
संवाददाता: | 10.07.2025 | Mission Sindoor |
नई दिल्ली के नौरोजी नगर स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में बुधवार को एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला जब केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी ने एमएसटीसी लिमिटेड के नवनिर्मित कॉरपोरेट कार्यालय का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने उपकरण ई-पोर्टल का भी शुभारंभ किया, जो सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों के बीच डिजिटल संपत्ति प्रबंधन और खरीद प्रणाली को एक नया आयाम देगा। यह पहल भारत सरकार की डिजिटल इंडिया और संपत्ति मुद्रीकरण नीति के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
स्क्रैप ट्रेडिंग से डिजिटल प्लेटफॉर्म तक—एमएसटीसी की विकासगाथा
वर्ष 1964 में एक साधारण स्क्रैप ट्रेडिंग एजेंसी के रूप में स्थापित एमएसटीसी (Metal Scrap Trade Corporation) ने बीते छह दशकों में अभूतपूर्व विकास यात्रा तय की है। आज यह एक मिनी रत्न सीपीएसई के रूप में स्थापित है और देश के सबसे भरोसेमंद डिजिटल नीलामी प्लेटफॉर्म में से एक बन चुका है। एमएसटीसी ने अब तक 4 लाख से अधिक ई-नीलामियाँ संचालित की हैं और इसकी भूमिका सार्वजनिक संपत्तियों की मुद्रीकरण प्रक्रिया, कोयला ब्लॉक की नीलामी, स्पेक्ट्रम बिक्री, और धातु तथा औद्योगिक कचरे की नीलामी में अहम रही है।
आईएसओ-प्रमाणित बुनियादी ढांचे और अत्याधुनिक तकनीकी दक्षता के साथ, एमएसटीसी ने भारत सरकार की उस परिकल्पना को मूर्त रूप दिया है जिसमें शासन का हर पहलू पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता से परिपूर्ण हो।
उपकरण ई-पोर्टल—सरकारी संसाधनों के डिजिटलीकरण की दिशा में बड़ा कदम
“उपकरण ई-पोर्टल”, जो कि एमएसटीसी द्वारा विकसित नवीनतम डिजिटल प्लेटफॉर्म है, सरकारी मशीनरी, उपकरण, और अधिशेष संपत्तियों की खरीद-बिक्री, पुनः उपयोग और स्थानांतरण की प्रक्रिया को डिजिटल रूप से सक्षम बनाता है। यह प्लेटफॉर्म एमएसएमई (MSME), सरकारी विभागों, पीएसयू और शैक्षणिक संस्थानों को पारदर्शी और सुविधाजनक माध्यम प्रदान करता है, जिसके द्वारा वे अपनी अप्रयुक्त अथवा अधिशेष संपत्तियों को सूचीबद्ध कर सकते हैं और पुनः उपयोग या नीलामी द्वारा उन्हें परिसंपत्ति में बदल सकते हैं।
उपकरण ई-पोर्टल का डिज़ाइन इस प्रकार किया गया है कि यह पूरे इकोसिस्टम में प्रतिस्पर्धात्मकता, पहुंच और विश्वास को बढ़ावा देता है। यह केवल तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि सार्वजनिक संपत्ति के सतत उपयोग की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव है।
नीति समन्वय और राष्ट्रीय भागीदारी को मिलेगा बल
नया कार्यालय, जो दिल्ली के नीति केंद्र नौरोजी नगर में स्थित है, एमएसटीसी को अंतर-मंत्रालयी समन्वय, नीति निर्माता संग संवाद, और राष्ट्रीय हितधारकों तक प्रभावी पहुंच के लिए रणनीतिक लाभ प्रदान करेगा। इस भौगोलिक निकटता से न केवल इसकी गतिविधियाँ केंद्रीकृत होंगी, बल्कि यह भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं, जैसे कि राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति, संपत्ति मुद्रीकरण नीति, और मेक इन इंडिया के साथ समन्वय स्थापित कर सकेगा।
इस रणनीतिक स्थानांतरण के बाद, एमएसटीसी की भागीदारी राष्ट्रीय खरीद नीति, ट्रांसपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं, और हरित उद्योग पहल जैसे क्षेत्रों में और भी सशक्त होगी।
मंत्री कुमारस्वामी का दृष्टिकोण—”तकनीक आधारित लोक सेवा का प्रतीक बन रहा एमएसटीसी”
इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने एमएसटीसी की डिजिटल क्षमताओं और भविष्य की योजनाओं की सराहना की। उन्होंने कहा:
“एमएसटीसी केवल एक संस्थागत निकाय नहीं, बल्कि यह इस बात का प्रमाण है कि कैसे तकनीक और सुशासन मिलकर राष्ट्र की सेवा कर सकते हैं।“
उन्होंने यह भी कहा कि इस्पात मंत्रालय एमएसटीसी को हरसंभव समर्थन प्रदान करेगा, ताकि यह कंपनी भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में अपनी भूमिका को और विस्तार दे सके।
उपकरण ई-पोर्टल और ‘डिजिटल इंडिया’ की समकालीनता
एमएसटीसी द्वारा विकसित “उपकरण” पोर्टल भारत सरकार की डिजिटल इंडिया, ई-गवर्नेंस और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की भावना को具 करता है। यह पोर्टल केवल खरीद-बिक्री का मंच नहीं है, बल्कि यह उन क्षेत्रों में क्रांति ला सकता है जहाँ सरकार की निष्क्रिय संपत्तियाँ वर्षों से उपयोग में नहीं लाई जा रही थीं।
इस पोर्टल के माध्यम से सरकार को प्रत्येक उपकरण, मशीनरी और संसाधन का मूल्यांकन, डिजिटल ट्रैकिंग और उपयोगिता विश्लेषण करने की सुविधा प्राप्त होगी। यह प्रक्रिया प्रशासन में लागत दक्षता, भ्रष्टाचार में कमी और प्रदर्शन में वृद्धि सुनिश्चित करेगी।
विकसित भारत 2047 के लक्ष्य से जुड़ता डिजिटल नवाचार
जैसे-जैसे भारत विकसित राष्ट्र 2047 की परिकल्पना की ओर अग्रसर हो रहा है, वैसे-वैसे सार्वजनिक संस्थानों की जवाबदेही, तकनीकी दक्षता और पारदर्शिता के मानदंडों में आमूलचूल बदलाव की आवश्यकता है। एमएसटीसी इस दिशा में एक आदर्श मॉडल के रूप में उभर रहा है, जहाँ पारंपरिक संसाधन प्रबंधन को डिजिटल नवाचारों के माध्यम से सशक्त किया जा रहा है।
निष्कर्ष—राष्ट्र निर्माण में डिजिटल शक्ति का योगदान
एमएसटीसी लिमिटेड का यह परिवर्तन न केवल संस्थागत विकास का उदाहरण है, बल्कि यह भारत के शासन मॉडल में हो रहे परिवर्तन का भी प्रतीक है—जहाँ निर्णय तकनीक और डेटा पर आधारित हैं, और जहाँ पारदर्शिता, दक्षता और समावेशिता सर्वोच्च प्राथमिकता हैं।
उपकरण ई-पोर्टल जैसे नवाचार इस बात की गवाही देते हैं कि जब एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम राजनीतिक इच्छाशक्ति, तकनीकी परिपक्वता, और सामाजिक उत्तरदायित्व को एक साथ लेकर आगे बढ़ता है, तो वह राष्ट्रीय विकास की रीढ़ बन सकता है।
बिलकुल, नीचे दिए गए “📦 बॉक्स न्यूज़: एमएसटीसी की प्रमुख उपलब्धियाँ” अनुभाग को विस्तारपूर्वक और व्याख्यात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया है, जिससे यह किसी भी समाचार लेख, रिपोर्ट या औपचारिक दस्तावेज़ में एक तथ्यपूर्ण और आकर्षक सूचना बॉक्स की तरह प्रयोग किया जा सके:
एमएसटीसी की प्रमुख उपलब्धियाँ
(एक सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम की डिजिटल परिवर्तन यात्रा)सन् 1964 में Metal Scrap Trade Corporation (MSTC) की स्थापना भारत सरकार द्वारा एक साधारण स्क्रैप ट्रेडिंग एजेंसी के रूप में की गई थी। इसका मूल उद्देश्य केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों तथा सार्वजनिक उपक्रमों के बेकार और अनुपयोगी धातु पदार्थों को व्यवस्थित ढंग से नीलाम करना था। समय के साथ इस संस्था ने अपनी क्षमताओं और दायरे का व्यापक विस्तार किया।
आज एमएसटीसी एक मिनी रत्न श्रेणी का सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (CPSE) है। यह भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और डिजिटल नीलामी, संपत्ति मुद्रीकरण और पारदर्शी ई-गवर्नेंस में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
