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धौलपुर, 8 जुलाई धौलपुर। राजस्थान के पूर्वी छोर पर स्थित धौलपुर जिले की ऐतिहासिक और प्राकृतिक विविधताओं से समृद्ध भूमि पर अब विज्ञान और नवाचार का नया अध्याय शुरू हुआ है। मंगलवार को केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने धौलपुर जिला मुख्यालय स्थित सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय परिसर में राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान के सहयोग से स्थापित विज्ञान केंद्र का उद्घाटन किया। यह केंद्र न केवल जिले के छात्रों के लिए वैज्ञानिक प्रयोगों का मंच बनेगा, बल्कि ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में वैज्ञानिक चेतना के विस्तार की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल भी सिद्ध होगा।
उद्घाटन अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने विज्ञान केंद्र का गहन अवलोकन किया और वहां उपस्थित विद्यार्थियों के साथ संवाद किया। उन्होंने छात्रों द्वारा तैयार किए गए विज्ञान मॉडल्स और प्रयोगों को देखा, उनकी सराहना की और विज्ञान के सिद्धांतों को सरल भाषा में समझाया। उन्होंने कहा कि “विज्ञान केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं है, यह हमारे जीवन की प्रत्येक प्रक्रिया में अंतर्निहित है।”
डॉ. सिंह ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि यह विज्ञान केंद्र उनके लिए एक ‘लिविंग लैब’ के रूप में कार्य करेगा, जहाँ वे कल्पना, प्रयोग और निष्कर्ष—तीनों को स्वयं अनुभव कर सकेंगे। यह केंद्र विज्ञान को जमीनी स्तर तक ले जाने और विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगा।
विज्ञान केंद्र के उद्घाटन उपरांत केंद्रीय मंत्री ने धौलपुर कलेक्ट्रेट परिसर में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “विज्ञान और प्रकृति का समन्वय ही टिकाऊ विकास का आधार है। यदि हम तकनीकी विकास के साथ प्रकृति की रक्षा करेंगे, तभी हमारी प्रगति स्थायी होगी।”
बाद में टाउन हॉल में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह नवाचार और विज्ञान का युग है। केंद्र सरकार द्वारा आकांक्षी जिलों में विज्ञान केंद्रों की स्थापना इस सोच को धरातल पर लाने का सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि “धौलपुर का यह विज्ञान केंद्र मात्र एक इमारत नहीं, बल्कि ज्ञान, कौशल और प्रयोग की प्रयोगशाला है। यह आने वाले समय में न केवल विद्यार्थियों बल्कि शिक्षकों और शोधकर्ताओं के लिए भी प्रेरणा का केंद्र बनेगा।”
डॉ. सिंह ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता, स्थानीय समस्याओं को नवाचार से सुलझाने की रणनीतियों, और पारंपरिक ज्ञान के वैज्ञानिक उपयोग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत अब विज्ञान में केवल उपभोक्ता नहीं, निर्माता की भूमिका निभा रहा है।
इस अवसर पर उपस्थित विद्यार्थियों ने विज्ञान, नवाचार, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों पर मंत्री से सवाल पूछे और अपने विचार साझा किए। छात्राओं ने सुझाव दिया कि राज्य के अन्य जिलों में भी इसी प्रकार के विज्ञान केंद्र स्थापित किए जाएं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी समान अवसर मिल सकें।
विद्यार्थियों ने कहा कि यह केंद्र उनके लिए एक ‘लाइफ चेंजिंग प्लेटफॉर्म’ सिद्ध होगा, जहाँ वे केवल पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि जीवन के अनुभवों के माध्यम से सीख सकेंगे।
जिला प्रभारी मंत्री श्री जवाहर सिंह बेढ़म ने अपने उद्बोधन में कहा कि “जब विज्ञान बच्चों के पास पहुँचता है, तो वह उनके निर्णयों, सोच और समाज की दिशा में बदलाव लाता है।” उन्होंने कहा कि विज्ञान केंद्र तकनीकी और डिजिटल युग के साथ तालमेल बैठाने में युवाओं की बड़ी मदद करेगा।
जिला कलेक्टर श्री श्रीनिधि बी. टी. ने कहा कि “यह विज्ञान केंद्र केवल एक भवन नहीं, बल्कि धौलपुर की वैज्ञानिक उड़ान का रनवे है।” उन्होंने विश्वास जताया कि यह केंद्र जिले की पहचान को नई ऊँचाई देगा और धौलपुर को बीहड़ से नवाचार तक की यात्रा का पथप्रदर्शक बनाएगा।
धौलपुर, जो अब तक अपनी बीहड़ों, ऐतिहासिक स्थलों और प्राकृतिक विविधताओं के लिए जाना जाता रहा है, अब विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में भी अपनी एक सशक्त पहचान बना रहा है। जिले के मुख्यालय पर मंगलवार को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा विज्ञान केंद्र का उद्घाटन इस दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है। विज्ञान केंद्र के उद्घाटन कार्यक्रम में प्रस्तुत विभिन्न विचारों और पहलुओं को विस्तार से निम्नलिखित बिंदुओं में प्रस्तुत किया जा रहा है:
