
हिमाचल प्रदेश, जो अपनी सुरम्य पहाड़ियों, नदियों और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है, इस समय प्रचंड मानसून की चपेट में है। पिछले 24 घंटों में राज्य के अधिकांश भागों में मूसलधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। नदी-नालों में उफान है, भूस्खलन से सड़कें बंद हो गई हैं, और प्रशासन अलर्ट पर है। राज्य सरकार ने लोगों से नदियों के किनारे जाने से बचने और अनावश्यक यात्रा से परहेज करने की अपील की है।
मूसलधार बारिश का तांडव
हिमाचल प्रदेश के शिमला, मंडी, कांगड़ा, सोलन, सिरमौर, कुल्लू, चंबा, बिलासपुर, हमीरपुर और ऊना जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश हुई है। बारिश इतनी तेज रही कि पहाड़ों पर स्थित सड़कों और भवनों को भारी नुकसान पहुंचा है।
राज्य के कई हिस्सों में पिछले चौबीस घंटों में 100 मिमी से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। राजधानी शिमला, जहां आमतौर पर हल्की फुहारें देखने को मिलती हैं, वहां भी तेज बारिश के कारण यातायात बाधित हुआ और कई वाहन फिसल कर खाई में गिर गए।
129 सड़कें बंद, आवाजाही बाधित
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (State Emergency Operation Centre – SEOC) के अनुसार अब तक कुल 129 सड़कें भूस्खलन और जलभराव के कारण बंद हो चुकी हैं। इनमें से प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग NH-3 (मनाली-चंडीगढ़), NH-154 (मंडी-पठानकोट), और NH-707 (पांवटा साहिब-हाटकोटी) शामिल हैं।
राजमार्गों के बंद होने से पर्यटकों की परेशानी बढ़ गई है, खासकर मनाली और धर्मशाला जैसे लोकप्रिय स्थलों पर फंसे सैकड़ों पर्यटक अब वापसी का इंतजार कर रहे हैं।
जल प्रलय: नदियों में उफान, बांधों से पानी छोड़ा गया
तेज बारिश के कारण सतलुज, ब्यास, यमुना, पार्वती और रावी नदियों का जलस्तर सामान्य से कहीं अधिक हो गया है। कई जगहों पर नदियां खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं। इससे निचले इलाकों में बाढ़ की आशंका बढ़ गई है।
मंडी जिले में स्थित पंडोह बांध के सभी फाटक खोल दिए गए हैं और नियंत्रित रूप से पानी छोड़ा जा रहा है ताकि बांध पर दबाव कम हो सके। प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए लोगों से नदी किनारे न जाने की सख्त चेतावनी दी है।
देहर पावर हाउस में उत्पादन बंद
मंडी के नजदीक स्थित देहर पावर हाउस में अत्यधिक सिल्ट (गाद) की मात्रा के कारण बिजली उत्पादन को अस्थाई रूप से रोक दिया गया है। यह पावर हाउस सतलुज जल विद्युत निगम (SJVNL) द्वारा संचालित होता है और इसका बंद होना राज्य में बिजली आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है।
जानमाल का नुकसान: अब तक 39 मौतें
राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार अब तक बारिश से जुड़ी घटनाओं में 39 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से अधिकांश मौतें भूस्खलन, मकान गिरने, नदी में बह जाने या सड़क हादसों में हुई हैं।
सिरमौर जिले के पांवटा साहिब क्षेत्र में एक ही परिवार के तीन लोग भूस्खलन की चपेट में आकर दब गए। इसी प्रकार कांगड़ा जिले में एक कार ब्यास नदी में गिर गई जिसमें पांच लोग सवार थे, जिनमें से तीन की मौत हो गई जबकि दो लापता हैं।
4 लोग लापता, खोज अभियान जारी
अब तक चार लोगों के लापता होने की सूचना है। एनडीआरएफ (NDRF), एसडीआरएफ (SDRF) और स्थानीय प्रशासन द्वारा खोज और बचाव अभियान चलाया जा रहा है। ब्यास और पार्वती नदियों के किनारे इनकी तलाश की जा रही है।
मौसम विभाग की चेतावनी: रेड और ऑरेंज अलर्ट
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले 24 घंटों के लिए 10 जिलों में भारी से बहुत भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है। सोलन, सिरमौर, कांगड़ा और मंडी जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है, वहीं कुल्लू, शिमला, चंबा, बिलासपुर, हमीरपुर और ऊना के लिए ऑरेंज अलर्ट है।
मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि “मानसून टर्फ लाइन” हिमालय के निकट सक्रिय है, जिसके कारण अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की संभावना बनी रहेगी।
प्रशासन अलर्ट पर
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सभी जिलों के उपायुक्तों को अलर्ट मोड में रहने और आपदा से निपटने के लिए त्वरित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर लगाने, राशन और आवश्यक दवाओं की व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा जल, बिजली, संचार जैसी मूलभूत सुविधाओं को बहाल करने की प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं।
