Mission Sindoor

पूर्वोत्तर में जल परिवहन का नया युग मोदी सरकार के नेतृत्व में 5000 करोड़ की जलमार्ग परियोजनाएं शुरू

Admin Site |08.07.2025|Mission Sindoor|

गुवाहाटी, 8 जुलाई:
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में पूर्वोत्तर भारत के लिए मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं की घोषणा की। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में जलमार्ग बुनियादी ढांचे के विकास और समुद्री कौशल प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार 5000 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। इस परियोजना का उद्देश्य पूर्वोत्तर को जलमार्ग आधारित व्यापार, परिवहन और रोजगार के एक वैश्विक केंद्र में बदलना है।

सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में, हमने भारत के समुद्री क्षेत्र को पहले से कहीं अधिक प्रगतिशील बना दिया है। पूर्वोत्तर को जलमार्गों के माध्यम से मुख्यधारा के आर्थिक परिदृश्य से जोड़ने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगले दशक में पूर्वोत्तर के 50,000 युवाओं को समुद्री कौशल में प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए गुवाहाटी में समुद्री कौशल विकास केंद्र (एमएसडीसी) और डिब्रूगढ़ में 200 करोड़ रुपये की लागत से उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित किए जा रहे हैं। इन संस्थानों से सालाना लगभग 500 नौकरियों का सृजन होगा।

“हमारा लक्ष्य है कि पूर्वोत्तर के युवाओं को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण देकर उन्हें वैश्विक समुद्री उद्योग में रोजगार के लिए तैयार किया जाए,” उन्होंने कहा।

कलादान परियोजना

सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि भारत-म्यांमार मैत्री संधि के तहत कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (केएमटीटीपी) को 2027 तक पूरी तरह से चालू किया जाएगा। यह परियोजना म्यांमार के सित्तवे बंदरगाह से भारत के मिजोरम राज्य के जोरिनपुई तक अंतर्देशीय जलमार्ग और सड़क के माध्यम से कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।

इस परियोजना के माध्यम से त्रिपुरा, मिजोरम और असम के व्यवसायियों को दक्षिण पूर्व एशिया के बाजारों तक सीधी और सस्ती पहुंच मिलेगी। ट्रांसपोर्ट लागत और समय में भारी कटौती संभव होगी।

सरकार ने ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों में जल परिवहन को साल भर संभव बनाने के लिए 610 करोड़ रुपये के निवेश से 10 जलथलचर और कटर सेक्शन ड्रेजर की तैनाती की योजना बनाई है। इसके अलावा, जर्मन कंपनी रेन्स के सहयोग से 2025 तक एनडब्ल्यू-2 और एनडब्ल्यू-16 पर 100 आधुनिक बजरे संचालित किए जाएंगे।

सोनोवाल ने कहा, “हम असम और पूर्वोत्तर को जलमार्ग नेटवर्क के माध्यम से एकीकृत व्यापार केंद्र बनाना चाहते हैं। इसके लिए 85 सामुदायिक घाटों का निर्माण किया जाएगा।”

पूर्वोत्तर में पर्यटन और क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सिलघाट, नेमाटी, बिस्वनाथ घाट और गुइजान में पर्यटन और कार्गो जेटी विकसित किए जाएंगे। इस पर कुल 300 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इससे न केवल माल परिवहन आसान होगा बल्कि नदी पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

शहरी परिवहन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए गुवाहाटी, तेजपुर और डिब्रूगढ़ में जल मेट्रो परियोजनाएं प्रस्तावित की गई हैं। इन शहरों में व्यवहार्यता अध्ययन पूरा हो चुका है और अब केंद्रीय योजनाओं के तहत क्रूज व जल परिवहन जहाजों की खरीद की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

पांडु, तेजपुर, बिस्वनाथ और बोगीबील में लाइटहाउस बनाने की योजना है, जिनमें से प्रत्येक में मौसम विभाग केंद्र की सुविधा होगी। यह व्यवस्था स्थानीय मौसम की सटीक भविष्यवाणी उपलब्ध कराएगी, जिससे जलमार्ग सुरक्षा में सुधार होगा।

साथ ही मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा के लिए आईडब्ल्यूटी (Inland Waterways Transport) अवसंरचना का विस्तार किया जा रहा है, ताकि इन राज्यों को जल-आधारित पर्यटन और व्यापार से जोड़ा जा सके।

पिछले 11 वर्षों में बंदरगाहों की क्षमता लगभग दोगुनी हो चुकी है। देश के नौ प्रमुख बंदरगाह विश्व बैंक की शीर्ष 100 सूची में शामिल हो चुके हैं और विशाखापत्तनम बंदरगाह अब दुनिया के शीर्ष 20 बंदरगाहों में गिना जा रहा है।

आईबीपीआर (Indo-Bangladesh Protocol Route) के माध्यम से भारत ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर निर्भरता घटाई है और नए व्यापार मार्गों का निर्माण किया है। इसका लाभ मिजोरम, त्रिपुरा और बांग्लादेश को सीधा व्यापार संपर्क देकर मिलेगा।

सोनोवाल ने बताया कि म्यांमार के सित्तवे से टेकनाफ, बांग्लादेश होते हुए त्रिपुरा के सबरूम तक माल परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे क्षेत्र में रसद लागत में भारी कमी आएगी।

