Admin Site|05.07.2025|PM Modi|India|Bharat|Order of the Republic of Trinidad and Tobago|
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो की ऐतिहासिक यात्रा ने भारत और कैरिबियाई देशों के साथ संबंधों को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी ने पोर्ट ऑफ स्पेन स्थित रेड हाउस में त्रिनिदाद और टोबैगो गणराज्य की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने आर्थिक, सांस्कृतिक, रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के दायरे को और विस्तृत करने पर विचार-विमर्श किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में चुनावों में दोबारा प्रधानमंत्री बनने पर प्रधानमंत्री बिसेसर को हार्दिक बधाई दी। इस गर्मजोशी भरे संवाद ने दोनों लोकतांत्रिक देशों के बीच विश्वास, परस्पर सम्मान और साझा विकास की भावना को और प्रगाढ़ कर दिया।
सहयोग के व्यापक क्षेत्रों पर चर्चा
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने कृषि, स्वास्थ्य सेवा, फार्मास्यूटिकल्स, डिजिटल परिवर्तन, यूपीआई प्रणाली, क्षमता निर्माण, संस्कृति, खेल और लोगों के बीच आपसी संबंधों जैसे व्यापक और संभावनाशील क्षेत्रों में सहयोग को लेकर गहन चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री बिसेसर को भारत आने का निमंत्रण भी दिया, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। दोनों पक्षों ने माना कि भारत और टीएंडटी (त्रिनिदाद एंड टोबैगो) की साझेदारी विकास सहयोग, मानव संसाधन विकास, और सांस्कृतिक गहराई पर आधारित है।
वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर एकजुट दृष्टिकोण
दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन, साइबर सुरक्षा और अन्य वैश्विक समकालीन चुनौतियों पर भी विचार साझा किया। इन मुद्दों पर एकजुट दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत पर जोर दिया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री बिसेसर का आभार व्यक्त किया कि उन्होंने हाल ही में पहल्गाम आतंकवादी हमले के बाद भारतीय लोगों के साथ एकजुटता दिखाई। दोनों नेताओं ने आतंकवाद के विरुद्ध अपने साझा दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ना अनिवार्य है।
इसके अतिरिक्त, भारत और टीएंडटी ने वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। साथ ही, भारत-कैरिकॉम (CARICOM) साझेदारी को और मजबूत करने पर सहमति बनी।
ज्ञापनों का आदान-प्रदान
इस द्विपक्षीय वार्ता के परिणामस्वरूप छह महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (MoUs) का आदान-प्रदान हुआ, जो निम्नलिखित क्षेत्रों को कवर करते हैं:
फार्माकोपिया सहयोग
भारत और टीएंडटी के बीच दवाओं की गुणवत्ता, मानक निर्धारण और चिकित्सा विनियमों में सहयोग को बढ़ावा देने वाला समझौता। यह कदम दोनों देशों में सस्ती और विश्वसनीय दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा।
त्वरित प्रभाव परियोजनाएं (Quick Impact Projects)
भारत द्वारा टीएंडटी में सामुदायिक विकास, स्वास्थ्य, जल आपूर्ति, और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में कम लागत वाली, त्वरित परियोजनाओं के माध्यम से सीधा प्रभाव डालने का लक्ष्य।
सांस्कृतिक विनिमय और संरक्षण
भारतीय और त्रिनिदाद की संस्कृति के आपसी आदान-प्रदान, त्योहारों, कलाओं और परंपराओं को संरक्षित करने व प्रोत्साहित करने हेतु सांस्थानिक सहयोग का समझौता।
खेलों के क्षेत्र में सहयोग
युवा प्रतिभाओं के विकास, खेल अवसंरचना, प्रशिक्षण, कोचिंग और टूर्नामेंट के आयोजन में आपसी सहयोग। विशेष ध्यान क्रिकेट, कबड्डी और एथलेटिक्स जैसे खेलों पर।
राजनयिक प्रशिक्षण कार्यक्रम
त्रिनिदाद के युवा राजनयिकों को भारत के प्रतिष्ठित विदेश सेवा संस्थानों में प्रशिक्षण देने के लिए एक दीर्घकालिक कार्यक्रम की शुरुआत।
हिंदी और भारतीय अध्ययन के लिए ICCR चेयर की स्थापना
पोर्ट ऑफ स्पेन के विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति, इतिहास और हिंदी भाषा के अध्ययन के लिए एक स्थायी प्रोफेसरशिप (Chair) स्थापित करने का समझौता।
संस्कृति और विरासत से जुड़ी विशेष भेंट
