उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए बताया कि राज्य सरकार आगामी 9 जुलाई को एक ही दिन में 37 करोड़ से अधिक पौधे लगाएगी। यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणादायी पर्यावरणीय पहल ‘एक पेड़ माँ के नाम’ को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यभर के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से संवाद किया और वृक्षारोपण महाअभियान को जनांदोलन बनाने का आह्वान किया।
सीएम योगी ने प्रदेशवासियों से 9 जुलाई को सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक चलने वाले इस वृक्षारोपण महाअभियान में भाग लेने की अपील की। उन्होंने कहा, “प्रत्येक व्यक्ति एक पौधा अपनी मां के नाम से लगाए और उसकी देखभाल की जिम्मेदारी भी ले। इस छोटे से कदम से हम प्रकृति को संरक्षित करने के साथ ही भावनात्मक रूप से भी जुड़ पाएंगे।” मुख्यमंत्री ने लोगों से यह भी अनुरोध किया कि वे पौधा लगाते समय उसकी एक सेल्फी लें और उसे सोशल मीडिया पर साझा करें, ताकि समाज में पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रेरणा का वातावरण बने।
मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि “हम सड़कों के बीच डिवाइडर पर फूलदार पौधे लगाएं और उनकी देखरेख का जिम्मा स्थानीय सामाजिक संगठनों या एनजीओ को दें। एक्सप्रेसवे, नेशनल हाईवे, इंटरस्टेट सड़कों और शहरी क्षेत्रों की सड़कों पर यह कार्य प्रभावी रूप से किया जा सकता है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि वृक्षारोपण केवल प्रतीकात्मक न होकर, सुनियोजित, स्थायी और दीर्घकालिक परिणामों वाला होना चाहिए। उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देशित किया कि हर रोपे गए पौधे की जियो-टैगिंग की जाए और उनकी निगरानी के लिए एक व्यापक योजना बनाई जाए।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच से प्रेरित है, जिसकी शुरुआत विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून 2025) को हुई थी। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ मिशन को न केवल सरकारी स्तर पर, बल्कि सामुदायिक और व्यक्तिगत भागीदारी के ज़रिए सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश पहले ही पिछले वर्षों में वृक्षारोपण के कई रिकॉर्ड बना चुका है। अब 9 जुलाई को हम एक नया कीर्तिमान स्थापित करेंगे — 37 करोड़ पौधे एक दिन में लगाकर हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम बढ़ाएंगे।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी घोषणा की कि वृक्षारोपण के इस महाअभियान में स्कूल, कॉलेज, पंचायतें, नगर निकाय, वन विभाग, सामाजिक संगठन, किसान और आम नागरिक सभी की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि पौधों की गुणवत्ता, वितरण, रोपण स्थलों की पहचान और देखभाल की जिम्मेदारी के लिए स्पष्ट रूपरेखा तैयार की जाए। “हर हाथ में पौधा, हर दिल में संकल्प” के नारे के साथ सरकार इसे जनांदोलन का रूप दे रही है।
मुख्यमंत्री ने ज़ोर देते हुए कहा, “यह अभियान उत्तर प्रदेश को हरित प्रदेश बनाने की दिशा में बड़ा कदम होगा। आने वाली पीढ़ियों के लिए हम एक बेहतर पर्यावरण छोड़कर जाएं, यह हमारा दायित्व है।” उन्होंने पर्यावरणविदों और शिक्षाविदों से भी अनुरोध किया कि वे इस अभियान को शिक्षण संस्थानों से जोड़ें और छात्रों को पौधों की वैज्ञानिक देखभाल का प्रशिक्षण दें।