स्थानीय हस्तशिल्प, कृषि उत्पादों और पर्यटन को नई ऊर्जा देने के लिए यह जलमार्ग नेटवर्क रणनीतिक रूप से तैयार किया गया है। इससे न केवल नई नौकरियां पैदा होंगी बल्कि स्थानीय समुदायों को भी सशक्त बनाया जा सकेगा।


भारत सरकार ने पूर्वोत्तर भारत के अंतर्देशीय जलमार्ग क्षेत्र के विकास के लिए ₹5000 करोड़ के व्यापक निवेश की योजना बनाई है। इस निवेश से बुनियादी ढांचे में तेजी आएगी, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी मजबूत होगी और नदी-आधारित परिवहन का एक स्थायी मॉडल तैयार होगा।


अगले दस वर्षों में पूर्वोत्तर के 50,000 युवाओं को समुद्री कौशल से लैस करने की योजना बनाई गई है। गुवाहाटी में समुद्री कौशल विकास केंद्र और डिब्रूगढ़ में उत्कृष्टता केंद्र जैसे संस्थान इस दिशा में प्रशिक्षण और रोजगार का सशक्त प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करेंगे।


एनडब्ल्यू-2 (ब्रह्मपुत्र) और एनडब्ल्यू-16 (बराक) जैसे जलमार्गों पर एक वैश्विक लॉजिस्टिक्स कंपनी रेनस द्वारा संचालित 100 बजरे लगाए जाएंगे। इसके अलावा, 610 करोड़ रुपये के निवेश से 10 जलथलचर और कटर सेक्शन ड्रेजर तैनात किए जाएंगे ताकि पूरे साल जलमार्ग संचालित रह सकें।


जल परिवहन को शहरी यातायात का विकल्प बनाने के उद्देश्य से गुवाहाटी, तेजपुर और डिब्रूगढ़ में जल मेट्रो परियोजनाओं की योजना बनाई गई है। इन परियोजनाओं का व्यवहार्यता अध्ययन पूरा हो चुका है, और शीघ्र ही क्रियान्वयन प्रारंभ होगा।


पर्यटन और माल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए इन चार प्रमुख स्थानों पर अत्याधुनिक पर्यटन और कार्गो जेटी का निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना से स्थानीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और व्यावसायिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।


सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर निर्भरता कम करने के लिए भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट के तहत नए जलमार्ग विकसित किए जा रहे हैं। इससे मिजोरम, त्रिपुरा और असम को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से सीधे जोड़ा जा सकेगा।


भारत-म्यांमार सहयोग की यह परियोजना पूर्वोत्तर भारत को म्यांमार के सित्तवे बंदरगाह के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों से जोड़ देगी। यह रणनीतिक परियोजना व्यापार, सुरक्षा और कनेक्टिविटी के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।


जल परिवहन की सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए इन चार स्थानों पर आधुनिक लाइटहाउस और मौसम पूर्वानुमान केंद्र स्थापित किए जाएंगे। यह विशेषकर मानसून और कोहरे जैसे चुनौतीपूर्ण मौसम में उपयोगी होंगे।


स्थानीय संपर्क, पर्यटन और छोटे व्यापार को सशक्त करने के लिए 85 नए सामुदायिक घाट बनाए जाएंगे। यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ-साथ सामाजिक समावेशिता को भी बल देगी।

केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल संवाददाता सम्मेलन में जलमार्ग परियोजनाओं की विस्तृत जानकारी साझा करते हुए। उनके पीछे मंत्रालय का लोगो और प्रोजेक्ट रोडमैप की झलक। यह छवि नेतृत्व और सरकारी प्रतिबद्धता को चित्रित करती है।

ब्रह्मपुत्र नदी पर एक कार्गो बार्ज या यात्री नाव का दृश्य, जिसमें आस-पास के ग्रामीण जीवन और हरियाली की पृष्ठभूमि हो। यह तस्वीर जलमार्गों के व्यवहारिक उपयोग और क्षेत्रीय जीवन से इसके जुड़ाव को दर्शाती है।

जल मेट्रो परियोजना का एक ग्राफिक रेंडर या मॉडल दृश्य जिसमें फ्यूचरिस्टिक जलयान, टर्मिनल स्टेशन और ब्रह्मपुत्र के तट पर यात्री व्यवस्था दिखे। यह तस्वीर शहरी जल परिवहन के नवाचार को सामने लाती है।

भारत-म्यांमार कनेक्टिविटी को दिखाता हुआ एक इन्फोग्राफिक नक्शा, जिसमें कोलकाता, सित्तवे, पलेतवा, जोरिनपुई और त्रिपुरा के बीच प्रस्तावित मार्ग दर्शाए गए हों। यह परियोजना के रणनीतिक महत्व को स्पष्ट करता है।

कक्षा या प्रशिक्षण केंद्र का दृश्य जहां प्रशिक्षक नौजवानों को नाव संचालन, नौवहन सुरक्षा या समुद्री संचार के उपकरणों का उपयोग सिखा रहे हों। यह तस्वीर युवाओं की भागीदारी और भविष्य निर्माण की झलक देती है।

Exit mobile version