4 जुलाई 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा ने भारत-कैरीबियाई संबंधों में नई ऊर्जा का संचार किया है। इस ऐतिहासिक दौरे को लेकर भारत के उच्चायुक्त प्रदीप सिंह राजपुरोहित ने मीडिया से बात करते हुए कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया कि त्रिनिदाद एवं टोबैगो की सरकार और जनता दोनों ही भारत के साथ बहुआयामी और दीर्घकालिक साझेदारी की तीव्र इच्छा रखते हैं।
उच्चायुक्त ने बताया कि इस देश में भारतीय मूल की जनसंख्या 50% से अधिक है, जिनकी जड़ें भारत से लगभग 180 वर्ष पूर्व जाकर जुड़ी थीं। उन्होंने कहा कि यह आबादी अब 5वीं और 6वीं पीढ़ी में प्रवेश कर चुकी है और आज भी भारत से उनका भावनात्मक और सांस्कृतिक संबंध उतना ही मजबूत है जितना पहली पीढ़ी का था।
उच्चायुक्त राजपुरोहित ने बताया कि त्रिनिदाद और टोबैगो के लोग भारतीय संस्कृति से गहरे जुड़े हैं। उन्होंने कहा,
“यहां का प्रवासी भारतीय समुदाय भारतीय परंपराओं, भाषा, त्योहारों और मूल्यों को जीवित रखे हुए है। भजन, रामायण पाठ, होली, दीवाली जैसे पर्वों का यहां बड़े स्तर पर आयोजन होता है।”
उन्होंने आगे बताया कि “यहां के लोग भारत में होने वाली घटनाओं पर पैनी नजर रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता इस समुदाय में अत्यंत ऊंची है। उनके नेतृत्व को वे भारत की शक्ति और गौरव का प्रतीक मानते हैं।”
उच्चायुक्त ने यह भी कहा कि यह भावनात्मक जुड़ाव केवल सांस्कृतिक नहीं, बल्कि भारत की समकालीन विदेश नीति के प्रति विश्वास का प्रतीक भी है।
राजपुरोहित ने कहा कि त्रिनिदाद और टोबैगो में भारत के साथ व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य, फार्मास्यूटिकल्स, डिजिटल तकनीक और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को लेकर गहरी इच्छाशक्ति है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया:
“यहां की सरकार भी उतनी ही इच्छुक है जितनी जनता। हम चाहते हैं कि यह दौरा ठोस परिणाम लाए और दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग का आधार बने।”
उच्चायुक्त ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान जिन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान रहेगा, उनमें UPI भुगतान प्रणाली का कार्यान्वयन, स्वास्थ्य सहयोग, फार्मा व्यापार, कृषि प्रौद्योगिकी, शिक्षा और छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रम, IT और स्टार्टअप सहयोग तथा सांस्कृतिक समझौते शामिल हैं।
भारत के उच्चायुक्त प्रदीप सिंह राजपुरोहित ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा को पिछले वर्ष गुयाना में आयोजित द्वितीय भारत–कैरिकॉम शिखर सम्मेलन की स्वाभाविक और रणनीतिक निरंतरता बताया। उन्होंने कहा कि उस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने कैरिकॉम (CARICOM – Caribbean Community) देशों के साथ बहुआयामी सहयोग की ठोस नींव रखी थी और अब यह यात्रा उस दिशा में आगे की रणनीतिक प्रगति का अवसर बनकर सामने आई है।
त्रिनिदाद और टोबैगो में हाल ही में सत्ता में आई नई सरकार भी भारत के साथ मजबूत रिश्ते चाहती है। प्रदीप सिंह राजपुरोहित ने कहा,
“इस कैबिनेट में कई मंत्री भारतीय मूल के हैं। उनमें भारत के प्रति एक विशेष भावनात्मक जुड़ाव है और वे भारत के साथ तकनीकी, आर्थिक, और सांस्कृतिक साझेदारी को लेकर बेहद उत्साहित हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत द्वारा विकसित UPI डिजिटल भुगतान प्रणाली को अपनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिससे यह देश कैरीबियाई क्षेत्र में पहला UPI कार्यान्वयनकर्ता बन सकता है। यह भारत की “डिजिटल इंडिया” मुहिम की वैश्विक स्वीकृति का संकेत है।
उच्चायुक्त ने आगे कहा कि इस यात्रा का एक बड़ा प्रभाव यह होगा कि त्रिनिदाद और टोबैगो भारत के विकास मॉडल से सीखकर अपनी नीति और ढांचे को सुदृढ़ करने की दिशा में काम करेगा।
तस्वीर अनुभाग
(यहां एक चित्र दर्शाया जा सकता है जिसमें उच्चायुक्त प्रदीप सिंह राजपुरोहित त्रिनिदाद में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा की जानकारी दे रहे हों)
कैप्शन: “त्रिनिदाद में मीडिया से बातचीत करते हुए भारत के उच्चायुक्त प्रदीप सिंह राजपुरोहित – पीएम मोदी की यात्रा को लेकर स्थानीय उत्साह का ब्योरा देते हुए”
बॉक्स न्यूज़ अनुभाग
पीएम मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा – मुख्य तथ्य
विशेषता | विवरण |
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यात्रा तिथि | 3 से 4 जुलाई 2025 |
कुल राष्ट्र यात्रा योजना | 5 देशों की यात्रा (2 जुलाई से 9 जुलाई 2025) |
त्रिनिदाद में ठहराव | 2 दिन (3-4 जुलाई) |
1999 के बाद पहली PM स्तरीय यात्रा | हां |
प्रवासी भारतीय आबादी | 50%+ (5वीं और 6वीं पीढ़ी तक फैली हुई) |
प्रमुख सहयोग क्षेत्र | डिजिटल पेमेंट, हेल्थ, शिक्षा, फार्मा, IT, कृषि |
भारत के उच्चायुक्त | प्रदीप सिंह राजपुरोहित |
प्रमुख प्रतीक | त्रिनिदाद भारत का पहला UPI लागू करने वाला कैरीबियाई देश |
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा भारत की “सहयोगात्मक कूटनीति” की गहन रणनीति का प्रतीक बन चुकी है। भारत अब केवल एशिया, अमेरिका या यूरोप तक सीमित नहीं, बल्कि अफ्रीकी और कैरीबियाई देशों में भी आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक साझेदारी का प्रमुख केंद्र बन रहा है।
भारत के उच्चायुक्त प्रदीप सिंह राजपुरोहित की बातें इस ओर संकेत करती हैं कि त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे देश अब भारत के विकास यात्रा में भागीदार बनना चाहते हैं, केवल दर्शक नहीं।
यह यात्रा एक ऐतिहासिक द्विपक्षीय मोड़ का संकेत देती है — जहाँ 180 साल पहले गन्ने के खेतों में काम करने वाले भारतीयों की संततियाँ आज भारत के प्रधानमंत्री का स्वागत देश की संसद में कर रही हैं। और यही है भारत की सच्ची ‘सॉफ्ट पावर’ — संस्कृति, परंपरा और साझेदारी की शक्ति।