
दुनिया की राजनीति में कुछ बयान, केवल वक्तव्य नहीं होते, वे अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की दिशा तय कर सकते हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के संभावित 2024 के राष्ट्रपति पद प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक ऐसा ही बयान देकर वैश्विक हलचलों को एक बार फिर झकझोर दिया है। उन्होंने इजरायल और हमास से आग्रह किया है कि वे गाज़ा में शांति समझौता करें और 7 अक्टूबर 2023 को बंधक बनाए गए शेष लोगों को तुरंत रिहा करें।
“गाज़ा में समझौता करें। बंधकों को वापस लाएं।” — यह ट्रंप का संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली संदेश था, जिसने ना केवल अमेरिकी राजनीति को बल्कि इजरायली सरकार, हमास नेतृत्व और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ संस्थाओं को भी झकझोर दिया है। ट्रंप की इस अपील को विश्लेषकों ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर अप्रत्यक्ष दबाव की संज्ञा दी है, जिससे गाज़ा युद्ध को समाप्त करने की दिशा में कोई ठोस समझौता हो सके।
7 अक्टूबर 2023: युद्ध की शुरुआत और वैश्विक चिंता
गाज़ा और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष की वर्तमान लहर की शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को उस समय हुई, जब हमास के लड़ाकों ने अचानक इजरायल के दक्षिणी भाग में आयोजित नोवा म्यूजिक फेस्टिवल पर हमला कर दिया। इस हमले में लगभग 1,200 नागरिक मारे गए और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया। इस अप्रत्याशित हमले ने न केवल इजरायल को आक्रोशित किया, बल्कि पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया।
इजरायली सेना ने तत्परता से जवाबी कार्रवाई की। गाज़ा पट्टी में बड़े पैमाने पर सैन्य ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसमें कई हमास ठिकानों को नष्ट किया गया और कुछ बंधकों को सुरक्षित रिहा भी कराया गया। हालांकि, अब भी दर्जनों बंधक हमास के कब्जे में हैं, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग शामिल हैं।
ट्रंप का बयान: शांति या राजनीतिक दबाव?
डोनाल्ड ट्रंप की ‘ट्रुथ सोशल’ पोस्ट को सिर्फ एक मानवीय अपील मानना भूल होगी। यह बयान स्पष्ट रूप से इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर दबाव बनाने के उद्देश्य से दिया गया है ताकि वे युद्धविराम समझौते को अंतिम रूप दें।
ट्रंप ने पूर्व में यह भविष्यवाणी की थी कि इस मुद्दे पर एक सप्ताह के भीतर हस्ताक्षर हो जाएंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने युद्धविराम और बंधकों की रिहाई को लेकर उन लोगों से बातचीत की है, जो इस प्रक्रिया में शामिल हैं। यह स्पष्ट करता है कि ट्रंप खुद को इस मुद्दे में एक मध्यस्थ या सलाहकार भूमिका में प्रस्तुत करना चाहते हैं।
राजनीतिक रंग: नेतन्याहू के खिलाफ मुकदमे और ट्रंप का समर्थन
ट्रंप की यह प्रतिक्रिया केवल गाज़ा संकट तक सीमित नहीं है। उन्होंने अपने पोस्ट में इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमे की आलोचना करते हुए इसे “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बताया। ट्रंप ने कहा कि इस तरह की कानूनी प्रक्रियाएं न्याय का मजाक बनाती हैं और इसका प्रतिकूल प्रभाव गाज़ा और ईरान से हो रही शांति वार्ताओं पर पड़ सकता है।
यह टिप्पणी एक ऐसे समय आई है जब नेतन्याहू के खिलाफ भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के गंभीर आरोपों की सुनवाई हो रही है। ट्रंप, जो स्वयं अमेरिका में कई कानूनी मामलों का सामना कर रहे हैं, ने इस पूरे परिदृश्य को अपनी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बना लिया है।
नेतन्याहू: “युद्ध नायक” या राजनीतिक दबाव में नेता?
ट्रंप ने नेतन्याहू को ‘युद्ध नायक’ कहकर संबोधित किया और कहा कि उन्होंने अमेरिका के साथ मिलकर ईरान के परमाणु खतरे को रोकने में शानदार भूमिका निभाई है। यह एक प्रकार से नेतन्याहू के उस दृष्टिकोण को वैधता देने का प्रयास है, जिसमें वे हमास और ईरान को इजरायल के लिए सर्वोच्च खतरा बताते रहे हैं।
ट्रंप की यह टिप्पणी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह यह संदेश देना चाह रहे हैं कि नेतन्याहू को आंतरिक राजनीति से अधिक बाहरी सुरक्षा और रणनीतिक विषयों पर ध्यान देना चाहिए।
हमास और गाज़ा की स्थिति: शांति की आशा या युद्ध का भय?