इस ऐतिहासिक अवसर पर, प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री बिसेसर को अयोध्या के राम मंदिर की भव्य प्रतिकृति, सरयू नदी का जल, तथा प्रयागराज के महाकुंभ का पवित्र जल भेंट किया। यह सांस्कृतिक भेंट त्रिनिदाद में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिए गौरव और भावनात्मक जुड़ाव का विषय बना।
त्रिनिदाद और टोबैगो की एक बड़ी आबादी भारतीय मूल की है, जो 1845 में गिरमिटिया मजदूरों के रूप में वहां गई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा:
“त्रिनिदाद की धरती पर भारतीय संस्कृति केवल जीवित ही नहीं है, बल्कि यहां उसने अपने अनोखे रंग और स्पंदन भी प्राप्त किए हैं।”
गिरमिटिया प्रवास की शुरुआत
भारत-टीएंडटी संबंधों की शुरुआत गिरमिटिया प्रणाली के तहत हुई, जब 1845 में जहाज़ Fatel Razack के ज़रिए पहले भारतीय मजदूर त्रिनिदाद पहुंचे। ये मजदूर मुख्यतः उत्तर प्रदेश और बिहार के थे और उन्होंने वहां की कृषि व्यवस्था, विशेषकर गन्ना उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनका श्रम, संस्कृति, भाषा और रीति-रिवाज त्रिनिदाद की सामाजिक बनावट का हिस्सा बन गए। आज टीएंडटी की कुल आबादी का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा भारतीय मूल के लोगों का है, जो भारतीय त्योहारों, भोजन, योग और पारंपरिक मूल्यों को जीवित रखे हुए हैं।
त्रिनिदाद की स्वतंत्रता और भारत की सबसे पहले मान्यता
त्रिनिदाद एंड टोबैगो को जब 31 अगस्त 1962 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिली, तो भारत उन पहले देशों में से था जिसने उसकी स्वतंत्रता को मान्यता दी और द्विपक्षीय रिश्तों की नींव रखी। यह समर्थन केवल औपचारिक नहीं था, बल्कि ऐतिहासिक संबंधों पर आधारित एक नैतिक जिम्मेदारी के रूप में भी देखा गया।
राजनयिक संबंधों की स्थापना
भारत और त्रिनिदाद के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध वर्ष 1966 में स्थापित हुए। पोर्ट ऑफ स्पेन में भारतीय उच्चायोग की स्थापना के साथ ही यह संबंध अधिक सक्रिय रूप से सामने आने लगे। शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और विकास सहयोग प्राथमिक क्षेत्रों में शामिल हो गए।
भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना
सांस्कृतिक जुड़ाव को संस्थागत स्वरूप प्रदान करते हुए भारत ने वर्ष 2012 में पोर्ट ऑफ स्पेन में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र (ICC) की स्थापना की। यह केंद्र भारतीय नृत्य, संगीत, योग, हिंदी भाषा और त्योहारों को प्रचारित करता है। इसने न केवल भारतीय मूल के लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम किया, बल्कि त्रिनिदाद के स्थानीय नागरिकों को भी भारतीय संस्कृति से अवगत कराया।
58 वर्षों के कूटनीतिक संबंध पूरे
वर्ष 2024 में भारत और त्रिनिदाद ने द्विपक्षीय कूटनीतिक संबंधों के 58 वर्ष पूरे किए। इस अवसर पर दोनों देशों ने “Heritage to Horizons” की थीम के अंतर्गत कई सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए। प्रवासी भारतीय दिवस और गिरमिटिया स्मृति दिवस जैसे आयोजनों ने भारत-टीएंडटी के ऐतिहासिक रिश्ते को भावनात्मक आधार पर फिर से प्रखर किया।
प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक यात्रा और नई रणनीतिक दिशा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुलाई 2025 की यात्रा ने भारत-टीएंडटी रिश्तों को रणनीतिक साझेदारी में बदलने की दिशा में मजबूत कदम उठाया। प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर के साथ उनकी उच्चस्तरीय वार्ता में डिजिटल तकनीक, स्वास्थ्य, साइबर सुरक्षा, संस्कृति, शिक्षा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर सहमति बनी।
महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (MoUs) का आदान-प्रदान हुआ, जिनमें फार्माकोपिया, हिंदी भाषा अध्ययन, राजनयिक प्रशिक्षण, खेल, संस्कृति और त्वरित विकास परियोजनाएं शामिल थीं। विशेष रूप से, प्रवासी भारतीयों की छठी पीढ़ी को OCI कार्ड देने की भारत की घोषणा ने वहां बसे भारतीय मूल के परिवारों में उत्साह की लहर दौड़ा दी।