परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, 4 जुलाई 25
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घाना द्वारा उनके सर्वोच्च नागरिक सम्मान से अलंकृत किए जाने पर देश-विदेश में उत्साह की लहर है। यह केवल राजनयिक उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की प्रतिष्ठा, प्रभाव और वैश्विक नेतृत्व की स्वीकृति का प्रमाण है। इस सम्मान को लेकर आध्यात्मिक जगत से भी प्रतिक्रियाएं आई हैं।
परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के प्रमुख और विश्वविख्यात आध्यात्मिक संत स्वामी चिदानंद सरस्वती (मुनि) ने इसे “भारत की आत्मा का सम्मान” बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी न केवल भारत के बल्कि समस्त मानवता के नेता बन चुके हैं। उनके शब्दों में,
“प्रधानमंत्री मोदी केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक युगदृष्टा हैं। वे जहां भी जाते हैं, भारत के 140 करोड़ लोगों का सम्मान अपने साथ लेकर चलते हैं। यही कारण है कि आज विश्व भारत को सम्मान की दृष्टि से देखता है, न कि किसी राजनीतिक गणना से।”
पहला अनुच्छेद: सम्मान की ऐतिहासिक यात्रा
स्वामी चिदानंद मुनि ने घाना द्वारा पीएम मोदी को दिया गया सर्वोच्च नागरिक सम्मान “Order of the Star of Ghana” को केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारत का सम्मान बताया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा:
“मैंने अनेक प्रधानमंत्रियों को देखा है, लेकिन नरेंद्र मोदी जैसा समर्पित, अनुशासित और राष्ट्रप्रेमी प्रधानमंत्री कभी नहीं देखा। वह स्वयं के नाम या यश के लिए कार्य नहीं करते, बल्कि 140 करोड़ देशवासियों की भावना और गरिमा को आगे रखते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई संयोग नहीं है कि दुनिया के 24 से अधिक देशों ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने देश का सर्वोच्च सम्मान दिया है। यह एक संकेत है कि भारत अब ‘फॉलोअर’ नहीं, बल्कि ‘ग्लोबल लीडर’ की भूमिका में है।
चिदानंद मुनि ने यह भी जोड़ा:
“जब घाना जैसे देश, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और गांधी के विचारों से प्रेरणा ली, अब मोदी को सम्मान देते हैं, तो यह भारत की सांस्कृतिक और नैतिक महाशक्ति के रूप में स्वीकृति का प्रतीक है।”
दूसरा अनुच्छेद: सबको साथ लेकर चलने की नीति
चिदानंद मुनि ने प्रधानमंत्री मोदी की नीति की तुलना भगवान श्रीराम की समावेशी नीति से करते हुए कहा:
“जैसे प्रभु श्रीराम ने शबरी, केवट और वनवासी समाज को अपनाकर सबको साथ लिया, वैसे ही प्रधानमंत्री मोदी भी भारत की नीतियों में समावेश का भाव लेकर चल रहे हैं। उनके लिए देश का हर व्यक्ति, हर वर्ग, हर राज्य, हर समुदाय महत्वपूर्ण है।”
उन्होंने घाना यात्रा को उदाहरण बनाते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता है कि वे केवल बड़े राष्ट्रों से संबंध नहीं बना रहे, बल्कि छोटे और उभरते देशों से भी आत्मीय जुड़ाव स्थापित कर रहे हैं। यह वही नीति है, जिससे भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ को साकार करता है।
स्वामी जी ने कहा कि पीएम मोदी का दृष्टिकोण केवल भू-राजनीतिक नहीं, बल्कि मानव-राजनीतिक और सांस्कृतिक कूटनीति से प्रेरित है।
तीसरा अनुच्छेद: प्रधानमंत्री की ऊर्जा, मर्यादा और राष्ट्रनिष्ठा
चिदानंद मुनि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को “अलौकिक” बताते हुए कहा कि उनकी ऊर्जा, मर्यादा और राष्ट्रनिष्ठा किसी तपस्वी जैसी है।
उन्होंने कहा,
