Admin Site |09.07.2025|Mission Sindoor|
जयपुर, 8 जुलाई।
राज्य सरकार की संवेदनशील पहल के तहत मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के निर्देशन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़े का आयोजन जयपुर सहित पूरे राजस्थान में किया जा रहा है। इसका उद्देश्य समाज के सबसे अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और सेवाओं को पहुँचाना है।
इस अभियान के तहत जिले में 7 जुलाई तक आयोजित 456 शिविरों के माध्यम से 43 लाख 74 हजार 581 कार्य संपादित किए गए हैं, जिनमें 16 विभागों की 63 योजनाएं और सेवाएं सम्मिलित हैं। यह राज्य में अब तक का सबसे व्यापक शिविर आधारित सेवा वितरण कार्यक्रम बन चुका है।
जिला कलेक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी स्वयं इस अभियान की अगुवाई कर रहे हैं। वे प्रतिदिन प्रातःकाल अधिकारियों को आवश्यक टास्क सौंपते हैं, दिनभर उसकी प्रगति की सतत निगरानी करते हैं और रात्रि में समग्र समीक्षा कर यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई समस्या तो नहीं आ रही। यदि कोई अड़चन सामने आती है, तो उसका समाधान उसी रात तैयार किया जाता है जिससे अगले दिन की रणनीति और भी प्रभावी बन सके।
मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक में उन्होंने अब तक की उपखंडवार एवं विभागवार प्रगति की समीक्षा की और आगामी 9 जुलाई को आयोजित होने वाले फॉलोअप शिविरों की कार्य योजना पर भी दिशा-निर्देश दिए।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़े के अंतर्गत जयपुर जिले में आयोजित शिविरों के माध्यम से जनसेवा का जो दायरा स्थापित हुआ है, वह एक प्रशासनिक उदाहरण बन चुका है। इन शिविरों में विभागवार जो सेवाएं प्रदान की गईं, उनके आंकड़े न केवल जनभागीदारी का प्रमाण हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि किस विभाग ने किस स्तर पर अपनी जवाबदेही निभाई।
इस अभियान में सबसे अधिक कार्य वन विभाग द्वारा संपादित किए गए, जिनकी संख्या 18 लाख 60 हजार 621 रही। इसने यह साबित किया कि पर्यावरण, वृक्षारोपण, भूमि उपयोग और वन्य संसाधनों को लेकर लोगों में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है और विभाग ने इस दिशा में बड़े पैमाने पर कार्य संपादित किए।
इसके पश्चात चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने 6 लाख 42 हजार 923 सेवाएं आमजन तक पहुंचाई। यह सेवाएं स्वास्थ्य जांच, औषधि वितरण, टीकाकरण, मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाएं और स्क्रीनिंग जैसे विषयों पर केंद्रित रहीं, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा को मजबूती मिली।
पशुपालन विभाग ने भी उल्लेखनीय कार्य करते हुए 4 लाख 74 हजार 524 सेवाएं प्रदान कीं। इनमें पशुओं का टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान, चारा अनुदान वितरण और पशु स्वास्थ्य शिविर शामिल रहे। यह आंकड़ा दर्शाता है कि पशुपालकों के हित को लेकर विभाग ने सक्रियता से कार्य किया।
इसके अतिरिक्त अन्य विभागों का प्रदर्शन निम्नानुसार रहा:
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राजस्व विभाग द्वारा 18,449 कार्यों का निष्पादन किया गया। इनमें नामांतरण, खाता सुधार, सीमांकन, वंशावली प्रमाण पत्र जैसी सेवाएं शामिल थीं।
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ग्रामीण विकास विभाग ने 3,28,060 कार्य पूरे किए, जो प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं पर आधारित थे।
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पंचायती राज विभाग ने 3,72,589 कार्यों के साथ स्थानीय स्वशासन को गति प्रदान की।
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ऊर्जा विभाग ने 63,641 कार्यों के तहत बिजली कनेक्शन, बिल सुधार, ट्रांसफार्मर बदलाव जैसी सेवाएं दीं।
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जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने 19,195 कार्यों में पेयजल आपूर्ति, हैंडपंप मरम्मत, नल कनेक्शन को गति दी।
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जल संसाधन विभाग ने 57,764 कार्यों में सिंचाई संसाधनों के सुधार और निर्माण से जुड़ी सेवाएं प्रदान कीं।
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कृषि विभाग ने 64,089 किसानों को उन्नत बीज, कीटनाशक, प्रशिक्षण और कृषि सलाह से लाभान्वित किया।
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खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने 1,12,873 लोगों को राशन कार्ड, खाद्य सुरक्षा योजनाएं और अन्य सब्सिडी सेवाएं दीं।
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शिक्षा विभाग ने 3,51,317 सेवाओं के तहत स्कूलों में नामांकन, छात्रवृत्ति, स्थानांतरण, प्रमाण पत्र वितरण किया।
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जनजातीय विकास विभाग द्वारा 25 कार्य किए गए जो चयनित क्षेत्रों तक सीमित रहे।
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सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने 8,511 लाभार्थियों को पेंशन, विकलांग सहायता, और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ा।
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महिला एवं बाल विकास विभाग ने 8,658 सेवाएं प्रदान कर आंगनवाड़ी, पोषण, किशोरी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती दी।
जमवारामगढ़, चौमूं और बस्सी ने निभाई नेतृत्वकारी भूमिका
