नई दिल्ली पेंशन केवल एक वित्तीय सुविधा नहीं, बल्कि यह सेवा निवृत्त सरकारी कर्मचारियों की गरिमा और उनकी वर्षों की निष्ठावान सेवा का प्रतीक होती है। भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में जहां लाखों कर्मचारी सेवा निवृत्त होते हैं, वहां यह सुनिश्चित करना कि उन्हें समय पर और निष्पक्ष रूप से पेंशन लाभ प्राप्त हो, सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी बनती है।
इसी भावना के अनुरूप, केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 2 जुलाई 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक ऐतिहासिक “पेंशन मुकदमेबाजी पर राष्ट्रीय कार्यशाला” के पूर्ण सत्र को संबोधित किया। यह कार्यशाला पेंशन से जुड़े मामलों में मुकदमेबाजी को कम करने और विभागों के बीच बेहतर समन्वय की दिशा में एक निर्णायक प्रयास के रूप में देखी जा रही है।
कार्यशाला का उद्देश्य: मुकदमेबाजी का प्रबंधन, पेंशनभोगियों को राहत
यह पहली बार था जब पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने विशेष रूप से पेंशन मुकदमेबाजी पर राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला का उद्देश्य था:
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मंत्रालयों/विभागों के नोडल अधिकारियों, पैनल वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों के बीच सामूहिक विमर्श की सुविधा प्रदान करना।
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लंबित मुकदमों के समयबद्ध निपटान के लिए रणनीति विकसित करना।
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पेंशन नियमों की व्याख्या, परिवार पेंशन, विलंबित भुगतान, और पुनः गणना विवादों जैसे जटिल मुद्दों पर स्पष्टता लाना।
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मुकदमेबाजी में लगने वाले समय और संसाधनों की बचत करना।
डॉ. जितेंद्र सिंह का संबोधन: सरकार की प्रतिबद्धता स्पष्ट
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा:
“पेंशन, सेवा का प्रतिफल है। यह केवल वित्तीय समर्थन नहीं, बल्कि हमारे सेवा निवृत्त नागरिकों की गरिमा की रक्षा का एक माध्यम है। अतः यह आवश्यक है कि पेंशनभोगियों को कानूनी प्रक्रिया में अनावश्यक रूप से न घसीटा जाए।”
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि केंद्र सरकार पेंशन मामलों को लेकर अत्यंत संवेदनशील है और प्रशासनिक दक्षता, संवेदनशीलता तथा प्रौद्योगिकी के सहारे समाधान को प्राथमिकता दे रही है।
प्रमुख वक्ता और सहभागिता
इस राष्ट्रीय कार्यशाला में देशभर के मंत्रालयों/विभागों के नोडल अधिकारी, विधि विशेषज्ञ, CAT (Central Administrative Tribunal) के न्यायिक पदाधिकारी, वरिष्ठ सरकारी वकील और पेंशन से संबंधित मामलों के तकनीकी विशेषज्ञों ने भाग लिया। प्रमुख वक्ताओं में शामिल थे:
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भारत के अटॉर्नी जनरल श्री आर. वेंकटरमानी
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सचिव (पेंशन) श्री वी. श्रीनिवास
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सचिव (पूर्व सैनिक कल्याण) डॉ. नितेन चंद्रा
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एएसजी (Additional Solicitor General) श्री विक्रमजीत बनर्जी
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कैट के सदस्य डॉ. छबीलेंद्र राउल
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संयुक्त सचिव (पेंशन) श्री ध्रुबज्योति सेनगुप्ता
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वरिष्ठ अधिवक्ता, दिल्ली हाईकोर्ट – श्री टी. पी. सिंह
मुख्य विषय: पेंशन मुकदमेबाजी के कारण और समाधान
1. विलंबित भुगतान और प्रक्रियागत जटिलताएं
अधिकांश मुकदमे पेंशन के विलंबित भुगतान, गलत गणना, या कागजातों की कमी के कारण होते हैं। वक्ताओं ने बताया कि एक सेवा निवृत्त कर्मचारी को अपने अंतिम वर्षों में बार-बार कोर्ट के चक्कर लगाना पड़ता है – यह एक न्यायिक विफलता ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक संवेदनहीनता का द्योतक है।
2. परिवार पेंशन में भेदभाव
एक ही श्रेणी में कार्यरत कर्मचारियों की मृत्यु उपरांत उनके परिजनों को विभिन्न पेंशन दरें प्राप्त होती हैं। इस असमानता को लेकर सैकड़ों याचिकाएं विचाराधीन हैं।
3. पुराने और नए पेंशन नियमों के टकराव
NPS और OPS (नई और पुरानी पेंशन स्कीम) के बीच व्याख्यात्मक भ्रम से भी मुकदमेबाजी की संख्या बढ़ रही है।
तकनीकी सत्र: कानून और समाधान की दिशा में गहराई से विमर्श
कार्यशाला में दो प्रमुख तकनीकी सत्र आयोजित किए गए:
i. पेंशन केस लॉ पर परिचर्चा