इस बैठक के दौरान ग्राम प्रधानों, ब्लॉक प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि “यदि हम ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में संतुलित वृक्षारोपण करें, तो इसका दीर्घकालिक प्रभाव बहुत ही सकारात्मक होगा। गांवों में नीम, पीपल, आम और अर्जुन जैसे स्थानीय प्रजातियों के पौधे लगाए जाएं जबकि शहरी क्षेत्रों में सजावटी और प्रदूषण अवशोषक पौधों को प्राथमिकता दी जाए।”
इसके अतिरिक्त, रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने डॉ. मुखर्जी को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा, “वे एक महान शिक्षाविद्, स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्र निर्माता थे। उन्होंने देशहित में कई नीतिगत निर्णय लिए और भारत की एकता एवं अखंडता के लिए अपने प्राण तक न्योछावर कर दिए।”
सीएम योगी ने बताया कि डॉ. मुखर्जी मात्र 33 वर्ष की आयु में कोलकाता विश्वविद्यालय के सबसे युवा कुलपति बने थे। “बंगाल के 1943 के भीषण अकाल के दौरान उन्होंने जो सेवा कार्य किए, वे इतिहास में अमर हैं। उनकी स्मृति में हम संकल्प लें कि राष्ट्रनिर्माण और सेवा के हर कार्य में पर्यावरण की रक्षा को भी प्राथमिकता दें।”
‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान की औपचारिक शुरुआत 5 जून 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर की गई। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पर्यावरण संरक्षण की दीर्घकालिक दृष्टि का हिस्सा है, जो व्यक्तिगत भावनाओं को प्रकृति से जोड़ने की एक अभिनव कोशिश है। इसका उद्देश्य केवल वृक्षारोपण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जनमानस को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक व्यापक पहल है। योगी सरकार ने इसे उत्तर प्रदेश में बड़े स्तर पर लागू करने की घोषणा की, जिससे यह अभियान देखते ही देखते जनांदोलन का रूप ले चुका है।
इस अभियान का मूल उद्देश्य है कि हर नागरिक एक पौधा अपनी माँ के नाम पर लगाए। यह पहल पर्यावरणीय चिंता को भावनात्मक जुड़ाव में परिवर्तित करती है, जिससे हर व्यक्ति पौधों को सिर्फ प्रकृति का हिस्सा नहीं, बल्कि अपनी स्मृतियों और संस्कारों का प्रतीक मानकर उसकी देखभाल करता है। यह न केवल पारिस्थितिकी संतुलन की दिशा में कदम है, बल्कि मातृत्व और प्रकृति के बीच की उस गहन आत्मीयता को भी पुनर्स्थापित करता है, जो हमारी संस्कृति में सदियों से विद्यमान रही है
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस अभियान को और सशक्त रूप देने के लिए 9 जुलाई 2025 को ‘वृक्ष महोत्सव दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस दिन राज्यभर में 37 करोड़ से अधिक पौधे एक साथ लगाए जाएंगे। यह प्रयास न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में एक दिन में सबसे अधिक पौधारोपण का कीर्तिमान स्थापित करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पहल को राज्य की हर पंचायत, विद्यालय, नगर निकाय और शहरी क्षेत्रों तक पहुँचाने का संकल्प लिया है। उन्होंने इसे “21वीं सदी का हरित जनआंदोलन” कहा है।
इस अभियान को सफल बनाने के लिए विभिन्न सरकारी और सामाजिक संगठनों को भागीदार बनाया गया है। ग्राम पंचायतें, नगर पालिकाएं, जिला प्रशासन, वन विभाग, स्कूल-कॉलेज, विश्वविद्यालय, स्वयंसेवी संस्थाएं (NGOs) और सामाजिक कार्यकर्ता इसमें प्रमुख भागीदार हैं। अभियान की व्यापकता को देखते हुए प्रशासन ने विशेष रूप से शिक्षण संस्थानों को शामिल किया है ताकि युवाओं में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना विकसित हो सके।