हमास, जो कि गाज़ा पट्टी में शासन करता है, पिछले आठ महीनों से इजरायली हमलों की सीधी चपेट में है। रिपोर्ट्स के अनुसार हजारों आम नागरिक, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, इन हमलों में मारे गए हैं। गाज़ा की अर्थव्यवस्था पूर्णतः चरमरा चुकी है और मानवीय सहायता का अभाव गंभीर रूप ले चुका है।
ट्रंप की ओर से शांति समझौते की अपील से यह संकेत मिलता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह भावना बढ़ रही है कि सैन्य समाधान से अधिक स्थायी समाधान राजनीतिक बातचीत और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता से ही संभव है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और अरब देश
अमेरिका की भूमिका
बाइडन प्रशासन अब तक इजरायल के रुख का समर्थन करता आया है, हालांकि हाल के महीनों में गाज़ा में मानवीय संकट और अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा को लेकर उनकी नीति में संतुलन दिखने लगा है। ट्रंप का बयान, एक संभावित राष्ट्रपति उम्मीदवार की हैसियत से, बाइडन प्रशासन की मध्य-पूर्व नीति को चुनौती भी देता है।
संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ
संयुक्त राष्ट्र महासचिव और यूरोपीय संघ ने पहले ही गाज़ा में तत्काल युद्धविराम की अपील की है। ट्रंप के बयान को इस दृष्टिकोण से भी देखा जा सकता है कि यह अमेरिका की नई रणनीतिक भूमिका की तैयारी है।
अरब देशों की चिंता
मिस्र, जॉर्डन और कतर जैसे देशों ने पहले ही हमास और इजरायल के बीच मध्यस्थता की पहल की है। ट्रंप की यह टिप्पणी उनके प्रयासों को बल दे सकती है या फिर अमेरिकी राजनीतिक स्वार्थों की झलक भी दिखा सकती है।
बंधकों की वापसी: नैतिक दायित्व या कूटनीतिक शर्त?
हमास के कब्जे में अब भी लगभग 100 से अधिक बंधक हैं। ट्रंप की अपील बंधकों की वापसी के मानवीय पहलू को उजागर करती है। लेकिन इसमें एक राजनीतिक रणनीति भी छिपी है। बंधकों की वापसी को यदि किसी संभावित समझौते से जोड़ा जाए, तो यह हमास को कुछ रियायतें मिलने की दिशा में संकेत करता है।
ट्रंप की राष्ट्रपति पद की दौड़ और इस बयान का प्रभाव
ट्रंप 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में फिर से मैदान में हैं और गाज़ा मुद्दे पर उनकी यह सक्रियता उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि को “शांति दूत” के रूप में गढ़ने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। यह बयान:
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यहूदी समुदाय के समर्थन को पुनः हासिल करने का प्रयास हो सकता है।
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डेमोक्रेटिक प्रशासन की मध्य-पूर्व नीति की आलोचना का मंच हो सकता है।
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अमेरिकी मतदाताओं को यह संदेश देने का तरीका हो सकता है कि ट्रंप वैश्विक स्तर पर भी शांति स्थापित कर सकते हैं।
कूटनीतिक विश्लेषण: ट्रंप के बयान की पाँच प्रमुख परतें
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मानवीय अपील का रूप – बंधकों की वापसी का आग्रह नैतिक और मानवीय दृष्टिकोण से किया गया है।
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नेतन्याहू के समर्थन में संकेत – उन्हें ‘युद्ध नायक’ कहकर ट्रंप ने आंतरिक राजनीतिक लड़ाई से उनका बचाव किया है।
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राजनीतिक हस्तक्षेप – नेतन्याहू के खिलाफ मुकदमे को ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ बताकर ट्रंप ने आंतरिक राजनीति में दखल दिया है।
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रणनीतिक दबाव – हमास और इजरायल दोनों पर अप्रत्यक्ष रूप से बातचीत के लिए दबाव डाला गया है।
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राष्ट्रपति चुनावी एजेंडा – ट्रंप की वैश्विक भूमिका की पुनर्स्थापना का प्रयास, विशेष रूप से मध्य-पूर्व की नीतियों को लेकर।
क्या यह शांति की शुरुआत है?
यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि ट्रंप के इस बयान के बाद इजरायल और हमास के बीच तुरंत कोई समझौता हो जाएगा। लेकिन यह स्पष्ट है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति की यह सार्वजनिक टिप्पणी, उस समय की जा रही है जब युद्ध लंबे समय से चल रहा है, जनता थक चुकी है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय किसी समाधान की तलाश में है।
यदि ट्रंप अपनी इस मध्यस्थता को आगे बढ़ाते हैं, तो यह उन्हें वैश्विक नेतृत्व की एक नई भूमिका में ला सकता है। लेकिन यह सब नेतन्याहू, हमास और अन्य संबंधित देशों की स्वीकृति और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।
निष्कर्ष: बयान के परे — शांति की वास्तविक राह
डोनाल्ड ट्रंप का “गाज़ा में समझौता करें, बंधकों को वापस लाएं” वाला बयान वर्तमान वैश्विक राजनीति में एक चिंगारी की तरह है। यह चिंगारी शांति की लौ बनती है या संघर्ष की आग को और भड़काती है, यह आने वाले हफ्तों में स्पष्ट हो जाएगा।