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CAT, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख पेंशन निर्णयों की विवेचना की गई।
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इन फैसलों में स्थापित “न्याय के सिद्धांतों” की समीक्षा की गई।
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अधिकारियों को पूर्व निर्णयों से शिक्षण लेकर समान निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
ii. CAT में पेंशन मुकदमेबाजी: कारण और निवारण
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CAT के आंकड़ों के अनुसार कुल मामलों में 30% से अधिक पेंशन संबंधी हैं।
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प्रशासनिक तैयारी और वकीलों के सही प्रशिक्षण से कई मामलों को अदालत पहुंचने से पहले सुलझाया जा सकता है।
विधिक मामलों के विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देश
4 अप्रैल 2025 को विधिक मामलों के विभाग द्वारा मुकदमेबाजी प्रबंधन के लिए जारी नए दिशा-निर्देशों की चर्चा कार्यशाला में विस्तृत रूप से की गई। इनमें शामिल हैं:
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विभागों में मुकदमेबाजी के नोडल अधिकारी नियुक्त करना।
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हर मंत्रालय के पास एक लीगल मैनेजमेंट सेल की स्थापना।
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अदालतों में जाने से पहले गंभीर समीक्षा प्रक्रिया।
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समय पर जवाब दाखिल करने के लिए डिजिटल निगरानी प्रणाली।
डिजिटल पेंशन केस मैनेजमेंट सिस्टम: प्रौद्योगिकी का उपयोग
पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें एक एकीकृत डिजिटल पेंशन मुकदमा निगरानी प्रणाली (e-PLMS) की परिकल्पना की गई है:
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हर केस का रीयल-टाइम स्टेटस अपडेट
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लंबित कारणों की पहचान
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विभागीय अधिकारियों के लिए समयबद्ध अलर्ट
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वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी व्यवस्था
अंतर-मंत्रालयी समन्वय: एक आवश्यक पहल
मंत्री ने कहा कि “दोष पेंशनभोगी का नहीं, सिस्टम का है।” यदि एक मंत्रालय आदेश देता है और दूसरा अनुपालन नहीं करता, तो मुकदमेबाजी अवश्यंभावी हो जाती है। अतः उन्होंने सभी मंत्रालयों के बीच समन्वय समिति बनाने का प्रस्ताव रखा।
पूर्व सैनिकों के मामलों पर विशेष सत्र
पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के सचिव डॉ. नितेन चंद्रा ने बताया कि:
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पूर्व सैनिकों से संबंधित पेंशन विवादों की संख्या नागरिक पेंशनभोगियों से अधिक है।
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उनके मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप से पहले आंतरिक निस्तारण प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।
आगे की दिशा: कार्यशाला की अनुशंसाएं
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सभी मंत्रालयों में “पेंशन मुकदमा निवारण सेल” की स्थापना।
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CAT और हाईकोर्ट के निर्णयों का डिजिटल डेटाबेस।
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पेंशन नोडल अधिकारियों का वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम।
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विवाद पूर्व समाधान तंत्र (Pre-litigation Mechanism) की स्थापना।
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पेंशन विवादों में ADR (Alternative Dispute Resolution) प्रणाली का प्रयोग।
निष्कर्ष: न्याय, करुणा और उत्तरदायित्व की ओर
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने समापन भाषण में कहा:
“यह कार्यशाला एक शुरुआत है – पेंशनभोगियों को न्याय दिलाने, उनकी गरिमा की रक्षा करने और सरकार की संवेदनशीलता को सुनिश्चित करने की दिशा में।”
इस कार्यशाला से यह स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार पेंशनभोगियों के हितों की रक्षा को केवल विधिक नहीं, नैतिक उत्तरदायित्व भी मानती है।
समाप्ति टिप्पणी: कल्याणकारी शासन की एक परिभाषा
पेंशन मुकदमेबाजी पर यह कार्यशाला केवल एक प्रशासनिक बैठक नहीं थी – यह संवेदनशील शासन की परिकल्पना को साकार करने का प्रयास थी, जहाँ सरकार नागरिक के जीवन के हर चरण में साथ खड़ी है – सेवा में और सेवा के बाद भी।