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अमेरिका ISKCON मंदिर पर हमला धार्मिक स्वतंत्रता पर संकट

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अमेरिका 21वीं सदी के वैश्विक समाज में धार्मिक सहिष्णुता, बहुसंस्कृतिवाद और समावेशिता को लोकतंत्र और मानवता के मूलभूत स्तंभों के रूप में देखा जाता है। परंतु जब इन्हीं मूल्यों पर हमला होता है—चाहे वह किसी भी भूभाग पर हो—तो न केवल समुदाय विशेष, बल्कि पूरी मानवता आहत होती है। ऐसी ही एक घटना ने विश्व को झकझोर कर रख दिया है: अमेरिका के यूटा राज्य स्थित श्री श्री राधा कृष्ण ISKCON मंदिर पर हुआ हथियारबंद हमला। यह घटना सिर्फ अमेरिका में बसे हिंदू समुदाय पर नहीं, बल्कि वैश्विक धार्मिक स्वतंत्रता पर एक गंभीर हमला है।


घटना का विवरण: कैसे हुआ हमला?

अमेरिका के यूटा राज्य के स्प्रिंगविल शहर में स्थित ISKCON (अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ) मंदिर पर बीते सप्ताह एक अत्यंत गंभीर और डरावनी घटना घटी। मंदिर प्रशासन और स्थानीय पुलिस के अनुसार, मंदिर की संपत्ति पर लगभग 20 से 30 गोलियां चलाई गईं। गोलीबारी मंदिर के मुख्य भवन और पार्किंग स्थल को निशाना बनाते हुए की गई। इस दौरान किसी भी व्यक्ति के घायल होने की खबर नहीं आई, लेकिन मंदिर भवन की खिड़कियाँ, दरवाजे और पास खड़ी गाड़ियों को भारी नुकसान हुआ।

इस मंदिर में रोज़ाना सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं, खासकर सप्ताहांत पर धार्मिक कार्यक्रमों, प्रवचनों और भजन-कीर्तन के लिए। सौभाग्यवश, हमले के समय मंदिर बंद था, अन्यथा यह घटना बड़े पैमाने पर जनहानि का कारण बन सकती थी।


ISKCON की प्रतिक्रिया

ISKCON यूटा चैप्टर के अध्यक्ष आदिकेशव दास ने इस घटना की घोर निंदा करते हुए इसे एक “कायरतापूर्ण और भयावह कृत्य” बताया। उन्होंने कहा:

“हमारा मंदिर प्रेम, भक्ति और सेवा का केंद्र है। इस पवित्र स्थल पर हमला केवल एक इमारत पर हमला नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था पर हमला है। हम न तो भयभीत हैं और न ही विचलित, परंतु हम न्याय की मांग करते हैं।”

ISKCON ने स्थानीय प्रशासन से इस मामले को हेट क्राइम (घृणा अपराध) के रूप में दर्ज करने और त्वरित कार्रवाई की मांग की है। इस घटना ने पूरे वैश्विक ISKCON समुदाय को झकझोर दिया है।


स्थानीय पुलिस और एफबीआई की जांच

घटना के तुरंत बाद स्प्रिंगविल पुलिस ने मंदिर परिसर को सील कर जांच शुरू की। पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल से गोलियों के खोखे और फॉरेंसिक साक्ष्य इकट्ठा किए हैं। चूंकि यह मामला एक धार्मिक संस्था और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जुड़ा है, इसलिए एफबीआई ने भी इस जांच में हाथ बँटाना शुरू कर दिया है।

पुलिस कप्तान रॉबर्ट मीलर ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा:

“हम इस मामले को अत्यंत गंभीरता से ले रहे हैं। यदि यह हेट क्राइम है, तो हम दोषियों को सख्त से सख्त सज़ा दिलवाएंगे। हमारे पास कुछ अहम सुराग हैं और हम जल्द ही गिरफ्तारी कर सकते हैं।”

स्थानीय समुदाय में इस हमले के बाद भय का माहौल बन गया है। हिंदू समुदाय विशेषकर मंदिर से जुड़े स्वयंसेवकों और पुजारियों ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है।


भारत सरकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया

घटना पर भारत सरकार ने तीव्र प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर झा ने एक बयान में कहा:

“हम अमेरिका के यूटा स्थित ISKCON मंदिर पर हुए हमले की कठोर निंदा करते हैं। यह घटना धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है। हमने वाशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास को निर्देश दिया है कि वह अमेरिकी अधिकारियों से उच्चतम स्तर पर इस मुद्दे को उठाए।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्विटर पर इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर अपने प्रवासी समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित कराने के लिए संकल्पबद्ध है।

भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से इस मुद्दे पर बातचीत की और हिंदू मंदिरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की।


अमेरिकी प्रशासन और नेताओं की प्रतिक्रिया

यूटा के गवर्नर स्पेंसर कॉक्स ने घटना की निंदा करते हुए कहा:

“हम किसी भी प्रकार के धार्मिक नफरत के खिलाफ हैं। ISKCON मंदिर हमारे राज्य का गौरव है। ऐसे हमलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों को कानून के अनुसार दंड मिलेगा।”

इसके साथ ही अमेरिकी कांग्रेस के भारतीय मूल के सदस्य रो खन्ना और प्रमिला जयपाल ने अमेरिकी कांग्रेस में इस मुद्दे को उठाने की बात कही है।


प्रवासी भारतीय समुदाय की चिंता

अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय विशेषकर हिंदू प्रवासियों में इस घटना के बाद गहरा रोष और असुरक्षा की भावना व्याप्त है। न्यू जर्सी, कैलिफोर्निया, टेक्सास और फ्लोरिडा जैसे राज्यों में बसे हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन और कैंडल मार्च आयोजित किए हैं।