इस अभियान को डिजिटल युग के साथ जोड़ते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों से आग्रह किया है कि वे पौधा लगाने के बाद उसकी एक सेल्फी ‘#EkPedMaaKeNaam’ हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर साझा करें। इस पहल का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को प्रेरित करना और अभियान को वाइरल बनाना है। इसके तहत राज्य सरकार ने एक समर्पित पोर्टल भी शुरू किया है, जहाँ लोग अपने लगाए गए पौधों की जानकारी, तस्वीरें और जियो-लोकेशन अपलोड कर सकते हैं।
राज्य सरकार ने वृक्षारोपण के लिए कुछ विशिष्ट स्थलों की पहचान की है जहाँ पर्यावरणीय लाभ अधिकतम हो सके। इनमें एक्सप्रेसवे, नेशनल हाईवे, इंटरस्टेट कनेक्टिविटी रोड, गांवों की चौपालें, पंचायत भवन परिसर, प्राथमिक विद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों के कैंपस, नगर निकायों की सड़कें, सार्वजनिक पार्क, कार्यालय परिसर और जलाशयों के किनारे शामिल हैं। यह सुनिश्चित किया गया है कि पौधे केवल लगाए ही नहीं जाएं, बल्कि उन्हें बढ़ने के लिए उपयुक्त पर्यावरण भी मिले।
सरकार ने इस अभियान को केवल एक दिवसीय औपचारिकता तक सीमित न रखते हुए इसकी स्थायित्व योजना भी तैयार की है। सभी पौधों की जियो-टैगिंग की जाएगी ताकि उनकी निगरानी तकनीकी रूप से संभव हो सके। इसके अलावा, हर क्षेत्र में एक जिम्मेदार अधिकारी या संस्था को पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। सरकार ने ‘वृक्ष मित्र’ नामक योजना शुरू की है, जिसके तहत स्थानीय नागरिकों को पौधों के अभिभावक के रूप में नामित किया जा रहा हैवृक्षारोपण में उन्हीं पौधों को प्राथमिकता दी जा रही है जो स्थानीय जलवायु के अनुकूल हों, प्रदूषण नियंत्रण में सहायक हों और दीर्घकालिक पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखें। इनमें प्रमुखतः नीम, पीपल, अर्जुन, बरगद, अमलतास, कचनार, गुलमोहर, सहजन, आम, जामुन, आंवला आदि शामिल हैं। ये न केवल ऑक्सीजन का उच्च स्तर प्रदान करते हैं, बल्कि पक्षियों, मधुमक्खियों और अन्य जैव विविधताओं के लिए भी आश्रय स्थल बनते हैं।
उत्तर प्रदेश ने इससे पूर्व भी वृक्षारोपण के क्षेत्र में कई रिकॉर्ड बनाए हैं। वर्ष 2023 में राज्य सरकार द्वारा चलाए गए अभियान में एक ही दिन में 30 करोड़ पौधे लगाए गए थे, जिसे विश्व स्तर पर सराहा गया था। यह उपलब्धि अब 2025 में 37 करोड़ पौधारोपण के लक्ष्य के साथ और बड़ी बनने जा रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उत्तर प्रदेश न केवल देश का सबसे बड़ा राज्य है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
राज्य सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि हर वर्ष 9 जुलाई को ‘वृक्ष महोत्सव दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। यह दिवस राज्य की पर्यावरणीय चेतना का प्रतीक होगा और हर वर्ष नए लक्ष्य के साथ वृक्षारोपण किया जाएगा। इसके साथ ही स्कूलों में वृक्षों पर परियोजनाएं, निबंध प्रतियोगिताएं, पेंटिंग कार्यक्रम और सामूहिक pledges आयोजित की जाएंगी ताकि बच्चों को बचपन से ही हरित जीवनशैली की आदत डाली जा सके। सरकार की दीर्घकालिक योजना है कि हर ग्राम पंचायत में मिनी फॉरेस्ट विकसित किया जाए और शहरी क्षेत्रों में “ग्रीन वॉल ऑफ यूपी” की परिकल्पना को मूर्त रूप दिया जाए।