एमएसटीसी ने अपनी सेवाओं को विविध क्षेत्रों में विस्तार दिया है। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
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ई-नीलामी सेवाएँ: सरकारी और निजी क्षेत्रों की संपत्तियों, सामग्रियों और संसाधनों की डिजिटल बोली प्रक्रिया
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सार्वजनिक संपत्ति मुद्रीकरण: निष्क्रिय और अधिशेष सरकारी संपत्तियों का पारदर्शी पुनःप्रयोग
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कोयला ब्लॉक और स्पेक्ट्रम बिक्री: ऊर्जा और दूरसंचार क्षेत्रों में राष्ट्रीय संसाधनों की पारदर्शी आवंटन प्रक्रिया
एमएसटीसी अब तक 4 लाख से अधिक ई-नीलामी सफलतापूर्वक आयोजित कर चुका है। यह आँकड़ा न केवल इसकी तकनीकी दक्षता को दर्शाता है, बल्कि यह भी प्रमाणित करता है कि कैसे यह संस्था भरोसे, पारदर्शिता और निष्पक्षता की मिसाल बन चुकी है।
प्रौद्योगिकी की शक्ति को पहचानते हुए एमएसटीसी ने समय के साथ कई डिजिटल नवाचार आरंभ किए हैं:
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उपकरण ई-पोर्टल: सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों की मशीनरी व उपकरणों की डिजिटल सूची, स्थानांतरण और पुनः प्रयोग के लिए एक विशेष प्लेटफ़ॉर्म
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ई-रजिस्ट्रेशन प्रणाली: बोलीदाताओं और खरीदारों के लिए सरल, सुरक्षित और तेज़ पंजीकरण प्रक्रिया
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इंटेलिजेंट बोली प्रणाली: बोली लगाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता, प्रतिस्पर्धात्मकता और गड़बड़ियों से सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली स्मार्ट तकनीक
एमएसटीसी की सेवाओं से आज कई रणनीतिक और विकासशील क्षेत्रों को प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है:
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MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम): आसान पहुँच और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य पर सामग्री उपलब्ध
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रेलवे और रक्षा: अधिशेष उपकरणों का पुनः उपयोग और परिसंपत्ति प्रबंधन
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कोयला और इस्पात उद्योग: संसाधनों की पारदर्शी नीलामी
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शिक्षा और शहरी निकाय: लैब उपकरण, फर्नीचर, और अन्य अधिशेष सामग्रियों का पुनःप्रयोजन
वर्तमान समय में एमएसटीसी ने कुछ और नवोन्मेषी कदम उठाए हैं:
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डिजिटल इन्वेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम: सरकारी विभागों और संस्थानों की सामग्री सूची और उपलब्धता को डिजिटल रूप से ट्रैक और प्रबंधित करना
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ई-वेस्ट नीलामी मंच: सर्कुलर इकॉनॉमी को बढ़ावा देते हुए ई-कचरे की पारदर्शी और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से जिम्मेदार नीलामी प्रक्रिया
वर्ष 2025 में एमएसटीसी ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, नौरोजी नगर, नई दिल्ली में अपने नए कॉरपोरेट कार्यालय की शुरुआत की। यह कदम इसे नीति केंद्रों के नज़दीक, प्रमुख मंत्रालयों और निर्णय-निर्माताओं के साथ समन्वय स्थापित करने के लिहाज़ से रणनीतिक लाभ प्रदान करता है।