“करीब 20 साल पहले, जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं थे, तब मैंने उन्हें विश्व हिंदू सम्मेलन में प्रवासी भारतीयों पर बोलते सुना था। उनका एक घंटा लंबा भाषण ऐसा था कि जैसे भारत की आत्मा बोल रही हो। तभी स्पष्ट हो गया था कि यह व्यक्ति भविष्य में देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की ‘सेवा भावना’ ही उनकी प्रेरणा है। वे सप्ताह में सातों दिन, 24 घंटे देश के लिए समर्पित रहते हैं। यह केवल एक पद या कुर्सी नहीं, यह ध्यान और साधना का मार्ग है, जिस पर मोदी चल रहे हैं।
“साधारण व्यक्ति इतना कार्य नहीं कर सकता। यह संभव है क्योंकि पीएम मोदी भारत को मां मानते हैं और उस मां की सेवा को ही जीवन का उद्देश्य मानते हैं।” – चिदानंद मुनि
चौथा अनुच्छेद: त्रिनिदाद में उत्सव जैसा वातावरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा का भी उल्लेख करते हुए चिदानंद मुनि ने कहा,
“जब प्रधानमंत्री त्रिनिदाद पहुँचे, तो वहां के लोगों ने ऐसा स्वागत किया मानो उनका कोई अपना लौट आया हो। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर बंद कर दिए गए ताकि लोग प्रधानमंत्री मोदी को देख सकें। पूरा देश उत्सव के रंग में रंगा था।”
उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीयों ने अपने तिरंगे झंडों, पारंपरिक वेशभूषा और गीत-संगीत के माध्यम से जो स्वागत किया, वह दर्शाता है कि प्रधानमंत्री मोदी केवल भारत के नेता नहीं, बल्कि ‘ग्लोबल प्रवासी भावना’ के भी प्रतीक बन चुके हैं।
स्वामी जी ने आगे कहा,
“जब वे घाना में थे, तब भी हमने देखा कि कैसे वहां के राष्ट्रपति, संसद और जनसामान्य ने उनका भव्य अभिनंदन किया। यह केवल किसी राजनयिक संबंध का परिणाम नहीं था, यह भारत की संस्कृति, नेतृत्व और मूल्यों की जीत थी।”
तस्वीर अनुभाग
(यहां एक प्रमुख चित्र दर्शाया जा सकता है जिसमें स्वामी चिदानंद मुनि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले सम्मान पर प्रतिक्रिया दे रहे हों)
कैप्शन: “परमार्थ निकेतन में मीडिया से बात करते हुए चिदानंद मुनि — पीएम मोदी को घाना में दिए गए सर्वोच्च नागरिक सम्मान पर प्रतिक्रिया देते हुए”
बॉक्स न्यूज़ अनुभाग
प्रधानमंत्री मोदी को मिले वैश्विक सम्मान – एक दृष्टि
देश | सम्मान |
---|---|
घाना | घाना का सर्वोच्च नागरिक सम्मान |
रूस | ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू |
अमेरिका | लीजन ऑफ मेरिट |
यूएई | ज़ायेद मेडल |
सऊदी अरब | किंग अब्दुलअज़ीज़ सश्रेणी |
भूटान | द ऑर्डर ऑफ द ड्रुक गेलपो |
नेपाल | ऑर्डर ऑफ ओहिल |
मालदीव | नाइशान इज़्जुद्दीन |
पापुआ न्यू गिनी | ग्रैंड कम्पैनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लॉगहू |
फ्रांस | ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजियन ऑफ ऑनर |
🔚 निष्कर्ष: राष्ट्रनायक के प्रति श्रद्धा और आभार
स्वामी चिदानंद मुनि की टिप्पणी न केवल एक आध्यात्मिक संत की दृष्टि है, बल्कि भारत के उस व्यापक वैश्विक आत्मबोध की पुष्टि है, जो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आकार ले रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री को “मर्यादा पुरुषोत्तम की तरह सबको साथ लेकर चलने वाला नेता” बताया।
यह केवल एक सम्मान की बात नहीं, बल्कि भारत की आत्मा, संस्कृति और सार्वभौमिक मूल्यों की अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति है। मोदी सरकार की विदेश नीति आज केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि मानवता आधारित साझेदारी का दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रही है।
स्वामी जी के शब्दों में:
“प्रधानमंत्री मोदी का सम्मान केवल उनका नहीं, वह 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है। और यही भारत की आत्मा है — जो सबको साथ लेकर चलती है, और पूरे विश्व को परिवार मानती है।”