शिविरों की सफलता के पीछे केवल विभागीय योजनाओं का समन्वय ही नहीं, बल्कि उपखंड स्तरीय प्रशासनिक सतर्कता और योजना का भी प्रमुख योगदान रहा। जयपुर जिले के विभिन्न उपखंडों में आयोजित शिविरों में से कई उपखंडों ने सेवा वितरण में राज्य स्तरीय मिसाल पेश की।
जमवारामगढ़ उपखंड में आयोजित 55 शिविरों में कुल 4 लाख 15 हजार 514 कार्यों का निष्पादन हुआ। यह आंकड़ा दर्शाता है कि वहां की प्रशासनिक टीम ने ग्रामीण इलाकों में योजनाओं की पहुंच बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
बस्सी उपखंड में 50 शिविरों में 4 लाख 94 हजार 839 कार्यों का निष्पादन कर जिले में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। यह शिविर सीधे तौर पर ग्राम पंचायत स्तर तक योजनाओं को पहुंचाने में प्रभावी रहे।
चौमूं उपखंड में 47 शिविरों के माध्यम से 3 लाख 22 हजार 403 कार्य पूरे किए गए। इसमें राजस्व, स्वास्थ्य और शिक्षा विभागों की अधिक सक्रियता रही।
इसके अलावा भी कई उपखंडों ने प्रशंसनीय कार्य किया:
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शाहपुरा: 32 शिविरों में 3,18,823 कार्य
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चाकसू: 45 शिविरों में 3,49,040 कार्य
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आमेर: 23 शिविरों में 5,84,071 कार्य — यह आंकड़ा प्रति शिविर औसतन सबसे अधिक है।
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सांभर: 21 शिविरों में 2,62,727 कार्य
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जॉबनेर: 22 शिविरों में 2,53,682 कार्य
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जयपुर प्रथम: 12 शिविरों में 1,39,821 कार्य
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दूदू: 18 शिविरों में 1,89,663 कार्य
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मौजमाबाद: 21 शिविरों में 2,13,689 कार्य
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फागी: 19 शिविरों में 1,77,827 कार्य
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किशनगढ़ रेनवाल: 25 शिविरों में 2,01,122 कार्य
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सांगानेर: 13 शिविरों में 1,08,824 कार्य
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रामपुरा डाबड़ी: 34 शिविरों में 2,32,200 कार्य
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माधोराजपुरा: 19 शिविरों में 1,10,336 कार्य
समीक्षा बैठक में अधिकारियों की सक्रिय सहभागिता
इस समीक्षा बैठक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती प्रतिभा वर्मा, अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रथम) श्रीमती विनीता सिंह, अतिरिक्त जिला कलक्टर (तृतीय) श्रीमती कुंतल विश्नोई, अतिरिक्त जिला कलक्टर (चतुर्थ) श्री देवेन्द्र कुमार जैन, अतिरिक्त जिला कलक्टर (उत्तर) श्री मुकेश कुमार मूंड, अतिरिक्त जिला कलक्टर (दूदू) श्री गोपाल सिंह परिहार, सहित सभी संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
जयपुर जिले में 7 जुलाई 2025 तक आयोजित 456 शिविरों में कुल 43 लाख 74 हजार 581 कार्यों का निष्पादन किया गया है, जो एक अभूतपूर्व उपलब्धि मानी जा रही है। इन कार्यों में व्यक्तिगत लाभ योजनाएं, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, जल, कृषि, बिजली, महिला एवं बाल विकास जैसी प्राथमिक सेवाएं शामिल रहीं। राज्य सरकार की यह पहल आमजन को घर के पास ही सरकार की सभी आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुई है।
इन शिविरों की खास बात यह रही कि राज्य सरकार के 16 प्रमुख विभागों की 63 योजनाएं एक ही स्थान पर आमजन को उपलब्ध कराई गईं। लाभार्थियों को लंबी प्रक्रियाओं, कागजी कार्यवाही और बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिली। इस एकीकृत सेवा प्रणाली से पात्र नागरिकों को न केवल त्वरित लाभ मिला, बल्कि सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता भी बढ़ी। इसे “गवर्नेंस एट डोरस्टेप” की संकल्पना का जीवंत रूप माना गया।
जयपुर जिला कलेक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी की सक्रिय निगरानी और नेतृत्व में इस अभियान को असाधारण सफलता मिली। उन्होंने शिविरों के संचालन हेतु एक त्रिस्तरीय रणनीति अपनाई:
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सुबह: अधिकारियों को टास्क असाइन करना,
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दोपहर-दिनभर: सेवा वितरण की फील्ड मॉनिटरिंग करना,
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रात्रि: समीक्षा बैठक में फीडबैक और अगले दिन की रणनीति तय करना।
यह सतत और अनवरत मूल्यांकन प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि हर शिविर में गुणवत्तापूर्ण सेवाएं उपलब्ध हों और किसी भी स्तर पर कोई बाधा उत्पन्न न हो।
जिले के उपखंडों में जमवारामगढ़ और बस्सी शिविर निष्पादन में अग्रणी साबित हुए। जमवारामगढ़ में आयोजित 55 शिविरों में 4 लाख 15 हजार 514 कार्यों का निस्तारण किया गया, वहीं बस्सी में आयोजित 50 शिविरों में 4 लाख 94 हजार 839 कार्यों का निष्पादन हुआ। ये आँकड़े न केवल प्रशासन की तत्परता को दर्शाते हैं, बल्कि उपखंड स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों की सजगता और सेवा भावना का परिचायक भी हैं।
राज्य सरकार द्वारा यह तय किया गया है कि 9 जुलाई 2025 को सभी तहसील मुख्यालयों पर फॉलोअप कैंप आयोजित किए जाएंगे। इन शिविरों में उन लाभार्थियों की समस्याओं का निस्तारण किया जाएगा जो पूर्व शिविरों में किसी कारणवश योजना से वंचित रह गए थे या जिनके आवेदन प्रक्रियाधीन हैं। यह कदम प्रशासन की संवेदनशीलता और सेवा की निरंतरता का प्रतीक है।