Hindu American Foundation’ की वरिष्ठ सदस्य सुहासिनी राव ने कहा:

“यह सिर्फ एक मंदिर पर हमला नहीं है, यह हमारी पहचान, संस्कृति और विश्वास पर हमला है। अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देश में यदि हम सुरक्षित नहीं हैं, तो यह लोकतंत्र पर भी प्रश्नचिह्न है।”


सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

घटना के बाद सोशल मीडिया पर #ProtectTemples, #JusticeForISKCON, #HinduLivesMatter जैसे हैशटैग्स ट्रेंड करने लगे। दुनियाभर से लोगों ने इस हमले की निंदा की और ISKCON के प्रति समर्थन जताया।

भारतीय कलाकारों, खिलाड़ियों और बुद्धिजीवियों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने ट्वीट किया:

“यूटा स्थित ISKCON मंदिर पर हमला बेहद दुखद और शर्मनाक है। यह हमला मानवता पर हमला है। मैं न्याय की मांग करता हूँ।”


अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस घटना की गूंज केवल अमेरिका और भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी सुनाई दी। लंदन, सिडनी, जोहान्सबर्ग और टोरंटो जैसे शहरों में स्थित ISKCON केंद्रों ने विशेष प्रार्थना सभा और शांति मार्च आयोजित किए। ब्रिटेन स्थित ‘Hindu Council UK’ ने ब्रिटिश संसद से अमेरिका पर दबाव बनाने की अपील की।

संयुक्त राष्ट्र में धार्मिक स्वतंत्रता पर विशेष दूत फैज़ा पटेल ने कहा:

“धार्मिक संस्थानों पर हमला केवल धार्मिक स्वतंत्रता नहीं, बल्कि वैश्विक मानवीय मूल्यों पर हमला है। अमेरिका को इस पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।”


क्या यह हेट क्राइम है?

हालाँकि जांच अभी चल रही है, लेकिन पुलिस और FBI की प्रारंभिक रिपोर्ट इसे “हेट क्राइम” की श्रेणी में रखती है। हमलावरों ने केवल संपत्ति को ही निशाना नहीं बनाया, बल्कि मंदिर की पहचान को लक्ष्य किया—यह स्पष्ट करता है कि उनका उद्देश्य डर और नफरत फैलाना था।

विशेषज्ञों का मानना है कि धार्मिक पहचान के कारण मंदिर को लक्ष्य बनाना इस घटना को सामान्य आपराधिक कृत्य नहीं बनाता, बल्कि यह घृणा और असहिष्णुता की उपज है।


अमेरिका में हेट क्राइम्स की बढ़ती घटनाएं

एफबीआई की 2023 रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में धार्मिक हेट क्राइम्स में 25% की वृद्धि देखी गई है। विशेष रूप से यहूदी, मुस्लिम और अब हिंदू समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है।

पिछले दो वर्षों में अमेरिका के विभिन्न हिस्सों में कम से कम 7 हिंदू मंदिरों को अपवित्र किया गया, जिनमें दीवारों पर भारत विरोधी और हिंदू विरोधी नारे लिखे गए।


ISKCON मंदिर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

यूटा स्थित ISKCON मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, योग, वेदांत, अध्यात्म और प्रेम का केंद्र भी है। यहाँ नियमित रूप से प्रवचन, ध्यान, भजन-कीर्तन, प्रसाद वितरण और सामाजिक सेवा के कार्यक्रम चलते हैं।

हजारों अमेरिकी नागरिक—हिंदू और गैर-हिंदू दोनों—यहाँ आध्यात्मिक ज्ञान और मानसिक शांति की खोज में आते हैं। यह मंदिर अब केवल भारतीय प्रवासियों का केंद्र नहीं, बल्कि अमेरिका की विविध सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बन चुका है।


न्याय और पुनर्निर्माण की मांग

ISKCON यूटा चैप्टर ने घटना की गंभीरता को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को पत्र लिखा है, जिसमें निम्नलिखित मांगें की गई हैं:

इसके अतिरिक्त, मंदिर की मरम्मत और सुरक्षा के लिए फंडिंग की माँग भी की गई है।


क्या भारत को कूटनीतिक दबाव बनाना चाहिए?

भारत की वैश्विक साख और 35 मिलियन से अधिक प्रवासी भारतीयों की उपस्थिति को देखते हुए, विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अमेरिका पर कूटनीतिक दबाव बनाना चाहिए।

विदेश नीति विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी के अनुसार:

“यह सिर्फ एक सांस्कृतिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक मुद्दा है। भारत को विश्व पटल पर हिंदू समुदाय की सुरक्षा को लेकर मुखर होना होगा।”


समाप्ति: यह समय एकजुटता का है

अमेरिका के यूटा स्थित ISKCON मंदिर पर हुआ हमला एक चेतावनी है—हमारे समय में धार्मिक सहिष्णुता और मानवता के मूल्य खतरे में हैं। लेकिन यह अवसर भी है—दुनिया को यह दिखाने का कि भले ही नफरत फैलाने वाले ताकतें सक्रिय हों, परंतु प्रेम, भाईचारे और न्याय की आवाज़ कहीं अधिक शक्तिशाली है।

यह घटना केवल भारत या हिंदू समुदाय का नहीं, बल्कि पूरे वैश्विक समाज का मुद्दा है। अब वक्त आ गया है कि सरकारें, संगठन और आम नागरिक मिलकर ऐसे अपराधों के विरुद्ध सशक्त और सामूहिक प्रतिकार करें।

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