमुख हैं।
आईटी और स्टार्टअप सहयोग
भारत के उभरते हुए स्टार्टअप ईकोसिस्टम को त्रिनिदाद जैसे छोटे लेकिन तकनीकी रूप से सक्रिय देश में विस्तार देने का विचार इस यात्रा के केंद्र में है। भारत अपने “Startup India” अभियान के तहत त्रिनिदाद में प्रशिक्षण, निवेश और इन्क्यूबेशन सपोर्ट केंद्र स्थापित करने की दिशा में सहमति बनाने की कोशिश करेगा। इसके अतिरिक्त, साइबर सुरक्षा, फिनटेक और एआई आधारित सेवाओं पर भी साझेदारी होगी।
अंतरिक्ष और रक्षा तकनीकी समझौते:
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा में इसरो और त्रिनिदाद की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी के बीच सहयोग पर विचार हो सकता है। भारत छोटे उपग्रह प्रक्षेपण, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन और नेविगेशन जैसी तकनीकों में त्रिनिदाद की मदद कर सकता है। साथ ही, रक्षा क्षेत्र में Coast Guard Training, समुद्री सुरक्षा, और संयुक्त अभ्यास की संभावनाओं पर भी चर्चा होगी — जो भारत की HADR (Humanitarian Assistance and Disaster Relief) नीति के अंतर्गत आते हैं।
संसद सत्र को संबोधन: वैश्विक दृष्टिकोण और दक्षिण-दक्षिण सहयोग का मंच
प्रधानमंत्री मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे। यह संबोधन ऐतिहासिक होगा, क्योंकि यह भारत के किसी प्रधानमंत्री द्वारा कैरिबियाई संसद में दिया गया पहला भाषण होगा। उनके संबोधन के मुख्य विषय होंगे:
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भारत की वैश्विक भूमिका और समावेशी विकास की नीति
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दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत करने की रणनीति
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हिंद महासागर और अटलांटिक क्षेत्र में सामुद्रिक सुरक्षा
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जलवायु परिवर्तन और सतत विकास में साझेदारी
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प्रवासी भारतीयों की भूमिका और उनकी सुरक्षा
प्रधानमंत्री अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट कर सकते हैं कि भारत अब केवल एशिया तक सीमित नहीं, बल्कि कैरिबियाई और लैटिन अमेरिका देशों में भी सशक्त साझेदार बनने के लिए प्रतिबद्ध है।
बॉक्स न्यूज़ अनुभाग:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा – प्रमुख तथ्य
विशेषता | विवरण |
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यात्रा तिथि | 5 जुलाई 2025 |
स्वागत स्थल | पोर्ट ऑफ स्पेन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा |
स्वागत में उपस्थित | प्रधानमंत्री कमला बिसेसर, 38 मंत्री, 4 सांसद |
सांस्कृतिक कार्यक्रम | पारंपरिक नृत्य, स्वागत गीत, लोकनाट्य |
प्रमुख उद्देश्य | द्विपक्षीय वार्ता, संसद संबोधन, प्रवासी संवाद |
भारत के उच्चायुक्त | प्रदीप सिंह राजपुरोहित |
संबोधन स्थल | त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद |
अन्य मुलाकातें | राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू, भारतीय समुदाय |
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा भारत की विदेश नीति, वैश्विक सहभागिता और प्रवासी रणनीति का प्रभावशाली प्रदर्शन है। यह यात्रा न केवल भावनात्मक और सांस्कृतिक स्तर पर एक नई ऊर्जा प्रदान करती है, बल्कि कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर भी भारत और कैरिबियाई राष्ट्रों के बीच सहयोग के नए आयाम खोलती है। आने वाले वर्षों में यह दौरा एक ऐसे मॉडल के रूप में देखा जाएगा जिसमें इतिहास, संस्कृति, राजनीति और रणनीति का अद्भुत समन्वय हुआ — भारत के “वसुधैव कुटुम्बकम” के दर्शन को साकार करते हुए।