नवाचार और विश्वसनीयता का समन्वय
धौलपुर विज्ञान केंद्र की स्थापना राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (Defence Institute of Physiology and Allied Sciences – DIPAS) के सहयोग से की गई है। यह संस्थान देश के रक्षा विज्ञान और जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाता है। ऐसे प्रतिष्ठित संस्थान के तकनीकी सहयोग से बना यह विज्ञान केंद्र स्थानीय विद्यार्थियों को वैश्विक वैज्ञानिक स्तर के संसाधनों से जोड़ने में सहायक होगा। यह सहयोग यह सुनिश्चित करता है कि विज्ञान केंद्र न केवल शैक्षणिक दृष्टिकोण से समृद्ध हो, बल्कि उसकी कार्यप्रणाली, गुणवत्ता और शोध सामग्री भी राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो।
कक्षा से प्रयोगशाला तक की यात्रा
धौलपुर विज्ञान केंद्र विद्यार्थियों के लिए एक ‘लिविंग लेबोरेटरी’ के रूप में विकसित किया गया है, जहाँ वे सिर्फ पाठ्यपुस्तकों से पढ़ने तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि प्रयोग कर, उपकरणों का उपयोग कर, और मॉडल निर्माण जैसी गतिविधियों के माध्यम से स्वयं अनुभव प्राप्त करेंगे। यह केंद्र इंटरैक्टिव साइंस मॉडल्स, डिजिटल प्रयोगशालाएं, रोबोटिक्स किट्स, और 3D तकनीकों से सुसज्जित होगा जिससे विज्ञान को दृश्य और प्रयोगात्मक बनाया जा सके।
यह पहल विशेष रूप से ग्रामीण और सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थियों को अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी, जिन्हें आमतौर पर महंगे वैज्ञानिक उपकरणों तक सीधी पहुँच नहीं मिल पाती। अब वे अपने क्षेत्र में ही आधुनिक प्रयोगों को देखकर, समझकर और करके वैज्ञानिक सोच को आत्मसात कर सकेंगे।
विज्ञान और प्रकृति का संगम
विज्ञान केंद्र के उद्घाटन के साथ ही ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया। यह पहल वैज्ञानिक चेतना के साथ-साथ सामाजिक और पारिस्थितिक चेतना को जोड़ने का सशक्त प्रयास है।
इस अभियान का संदेश यह है कि विज्ञान यदि प्रकृति के साथ सामंजस्य में नहीं है तो वह अधूरा है। जब विद्यार्थी विज्ञान केंद्र में विज्ञान सीखेंगे और साथ ही प्रकृति की महत्ता को समझेंगे, तब वे सच्चे अर्थों में भविष्य के जिम्मेदार नागरिक बन सकेंगे। यह वैज्ञानिक शिक्षा को मानवीय और संवेदनशील बनाने की दिशा में अनुकरणीय कदम है।
वैश्विक विज्ञान से ग्रामीण नवाचार तक
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में चंद्रयान-3 मिशन और अन्य भारतीय अंतरिक्ष अभियानों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज भारत केवल अनुसरणकर्ता नहीं, बल्कि विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी देश बन चुका है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने की सफलता और कोविड-19 टीकों के स्वदेशी निर्माण जैसे उदाहरण विज्ञान के प्रति देश की निष्ठा को दर्शाते हैं।
धौलपुर जैसे आकांक्षी जिलों में विज्ञान केंद्र की स्थापना से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि भारत के वैज्ञानिक नवाचार अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं रहेंगे। स्थानीय समस्याओं जैसे जल संकट, कृषि उत्पादकता, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी आदि का समाधान अब स्थानीय विद्यार्थियों और वैज्ञानिकों की सहभागिता से खोजा जा सकेगा। विज्ञान को ‘ग्लोबल से लोकल’ बनाने की यह नीति नवाचार की सच्ची क्रांति है।
समावेशी वैज्ञानिक विकास
कार्यक्रम में उपस्थित छात्राओं ने विज्ञान केंद्र की उपयोगिता पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और अनुरोध किया कि राज्य के अन्य जिलों में भी इसी तरह के केंद्र स्थापित किए जाएं। यह सुझाव न केवल महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब छात्राएं भी विज्ञान और तकनीक को अपने भविष्य का हिस्सा मान रही हैं।
इस विज्ञान केंद्र के माध्यम से बेटियों को डिजिटल युग के अनुरूप शिक्षा और संसाधन प्राप्त होंगे। वे साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स (STEM) जैसे विषयों में रुचि ले सकेंगी, जो उन्हें आत्मनिर्भर और नेतृत्वकारी भूमिका में स्थापित करेगा।
बीहड़ से बायोटेक्नोलॉजी तक की उड़ान
धौलपुर, जिसे अक्सर बीहड़ों और सीमांत भूगोल के लिए जाना जाता रहा है, अब विज्ञान, नवाचार और सतत विकास की नई पहचान स्थापित कर रहा है। विज्ञान केंद्र के माध्यम से यह जिला अब केवल भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा।
जैसे-जैसे विज्ञान केंद्र में गतिविधियां बढ़ेंगी, स्थानीय छात्र–छात्राओं की प्रतिभा सामने आएगी, और धौलपुर एक ‘साइंस हब’ के रूप में उभरेगा। यह बदलाव न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास में भी दूरगामी प्रभाव डालेगा।