सेना और NDRF की तैनाती
मंडी, कांगड़ा और कुल्लू जिलों में बचाव कार्यों के लिए सेना और एनडीआरएफ की टुकड़ियां तैनात की गई हैं। नदी किनारे बसे गांवों को खाली कराया जा रहा है। 40 से अधिक गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (HPSDMA) के निदेशक डॉ. सुदेश मोख्ता ने बताया कि “रिस्क मैनेजमेंट सेल लगातार मौसम की निगरानी कर रहा है और प्रभावित क्षेत्रों में रेस्क्यू ऑपरेशन 24×7 चलाया जा रहा है।”
पर्यटक फंसे, यात्रा स्थगित
मनाली, शिमला, धर्मशाला, डलहौजी, और कसौली जैसे पर्यटन स्थलों पर आए पर्यटक इस आपदा में फंस गए हैं। होटल संघों और प्रशासन के सहयोग से पर्यटकों को सुरक्षित रखने और भोजन-पानी की व्यवस्था की जा रही है।
मनाली में एक पर्यटक समूह के 80 सदस्यों को सेना ने एयरलिफ्ट कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। कांगड़ा एयरपोर्ट से आने-जाने वाली कई फ्लाइट्स भी मौसम खराब होने के कारण रद्द कर दी गई हैं।
स्कूल-कॉलेज बंद
राज्य सरकार ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अगले तीन दिनों तक सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया है। छात्रों और शिक्षकों से घर पर सुरक्षित रहने की अपील की गई है।
संचार सेवाएं बाधित
भूस्खलन से सड़कों और पुलों के क्षतिग्रस्त होने के साथ-साथ संचार सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। कई इलाकों में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सेवाएं बाधित हो गई हैं।
विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में संपर्क टूट जाने के कारण राहत कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं।
कृषि और बागवानी को भारी नुकसान
बारिश और भूस्खलन का असर केवल जनजीवन पर ही नहीं बल्कि कृषि और बागवानी पर भी पड़ा है। सेब, आड़ू, नाशपाती जैसी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। खेतों में पानी भर जाने से फसलें सड़ गई हैं और किसान चिंतित हैं।
राज्य सरकार ने नुकसान का आंकलन करने के लिए विशेष दल भेजे हैं ताकि किसानों को समय पर मुआवजा दिया जा सके।
मुख्यमंत्री का जायजा
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंडी और कांगड़ा जिलों का हवाई सर्वेक्षण किया और कहा कि, “हम हर एक नागरिक की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रभावित लोगों की हर संभव मदद की जाएगी और राहत कार्यों में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।”
केंद्र सरकार से मदद की मांग
हिमाचल सरकार ने केंद्र से 500 करोड़ रुपये की तत्काल सहायता राशि की मांग की है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य को हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया है और कहा है कि “आपदा की इस घड़ी में केंद्र हिमाचल के साथ खड़ा है।”
नागरिकों से अपील
प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे निम्नलिखित बातों का पालन करें:
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नदियों और नालों के पास जाने से बचें।
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सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर विश्वास न करें।
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प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें।
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भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूर रहें।
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अनावश्यक यात्रा से बचें।
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश इस समय प्राकृतिक आपदा की चुनौती का सामना कर रहा है। हालांकि प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें सक्रिय हैं, लेकिन परिस्थितियां अत्यंत गंभीर बनी हुई हैं। भारी बारिश, बाढ़, भूस्खलन और सड़कें बंद होने से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
आने वाले कुछ दिन और कठिन हो सकते हैं क्योंकि मौसम विभाग ने और बारिश की चेतावनी दी है। ऐसे में सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है। राज्य सरकार, केंद्र सरकार और आम नागरिकों को मिलकर इस संकट से निपटना होगा। हिमाचल की जुझारू जनता निश्चित ही इस कठिन समय से उबरकर फिर से सामान्य जीवन की ओर लौटेगी।